वन हैं धरती मां की शान(कविता)

वन है धरती मां की शान और धरती मां की जान।

इस को काट कर तुम न करो धरती मां का अपमान।।

वनों को बचा कर,

अपने जीवन को सफल बनाओ।

एक की जगह दस- दस पेड़ लगा कर अपनी डूबती नैया को पार लगाओ।।

वनों की लकड़ियों से दवाईयां भी है बनती।

इनमें से हमें शुद्ध आक्सीजन भी है मिलती।।

वन  हमें छाया  हैं  देते।

फल फूल और  सब्जियाँ है देते।।

सूख जाने पर जलाने के लिए लकड़ियां और

इंधन भी हैं देते।

वनों की हरी-भरी पत्तियां खाकर पशु हमें दूध भी हैं देते।।

वन भू-क्षरण और पर्वत स्खलन को  भी है रोकते।

वन बंजर होने से  भी हैं बचाते।।

हर जगह हरियाली ही हरियाली बरसाते।।

पीपल बट तुलसी केला इन वृक्षों में देवताओं का  है वास।

जहां पर ऋषि देवी मुनि पूजा कर किया करते थे निवास।।

आने वाली पीढ़ियों को तुम यही समझाओ।

 वनों को उजड़नें से बचाओ।।

वनों की इस धरोहर को बचा कर पुण्य कमाओ।।

प्रकृति की मूल्यवान धरोहर को उजडने से बचा कर अपने जीवन की फुलवारी को महकाओ।।

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