लखू धोबिन का करिश्मा

, किसी गांव में एक, धोबी और धोबिन रहते थे। धोबी का नाम था लखू। वह दोनों पति पत्नी लोगों के कपड़े धोते थे। साथ साथ ही कपड़ों को डाई करने का काम भी करते थे धोबी बहुत ही नेक इंसान था। वह हमेशा अपना काम ईमानदारी से करता था। काम करते-करते अगर किसी व्यक्ति की कोई भी वस्तु उनके कपड़ों में रह जाती वह उस वस्तु को वापिस कर देता था। उसके एक बेटा था वह भी स्कूल में पढ़ता था लोग उसकी ईमानदारी की मिसाल देते थे। लोगों की काफी भीड़ उसकी दुकान में लगी होती थी। सभी लोग उसके पास अपने कपड़ों को धुलवाने आते थे। रंगाई करने का काम भी करवाते थे। उसकी दुकान पर रंगाई करने भी आते थे।

 

उसके दुकान के समीप एक सेठ जी थे। वह उस कस्बे के जाने-माने सेठ जी थे। वह तो अपने सारे कपड़े उससे ही धुलवाते थे। रंगाई भी उससे ही करवाते थे। उसी से उसकी रोजी-रोटी चल रही थी। एक बार धोबी की टांग में फ्रैक्चर हो गया वह काफी दिन तक काम नहीं कर सका।

 

एक दिन सेठ उसकी दुकान पर आए और बोले। धोबी को आवाज दी। धोबी उस समय आराम कर रहा था। टांग की चोट की वजह से डॉक्टरों ने उसे आराम करने की सलाह दी थी। धोबी की पत्नी बोली क्या बात है।? वह बोला मेरे बेटे का कल इंटरव्यू है। उसकी कमीज को डाई करवाना है। धोबन बोली ठीक है परसों आकर ले जाना। मैं इनको बोल दूंगी। सेठ जी  जब चले गए धोबी की पत्नी ने सोचा कि मेरे पति की टांग में फैक्चर हुआ है। क्यों ना मैं ही सेठ जी के बेटे की कमीज को डाई कर दूं।? उसने सेठ जी के बेटे की कमीज को डाई करने के लिए रंग रंग तैयार किया। और डाल कर के रख दिया। जब सेठ जी अपने बेटे की कमीज लेने आए तो उस कमीज को देखकर दंग रह गए। वह तो पहनने के लायक ही नहीं थी। सेठजी जोर-जोर से धोबी धोबिन को गालियां देने लगे। मैं बड़े अरमान से यहां आया था। मेरे बेटे की कमीज यह तो बहुत ही   मंहगी  थी।  तुमने तो इसका ढांचा ही बिगाड़ दिया। मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा। मेरा बेटा कल क्या पहन कर जाएगा। मैंने सोचा था कि यह सबसे महंगी  कमीज है जो मेरा बेटा पहनकर जाएगा। कहां है धोबी? धोबी लंगड़ाता लंगड़ाता आ कर बोला।   सेठ जी आप हमें माफ कर दो। मेरी पत्नी ने मेरी सहायता करने के चक्कर में मुझे नहीं बताया वर्ना मैं ही आपके बेटे की  कमीज को डाई कर देता।तुमने कभी इतनी मंहगी कमीज भी देखी हैं। जिसने इतनी मेहनत से खरीदी हो उसे ही पता चलता है। आज से तुम्हारी दुकान पर कोई भी व्यक्ति कपड़े धुलवाने नहीं आएगा। मैं अपने सभी ग्राहकों को कह दूंगा कि कोई भी उस धोबी के यहां कपड़े धुलवाने नहीं जाएगा। तुम्हें मेरे बेटे की कमीज की भरपाई तो करनी ही पड़ेगी। तुम्हें इस कमीज के रू 10,000 देने होंगे। वह बोला सेठ जी हमें माफ कर दो। सेठ जी बोले एक महीने के अंदर मेरे ₹10,000मुझे चाहिए।

 

धोबन  तो यह सुनकर अवाक रह गई। वह जोर जोर से रोने लगी। उसकी दुकान पर ग्राहकों का आना जाना कम हो गया था। बाहर के जो लोग थे वही उसकी दुकान पर कपड़े धुलवाने आते थे। एक दिन उसकी दुकान पर एक विदेशी पर्यटक आकर बोला। मैं बाहर से आया हूं। कृपया आज के दिन मुझे कोई कमीज पहनने के लिए दे दो।  धोबी बोला बाबूजी हम गरीबों के पास तो कोई  अच्छी कमीज नहीं है। परंतु मेरे भाई की एक कमीज है। वह मेरे पास छोड़ गया है। उस  सेठ की नजर उस रंगे हुए कमीज पर पड़ी। अरे वाह मुझे तो यही कमीज़ दे दीजिए। आज तो मेरा काम बन गया। उस विदेशी पर्यटक ने  एकदिन के लिए कमीज उधार ले ली थी।  धोबी को ₹10, 000 दिए थे। वह हैरान थे उस कमीज में ऐसा क्या  देखा जो विदेशी उसको पहन कर ले गया। सेठ जी की कमीज की कीमत  तो वह चुका गया था। धोबी और धोबिन खुश हो गए थे कि वह रु 10,000 सेठ जी के मुंह पर मारेंगे। दूसरे दिन सेठ के पास ₹10,000 देकर आ गए।

 

सेठ जी भी हैरान थे इतनी जल्दी उन्होंने उसके ₹10,000वापस कर दिए थे। दो दिन बाद वही विदेशी आकर बोला आप  की कमीज तो मुझे बड़ी ही भाग्यवर्धक सिद्ध हुई।  यह कमीज मेरी दोस्तों को बहुत ही पसन्द आई।मेरा विदेश में कपडों का व्यापार है। तुम मुझ से दस कमीज डाई करनें के कितने रुपए   लोगे। धोबी बोला  एक कमीज के10, 000 रूप्ए।  विदेशी पर्यटक बोलाआज ही एक कंपनी से  मुझे ऑफर आ गई है। यह भी इस कमीज की बदौलत।  

 

एक  व्यापारी ने इस कमीज को देख कर इसे खरीदने के लिए कहा है। वे भी ऐसी दस डाई की हुई कमीजें लेना चाहते हैं। मैं तुम्हें एक कमीज के 10, 000रू दूंगा। धोबी बोला ठीक है। उसनें बाजार से कपडा ला कर उन्हें डाई करवा कर रख दिया। उसनें सपनों में भी नंही सोचा था कि उसकी डाई की गई कला का हुनर  विदेशों तक पंहुच जाएगा। एकदिन उसकी मेहनत रंग ले आई। उस धोबन की डाई की गई कमीज की सब पर्यटकों नें प्रशंसा की। विदेशी पर्यटक बोला अगर आप इस कमीज को बेचना चाहते हैं तो  इसकी अच्छी कीमत आपको मिल जाएगी। आपने इसको डाई करके कितना सुंदर बनाया है। जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

 

विदेशों में तो इस डाई की कला के लोग दीवाने हैं। धोबी नें उन्हें दस कमीजें डाई करके दे दी। उसे चैक द्वारा 100,000रूपये भेजे गए। वह लखू धोबी सचमुच लखपति बन गया था।

दूसरे दिन अखबार में जब सेठ जी ने धोबी और धोबिन की तस्वीर देखी और वह डाई की हुई कमीज देखी तो वह चौकें। जिस कमीज को सेठ जी ने पटक दिया था और जिस कमीज के सेठ जी ने धोबी और धोबिन से ₹10000 लिए थे।  उस कमीज की बदौलत ही धोबी और धोबिन की किस्मत चमक गई थी।  वह दोंनों  अमीर बन गये थे। सेठ और सेठानी मन में पछता रहे थे हमने उस भोले भाले इंसान को इतनी बड़ी सजा दे दी।  उन्हें बहुत ही बुरा भला बुरा कहा। अगले दिन सेठ जी धोबी और धोबिन के पास आकर बोले हमें माफ कर दो। मैंने तुम दोनों का का बहुत ही अपमान किया। तुम्हारी पत्नी ने तो अच्छे ढंग से उस कमीज को डाई किया था। मुझे यह अच्छी नहीं लगी। आज मैं तुम दोनों से अपनी गलती की क्षमा मांगता हूं। धोबी और धोबिन बोले सेठ जी आप हम दोनों से माफी क्यों मांग रहे हो? माफी तो हम आप से मांगते हैं। धोबी और धोबिन की किस्मत पलट चुकी थी।  वास्तव में सचमुच ही  वह लखपति बन गया था।   

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