कान्हा

एक गांव की बस्ती में कृष्ण नाम का एक छोटा सा बच्चा रहता था। गांव गांव में दूर-दूर तक लोगों के घरों में चला जाता। गांव वाली औरतों की मटकी को फोड़ देता। उसकी मां एक बहुत ही गरीब परिवार की महिला थी। एक दिन जब उसे घर में दूध पीने को नहीं मिला तो उसकी मां बोली मैं तुम्हें दूध कहां से लाऊं? मैं तो तुम्हें दूध नहीं दिला सकती। खाना खाकर गुजारा कर। उसने उसे कृष्ण जी की कहानी सुनाई कि कैसे कान्हा औरतों की मटकीओं को फोड़ते थे। और माखन चुराते थे। उसने सोचा कि क्यों ना मैं भी कृष्ण बनकर गांव की भोली-भाली औरतों से दूध और मक्खन प्राप्त कर लेता हूं। इस तरह करते-करते उसे बहुत ही व्यतीत हो गए। लोगों के घरों में चला जाता। गांव वाले औरतों की मटकीओं को फोड़ देता। गांव की औरतों के घरों में जा जाकर उनके मटको से माखन चुरा कर खा लेता।

एक दिन गांव की एक औरत ने उसे माखन चोरी करते हुए देख लिया। बोली कौन है तू? वह बोला मैं माखन चोर हूं। वह बोली तेरा क्या नाम है। वह बोला मेरा नाम कान्हा है। छोटे से बच्चे के मुंह से कान्हा नाम सुनकर वह उसे खूब सारा माखन खाने को दे देती। औरतों के घरों में जाकर उनके घरों से चोरी कर के केवल माखन ही चुराता था । गांव गांव में उसकी चर्चा होने लगी। लोग छोटे से बच्चे को कान्हा ही समझनें लगे। वे कान्हा की बातें सुनकर लोटपोट हो जाती। वह अपनी भोली भाली अदाओं सें सबका मन मोह लेता था। वह इतना चंचल स्वभाव का था कि वह छोटा सा बच्चा सभी के मन को हर लेता था। छोटा सा भोला-भाला बालक गांव में प्रसिद्ध हो गया। इस तरह अठखेलियां करते हुए उसे बहुत दिन व्यतीत हो गए।

एक दिन जब कान्हा एक घर में माखन खाने पहुंचा तो उस घर की मालकिन रो रही थी। उसके पास जो कुछ भी खाने पीनें की वस्तुएं थी सब समाप्त हो चुकी थी। आज तो घर में सिवा दूध के कुछ भी नहीं था। जब कान्हा आए तो वह बोली आज तो मैं तुम्हें कुछ नहीं खिला सकती। बिट्टू के पिता को बाहर गए हुए भी बहुत दिन हो गए। कहां से खाने को लाएं। मैं छोटा सा बच्चा इसकी मदद कैसे करूंगा। वह दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा हे कान्हा मैं तो झूठ-मूठ का कान्हा बन कर यहां दूध पीने आता हूं। आज तो कोई चमत्कार कर दे। उस बच्चे ने तभी गाड़ी का हार्न सुना। किसी व्यक्ति की गाड़ी खराब हो गई थी। वह पानी मांग रहा था। कान्हा दौड़ा दौड़ा गया। बोला आप बैठो। उस बच्चे के कहने पर वह अजनबी व्यक्ति उस औरत के घर पर बैठ गया। घर की मालकिन नें चाय तो उसे पिला दी थी। थोड़ी देर बाद गाड़ी ठीक हुई। वह गाड़ी का मालिक कान्हा को ₹2000 देकर गया। गाड़ी का मालिक बोला आप का बेटा तो बहुत होशियार है। धन्यवाद दे कर गाड़ी वाला चला गया।

कान्हा नें उस महिला को 2000रुपये दे दिए। वह कान्हा को प्यार करते हुए बोली तुम सचमुच ही कान्हा हो जो मुसीबत के वक्त तुम हमारी सहायता करने आ गए हो। गांव के लोग कहने लगे बडा आया कान्हा बनने वाला। कई लोग तो उसे बाहर का रास्ता दिखा देते।

एक दिन फिर इसी तरह कान्हा एक घर में गया जहां वह खाना खाने जाता था। वहां जाकर देखा वहां पर निमंत्रण का आयोजन हो रहा था। वह औरत बोली आज कान्हा मेरे घर पर आए हैं। वह बोली सबसे पहले मैं कान्हा को भोजन परोसती हूं। कान्हा को भोजन देने लगी वह बोला कि इसमें से कुछ बू आ रही है आप देख लो। वह बोली दुर्गंध कहां से आ रही है? उसनें मटकी में झांका। उसमें सांप मरा पड़ा था। वह खीर उसनें निमंत्रण में बुलाए हुए लोंगों के लिए बनाई थी। कान्हा ने उसे पहले ही सूचित कर दिया था की इस खीर को किसी को भी खाने को मत देना। वह दौड़ी दौड़ी बाहर गई। उस ने अपने परिवार वाले लोगों को और लोगों को सारी बातें बता दी कि उस छोटे से बच्चे की सूझबूझ से सारे लोगों की जान बच गई। जल्दी से उन्होंने दूसरी खीर बनवाई और अपना निमंत्रण पूरा करवाया। एक बार कान्हा ने फिर अपना करिश्मा दिखा दिया था।

एक बार वह घुमते घुमते एक खेत में चला गया। वहां पर एक किसान खेत में हल चला रहा था। वह किसान बहुत ही उदास था। कान्हा उस किसान के पास जा कर बोला बाबा आप उदास क्यों बैठे हो। वह बोला बेटा तुम छोटे से बच्चे हो। तुम मेरी मदद कैसे करोगे। बेटा जाओ खेलो। वह बोला बाबा आप हल चलाते चलाते थक गए होंगें। मेरी मां कहती है हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। मैं आप की सहायता करनें आया हूं। वह कान्हा की भोली भाली बातें सुन कर हंस पड़ा बोला बेटा तुम कौन हो और यहां अकेले कैसे आए। वह बोला मैं अपनी मां के साथ यहां आया हूं। मेरी मां यहां लोगों के घरों में काम करती है। किसान को एक खेत के कोने मे ले गया। उसने वहां किसान को खुदाई करनें के लिए कहा। किसान को बार बार वह खुदाई करनें के लिए कह रहा था। कान्हा की मां नें उसे आवाज लगाई। जल्दी चलो देर हो रही है। आज क्या घर नहीं जाना है। वह अपनें घर की ओर दौड़ गया। किसान की बेटी की शादी तय हो गई थी मगर उसके पास अपनी बेटी की शादी के लिए रुपये नहीं थे। वह कई लोगों के पास उधार मांगने गया लेकिन किसी नें भी उसकी मदद नहीं की इस कारण से वह उदास था। घर जाते जाते सोचने लगा वह बच्चा मुझे कुछ खोदने के लिए कह रहा था। उस बच्चे का खिलौना शायद यहां गिर गया होगा। मैंनें उस बच्चे कि बात को नजरअंदाज कर दिया। मैं भी कितना स्वार्थी हो गया। मैं कल जा कर उसे उस का खिलौना दे दूंगा। वह खेत के उस कोने में जा कर हल चलाने लगा। उस का हल वहां चल ही नहीं रहा था। उसने हाथ से वहां की मिट्टी हटाई। वह हैरान रह गया। उसे वहां कुछ दिखाई दिया। उसने कुदाल से खुदाई की। वहां उसे एक घड़ा दिखाई दिया। उस में बहुत सारे रुपये थे। उस नें उस घडे को बाहर निकाला। किसान नें कान्हा के घर का पता लगाया। वह बोला बेटा तू मुझ गरीब की सहायता करनें पहुंच गया। यह तुम्हारे रुपये हैं। कान्हा बोला अब यह तुम्हारे हुए। किसान नें धूमधाम से अपनी बेटी की शादी की। लोंगों की मदद करने के लिए कान्हा नें अवतार लिया था।

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