तीन जांबाज

तीन दोस्त थे कुंवर वीर बाहूू विषमबाहु और सहस्रबाहु वे तीनो बहुत बहादुर थे। उनकी बहादुरी की मिसाल दूर-दूर तक फैली थी। एक दिन उन्होंने एक पत्रिका में जूनागढ़ की खंडहर हवेली के बारे में पढ़ा पत्रिका में जूनागढ़ की खंडर हवेली के बारे में पढ़कर उन्होंने सोचा कि वहां जाया जाए। वहां पर पहुंचकर लोगों को चौंकाने वाले तथ्य मिलते हैं। वहां पर लोग पहुंचकर तरोताजा महसूस करते हैं और हरी-भरी प्रकृति की धरोहर के गढे खजानों से रूबरू होते हैं। उसे तो मानो जिंदगी में कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। ना जाने कितने लोग उन स्थानों पर जाने की कोशिश करते हैं परंतु लाखों-करोड़ों में से कोई एक ही ऐसा भाग्यवान इंसान होगा जो उस हवेली पुनः वापिस आता है जो वापस आता है। वह इतना धनवान बन जाता है कि उसकी अगली पिछली पीढ़ियों को भी मेहनत करने की जरुरत नहीं होती। इन तीनों ने जूनागढ़ की पहाड़ियों के बीच 70 किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल हवेली थी वॉ आ पर जानें का निश्चय कर लिया। वहां पर गिरनार माउंटेन वैली थी ।विशाल हवेली में जाकर ऐसा महसूस प्रकृति की सुंदरता चारों और हरियाली ही हरियाली एक और झरने सुंदर-सुंदर हरी-हरी वादियां वहां पर पहुंचकर ऐसा महसूस होता मानो स्वर्ग में पहुंच गए हैं। लोग दूर-दूर से उस वैली में घूमने आते हैं परंतु उस हवेली में जो कोई भी जाता लोगों को पुराने राजा महाराजा और उनकी जीवन शैली की याद दिलाता था। इस हवेली में अब कोई नहीं रहता था वह हवेली अब बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए खाली कर दी गई थी परंतु कोई भी लोग इस हवेली में आने से कतराते थे ।सुना था कि इस हवेली में तीन परियां रहती थी। उनकी आत्मा अभी भी इस हवेली में चक्कर काटती रहती है इसलिए लोग उसे हवेली में रहना पसंद नहीं करते थे। वहां पर दूर-दूर से आने वाले लोगों का तांता लगा रहता था जो कि वैली को देखने आते थे। परंतु उस खंडहर में रहने के लिए कोई भी नहीं आता था। जिसको रहने के लिए जगह नहीं मिलती थी वह भी इस हवेली में ठहरने का मन बना लेता था। एक दिन इसी तरह भटकते भटकते कुंवर वीर बहू अपने घोड़े को बढ़ाते हुए इस हवेली में पहुंच गए। वह जैसे ही अंदर ग्ए वहां पर उन्हें अंदर भीनी भीनी सुगंध महसूस हुई उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि वह एक बहुत ही अद्भुत महल में पहुंच गए है।उसनें अपनें मन में कहा कि मैं यहीं पर ही रहूंगा। उस हवेली के चौकीदार ने कहा बाबू जी यहां से एक किलोमीटर की दूरी पर एक आवास गृह है। वहां पर आप अपनी रात गुजार सकते हो परंतु वीरबाहु बोला मैं तो यहां से कहीं नहीं जाऊंगा। वीरबाहु आकर हवेली के चौकीदार को बोला मुझे खाना यहीं पर भिजवा देना। उसने जल्दी से खाना खाया और विश्राम करने के लिए पलंग पर सो गया। उसे बहुत ही नींद आ रही थी। सपने में उसे एक परी दिखाई दी वह धीरे से उसके पास आकर बोली यहां पर ठहरने के लिए धंयवाद चलो तुमने यहां पर आने की हिम्मत तो की नहीं तो हम समझे थे कि यहां पर कोई भी नहीं आएगा और हमें कोई भी हमें यहां से छुड़वाकर नहीं ले जाएगा। तुम्हें इस बात से मैं आगह कर दूं कि तुम्हें यहां ठहरने में कोई खतरा नहीं होगा परंतु यह इलाका हमारा है हम तीन बहने हैं। यहां पर हमारा ही राज है। यहां पर प्रकृति की जो धरोहर है यहां के पेड़ पौधे यहां के जीव जंतु इनकी रक्षा का दायित्व हमारे पर है। तुम यहां पर बिना निसंकोच से घूम सकते हो। परंतु यहां पर बिना किसी उद्देश्य के तुम बेवजह किसी भी पशु को नहीं मारोगे और यहां के किसी भी जीव पर गोली नहीं चलाओगे क्योंकि जो इन पर अत्याचार करेगा उनको हम नहीं छोडेंगे। अचानक उसकी नींद खुल गई उसने कहा कौन है कौन है? परंतु उस का सपना अधूरा ही रह गया तभी द्वारपाल ने आकर कहा बाबूजी अभी भी समय है तुम यहां से दूसरे आवास गृह में रहो परंतु वह बोला मैंने अभी यहां सपना देखा है उसमें मुझे तीन परियां दिखाई दी। उन्होंने कहा कि हम इस हवेली की मालकिन है हरी भरी प्रकृति की धरोहर को हमने अपने खून पानी से सीचा है इस को जो नष्ट करने की सोचेगा या बेवजह किसी जीव जंतुओं को अपने शौक के लिए शिकार करेगा वह हमसे नहीं बचेगा। वह द्वार पाल बोला बाबू जी आपने ठीक सपना देखा। यह बात बिल्कुल सच है ध्यान रखना बाबू जी दूसरे दिन वीरबाहु जंगल में चला गया। वहां पर प्रकृति की इन लुभावने करिश्मा को देखकर मंत्रमुग्ध सा होकर इधर उधर घूमने लगा घूमते घूमते वहां एक गुफा में पहुंच गया

 

वहां पर गुफा में अंदर चला गया गुफा में अंदर जाकर उसे थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था। वह बिल्कुल सुनसान की गुफा में चलते चलते उसे एक घंटा हो चुका था। परंतु उसे बाहर की ओर से निकले का रास्ता सूझ ही नहीं रहा था ।वह सोचने लगा हे भगवान में ऐसे कैसे विचित्र गुफा में फंस गया। यहां से बाहर कैसे निकला जाए तभी उसकी नजर एक कार पेट पर पड़ी उसने उस कार्पेट को हटाया उसने जैसे ही कारपेट को हटाया उसके नीचे एक लकड़ी का पटरा था जब उसने उस प टरे को हटाया तो उसे वहां एक नीचे की ओर एक गुफा दिखाई दी।वहां से वह नीचे उतर गया उसने पटरा ऊपर से ऐसे ही ढक दिया और उस गुफा में चलते चलते फिर वह उसी हवेली में पहुंच गया। वह आश्चर्यचकित रह गया कि वह रास्ता बिल्कुल गुप्त था। वह रास्ता उस हवेली को जाता था चुपचाप घूम-घूम कर वह वापस उसी हवेली में आ गया। दूसरे दिन वीर बापू ने अपने घोड़े को सुंदर वाटिका में घूमने के लिए ले गया। वहां पर चिड़ियों की चहचाहट और प्रकृति के सुंदर सुंदर धरा को देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गया वहां पर सुंदर सुंदर झरने बह रहे थे ।।वहां पर जाकर एक छोर पर जाकर बैठ गया तभी वहां पर उसे हिरणों का झुंड दिखाई दिया फिल्मों का झुंड देखकर उसका मन ललचा गया। उसने सोचा कि क्यों ना इन हिरणों में से एक हिरण को मैं यहां से ले जाऊंगा। उसने एक हिरण को पकड़ लिया ।उस हिरण को जब भी वह उन्हे पकड़ कर एक और बांध दिया था ।उस हिरण को छुड़ाने उसके मां-बाप हिरण और हिरणी उदास बैठे हुए अपने बच्चे को छुड़वाने का प्रत्यन कर रहे थे। वीरबाहु पर एक जुनून सवार था वह हिरणों पर बाण चढ़ा ने लगा परंतु उसे ध्यान आया कि परी ने उसे कहा था कि इन जीवो को अगर तुम मारोगे तो हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे इसलिए उसने उस पर तीर नहीं चलाया ।उसने उस हिरण को बंधक बना दिया। वह हिरण को लेकर आया और वहां से चलने लगा तो उसने अपना सारा सामान घोड़े पर रख दिया और हिरण के बच्चे को भी उसने घोड़े पर रख दिया। अचानक उसे जोर जोर से रोने की आवाज सुनाई दी। उसने देखा की आवाज कहां से आ रही है? वह उस आवाज के पीछे पीछे चलने लगा तभी उसे एक जोर का तीर कमान लगा और तब उसे पता ही नहीं चला कि वह एक खंडहर में बेहोश की भांति गिर गया। काफी देर तक वह नहीं आया । द्वारपाल ने उसकी गाड़ी एक और खड़ी कर दी और हिरण को को छोड़ दिया। हिरण के मां-बाप ने जब अपने बच्चे को अपने सामने देखा तो वह उसे चाटने लगे और दौड़कर वापिस अपने घर में पहुंच गए

 

काफी दिनों तक वीरबाहु नहीं लौटा तो विषमबाहु ने सोचा वीरबाहु को शायद वहां का वातावरण इतना रास आया उसे तो हम दोनों दोस्तों की चिंता भी नहीं रही चलो मैं उसे चलकर ढूंढता हूं यह सोचकर उस ने भी अपना घोड़ा उस हवेली की ओर मोड़ दिया। वह भी उस हवेली में पहुंच गया उसने भी अपना सामान रखवा आया और वहां की अद्भुत छटा को देखकर दंग रह गया। वहां पर पहुंचकर वह अपने दोस्त को ढूंढने लगा वह सोचने लगा कि ना जाने मेरा दोस्त कहां होगा? तभी उसे द्वारपाल आकर बोला बेटा मेरी मानो तो तुम भी वही गलती कर रहे हो तुम्हें भी यही हवेली मिली थी ।तुम यहां से 1:30 किलोमीटर की दूरी पर एक आवास गृह है। वहां पर रात गुजार सकते थे। वह बोला नहीं मैं यहीं पर ही रहूंगा तब वह द्वारपाल बोला तुम भी वही गलती करने जा रहे हो तुम्हारे जैसा ही एक कुंवर कुछ दिन पहले यहां आया था उसका भी कुछ पता नहीं चल सका वह कहां गया।

वह बोला द्वारपाल जी धन्यवाद लेकिन मेरा मन तो यहीं पर ठहरने को कर रहा है। क्योंकि अब मैं बहुत थक चुका हूं। मैं अभी विश्राम करना चाहता हूं। वह विश्राम करने के लिए अंदर चला गया। अंदर जाते ही उसे नींद आ गई। सपने में उसे परियां दिखाई दी उसने उसे भी वही बात कही तुम्हें यहां पर घूमने में कोई बुराई नहीं है मगर यहां की किसी भी वस्तु वस्तु को नष्ट नहीं करना क्योंकि तुम्हारी तरह ही एक कुँवर यहां आया था उसने हमारी बातें नहीं मानी और उसे अपने किए की सजा मिल चुकी है। हम तुमसे कहना चाहती है कि हमारी बातें ध्यान से सुनो। जल्दबाजी में कोई ऐसा काम नहीं करना नहीं तो तुम भी अपने दोस्त की तरह मारे जाओगे। उसकी नींद खुल चुकी थी। वह भी अपने दोस्त की तरह घूमने चला गया। प्रकृति की सुंदरता को निहारता हुआ और वहां के शांत वातावरण को देखकर वह मंत्रमुग्ध सा हो गया वह एक झरने के पास चला गया वहां पर रंग बिरंगी मछलियों को देखकर मोहित हो गया वह सोचने लगा कि एक एक मछली ना जाने कितनी महंगी होगी अगर वह एक मछली पकड़ ले तो उसके उस उसे बहुत ही अधिक दाम मिलेंगे यहां से जरूर इन मछलियों को किसी बॉक्स में डाल कर ले जाऊंगा परंतु कैसे चुपके से मुझे ले जाना होगा अगर उस परी न उसेे देख लिया तो वह उसे ले जाने नहीं देगी ं पहले मैं उस झरने में जहरीली दवाई डाल देता हूं जिससे थोड़े समय के लिए यह मछलियां बेहोश हो जाएगी इनको बेहोशी की अवस्था में एक बॉक्स में डाल कर ले जाऊंगा मछलियों को बेहोश करके वह एक पानी के डिब्बे में ले ले गया परंतु उसका भी वही हाल हुआ जो उसके दोस्त का हुआ था जब दोनों दोस्त नहीं आए तो तीसरे दोस्त ने सोचा कि वह दोनों किसी मुसीबत में पड़ गए हैं उन्हें वहां से छुड़वाकर लाना होगा वह भी उस हवेली में पहुंच गया तभी खंडर के पहरेदार ने कहा बाबू साहब आप यहां मत ठहरो परंतु उसने द्वारपाल की बात नहीं मानी और विश्राम के लिए वही हवेली चुनी अब उसको भी सपने में वही परियां दिखाई दी उन्होंने उसे कहा कि तुम लगते तो बहादुर हो परंतु ऐसे बहादुर इंसान का क्या भरोसा जो हमारी बात नहीं सुनता तुम्हारी तरह ही दूर राजकुमार यहां आए थे उन्होंने हमारी बातें नहीं सुनो तुम हमारी बात ध्यान से सुनो हमने पहले ही हिदायत दे रखी है कि यहां पर हम तीनों परियों का राज है इस हवेली और यहां की धरोहर की रक्षा करना हमारा फर्ज है इस हवेली में हमारे मां-बाप की यादें जुड़ी हुई है यहां की हर चीज को हम जान से ज्यादा कीमती मांगती है मेरे पिता को एक जादूगर ने बंदी बना दिया था क्योंकि एक जादूगर ने यहां आकर मेरे पिता को बंदी बना लिया वह जादूगर यहां से गाने वाली चिड़िया को ले गया और उसने यहां की गाने वाली चिड़िया को कैद कर लिया मेरे पिता उसे छुड़ाने गए परंतु आज तक वापिस नहीं आया जब हम तीनों भी उस जादूगर से उस गाने वाली चिड़िया को छुड़ाने गए तो एक साधु बाबा ने हमारी सच्चाई ना जानकर हमे दे डाला अब से हम शापित होकर हमारी आत्मा इस हवेली में घूमती रहती है हम अपने माता-पिता की इस धरोहर को बचाकर रखना चाहते हैं हम चाहते हैं कि तुम उस गाने वाली चिड़िया को लेकर आओ और हमें भी इस शराब से छुटकारा दिलवाओ राजकुमार ने कहा मैंने तुम तीनों की बातें सुन ली है मैं यहां की किसी भी जीव जंतुओं को नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा मैं तुम्हारे पिता को उस जादूगर के चुंगल से छुड़वाकर ले आऊंगा उसने उन तीनों परियों को कहा कि तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास रखना होगा और मेरे दोनों दोस्तों को भी ठीक करना होगा हम तीनो दोस्त यहां से तुम्हारे पिता को छुड़वा कर ले आएंगे एक बार उन दोनों को माफ कर दो तब परियों ने उन दोनों दोस्तों को एक कमरे में बंद कर दिया था वहां पर बेहोश होकर वह मूर्छित पड़े हुए थे तीनों परियों ने उस राजकुमार को कहा तुम्हें अकेले ही इस गाने वाली चिड़िया को लाना होगा जब तुम वापिस गाने वाली चिड़िया को लेकर आओगे तो हम तुम्हारे दोस्तों को तुम ही साथ देंगे तब तक हम तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकते तीसरे दोस्त ने सारा दिन उस शांत वातावरण में इधर-उधर घूमते हुए किसी भी जीव जंतु को उसने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया शाम को आकर वह इस हवेली में आ गया उसे वहां पर उसे भीनी भीनी सुगंध महसूस हुई े परी ने कहा राजकुमार तुम पर विश्वास कर हमने कोई गलती नहीं की है मुझे तुम पर पूरा विश्वास है तुम हमारे गाने वाली चिड़िया को जरूर लेकर आओगे दूसरे दिन बाहर राजकुमार घोड़े पर सवार होकर उस गाने वाली चिड़िया की खोज में चल पड़ा परी ने कहा कि उस गाने वाली चिड़िया का पता उस साधुबाबा को है जब हमने उस साधु बाबा को ढूंढने का प्रयत्न किया तो वह गाने वाली चिड़िया को ले जाकर कहीं छोड़ आया था जब हमने उस साधु बाबा का पीछा किया तो उस गाने वाली चिड़िया को ढूंढने का परयतन किया तो एक खूंखार राक्षस ने उस साधु को बंदी बना लिया हम को जब उस राक्षस का पता चला तो हम तीनों उस राक्षस को ढूंढते ढूंढते वहां पर पहुंच गए साधु बाबा ने सोचा कि हम तीनों भी उससे मिले हुए हैं वह राक्षस साधु बाबा से उस गाने वाली चिड़िया का राज पूछ रहा था तभी उस साधु बाबा ने हमेशा दे दिया और हम पर अभिमंत्रित जल फेंका और तभी से हम शापित होकर इस हवेली में मंडरा रही है और अपने पिता की धरोहर को सुरक्षित रखना चाहते हैं उन परियों ने तीसरे राजकुमार को एक अंगूठी दी और उसे कहा जब तुम इस अंगूठी को रख दोगे तो तब तुम हमसे बात कर सकोगे ैहम वहां से किसी ना किसी तरह उस राक्षस के चुंगल से बचकर आ गई इस खंडहर को देखने वाला कोई नहीं था हमारी मां का तो पता ही नहीं चला राजकुमार कोे इन परियों ने एक घोड़ा दिया घोड़े पर बैठकर वहां पहाड़ों समुद्रों को लगता हुआ किसी घने जंगल में पहुंच गया और घने जंगल में पहुंच गया तो तब राजकुमार ने उस अंगूठी को रगड़ा परी बोली कि तुमने हमें क्यों याद किया राजकुमार बोला कि मैं तुम्हारे बताए हुए मार्ग पर पहाड़ों समुद्रों को लगता हुआ एक घने जंगल में पहुंच गया हूं वहां से आगे का रास्ता तुम बताओ तब परी बोली कि इस घने जंगल में बड़े-बड़े जहरीले सांप बिच्छू और भयंकर विषैले कीड़े मकोड़े है तुम्हें अपने आप को इनसे बचाना होगा तुम इन कीड़े मकोडो को जरा भी मारना मत इन से डरना मत अगर तुम डर गए तो तुम डर के मारे इन्हें देखकर वैसे ही मर जाओगे देखने को यह विषैले दिख रहे हैं परंतु यह कीड़े मकोड़े किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते जहां पर यह कीड़े मकोड़े समापत हो जाएंगे वहीं पर तुम समझ लेना उसी जगह पर राक्षस की गुफा है लूंगी रात्रि के समय तुम उस गुफा में प्रवेश करना तुम एक बहादुर वीर सैनिक की भान्त इन विषैले जीव जंतुओं से अपने आप को बचाना यह तुम्हें नहीं काटेंगे वह राजकुमार इन विषैले जीव जंतु को देखकर पहले डर गया फिर उसने अपने मन पर काबू किया और मन ही मन भगवान का नाम लेकर चलने लगा ऊपर से ना जाने कितने जहरीले सांप बिच्छू उसके ऊपर मंडरारहे थे परंतु वह उनसे जरा भी नहीं डरा और निर्भीक होकर आगे बढ़ता रहा अचानक एक जगह वह जहरीले कीड़े समाप्त हो गये वह सचमुच एक विशाल गुफा की तरफ चल रहा था जैसे ही अंदर जाने लगा उसे राक्षस की दहाड़ सुनाई थी उसका डर के मारे बुरा हाल था उसने अंगूठी को रगड़ा और परी से पूछा कि अब मैं क्या करूं परी ने पूछा की क्या तुम सुरक्षित ने कहा कि मैं उस गुफा के अंदर जाने की कोशिश कर रहा हूं वह राक्षस मुझे देखकर मुझ पर हमला अवश्य करेगा परी ने उससे कहा कि तुम अंगूठी से तीन बार कहना मैं परी द्वारा भेजा गया दुत हं ् मेरी सहायता करो तब तुम अदृश्य हो जाओगे 15 मिनट तक क्योंकि मेरा पूरा जादू नहीं चलेगा क्योंकि 15 मिनट बाद मेरा जादू समाप्त हो जाएगा क्योंकि Shaapit होने की वजह से हमारा जादू समापत हो गया है वह गुफा में घुस गया राक्षस अंदर जा चुका था उसने उस अंगूठी को किनारे कर दिया था उसने वहां पर साधु महात्मा को बंद है होते हुए देखा साधु बाबा को े उसने बांधकर रखा था हमारे वहां पहुंचकर साधु बाबा को प्रणाम किया और कहा साधु बाबा की जय आप कौन हैं और आपको यहां क्यों बैठा हुआ है तब साधु बाबा ने अपनी सारी कहानी उस राजकुमार को सुनाई और कहा कि यह व्यक्ति मुझसे एक गाने वाली चिड़िया का राज मालूम करना चाहता है परंतु मैंने उसे उस चिड़िया के बारे में नहीं बताया उस गाने वाली चिड़िया को मैंने इस व्यक्ति से बड़ी मुश्किल से हासिल किया था परंतु यहां पर तीन परियों नेंआ कर सब कुछ गड़बड़ कर दिया मैं नें उस गाने वाली चिड़िया को इस व्यक्ति से छुड़वा कर ही दम लिया था मैं उस चिड़िया को अपने भाई साधु बाबा के पास छोड़ आया था परंतु तीनों परियोंने मुझे पकड़ लिया मुझे इस चिड़िया को ले जाते हुए उस राक्षस दैत्य ने देख लिया उस राक्षस ने उन तीनों परियों को और मुझे कैद कर लिया मुझे उन परियों पर गुस्सा आया कि उसने एक बार फिर मुझे राक्षस के चुंगल में डलवा दिया मैंने उन तीन परियों को श्राप दिया कि जो तुमने एक साधू बाबा को कष्ट दिया है तुम्हें कभी भी स्कून नहीं मिलेगा तब से वह परियां पता नहीं कहां गायब हो गई राजकुमार बोला कि हे साधु बाबा जी आपने उन परियों को बिना सोचे समझे शाप दे दिया आपने उन परियों की दास्तां नहीं सुनी राजकुमार ने कहा साधु बाबा जी यह गाने वाली चिड़िया उनकी जान थी उन परियों के पिता को एक दूसरे दुष्ट राक्षस ने कैद े कर लिया था इन परियों के पिता ने जूनागढ़ गढ़ की हवेली में चराचर जीव जंतुओं को अपनी जान से बढ़कर प्यार किया था वहां पर किसी दुष्ट राक्षस ने पहुंचकर उस गाने वाली चिड़िया को छीन लिया उस गाने वाली चिड़िया की खासियत यह थी कि जिसके पास वह चिड़िया होती थी उसको कभी भी किसी भी किस्म के खतरे का आभास नहीं होता था हर खतरे से हर मुश्किल से वह चिड़िया अपने शुभचिंतकों की रक्षा करती थी बेचारी परियां अपने आप को अकेला महसूस कर रही है क्योंकि इस हवेली को छोड़कर वह कहीं नहीं जा सकती वहां पर आने वाले सभी युवकों पर उनकी नजर रहती है वह उन सब पशु पक्षियों और चर्चित जीव जंतुओं की और उस हवेली की रक्षा करती हैं उनकी आत्मा हर समय भटकती रहती उन्होंने मुझे यहां पर भेजा है किसी ना किसी तरह से अपनी धरोहर को सुरक्षित लौटकर लाने के लिए साधु बाबा को अपनी गलती महसूस हुई और वह बोले बेटा मैंने उन मासूमों को श्राप दे डाला मैंने सोचा कि यह भी उस व्यक्ति के साथ मिली हुई है इसलिए मुझे उन पर गुस्सा आ गया था परंतु अब मैं भी तुम्हें गाने वाली चिड़िया के बारे में बताऊंगा उस राक्षस ने मुझे इसलिए बांधकर रखा है क्योंकि वह मुझ से उस गाने वाली चिड़िया का राज मालूम करना चाहता है जाओ बेटा मैं तुम्हें बताता हूं यहां से 20 35 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा की तरफ एक घना जंगल है जब तुम उस जंगल में पहुंचोगे वहां पर तुम्हें तीन वृक्ष दिखाई देंगे वहां पर जंगली जीव जंतु है और वहां पर तीन बाग-बगीचे हैं वहां पर बगीचों में तरह-तरह के फल और फूल अपनी सुगंधित छठा बिखेर रहे हैं परंतु एक बात बिल्कुल सुना है उसने बगीचे में उस राक्षस ने बहुत सारे आने वाले लोगों को मार कर गाड़ दिया है उस बगीचे में जोर-जोर से आवाज आती रहती है हमें बचाओ हमें बचाओ वहां पर तीन पेड़ हैं तीनों पेड़ों पर बहुत सारे पक्षी हैं और एक ऐसा पेड़ है जिस पर केवल एक चिड़िया है वह चिड़िया नहीं वह एक राजकुमारी है उसे उस व्यक्ति ने चिड़िया बना दिया है वह चिड़िया तुम्हें कुछ बता सकती है उसके संकेतों को समझना साधु बाबा ने कहा बेटा यहां से जल्दी चले जाओ अगर उस राक्षस ने तुम्हें देख लिया तो वह तुम्हें भी नहीं छोड़ेगा जाओ बेटा इन परियों को उसकी चिड़िया को उन्हें लौटाने में इनकी मदद करो राजकुमार वहां से जल्दी ही बाहर निकल गया उसने साधु बाबा को विश्वास दिलाया कि वह आकर तुम्हें भी इस राक्षस के चुंगल से छुड़वा कर ले जाएगा राजकुमार अपने घोड़े को भाई मेरे भाई मेरे मुझे गाने वाली चिड़िया का पता बता दो दौड़ाता हुआ एक घने जंगल में पहुंच गया वहां पर पहुंचते ही उसे तीन वृक्ष दिखाई दिए और वहां पर उसे तीन बगीचे दिखाई दिए वहां पर जाकर उसे भूख भी बड़े जोर की लग रही थी परंतु वह सोचने लगा की कहीं यह फल भी जहरीले ना हो मैं इन्हें कैसे खाऊं वह उन पेड़ों के पास चला कर दोनों पेड़ों पर तो बहुत से पक्षी चहचहा रहे थे एक पेड़ पर एक अकेली चिड़िया बैठी थी वह वहां पर पहुंच गया उस चिड़िया के पास जब वह पहुंचा तो उसको देखकर

ीचींचीं करने लगी मानो वह उसे देख कर खुश हो रही थी परंतु थोड़ी देर बाद वह चूंच़ूकरने लगी और थोड़ी देर बाद चाचा चंचा करने लगी वह उसके इन इशारों को समझने की कोशिश करने लगा तभी उसने अपनी अंगूठी को रगड़ा और परी को सारी बात बताई कि मुझे साधु बाबा का पता चल गया था उन्होंने मुझे इस गाने वाली चिड़िया के बारे में बताया कि उसको मैंने अपने भाई के पास रखा है तभी परी ने कहा कि तुमने मुझे क्यों याद किया तब बोला यहां पर 3:00 पेड़ है है जो पेड़ों पर बहुत सारे पक्षी है और एक पेड़ पर केवल एक चिड़िया है अब तुम मुझे यह बताओ कि यह क्या कहना चाहती हैं तब परी बोली कि वह चिड़िया एक राजकुमारी है उसको भी किसी राक्षस ने चिड़िया बनाया है तुम उसके संकेतों को समझो तब राजकुमार ने कहां मां की चीज पूछो चाची चूचूंपरी ने कहा कि का मतलब है आगे जाओ चीची खुशी के आंसू है चूचू का मतलब है कि उस पेड़ के पास कुछ है उसे ढूंढो तो वह राजकुमार उस पेड़ के पास आया और आगे बढ़ते हुए उसे एक पेडे केे े पास एक कुदाली दिखाई दी उसे समझते देर नहीं लगी कि वहां पर कुछ है उस पेड़ के पास जाकर वह खुदाई करने लगा तीनों पेड़ों के पास तीन गड्ढे थे एक गड्ढे में जल था दूसरे में चिड़िया थी और तीसरे गड्डी में एक नक्शा था तीनों गड्ढों को खोदातो उसे वहां पर तीन वस्तुए दिखाई दी उसने परी को बताया कि मुझे यह 3 वस्तुओं उस गड्ढे से मिली है परी ने कहा कि तुम चूचू करो जैसे ही उस राजकुमार ने चूचू किया तब वह चिड़िया उसके पास उड़कर आ गई परी ने कहा तुम उस चिड़िया पर उस जल की तीन बूंदे डालो वह एक राजकुमारी के रूप मेबदल गई उसने चिड़िया से फिर राजकुमारी बना दिया इसके लिए मैं तुम्हारा धन्यवाद करती हूं राजकुमारी ने सहस्रबराजकुमार का धन्यवाद किया और कहा तुमने मुझेाहु से से कहा कि मैं राजा भानुप्रताप की बेटी हूं मुझे एक दुष्ट राक्षस ने मुझे अपने घर के बगीचे में कैद कर लिया जब मैं सैर करने के लिए जा रही थी तभी उस राक्षस ने मुझे पकड़ लिया और मुझे अपने रथ पर बिठाकर वह मुझे दूर ले गया वह समुद्रोंऔर वनों पर्वतों को लाँघता हुआ एक विशाल भवन में पहुंचा वहां पर चकाचौंध करने वाले तीन भव्य महल थे तीनों भवनों में सोने के चबूतरे थे चारों ओर पानी के फव्वारे थे।.मुझे अंदर नहीं ले गया वह मुझे रथ पर ही बिठा गया और वह अपने आप अंदर चला गया उसने सोचा कि मुझे नींद आ चुकी है मैं भी सोने का नाटक कर रही थी वह जानता था कि यहां से तो मैं भागकर कहीं भी नहीं जा सकती तभी मैं भी पीछे पीछे चुपचाप पीछा करती हुई उसके पीछे होली उस राक्षस के पीछे पीछे चलने लगी बहुत देखने लगी कि वह कहां जा रहा है वह ना जाने किस कमरे में चला गया मुझे पता ही नहीं चला काफी कोशिश करने के बाद मैंने एक खिड़की से झांक कर देखा वहां पर एक दूसरा खूंखार राक्षस आराम कर रहा था जिस व्यक्ति ने मुझे पकड़ा था दूसरे राक्षस के पास आकर बोला े तीनों पीढ़ियों के नीचे थभाई मेरे मुझे गाने वाली चिड़िया का पता बता दो क्योंकि मुझे पता है कि वह गाने वाली चिड़िया तुम्हारे पास है अगर तुम मुझे नहीं बताओगे तो मैं तुमसे वह चिड़िया छीन कर ले जाऊंगा हो तो तुम मेरे मुंह बोले भाई परंतु जल्दी से उस गाने वाली चिड़िया को मेरे हवाले कर दो नहीं तो मुझे कोई और कदम उठाना पड़ेगा तब उस राजकुमारी ने सहस्रबाहु से कहा कि जब राक्षस मुझे पकड़ रहा था और मैं सोने का नाटक कर रही थी वह जैसे ही भवन में घुसा तो मैं उसके पीछे पीछे चल गई थी कि देखूं कि वह क्या कर रहा है तब मैंने देखा कि अंदर उसी के समान एक एक राक्षस था जिस राक्षस ने मुझे पकड़ा था वह दूसरे राक्षस से बोला मुझे जल्दी में गाने वाली चिड़िया का पता बताओ जब राक्षस ने उससे गाने वाली चिड़िया के बारे में नहीं बताया तब उस राक्षस ने चुपके से पता नहीं उस के तकिए से से क्या निकाला उस व्यक्ति को पता चल चुका था कि मैं यह सब देख रही हूं इसलिए उसने मुझ पर यह जाहिर नहीं होने दिया वह मुझे उठा कर पहाड़ों समुद्रों और वनों को लांघता हुआ साधकी कुटिया के पास पहुंचा वहां पर उसने तीनों पेड़ों के नीचे गड्ढा कर के तीनो चीजे छुपा दी थी क्योंकि उनको पता था कि यहां पर कोई भी खोज करके नहीं निकाल सकता था क्योंकि किसी को भी इन वस्तुओं के बारे में पता नहीं था जब उसका दोस्त वह बोला भाई सोया हुआ था तब उस राक्षस ने उसके सिरहाने से चाभियों का गुच्छा जल और नक्शा लेकर आ गया था और उसने वह तीनों चीजें उस पेड़ के नीचे दबा दी थी राक्षस को पता चल चुका था कि राजकुमारी को सब कुछ पता चल चुका है इसलिए इसलिए वह उस राजकुमारी को लेकर पहाड़ों समुद्रों और वनों को लांघताहुआ उसे उस जगह ले गया जहां पर यह तीनों वृक्ष थे इसलिए उसने उसे चिड़िया बना दिया राजकुमारी ने सहस्त्रबाहु को कहा कि तुम अपने घोड़े को उत्तर दिशा की ओर मोड़ो काफी रास्ते घने दुर्गम जंगलों को पार करने के पश्चात राजकुमारी बोली अपने घोड़ों को रोको यहां पर भीनी भीनी महक आ रही है और झरनों की कल कल भी सुनाई दे रही है हम उस भव्य रहस्यमई जंगल में पहुंच गए हैं वहां के तीनों महलों में सोने के चबूतरे थे तीनों भवनों में ताला जड़ा था वह राजकुमारी बोली तुम ध्यान से अंदर जाना क्योंकि यहां पर एक कमरे में एक खूंखार राक्षस है।उसके पास एक जादुई शंख और जादुई कृपाण ह।। कोई भी इस जादुई तलवार को प्राप्त जो कोई भी इस जादुई तलवार को प्राप्त करेगा कर सकता है वह जादुई शंख भी प्राप्त कर सकता है

सहस्रबाहु ने जब उस अंगूठी को रगड़ा परी नेे े सहस्त्रबाहु को कहा े तुम अपने मकसद में कामयाब हुए या नहीं तब सहस्रबाहु बोला हां हां शायद होने ही वाला हूं उस राक्षस के यहां पहुंच चुका हूं जहां वहां गाने वाली चिड़िया है वहां पर हमें एक नक्शा मिला है जिसमें उस गाने वाली चिड़िया और अमृत कलश की जानकारी मैं उस राक्षस के सामने कैसे जाऊं वहां पर ही बोली कि शाबाशसहस्रबाहु जब साधु बाबा के पास से लौटा था साधु बाबा ने उसे एक काला कपड़ा दिया था उसने कहा था कि जाओ बेटा इन परियों को उनकी चिड़िया को उन्होंने लौटाने में उनकी मदद करो मैंने उन्हें अनजाने में शाप दे दिया अब तुम उन परियों की मदद करो जब तुम इस काले चोगे को अपने ऊपर लपेट लोगे तो तुम अदृश्य हो जाओगे जब तुम अदृश्य हो जाओगे तब तुम उस राक्षस के बारे में जानकारी हासिल कर लेना वह अच्छा कहकर वहां से चल दिया राजकुमार राजकुमारी को लेकर अंदर घुस गया वहां पर दुष्ट व्यक्ति जादूगर विश्राम कर रहा था वह जब सोकर उठा आंखों को मलने लगा राजकुमारी ने और सहस्रबाहु वहां काला कपड़ा उन्होंने अपने ऊपर लपेट लिया जिससे वह दोनों अदृश्य हो गए उन्होंने देखा वह राक्षस उठा और सबसे पहले उसने अपने तकिए के नीचे से ले तलवार निकाली उस तलवार को तीन बार नीचे जमीन पर रगड़ा और कहा हम्मा हम्मा हम्मा अचानक तभी इतनी जोर की गर्जना हुई जिससे वह उस कमरे के बीचो-बीच एक तहखाना बन गया जादूगर नीचे उतरा बे दोनो भी उसके पीछे पीछे नीचे उतर के वहां पर पहुंचकर उसने नीचे उतरकर देखा वहां पर एक ओर एक बॉक्स पड़ा था उस राक्षस ने उस बक्से को खोला इसमें जादू का शंख था दूसरी और एक बॉक्स था उसमें अमृत कलश था राजकुमारी की खुशी की सीमा न रही वह दोनों जल्दी-जल्दी तहखाने से ऊपर आएं और उस राक्षस के आने का इंतजार कर लेंगे ने राक्षस जब ऊपर आया तो उसने कहा खम्मा खम्मा खम्मा तब वहां तक खाने का द्वार बंद हो गया अब दोनों ने वह शब्द याद कर लिए थे चुपचाप जैसे ही राक्षस आकर पलंग पर लेट गया और उसने तलवार तकिए के नीचे रखी जब वह खूंखार राक्षस सो गया तो उसने परी से कहा कि हम ने उस राक्षस के बारे में सब कुछ पता कर लिया है वह बोली तुम उससे पहले कृपाण प्राप्त करने की कोशिश करो क्योंकि जब तक तुम कृपाण प्राप्त नहीं करोगे तब तब तुम कुछ भी हासिल नहीं कर पाओगे तुम वहमंतर फिर से दोहरा तब तुम्हें सारी वस्तुएं प्राप्त होंगी जब वह राक्षस सो गया तो उसने तब सहस्रबाहु ने जो जल वह तीनों पेड़ के नीचे से लाया था उसने वह जल उस राक्षस के ऊपर छिड़का जिससे वह राक्षस और अर्ध चेतन अवस्था में पड़ा था वह अब कुछ भी बोल नहीं सकता था राजकुमारी ने उस राक्षस की सिरहाने से तलवार निकाली और उस को तीन बार जमीन में लगा कर रगड़ा हम्मा हम्मा हम्मा कहां पर घोर गर्जना हुई और तहखाना खुल गया वह दोनों नीचे उतरे उन्होंने उस बक्से में से अमृत कलश निकाला और दूसरे बक्से में से जादू का शंख लिया और जल्दी-जल्दी तहखाना बंद करने के लिए उन्होंने खम्मा-खम्मा कहा वह का खाना बंद हो गया वह राक्षस अचेत हो चुका था जल्दी-जल्दी कृपाण तलवार जादू क्वेश्चन फॉर अमृत कलश लेकर वह अपने घोड़े पर बैठ गया सहस्रबाहु ने देखा कि उन दोनों के कमरों में तो ताला लगा था उसने सोचा जो चाभियां हमें प्राप्त हुई थी शायद दूसरे जादूगर ने ना रखी हो उसने उन चाबियोंको दरवाजे में लगा दिया तो ताला खुल गया एक कमरे में एक पिंजरे में गाने वाली चिड़िया थी और उसके पास एक बूढ़े वृद्ध दंपति नीचे बेहोशी की अवस्था में पड़े हुए थे तब उस राजकुमारी ने अमृत कलश में से निकाल कर दो तीन बूंदे उन पर छिड़कीं तो वह दोनों राम राम करते उठ गए और अपने सामने गाने वाली चिड़िया को देखकर मुस्कुराए हम तुम्हें ही ढूंढने तो आए थे तुम कहां थी वह गाने वाली चिड़िया उन दोनों को देखकर मुस्कुरा रही थी सहस्त्रबाहु और राजकुमारी की देखकर वह बोले तुम कौन हो तब राजकुमारी ने सारी कहानी सुना दी कि कैसे परी ने मुझे गाने वाली चिड़िया लाने को कहा है तो वह दोनों बोले हम ही उन पूरी परियों के बूढ़े माता-पिता हैं दुष्ट जादूगर जिस हमारी जादू की चिड़िया छीन ली थी उसने हमें बंधक बना लिया था परंतु किसी दूसरे व्यक्ति ने आकर उस गाने वाली चिड़िया को हमसे छीन लिया और हम दोनों को भी बंधक बनाकर यहां ले आया हम दोनों को कैद कर के रख दिया राजकुमार बोला कि पहले मैं इस दुष्ट व्यक्ति को मार कर यहां से आपको आपके शहर में ले जाऊंगा उस राक्षस को उसी समय े होश आ गया और वह गरजते हुए बोला करो राजकुमार ने वृद्ध माता पिता को रथ में बिठा दिया था राजकुमार आया उसने गाने वाली चिड़िया से पूछा कि वह दुष्ट राक्षस कैसे मरेगा वह जादू वाली चिड़िया बोली तुम्हें इस राक्षस को इसी की कृपाण से मारना होगा क्योंकि यह कृपाण साधारण कृपा नहीं यह एक जादू की तलवार है जादू की तलवार को तुम इसकी नाभि में मारनातब यह भयंकर राक्षस मर जाएगा राजकुमार ने उस तलवार से उसकी नाभि पर मारा जिसकी चोट से आहत होकर वह विशाल राक्षस जोर-जोर से गर्जना करने लगा।परंतु तीसरी बार के वार से वह नीचे गिर पड़ा और मर गया राजकुमारी ने अमृत कलश जादू का शंख और गाने वाली चिड़िया को प्राप्त कर लिया था तभी उसने सामने से आते हुए दूसरे राक्षस को देखा जिसने राजकुमारी को चिड़िया बना दिया था उसने उसी जल से उस पर तीन बूंदे फैंकी राक्षस भी अर्ध चेतन अवस्था में नीचे गिर गया उसके बोलने की क्षमता समाप्त हो चुकी थी राजकुमार ने उसको वहीं नीचे जमीन पर गिरा कर उस पर भी 3 वार किये और वह दुष्ट राक्षस लहूलुहान होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा और मर गया े मोनी बाबा को ध्यान में बैठे े देखकर सहस्रबाहु वहां पर जाकर बोला आपकी कृपा से हमने गाने वाली चिड़िया प्राप्त कर ली है आपने जो हमें काला चोगा दिया था वह हमारे बहुत ही काम आया उसे हमने अपना बचाव किया तब साधु बाबा ने कहा मेरे भाई को मेरा प्रणाम कहना और मेरे भाई को भी दूसरे राक्षस के चुंगल से छुड़वा कर मेरे पास भेज देना तो वह दोनों वहां से घोड़े पर बैठकर विचित्र गुफा में पहुंचे जहां पर वह राक्षस था सबसे पहले उसने उस साधु बाबा को कैद किया हुआ था सहस्त्रबाहु ने साधु बाबा को छुड़ा दिया और उसके भाई के पास भिजवा दिया उसने राजकुमारी को कहा कि पहले मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूं क्योंकि तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी राह देख रहे होंगे जब राजकुमारी के माता पिता ने अपनी बेटी को जिंदा देखा तो वे बहुत खुश हुए राजकुमार को गले लगाकर बोले कि बेटा तुमने हमारी बहुत ही मदद की है मेरी बेटी को बचा कर हम पर एहसान किया है सहस्रबाहु बोला मैं राजकुमारी को लेने वापस आऊंगा क्योंकि मैं तुम्हारी बेटी से शादी करना चाहता हूं परंतु इससे पहले मुझे परियों के माता-पिता को सुरक्षित उस हवेली में पहुंचाना है और गाने वाली चिड़िया को ले जाकर उन्हें सौंपना है अपने दोस्तों को सुरक्षित वहां से ले जाना है उसने राजकुमारी के माता पिता के पैर छुए और उनसे आज्ञा ली राजकुमारी के माता-पिता ने एक रत परियों की हवेली में उनके बूढ़े माता-पिता को उनके देश भिजवाने के लिए पहले ही तैयार कर दिया था वह रथ परियों की हवेली में पहुंच गया तब पर या अपने बूढ़े माता-पिता को सही सलामत देखकर खुश हुई पहले सहस्त्रबाहु उस गुफा में पहुंचा उसने साधु बाबा को वहां से निकाला और उसके भाई के पास पहुंचा दिया और उस दुष्ट राक्षस को कहा कि अगर तुम गाने वाली चिड़िया प्राप्त करना चाहते हो तो मुझसे युद्ध करो तब वह राक्षस उसे युद्ध करने के लिए तैयार हो गया उस राक्षस को यह मालूम नहीं था कि राजकुमारको सारी वस्तुएं प्राप्त हो चुकी है उन दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ सहस्त्रबाहु की जीत हुई वह खुशी खुशी परियों के देश मेंं राजकुमारी को लेकर लौट आया जहां पर परियों उसकी राह देख रही थी उन तीनों परियों ने खुशी-खुशी सहस्त्रबाहु और राजकुमारी का स्वागत किया खूब जश्न मनाया गया तीनों परियों ने कहा कि आजहमें शा से छुटकारा मिल चुका है तब सहस्रबाहु ने अमृत कलश का जन्म उन पर तीनों परियों पर छिड़का जिससे वह पुनः जीवित हो गई तब परियों ने कुमार को उनके दोस्तों से मिलवाया राज पानी उन पर भी अमृत कलश का जल है क्या वह दोनों दोस्त राम राम करते उठ गए उन तीनों राजकुमार और परियों से अलविदा दी और खुशी-खुशी अपने घर वापिस आ गए

 

 

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