बुरे काम का बुरा नतीजा

एक छोटे से गांव में एक ग्वाला और ग्वालिन रहते थे। ग्वालिन गांव में दूध बेचकर अपना भरण पोषण करती थी। ग्वालिन अपना काम बहुत ही अच्छे तरीके से किया करती थी। उसका पति उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था। वह जो कुछ   मेहनत से  कमाती उसका पति उसकी मेहनत को बेकार कर देता था। वह जो कुछ भी कमा कर  लाती उसकी मेहनत शून्य हो जाती।। उसका पति एक आलसी व्यक्ति था। वह घर में कुछ काम धाम नहीं करता था। उसकी पत्नी  गाय के लिए चारे  और भूसे  का इंतजाम करती। उसी के प्रताप से  वह गाय  खूब दूध देती। वह अपने पति के पास दूध बेचने के लिए दे देती थी। वह बाजार में जाकर दूध बेचता था। रास्ते में जब दूध बेचने जाता वह सोचता आज  तो में ज्यादा रुपए कमा लूंगा। वह आलसी होने के साथ-साथ लालची भी था। वह उस दूध में पानी मिला देता अगर उसे ₹400 मिलते तो वह आधे से ज्यादा जूए में उड़ा देता। उसकी पत्नी उससे पूछती कि कितने   रुपये  कमाये। वह थोड़े रुपये ही  अपनी पत्नी  के हाथ में थमा देता था। आधा पानी मिलाकर  जब दूध बेचता  वह मन ही मन खुश होता कि उसने ग्राहकों को आज उल्लू बनाया। इस तरह हर रोज  वह ग्वाला अपने ग्राहकों को चुना लगाता रहता था।

उसकी पत्नी अपने पति की  इन्हीं आदतों से तंग आ गई थी। वह कई बार  ग्वाले को कहती थी कि तुम भी मेरे साथ काम किया करो। उसकी बातों को  वह ग्वाला कोई ना कोई बहाना बना कर टाल दिया करता था। जब उसका ज्यादा दूध बिकता थोड़ा खुश होता। अपने मन में सोचा करता कि पानी मिलाकर भी लोग उस से दूध खरीदते हैं। एक दिन उसने अपनी पत्नी को कहा कि तुम तो इतना गाढा दूध बाजार में  बेचती हो। तुम  भी दूध में थोड़ा पानी मिलाकर दूध बेच दिया करो। उसकी पत्नी अपने पति को बोली कि हमें दुध में पानी नहीं मिलाना है। हमारे ग्राहक हम पर विश्वास कर हमसे दूध खरीदतें हैं।  हम भी अगर दूध में पानी मिलाकर बेचेंगे तो लोग हम से दूध लेना बंद कर देंगे। उसका पति बोला भाग्यवान ईमानदार होना अच्छी बात नहीं उसकी पत्नी बोली आप कभी भी दूध में पानी मत मिलाना। ग्वाला  अपनी पत्नी की तरफ देख कर चुप हो गया। उसने सोचा मैं अपनी पत्नी को बता दूंगा कि मैं पानी मिलाता था  वह मुझसे नाराज हो जाएगी। उसे कभी  भी पता नहीं चलने दूंगा कि मैं दूध में पानी मिलाकर बाजार में बेचता हूं। कई बार दूध लेने वालों ने ग्वाले से शिकायत भी की आजकल आप का दूध ठीक नहीं आ रहा है। ग्वाला  कहता आजकल घर का सारा काम  मुझे  ही करना पड़ता है। वह गांव वालों को झूठ ही कहता मेरी पत्नी की तबीयत आजकल ठीक नहीं है। गाय की देखभाल ठीक प्रकार से नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए आजकल आप लोगों को दूध भी ठीक नहीं मिल रहा होगा। मैं आप सभी लोगों से क्षमा मांगता हूं। इस तरह लोगों की नजरों में वह कभी भी बुरा नहीं बन पाता था।

एक दिन इसी तरह  झूठ बोलते बोलते एक दिन उसकी पत्नी  सचमुच में ज्यादा  ही बीमार पड़ गई। उसे अपनी गाय की देखभाल भी करनी पड़ती। गाय को चराने  भी जाना पड़ता। वह  हर रोज गाय को खूब मारने लगा। उसकी प्रताड़ना को     गाय सहन नहीं कर पाती थी। उस पर कभी टांग से प्रहार करती कभी खूंटा तोड़कर भागने का प्रयास करती। वह देखा करती कि घर की मालकिन कब जैसे ठीक हो। एक दिन घर की मालकिन भी अपने पति की हरकतों से तंग  आ कर अपने पति से बोली कि आप गाय से ठीक ढंग से पेश आया करो। आपको इसे अपने घर का सदस्य समझना चाहिए। यह भी कोई मशीन नहीं है। तुम्हारे गुस्से वाले हाथों से यह परेशान आ चुकी है। इसी तरह चलता रहा तो देखना एक दिन यह हम को छोड़ कर भाग जाएगी। मैं उठने लायक होती तो उससे अच्छे ढंग से पेश आती। आप इसे जंगल में चराने ले जाया करो। उसके साथ नम्रतापूर्ण व्यवहार करो।

ग्वाला अपनी पत्नी से बोला ठीक है मैं गाय के साथ नम्रता से पेश आऊंगा। उसकी पत्नी की हालत  बहुत ही खराब हो गई थी।ग्वालिन नें अपनें पति से कहा  मेरी दवाइयां बाजार से लेकर आ जाओ।। वह  अपनी पत्नी से बोला ठीक है। वह दूध  तो  मिलावटी बेचता ही था साथ ही साथ उसके दोस्तों ने उसे जुआ खेलना भी सिखा दिया था। उसे जूए की लत लग चुकी थी। कभी-कभी  वह जूए में जीत भी जाता था। उसने सोचा क्यों ना मैं एक बार फिर जूआ खेलूंगा। जूआ खेलने अपने दोस्तों के साथ बैठ गया।  उस दिन उसकी किस्मत अच्छी होने से वह जूए  में कुछ रुपये जीत गया। अपनी पत्नी की दवाई ले आया। उसकी पत्नी कुछ ठीक हो रही थी। उसने सोचा क्यों न  आज भी  जूआ खेला जाए। इस बार जूए में जीत जाऊंगा तो मेरी पत्नी की दवाइयां भी इन्हीं रुपयों से आ जायेगी और कुछ रुपये भी बच जाएंगें। वह  जूए में  सारे रुपये हार गया। उसनें जो दवाईयों के रुपये थे वह भी  गंवा दिए।शाम को खाली हाथ आया। अपनी पत्नी से बोला आज तुम्हारी दवाइयाँ लाना भूल गया। कल ले कर आ जाऊंगा।

उसे  जुए का और भी ज्यादा चस्का लग गया था। दूध से जो रुपए मिलते वह सब जूए में लगा देता। अपनी पत्नी को दवाइयाँ ले कर आता  मगर अपनी पत्नी को भी आधी दवाई देता। आदि दवाई में पानी मिलाकर दे देता। उसकी पत्नी ठीक होने में  ही नहीं आ रही थी पत्नी को भी ठीक ढंग से दवाइयाँ नहीं देता था। अपनी पत्नी को भी आधी ही दवाइयाँ देता और उसमें भी पानी मिला देता। उसकी पत्नी को ठीक होने में समय लग रहा था।

गाय सब देखा करती। एक दिन जब उसका पति  दूध निकालने गौ शाला गया तो गाय को उस पर इतना गुस्सा आया रहा था। उसने  ग्वाले को एक जोरदार लात मारी। उस की मार  के  प्रहार से वह दो-तीन दिन तक बिस्तर से उठ नहीं सका। घर में 2 दिन तक किसी ने कुछ भी नहीं खाया। उसकी पत्नी थोड़ा-थोड़ा उठकर काम करती। तीसरे दिन जब थोड़ा ठीक हुआ वह गाय को चराने जंगल में ले गया उसको  गाय पर बहुत ही गुस्सा था। उसने जोर से एक मोटी सी नोकिली लकड़ी उठा कर गाय पर मारी। लकड़ी को अपनी  तरफ उछला देख कर गाय  एकदम से गाय तो पीछे हट गई थी। गाय के कुछ चोट लगी। उसकी आंख के पास चोट लगी थी। वह गाय नीचे गिर पड़ी थी। उस ग्वाले  नें जैसे ही वह टुकड़ा गाय की तरफ  उछाला  एक छोटा सा टुकड़ा  ग्वाले की आंख में घुस गया। टुकड़ा इतना तीखा था कि वह भयंकर  दर्द  से छटपटानें  लगा। उसकी  चिल्लाहट गांव वालों ने सुनी। गांव वाले उसे उठाकर घर ले आए। उसकी पत्नी क्या करती? जैसे तैसे  वह बडी़ ही मुश्किल से उठी।  अपने हाथ के कंगन बेचकर उसने जो रुपये मिले उससे अपने पति को अस्पताल में दाखिल कराया। गाय की आंखों के पास का घाव भी गहरा था। वह घाव तो थोड़े ही दिनों में ठीक हो गया।

डॉक्टरों ने  ग्वालियर को कहा कि  आप के पति की एक आंख की रोशनी सदाके लिए चली गई है। वह एक ही आंख से देख सकेगा। कुछ ठीक हुआ तो उसे अपनी गलती पर पछतावा हुआ। वह अपनें मन में सोचने लगा मैंनें अपनी देवी तुल्य पत्नी को बहुत ही सताया। उस की दवाइयाँ भी उसे पूरी ला कर नहीं दी। आलसी बन कर सारा रुपया जूए में उड़ाता रहा। उस के साथ छल कपट और गौ समान माता के साथ इतना बड़ा षडयंत्र किया। उसकी ओर लकड़ी फेंक कर उससे उस दिन का बदला लेना  चाहता था। उसकी पत्नी अपनें पति को दिलासा देते हुए बोली आप जिन्दा बच गए इतना ही काफी है। ग्वाले ने अपनी पत्नी को सारी की सारी सच्चाई बता दी। उसकी पत्नी बोली आपने अपनी  गौ माता को भी नहीं छोड़ा। आपने उसे लाठी से मारा। जाको राखे साइयां मार सके ना कोई।  भगवान की लाठी में इतनी शक्ति होती है कि उस के कहर से कोई भी नहीं बच सकता। दूसरों के लिए अगर  तुम नुकसान पहुंचानें की कोशिश करोगे तो खुद ही उसका शिकार हो जाओगे।

अभी भी समय है तुम अपनी काली करतूतों से बाज आ जाओ। आज तो आपको काफी अच्छा सबक मिल गया है। अपनी भूल के लिए गौ माता से क्षमा मांगो। ग्वाला  बोला हां भाग्यवान  मैं   गौ  माता से ही क्षमा नहीं मांगूंगा बल्कि तुमसे भी मैं क्षमा मांगना चाहता हूं।

मैंनें तुम्हें भी धोखे में रखा। तुम्हें  डॉक्टरों  ने जो दवाइयां लिखी थी मैं उस में भी पानी मिला कर तुम्हें  दवाइयाँ खिलाता रहा। गुस्सा आने पर गौ को भी मारा। दूध बेचने पर जो रुपये मिलते उससे जूआ खेलता और जब हार जाता तब तुम्हारी दवाओं के लिए रुपए नहीं बचते तब मैं ऐसा कदम उठाता। कृपया आज मुझे माफ कर दो। उसकी पत्नी बोली पहले तुमको गौ माता के चरण स्पर्श कर उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना  करनी चाहिए। मैं तुम्ह तभी  माफ करुंगी जब आप गौ माता के चरणों को स्पर्श करेंगे। नहीं तो मैं भी इसी वक्त तुम्हें छोड़ कर चली जाऊंगी।

जब तुम्हें दिल  से अपनी करनी पर पछतावा होगा।  तभी  मैं  तुम्हे स्वीकारेंगे वर्ना नहीं। उसके पति नें  गौ माता के चरणों को छू कर कसम खाई  मैं कभी भी जूए को हाथ नहीं लगाऊंगा। मैं जूए जैसे घिनौनें कृत्य को अंजाम देकर ऐसा करने पर विवश था। मैंनें लालच में पड़कर इतना बड़ा कदम  उठाया था। मुझे माफ कर दो। गौ माता उसकी तरफ देखकर उसके हाथ को चाट रही थी मानो  कह रही थी तूनें अपने  पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते की लाज रख ली। अपनी पत्नी को सारी सच्चाई बता दी। मुझे अब तुमसे कोई गिला नहीं है। गौ माता ने उसे चाटना शुरु कर दिया। उसकी पत्नी मुस्कुरा कर अपने पति से बोली शाम का भूला हुआ  अगर सुबह को घर वापिस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते।

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