भोलू पंडित

किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी उसके एक ही बेटा था उसका नाम था भोलू ।भोलू पढ़ने लिखने में ध्यान नहीं देता था।   वह  किसी की बात ध्यान से   नहीं सुनता था ।अपना काम भी ठीक ढंग से नहीं करता था इसलिए सभी उसे बुद्धू कहकर पुकारते थे।  उसकी मां अपने बेटे के सिर पर हाथ फेर कर कहती मेरा बेटा    बुद्धू नहीं है ।वह अपनी मां के प्यार से ही तो वह काफी खुशी महसूस करता था ।वह अपने दोस्तों के इस व्यवहार से खफा रहता था उसके दोस्त उसे चिढ़ाते  कि वह देखो बुद्धू आया परंतु वह उन्हें जवाब नहीं देता था। वह इतना  भोला  था कि किसी को कुछ नहीं कहता था।स्कूल में मैडम और उसके अध्यापक भी  उसके दोस्तों के सामने उस को बुद्धू कह कह कर पुकारते तो  तब उस को अपने अध्यापकों की बात भी नहीं  जंचती थी। ऐसा नहीं था कि उसे कुछ समझ नहीं आता था जब उसके  दोस्तों ने भी उसे बुद्धू कहकर चिढ़ाया  तो  उनकी देखादेखी में उनके अध्यापकों ने भी उसे बुद्धू कहना शुरु कर दिया।उसकी धैर्य सीमा जवाब दे गई वह घर में आकर अपनी मां को जोर-जोर से रोते हुए बोला मां मां मैं सबकी नजरों में बुद्धू हूं और मैं जिंदगी में कुछ भी करने के लायक नहीं हू।ं अपने दोस्तों तक तो ठीक था परंतु सभी रिश्तेदारों ने और बाहर के लोग जब मुझे बुद्धू कहकर चिढ़ाते हैं तो कहीं ना कहीं मेरे मन में बहुत ही चोट लगती है। मेरा अंतर्मन मुझे धिक्कारता है। क्या सचमुच में मैं बुद्धू हूं? इसी हीन भावना के कारण मेरा मन  जरा भी पढाई में नहीं लगता है ।किसी भी काम को ठीक ढंग से नहीं कर सकता हूं। मां मुझे बताओ मैं क्या करू? दूसरे दिन भोलू ने अपनी मां के पैर छुए और कहा मैं स्कूल जा रहा हूं ।उसकी मां अपने बेटे के इस व्यवहार से आश्चर्यचकित हो गई। आज उसे क्या हुआ है भोलू स्कूल नहीं गया रास्ते में उसके सहपाठी उसे मिले तो उन्होंने उसे कहा बुद्धू कहां जा रहे हो ? उसने कहा मैं मरने जा रहा हू। भागकर वह उनकी आंखों से ओझल हो गया ? रास्ते में उसकी मैडम मिली उसने भी उससे वही बात पूछी भोलू तुम कहां जा रहे हो ?मैडम जी मैं मरने जा रहा हूं।उसकी मैडम ने समझा कि वह मजाक कर रहा है तभी पड़ोस के अंकल उसी दिखाई दिए वह बोले तुम आज  स्कूल ड्रेस में भी नहीं हो बुद्धू बेटा तुम कहां जा रहे हो?  उसने कहा बुद्धू कहां जाएगा बुद्धू मरने ही जा रहा है।। सभी को उसने यही बात कही अब तो जल्दी जल्दी उसने अपनी चाल को तेज किया और बहुत ही दूर चलता चलता एक पहाड़ी पर पहुंच गया । वहां से नीचे इतनी भयानक खाई थी कि वहां से अगर कोई कूदे तो वहां से उसकी एक हड्डी भी नहीं मिल सकती थी । वह तो सचमुच ही मरने जा रहा था ।वह चलते-चलते सोच रहा था कि सब मुझे बुद्धू कहकर चिढ़ाते हैं कोई भी मुझे इस काबिल नहीं समझता कि मैं कोई ना कोई काम तो अच्छे ढंग से कर सकता हू।ं ऐसी जिंदगी से क्या लाभ जिससे मैं किसी को भी खुशी नहीं दे सकता ।बुद्धू व्यक्तियों को जीने का कोई हक नहीं होता  ।उनका होना या न होना तो बराबर ही है ।जिसके होने से सबको समस्या ही खड़ी होती है मैं अपनी मां को तो इस जीवन में कोई खुशी नहीं दे सका लेकिन हे भगवान !मुझे अगले जन्म में मुझे बुद्धू मत बनाना। मैं अगले जन्म में अपनी बूढ़ी मां का बेटा ही बनना चाहता हूं ।मैं अगले जन्म में उन्हें इतनी खुशियां दूंगा कि वह अपने पिछले जन्म के दुखों को भूल ही जाएगी।

भोलू ने अपना मन पक्का कर लिया और जैसे ही कूदने लगा उसका पैर एक पहाड़ी पर  पत्थर से टकराया । वह नीचे गिर गया वहं एक जगह अटक गया था।  उसका माथा उस पत्थर से टकराया । उसके माथे से बहुत ही अधिक खून बह चुका था ।उसने अपने सामने एक साधू को आते देखा साधु भगवान ने उस पर पानी के छींटे फैकें। उन्होंने उसे बाजू से पकड़कर ऊपर निकाला ।एक जगह अलग बिठाया और उसके सिर पर पट्टी बांधी तब उसे कहा कि बेटा आत्महत्या करना बहुत बुरी बात है आत्महत्या करना तो कायरो को शोभा देताहै।तुम तो मुझे कायर तो नहीं लगते हो ।तुम तो मुझे भोले ही दिखाई देते तो बेटा तुम मुझे बताओ तुम अपनी जान देने क्यों जा रहे  थे ?साधु महात्मा को भोलू ने बताया कि बाबा मैं अपने जीवन से तंग आ चुका हू मुझे हर कोई बुद्धू कहकर चिढ़ाता है । लेकिन मेरी मां को छोड़ कर  मेरी मां मुझे बुद्धू नहीं कहती तब साधु बाबा बोले तुम्हे तो गर्व महसूस करना चाहिए किं तुम्हारी मां कितनी महान है तुम्हें इतना प्यार जो करती है ।तुमने अपनी मां के बारे में जरा भी नहीं सोचा। अपनी मां के दिल को कभी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए ।लोग तो तुम्हारे बारे में ना जाने क्या-क्या कहेंगे ।क्या तुम उनके कहने से बुद्धू बन जाओगे ?एक बात सोचो बेटा मैं तो तुम्हें बुद्धू नहीं समझता अगर तुम बुद्धू होते तो तुम मेरी बात ध्यान से नहीं सुनते ।तुमने मेरी बात ठीक ढंग से सुनी कौन कहता है तुम बुद्धू हो?  उसने कहा कि हे साधु महाराज! तुम कौन हो? तुम मुझे क्यों बचाना चाहते हो उस साधु महात्मा ने कहा कि मेरा नाम  हरिहर  है।उस विशाल पत्थर के नीचे कुटिया बनाकर रहता हूं परंतु तुम उस गुफा को देख नहीं सकते नीचे देखने की हिम्मत करोगे तो नीचे गहरी खाई में लुढ़क जाओगे ।मैं तुम्हें कहता हूं कि बच्चे अपने घर को लौट जाओ।  भोलू ने कहा साधु महाराज अब तो मैं पूरा निश्चय कर चुका हूं। मैं इस पहाड़ी से कूदकर अपनी जीवन लीला को समाप्त करना चाहता हूं।साधु महात्मा ने कहा बेटा मान लो तुम इस खाई से नीचे गिर गए और तुम मरे नही तुम्हारी हड्डी पसली टूट गई या टांगे टूट गई तब तुम क्या करोगे ? वह बोला साधु बाबा तुम मुझसे चिकनी-चुपड़ी बातें सुनाकर मुझे मत बहलाओ। आप यहां से चले जाओ मैं आज तो मर कर ही रहूंगा ।नहीं मरूंगा ,तो जो मेरी किस्मत में होगा देखा जाएगा । अचानक साधु ने कहा अच्छा सुनो आज मैं तुम्हें एक उड़ने वाला घोड़ा देता हूं। यह घोड़ा केवल दस मिन्ट तक ही उड़ेगा ।यह घोड़ा तुम्हारे बहुत काम आएगा।  भोलू बोला मैं इस घोड़े का क्या करूंगा ?ं  साधु बाबा बोले बेटा तुम्हें मेरे कहे पर विश्वास ना हो तो आजमा कर देख लो तब भोलू ने कहा अच्छा, तुम इस घोड़े को उड़ाकर दिखाओ क्योंकि घोड़ा उड़ता थोड़े ही है ?।घोड़ा तो दौड़ता है तभी साधु बाबा भोले यह एक जादुई करिश्मा है यह जादू का घोड़ा है । उन्होंने कहा  घोड़े उड घोड़ा पहले तो रूका  फिर इतनी दूर उड़ गया कि वह घोड़ा दिखाई नहीं दिया फिर दस मिनट बाद वहीं आकर खड़ा हो गया। भोलू को साधु बाबा के ऊपर यकीन हो गया था ।उसने हत्या का विचार त्याग दिया और और आगे रास्ते पर चलने लगा ।

भोलू सोचने लगा अभी मैं घर नहीं जाना चाहता क्योंकि जब तक कुछ काम का जुगाड़ नहीं करूंगा तब तक मैं घर नहीं जाने वाला ।मेरी मां भी मुझे बुद्धू ही समझेगी। उसने दूसरी छोर की ओर अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए ।उसे चलते चलते रात हो चुकी थी। एक पेड़ के नीचे उसने रात बिताई। रात को उसे डर भी लग रहा था ।उसने अपने घोड़े को एक पेड़ के नीचे बांध दिया था ।उसने सोचा कि अगर किसी जानवर ने मुझ पर हमला किया तो वह उस घोड़े पर उड़कर  दस मिनट में किसी और जगह पहुंच सकता है ।एक ऐसे शहर में पहुंच गया था वहां जाकर उसने देखा कि एक बहुत ही बड़ा नगर था ।वहां एक राजा अपनी बेटी की बीमारी के कारण बहुत ही उदास रहता था। उसकी बेटी अंदर ही अंदर टूटती जा रही थी। वह कभी भी हंसती नहीं थी। उसने बहुत ही हथकंडे अपना कर देख लिए थे परंतु उसकी कसौटी पर कोई भी खरा नहीं उतरा था ।उसने अपने राज्य में घोषणा कर दी थी कि अगर कोई मेरी बेटी को हंसा देगा तो वह उसे 1000 स्वर्ण मुद्राएं देगा ।भोलू भी उस विशाल सभा में पहुंच गया था जहां पर उस देश के राजा ने अपनी बेटी को हंसाने के लिए यह शर्त रखी थी ।  भोलू ने भी इस शर्त को पढ़ा और सोचने लगा कि मैं कोई उपाय करता हूं ।जिससे उस राजा की बेटी हंस जाए। वह राजा के पास जाकर बोला वह आपकी बेटी को हंसाने का प्रयत्न करेगा ।राजा बोला सुबह से शाम होने को आई है कोई भी मेरी बेटी को हंसाने में समर्थ नहीं हुआ ,तुम भी आजमा कर देख लो । राजा ने कहा कि तुम्हें मैं पंडित की उपाधि भी दूंगा और अगर तुम मेरी बेटी को हंसा पाए तो हजार मुद्राएं तुम्हें तुम्हारे ईनाम की भी दूंगा। मैं तुम्हें 2000 मुद्राएं दूंगा भोलू ने कहा राजा जी अपनी लड़की को लेकर आओ। राजा ने अपनी बेटी को उस विशाल जनसभा में बिठाया ,तभी भोलू बोला राजकुमारी जी की जय हो ।आज मैं तुम्हें एक करिश्मा दिखाऊंगा ।उसने राजा की बेटी को कहा कि मैं तुम्हारे  साथ  एक  खेल खेलूंगा तुम अपनी  तीन सखियों को बुला कर ले आओ ।  राजकुमारी की सहेलियां भी आ गई थी ।सहेलियों से भोलूू ने कहा बैठ जाओ ।  भोलू ने उन से कहा जब मैं कहूंगा उड़ तब तुम उस वस्तु को उड़ा देना। भोलू ने कहा चिड़िया उड ।सब सहेलियों ने अपने हाथ ऊपर किए  एक-एक करके उसने सभी पक्षियों के नाम लिए।  उसने अचानक गाय उड़ कहा। उसकी इस बात से   उपस्थित  लोग जोर-जोर से हंसने लगे ।सभी लोग उससे कहने लगे बुद्धू क्या कभी गाय भी उड़ती है? कई सहेलियों ने ने गाय को उड़ा दिया था? ़

राजकुमारी जरा भी नहीं हंसी ।भोलू ने कहा घोड़ा उड़। वह अपना घोड़ा लेकर आया ।सभी लोग उस को हंसी भरी नजरों से देख रहे थे।  घोड़ा  हिनहिनाया और वह घोड़ा भोलू पर दौड़ा ।अचानक भोलू नीचे गिर गया ।उसके सारे कपड़े फट चुके थे।। उसको इस अवस्था में देखकर सारे लोग हंसने लगे तभी भोलू एक बार और पलटा नीचे गिरा धड़ाम, धड़ाम।  उसे नीचे गिरता देख कर राजकुमारी जोर जोर से हंस  पड़ी।अपनी बेटी को हंसता देखकर राजा बहुत ही खुश हुआ तभी अचानक भोलू घोड़े पर चढ़ा और घोड़ा उसे लेकर आसमान में उड़ गया ।वह दस मिनट बाद वापिस आया घोड़े को उड़ता देखकर राजा बहुत ही खुश हुआ  राजा ने भोलू को अपनी बेटी को हंसाने के लिए हजार स्वर्ण मुद्राएं दी और  घोड़े को उड़ाने के लिए 1000 स्वर्ण मुद्राएं और दी। मुद्राएं पाकर भोलू बहुत ही खुश हुआ। राजा ने अपनी सभा को  संबोधित करते हुए कहा आज मैं गर्व से कह रहा हूं कि आज मैंने इतने बड़े पंडित को अपनी विशाल सभा में बुलायाहै। आज से मैं इसे भोलू पंडित के नाम से पुकारूंगा ।तुम सब भी मेरे साथ दोहराओ भोलू ं पंडित की जय। राजा ने 2000 स्वर्ण मुद्राएं भोलू को दी ।खुशी-खुशी भोलू अपने घर वापिस आ रहा था ।उसकी मां ढूंढते-ढूंढते उसे पुलिस थाने में चली गई थी।सब उसको ना पाकर बहुत दुखी थे ।उसने अपनी मां को 2000 स्वर्ण मुद्राएं दी और कहा मां मैंने यह मुद्राएं अपनी मेहनत से हासिल की है। उसने एक बार फिर उस साधु महात्मा को धन्यवाद  कहां जिसने उन्हें जीने के लिए प्रेरित किया था।

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