बंदर आया (कविता)

बंदर आया बंदर आया।
पेड़ो पर उछल कूद कर सारा घर सिर पर उठाया।
पेड़ पर चढ़कर इधर उधर इठलाया।।
छज्जों पर हर जगह चढ़कर करता शैतानी।
हर जगह धूम चौकड़ी मचा कर करता अपनी मनमानी।।
खो खो करता बंदर आया।
हर आने जाने वाले राहगीरों को डराया।।
नकल करता बंदर आया, बंदर आया।

पेड़ों पर इधर-उधर मंडराया।।
लोगों की जेबों से माल चुराता बंदर आया।
नटखट और शातिर लोगों को डराता बंदर आया।।
लोगों की खुली खिड़की देख अंदर से रोटी चुराता बंदर आया।
घर के मालिक के आते ही रफूचक्कर होता बंदर आया।।
बंदर आया बंदर आया,
हर लोगों की नकल उतारता बंदर आया।
हर आने जानें वालों को डराता बंदर आया।।

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