चुहे और बिल्ली की दोस्ती

सुखबीर और पारो एक छोटे से घर में रहते थे पारो

हर रोज घर की सफाई करती रसोई में हर रोज उसे रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े मिलते। उसने एक दिन अपने पति सुखबीर को कहा कि मैं गाय को हर रोज  रोटी रखती हूं परंतु यह रोटी तो हर रोज चूहा कुतर जाता है। यह चूहा हमें सोने भी नहीं देता। बिल्ली भी हर रोज दूध पी जाती है। इस चूहे और बिल्ली का कुछ ना कुछ तो अवश्य ही करना चाहिए।

 

सुखबीर का बेटा बोला पापा चूहा कहां है? मुझे भी देखना है वह वह बोला इस चूहे को हम पकड़ेंगे। हम इस चूहे के लिए चूहा दानी लाएंगे उससे हम चूहे को पकड़ेंगे। पारो कहने लगी हर रोज यह बिल्ली आकर दूध  चट कर जाती है। इस बिल्ली को भी सबक सिखाना ही पड़ेगा। हमें इसे रंगे हाथों पकड़ ना है। हम देखेंगे कि यह किस वक्त आती है। सुखबीर बोला मैं भी ध्यान रखूंगा। चूहा किस समय रोटी खाने आता है?

 

एकदिन जैसे ही चूहा आया वह रोटी खाने लग गया था तभी बिल्ली आकर म्याऊं म्याऊं करने लगी। बिल्ली को म्याऊं म्याऊं करते देखकर चूहा किनारे भाग गया। चूहा बिल्ली के डर के मारे रोटी नहीं खा पाता था। कहीं बिल्ली मुझे अपना शिकार ना बना ले। बिल्ली जैसे ही आती चूहा अपने बिल में घुस जाता था। एक दिन चूहा जब रोटी खाने के लिए उस घर में घुसा सारे परिवार के लोग बातें कर रहे थे। इन चूहा और बिल्ली ने हमारी नाक में दम कर रखा है। हम अगर बिल्ली को पकड़ते हैं तो चूहा तो हर रोज हमारे घर खाना खाने आया करेगा हम इस चूहे को नहीं मारेंगे। यह तो बिल्ली द्वारा मारा जाएगा। बिल्ली देख रही थी और घर के लोगों की बातें सुन रही थी।  

 

बिल्ली पीछे की ओर चली गई और वहां पर छुप गई। उसके पश्चात चूहा आया घर वाले कह रहे थे कि इस बिल्ली को मारने के लिए भी कुछ करना पड़ेगा। हम इसके दूध में कुछ जहरीली दवाई डाल देंगे। जिसको पी कर वह बेहोश हो जाएगी। वह मर जाएगी। हम उसको जाकर कहीं दूर फेंक आएंगे। दूसरे दिन जैसे ही चूहा आया घर के लोगों ने एक दूसरे को इशारा किया।  इस चूहे को घर के अंदर आने दो। हम चूहेदानी लगा देते हैं। यह चूहा आज तो इस चूहेदानी में फंस ही जाएगा। जैसे ही चूहा आया बिल्ली जोर-जोर से म्याऊं म्याऊं करने लगी। घर का कोई भी सदस्य बाहर नहीं आया। वह चूहे से बोली  पीछे हट जाओ इस घर इन घर वालों ने तुम्हें पकड़ने के लिए यह चूहा दानी लगाई है। ताकि तुम इस में फंस जाओ। मैं तो तुमको कभी ना कभी खा ही जाती मगर मुझको तुम पर दया आ गई। हम चाहे आपस में भले ही शत्रु हैं परंतु यहां पर इस घर में हम दोनों को खतरा है। तुमको तो मुझ से भी खतरा है। चूहा बोला बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी तुमने आज मेरी जान बचा ली है। मगर एक ना एक दिन तो तुम भी मुझको खा जाओगे । वह बोली चूहे भाई यहां पर तो मुझे पीने के लिए दूध मिल जाता है। मैं तुम्हें क्यों नुकसान पहुंच जाऊंगी।  

 

चूहा बोला तुम्हें भी यहां पर सतर्क रहना होगा आज ही मैंने सुना है कि यह घर वाले हमारे विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे हैं। इसलिए हम दोनों को शत्रुता छोड़ कर एक दूसरे का साथ देना होगा।  नहीं तो यह घर वाले हम दोनों को मार देंगे। आज से हम दोनों दोस्त बन जाते हैं।  एक दिन जब बिल्ली दूध पीने घर में दाखिल हुए घर के सदस्यों ने दूध में कुछ मिला दिया । बिल्ली जैसे ही घर में आई चूहे ने कहा बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी इस दूध को मत पीना घर वालों ने इसमें कुछ मिला दिया है।

 

बिल्ली बोली तुम मुझ से झूठ बोल रहे हो। तुम मुझे अपना दोस्त नहीं समझते। तुम सोचते हो कि कहीं मैं तुमसे तुम्हारी रोटी छीन  कर न ले जाऊं। मैं तो दूध को अवश्य पाऊंगी। बिल्ली दूध पीने को भागी तभी उसने सामने से आता हुआ एक दूसरा चूहा देखा। वह दूध को पीने लगा। दूध पीते ही  वह छटपटानें  लगा और एक और लुढ़क गया। उन दोनों नें देखा वह तो मर चुका था। घरवाले  सो चुके थे। सचमुच ही  वह चुहामर चुका था। बिल्ली बोली चूहे भाई आज तुमने मेरी जान बचा ली। इस दूध कोअगर मैं पी लेती तो मैं भी मर गई होती। हम दोनों किसी और घर को खोजते हैं जहां हमें हमारा भोजन आसानी से मिल सके। वह दोनों वहां से सदा सदा के लिए चले गए।

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