एहसास

स्कूल की घंटी जैसे ही बजी सभी बच्चे अपनी अपनी कक्षाओं में भागे। मैडम अंजली बच्चों को कक्षा में समय पर ना आने के लिए हमेशा डांट दिया करती थी। उन  अध्यापिका से सभी बच्चे डरते थे।  जब भी वह कक्षा में आती शांत सा वातावरण कक्षा में छा जाता। उन का खौफनाक चेहरा बच्चों को डराता रहता। अध्यापिका पढ़ाती तो अच्छा थी मगर उनकी डांट से बच्चे अपना पाठ याद  किया  पाठ भी भूल जाते थे। आज भी  सभी बच्चे मैडम के आने का इंतजार कर रहे थे। अंजलि को प्रिंसिपल ने कार्यालय में बुलाया था। वह कक्षा में ना आकर सीधे प्रिंसिपल कक्ष में चली गई थी। बच्चों को पता चल चुका था कि आज उन की कक्षा अध्यापिका कक्षा में नहीं आएगी। बच्चे तालियां बजाकर एक दूसरे को कह रहे थे अच्छा ही हुआ आज अध्यापिका कक्षा में नहीं आई। आज तो हम सब बहुत ही खुश हैं। जिस बच्चे का जो मन कर रहा था वह  सभी अपने ही धुन में मस्त होकर कक्षा में शोर का माहौल उत्पन्न कर रहे थे। कोई एक दूसरे की टांग खींचने में लगा था। कोई कह रहा था जैसे ही कोई अध्यापक कक्षा में आएगा हम उन्हें  पढाने नहीं देंगे। आज तो पढ़ाई का मन ही नहीं कर रहा है।

कक्षा अध्यापिका के आते ही बच्चे कक्षा में जूं तक नहीं रेंगते  थे। आज तो आठवीं कक्षा से बड़े जोर-जोर की आवाज आ रही थी। कोई एक दूसरे के चेहरे की नकल बना रहा था। कक्षा में एक दो ही बच्चे ऐसे थे जो पढ़ाई कर रहे थे। मैडम के कक्षा में आने का आभास  किसी भी बच्चे को नहीं हुआ। वह चुपचाप आ कर बच्चों को शोर मचाते हुए देखनें लगी। उन्होंने आते ही कक्षा में  सभी बच्चों को कहा  सारे के सारे बच्चे  खड़े हो जाओ। सारे के सारे बच्चे कक्षा में शोर कर रहे थे। कक्षा में शोर करने वाले बच्चों के नाम  मानिटर नें  मैडम जी को दे दिए। सारे बच्चों  मे एक ही लड़की ऐसी थी जो पढ़ाई कर रही थी। मैडम नें सभी बच्चों को एक पंक्ति में खड़ा करके डन्डे से खूब पिटाई करनी शुरू  कर दी।  नेहा भी यह देख कर   बहुत डर गई।  कक्षा के आखिरी कालांश में  बिज्ञान का पर्चा था।  वह किसी और विषय  की तैयारी कर के आई थी।नेहा की बारी जब आई तो उसने मैडम का हाथ पकड़ लिया। नेहा बोली मैडम मैं शोर नहीं कर रही थी। आप साथ वाली लड़कियों से पूछ लो। मैं तो अपना पाठ याद कर रही थी। मैं मार नहीं खाऊंगी। मैडम की आंखों में आंखें डाल कर नेहा बात कर रही थी।  मैडम नें उसे कुछ  नहीं कहा। वह वहां से चले गई। सारे के सारे बच्चे नेहा की शक्ल देखने लगे। मैडम को भी लगा कि लड़की सच कह रही है। साथ में बैठी लड़की जो नेहा की सहेली थी उसे गुस्सा आ रहा था कि मैडम ने नेहा को नहीं मारा।

अर्द्ध वार्षिक परीक्षा आने वाली थी। बच्चे परीक्षा की तैयारी में लगे हुए थे। कक्षा अध्यापिका नें पेपर बना लिए थे। मैडम नें बच्चों को कहा कि तुम्हारी वार्षिक परीक्षा नजदीक  ही हैं। तुम्हें परीक्षा की सतत् समग्र मुल्यांकन के लिए तैयारी करके आना होगा। जो अच्छे ढंग से तैयारी करके आएगा उसका ही दाखिला भरा जाएगा। अंग्रेजी और विज्ञान के पेपर के लिए  मैडम नें पहले से ही हिदायत दे दी थी।

नेहा की एक सहेली थी निधि। दोनों ने कक्षा के परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयारी कर डाली लेकिन दोनों नें एक पाठ के प्रश्न याद नहीं किए।  निधि ने कहा कि इस पाठ में से एक प्रश्न मैंनें याद किया है।  तुम अगर मेरे वाला याद किया प्रश्न आया तो मैं तुम्हें बता दूंगी और तुम्हारे वाला याद किया प्रश्न आया तो तुम मुझे बता देना। हम दोनों को इन दो प्रश्नों को याद करने की जरूरत नहीं है। दोनों ने उन दो प्रश्नों में से अलग अलग प्रश्न याद कर लिया। संयोग से वे दोनों के दोनों ही प्रश्न अध्यापिका ने परीक्षा में डाल दिए। दोनों ने एक-दूसरे को इशारा किया कि वे दोनों एक दूसरे को वह प्रश्न बताएं।  नेहा ने आज से पहले कभी ऐसा काम ही किया था उसकी मम्मी ने उसको ही दे दी थी कि बेटा हमें किसी की भी  नकल नहीं करनी चाहिए। वे दोनों आज भी  अपनी अध्यापिका से डरती थी। सारा कुछ याद किया था लेकिन  उस पाठ का एक एक प्रश्न जानबूझ कर याद नहीं  कर पाई। इसी कारण उन्होंनें वह योजना बनाई। एक दूसरे की  बातों में आकर उन्होंनें शाम को भी  वह  एक प्रश्न पढ़ा ही नहीं। मैडम ने उन दोनों को साथ साथ ही बिठा दिया था। निधि ने चुपचाप  परीक्षा पेपर हल करने के बाद कहा कि मुझे वह प्रश्न तू पहले हल करवा दे फिर मैं तुझे अपना वाला प्रश्न हल करवा दूंगी। उसने चुपचाप नेहा से प्रश्न पूछकर वह प्रश्न हल कर दिया।

नेहा की बारी आई तो वह बोली पहले मुझे अपना पेपर पूरा करने दो। केवल परीक्षा समाप्त होने में अभी 20 मिनट शेष थे ।नेहा ने उसे दो तीन बार पुकारा। लेकिन  निधि ने उसकी बात को सुना अनसुना कर दिया। 10 मिनट जब शेष रह गए तो वह बोली आज मेरा बदला पूरा हुआ। उस दिन तुम्हें कक्षा में मार नहीं पड़ी थी। तुमने तो मैडम को सफाई में सब कुछ कह दिया कि मैंने शोर नहीं किया आज मैंने तुम्हें नकल न करवाकर अपना बदला पूरा कर लिया है। नेहा करनें  लगी कि मैं तो शोर कर ही नहीं रही थी। तुम तो शोर कर रही थी मैंने तुम्हें भी शोर करते देखा था इसलिए मैंने तुम्हारा नाम नहीं लिया था। निधि बोली तुम झूठ-मूठ में तुम मुझे बचा भी सकती थी। नेहा को बड़ा गुस्सा आया। उसकी आंखों में आंसू छलक आए थे। वह बड़ी खुद्दार लड़की थी। वह एकदम मैडम के पास जाकर  बोली आज एक बात  आप से छिपाई।। मैंने आज तक कभी  नकल नहीं की। मेरी मम्मी हमेशा कहती है कि हमें चाहे कुछ भी ना आए किसी की नकल करना बुरी बात है। उस दिन जब आप नें कक्षा में   कहा कि कौन बच्चा  शोर कर रहा है मैं पढ़ाई कर रही थी। मैं सचमुच में ही पढ़ाई कर रही थी। आज आपसे क्षमा मांगना चाहती हूं। आप ने  आज दो प्रश्न एक ही पाठ से दे दिए थे।  मैंनें एक  ही प्रश्न याद किया था। एक  निधि ने। उस नें मुझसे सारा प्रश्न पूछ कर  हल कर लिया लेकिन उसने मुझे वह प्रश्न हल नहीं करवाया जो उसने याद किया था। आज मैंने सबक ले लिया है कि हमें सचमुच में ही नकल  नहीं करनी चाहिए और स्वार्थी मित्रों से कभी दोस्ती नहीं करनी चाहिए। मैडम मैंने तो उसे बता दिया लेकिन उसने कहा कि मैं तुमसे उस दिन की बात का बदला लूंगी। मैडम नेहा की बात सुनकर हैरान हो गई। तुम झूठ भी कह सकती हो। नेहा बोली हां मैं मानती हूं मेरा भी नकल करने का इरादा था, लेकिन मैंने तो प्रश्न हल ही नहीं किया। निधि करनें लगी  मैंने  वह प्रश्न खुद हल किया है। मैडम नें एक चॉकलेट निकालकर निधि को कहा कि यह प्रश्न  तुम हल नहीं  कर सकी तो मैं समझूंगा नेहा गलत नहीं कह रही है। निधी सचमुच में ही वह प्रश्न हल नहीं कर पाई। नेहा ने कहा कि मैडम  जी अगर मैं गलत कह रही हूं  तो आप मेरे भी पांच अंक काट लेना। निधि को सचमुच में वह प्रश्न नहीं आया। मैडम बोली बेटा नकल करना बुरी बात है। अंजलि मैडम  बोली वे दोनों बच्चियाँ अब कभी भी नकल नहीं करेगी। उन्हें सबक मिल गया है।

मैडम ने बच्चों को फिर से वार्षिक परीक्षा के लिए तैयारी करने को कहा था। मैडम अचानक एक दिन फिर कक्षा में जल्दी आ गई थी। कुछ बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहे थे। अध्यापिका नें फिर से डंडा दिखाकर बच्चों को कहा कि यह डंडा ही तुम्हें सुधार सकता है। वह एक लड़की की पिटाई करने जा ही रही थी कि अचानक कक्षा में शोर सुनकर प्रिसिंपल अपने आप को रोके बिना नहीं रह सकी। मैडम ने प्रिंसिपल को आते देख कर  डंडा पीछे कर लिया। निधि उठकर मैडम  के पास  आ कर बोली हमें माफ कर दो। मैडम ने डंडा पीछे कर लिया।

रुही  शाम को स्कूल से जब घर पहुंची तो उसकी आंखों में आंसू थे। अपनी बेटी की तरफ देखकर अंजली बोली बेटा क्या बात है? तुम उदास क्यों हो? जल्दी से अपने हाथ धो डालो। जैसे ही हाथ  धोने लगी  रूही की जुबान से हाया! निकल गया। उसकी मम्मी ने अपनी बेटी को कहा बेटा जरा अपना हाथ दिखा। उसके हाथ सूजे हुए थे। अंजली के जोर देंनें पर वह रो कर बोली मां आज बिना बात कक्षा मे  आज मुझे मार पड़ी। मैं तो कक्षा में पढ़ाई कर रही थी। सारी की सारी लड़कियां कक्षा में शोर करी थी। मैडम ने  सारी कक्षा के साथ साथ मुझे भी डंडे से मारा।  मैं तो शोर कर भी नहीं रही थी।

अंजली सोचने  लगी कि मैंने भी तो उस दिन सारे बच्चों को  सारी कक्षा को डंडा मारा था। उस बच्ची ने मुझे एहसास दिला दिया कि वह तो सचमुच पढ़ाई कराई थी। जिस तरह से निर्भीक होकर  उसने मुझे कहा था मैडम मैं शोर नहीं कर रही थी। वह सचमुच सच ही कह रही थी।

मेरी बेटी को भी बिना बात आज कितनी मार पड़ी है? मैं कभी भी किसी भी बच्चे की  आज के बाद पिटाई नहीं करुंगी। प्यार से थोड़ा डांट डपट कर सजा दूंगी। दूसरे दिन अंजली  रुही के स्कूल गई। मैडम  कामांक्षी आज मेरी बेटी घर में आकर बहुत रोई। उसने खाना भी नहीं खाया।  वह बिल्कुल सच कह रही थी। वह कक्षा में शोर नहीं कर रही थी।

कहते हैं कि एक एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है। बुरी संगत सब बच्चों को खराब करती है लेकिन कभी-कभी हम अध्यापक वर्ग भी गलत हो सकते हैं। अनजाने में हम उन बच्चों को भी सजा दे जाते हैं जो बच्चे सजा के हकदार नहीं होते। आज आपने भी वही किया। मैडम गुस्से में जल भून कर बोली तो क्या आप अपनी बेटी को का पक्ष लेने आई है? अंजलि  बोली मैं आप से लड़ने झगड़ने नहीं आई  हूं। आज मैंने भी जाना और आपको भी समझाने आई हूं। यही घटना मेरे साथ भी घटित हुई। मैं भी एक अध्यापिका हूं। मैंने भी एक दिन ऐसी बच्ची को सजा दे दी क्योंकि वह तो सचमुच में ही पढ़ाई कर रही थी।  उस लड़की ने मुझे सच्चाई से अवगत करवाया ना होता तो मैं कभी भी इस बात को समझ नहीं सकती थी। उस लड़की ने मेरी आंखों में आंखें डालकर मेरा हाथ पकड़ कर कहां अध्यापिका जी मैं शोर नहीं कर रही थी। मॉनिटर ने मेरा नाम झूठ मूठ में लिख दिया। सारे के सारे बच्चे जब शोर करे थे तो मैं पढ़ाई कर रही थी। मैं जैसे ही उसकी ओर डंडा मारने गई उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहां मैडम आज आप थोड़ा रुको। पहले मेरी बात सुनो, फिर अगर आपने मुझे दण्ड देना होगा तो  दे देना आज आप मेरी बात अवश्य सुने।

उस लड़की की बात में मुझे सच्चाई नजर आई। मैंने जल भून कर उसका हाथ छोड़ दिया और कक्षा में आ गई। शाम को मेरी बेटी ने रोते हुए सारी कहानी कही तभी मैं आपके पास चल कर आई और कहा    ताकि आप भी इस बात को की ओर ध्यान दो।

मैडम   आरती को अंजलि की बात अच्छी लगी। आप ठीक कहती हो हमें भी  बिना  विचारे कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। बच्चे भी कई बार हमें बहुत कुछ समझा जाते हैं। हम ही उनकी बातों की  ओर  गौर ही नहीं करते। मैडम अंजलि  ने भी उस दिन के बाद बच्चों को सजा देना छोड़ दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published.