रूलदू और गडरिया

एक चोर था वह अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से कस्बे में रहता था। उसकी पत्नी बहुत ही नेक थी वह चोर को कहती थी कि चोरी का धंधा छोड़ दो ।चोर कहता था जब तक मुझे कोई काम नहीं मिलेगा मैं चोरी करना नंही छोड़ सकता क्योंकि मैं पढ़ा लिखा नहीं हू।ं मेरे बेटा होता तो मैं उसे पढ़ाता लिखाता चोर की पत्नी हमेशा बेटे की चाह रखती थी ।उसके कोई संतान नहीं थी इसके लिए उसने ना जाने कितनी मन्नतें मांगी थी। एक बार एक साधु बाबा जी ने उसे कहा कि तुम्हारे भाग्य में बेटा नहीं ।तुम्हें बेटा तो मिलेगा वह तुम्हारी कोख से उत्पन्न नहीं होगा बलिक कोई बेटा इस घर में आ जाएगा ।उस बच्चे को तुम पालना ,वह बेटा तुम्हें बहुत सारी खुशियां देगा ॥चोर की पत्नी सोचा करती थी कि मेरा पति तो कभी चोरी से बाज नहीं आएगा हे भगवान !उससे चोरी का धंधा छुड़वा दो ,मगर वह कभी भी चोरी नहीं छोड़ना चाहता था। एक दिन चोरी करने गया था उसे कहीं भी कुछ प्राप्त नहीं हुआ रास्ते में जाते हुए एक गडरिये पर उसकी नजर पड़ी वह अपने मवेशियों के साथ जा रहा था।गडरिये को उसने कुछ रखते हुए देख लिया। वह दूर था उसने सोचा जो कुछ भी उसके पास होगा वह उसे चुरा कर ले जाएगा। गडरिया जहां भी जाता अपने बेटे को साथ ले जाता क्योंकि गडरिये की पत्नी बेटे को जन्म देकर मर गई ।बच्चा सो चुका था उसे बहुत प्यास लगी उसने कपड़े में लिपटे हुए बच्चे को ढककर एक झाड़ी में छुपा दिया। वह अपने आप से कहने लगा मैं जल्दी से जाकर पानी पीकर आता हूं ।उसने देखा उसे सामने ही पानी का नल दिखाई दिया। उसने लुसी को वहां खड़ा कर दिया ।लुसी मेमनेे का छोटा सा बच्चा था ।दोनों साथ साथ बड़े हुए थे लुसी ने उस बच्चे को देखा वह पास ही खड़ी रही। लुसी उसकी रखवाली कर रही थी ।गडरिया दौड़ता दौड़ता नल के पास पहुंच गया ।चोर गडरिये से पहले वहां पर पहुंच गया उसने सोचा इस कपड़े में बहुत सारे रुपए होंगे ।उसने चुपचाप उस कपड़े से लिपटे हुएबच्चे को अपनी टोकरी में डाला और उसको लेकर उसने चुपचाप चलना शुरु कर दिया ।रास्ते में उसे टांगेवाला मिला उसने उसे रोक कर कहा मुझे दूसरे कस्बे में जाना है ले चलो ,उसने अपनी टोकरी को उस टांगे में रख दिया और तांगे वाले को कहा मुझे दूसरे रास्ते से ले चल।मेमने की बच्ची लुसी भी चुपके से उसके तांगे में बैठ ग्ई। गडरिया वहां पर पहुंचा जंहा उसने अपने बच्चे को रखा था वहां उसने अपने बच्चे को नहीं पाया तो वह जोर जोर से रोने लगा ।उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई क्योंकि वह पैदल रास्ते से चल रहा था। रिक्शावाला तो सड़क से चला गया था जैसे ही रिक्शे में से चोर उतरने लगा उसने टोकरी को उठाया तब लूसी चिल्लाई उसने चोर का पीछा किया ।घर तक उसके साथ आ गई ।लुसी भी उस चोर के घर के आंगन में छिप गई ।उस बच्चे को लाकर उसने अपनी पत्नी को देते हुए कहा भगवान ने आज तुम्हारी पुकार सुन ली है ।वह भी बेटा पाकर बहुत खुश हुई।वह बोली तुम इस बच्चे को कहां से लाए वह बोला भाग्यवान !मैं चोरी करने के लिए जैसे ही गया मैंने कपड़े में लिपटी हुई इस गठरी को एक आदमी को झाड़ी के पीछे छिपाते देखा। मैंने सोचा वह पानी पीने गया है ।मैंने सोचा उसके रुपए से भरी हुई थैली को क्यों ना मैं चुरा लूं जैसे ही रास्ते में उतरने लगा तो वह बच्चा रोने लगा, तब मुझे पता चला कि वह बच्चा है।मैं उस बच्चे को हर कही छोड़ने लगा था परंतु फिर मुझे तेरा ध्यान आया तू बच्चे के बिना अपने आप को कोसती रहती है ।आज से यह तेरा बेटा होगा ।हम इसका नाम रखेंगे पाहुना। हो सकता है ,यह बेटा जब कमाकर लाएं मैं चोरी करना छोड़ दूं।वह बच्चा रोने लग गया था वह चुप ही नहीं हो रहा था ।उन्होंने उस बच्चे को पालने में रख दिया। उसने पहले ही एक पालना घर में रखा हुआ था शायद किसी न किसी दिन मेरे बेटा या बेटी होगी मैं उसे पालने में रखूंगी परंतु आज तक उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई थी आज एक छोटे से बच्चे के रूदन से उसकी आंखों से आंसू आ गए ।उसने उस बच्चे को पालने में रखा परंतु फिर भी ,वह रोए जा रहा था। वह रसोई में गई उसके लिए दूध गर्म कर लाई ।उसने देखा बच्चा चुप हो गया था बच्चे को लुसी चाट रही थी।। लूसी भी उस बच्चे के साथ खेल रही थी ।बच्चा भी हंस रहा था ।चोर की पत्नी यह दृश्य देखकर आश्चर्यचकित रह ग्ई। उस ने चोर को बताया कि यह मेमने की बच्ची उसे चाट रही थी ।चोर बोला शायद मेमने की बच्ची उसे पहचानती हो । मैंने उसे जिस जगह से उठाया था वह वही टहल रही थी लेकिन छोटा सा मेमने का बच्चा ही था । चोर की पत्नी समझ चुकी थी कि यह उसके परिवार का ही है उसने उस लूसी को भी अपने घर पर रख लिया।

दस साल हो चुके थे चोर तो मर चुका था उसका बेटा रूलदू वह भी चोरी करता था। चोरी करके अपनी मां का पेट भरता था। एक दिन वह चोरी करने गया हुआ था शाम तक उसे कुछ नहीं मिला ,उसे एक घर दिखाई दिया उसमें वह घुस गया ।वहां पर अंदर जा कर चारों तरफ चोरी करने के लिए ढूंढने लगा ।एक छोटी सी टोकरी में उसे ₹5000 दिखे उसने चुपचाप रुपए उठाए और वहां से जाने लगा। उसका पैर एक बिस्तर से टकराया। गडरिया उठ गया उसने उस नवयुवक को पकड़ लिया बोला मैंने चोरी करते तुम्हें देख लिया था जल्दी से जल्दी इन रूपयों को वही रख दो वरना ,इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। रूलदू तेजी से भागा वह बहुत तेज भाग रहा था । गडरिये ने उसको पकड़ लिया। उसके हाथ-पांव बांधकर चोर को वहां के राजा के पास ले गया। इस व्यक्ति ने मेरी चोरी की है इसने मेरे ₹5000 चुरा लिए हैं ना जाने कितने दिन से मैं रुपए इकट्ठे कर रहा था ताकि मुसीबत के समय मेरे काम आ सके ।मैं एक छोटी सी टोकरी में इन रूपयों को रखता था इस चोर ने आकर मेरे सारे रुपए चुरा लिए। आप इस को कड़ी से कड़ी सजा दे ।राजा ने अपने मंत्रियों से अच्छे ढंग से छानबीन करवाई तब उसने पाया कि उस चोर ने सचमुच ही चुराए थे ।उसने अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि इस चोर के घर का पता लगाओ इसके घर में कौन-कौन रहता है। मंत्रियों ने चोर के घर जाकर देखा ।वहां पर चोर की मां थी और कोई नहीं था ।चोर की मां को मंत्री ने कहा, तुम्हारे बेटे ने चोरी की है इसको राजा ने अपने महल में कैद कर लिया है और रूलदू की मां रोने लगी बोली ,कृपया करके मेरे बेटे को छोड़ दो। वह मंत्री के पीछे पीछे आ गई ।राजा ने रुलदू को कैद कर लिया । रूलदू रोते हुए बोला मां चिंता मत करो, मैं जल्दी ही यहां से निकल जाऊंगा । राजा ने चोरी करने वाले को फांसी की सजा सुना दी ।राजा झूठ बोलने वाले को कभी माफ नहीं करता था। गडरिया ने कहा ठीक है इसे सजा तो मिलकर ही रहेगी। राजा ने रूलदू को बुलाया तुम्हारी कोई आखिरी इच्छा हो तो बताओ ।वह बोला जब तक मेरे सामने मेरी दोस्त लुसी को नहीं लाओगे मैं तब तक कुछ नहीं खाऊंगा ।ं पहले मुझे अपने दोस्त से मिलने दो तब मुझे मार देना। राजा ने देखा रुलदू लूसी को गले लगाते रो रहा था। रूलदू की मां राजा से फरियाद कर रही थी इसको छोड़ दो वह लूसी को महल मे ले आई।तुमने भी कुछ नहीं खाया होगा रूलदू ने अपनी दोस्त लूसी को चारा खिलाया और उसके गले लगा कर बोला मैंने जन्म से लेकर आखिरी समय तक तुम्हारा साथ दिया है। मेरी दोस्त मुझे छोड़कर चली जाओ आगे तो मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकता ।राजा भी उनकी दोस्ती देखकर हैरान रह गया। उसकी आंखों से भी आंसू झर झर बह रहे थे ।राजा बोला एक शर्त पर मैं इसको छोड़ सकता हूं अगर गडरिया उसे माफ कर दे । गडरिये को बुलाया गया ,उसे बिना देखे बोला, मैं चोरी करने वाले को कभी माफ नहीं करुंगा ।फांसी की सजा देने वाले भाट उसे फांसी देने के लिए बुर्का पहना कर ले गए ।फांसी होने ही वाली थी तभी लूसी वहां पर पहुंच गई ,और चिल्लाने लगी । उसे देखकर गडरिया हैरान रह गया लुसी को पहचान गया ।उसने लुसी को गले लगाया ।चोर की मां गडरिये को कह रही थी कि कृपया मेरे बेटे को बचा लो। मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी वह बोला यह बेटा आपका है ।वह बोली नहीं मेरे पति ने इस मेमनेे के बच्चे को और इस बच्चे को मेरे हवाले किया था । गडरिया फांसी के स्थान पर आ कर बोला इस चोर को माफ कर दो ।कृपया इस को फांसी मत लगाओ । राजा ने

रूलदू को छोड़ दिया गडरिये ने रूलदू को गले लगाते हुए कहा तुम मेरे खोए हुए बेटे हो। यह हमारी लूसी है आज मैं बहुत ही खुश हूं आज तुम और लुसी मुझे मिल गए जाओ मैंने तुम्हें माफ किया । रूलदू ने कहा,

मैं तो अपनी मां को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा ।मेरा अपनी मां के सिवा दुनिया में कोई नहीं है ।गडरिये ने कहा तुम मेरे साथ अपनी मां को लेकर रह सकते हो । रूलदू अपनी मां को लेकर घर वापिस आ चुका था ।तीनो खुशी खुशी रहने लग गये।

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