संघर्ष करना है जरुरी

 

एक पेड़ पर कौवा, और एक कौवी का जोड़ा था रहता।

एक डाल से दूसरे डाल तक दाना चुनता रहता।।

कौवा था बहुत अभिमानी।

काम करते वक्त उसे याद आ जाती थी नानी।।

एक डाल से दूसरे डाल तक ही दाना लाने जाता।

थोड़ा सा दाना लाकर मस्त होकर सो जाता।।

कौवा हमेशा अपनें दोस्तों संग ही मस्ती करता रहता।

कोई कामधाम न कर अपनी मनमानी करता रहता।।

 

कौवी सारा दिन भोजन की तलाश में दूर तक उड़ जाती।

शाम होने तक अपने घोंसले में वापस आ जाती।।

कौवी  रहती थी हमेशा बीमार।

लेकिन कौवे से कभी ना करती थी तकरार।। वह समय पर हर रोज कौवे को खाना खिलाती।

हर रोज दाना चुगने  अकेली निकल जाती।।

एक दिन कौवी बीमार पड़ गई।

कौवे की परेशानी और भी बढ़ गई।।

कौवी ने कौवे को कहा कि जल्दी दाने का इंतजाम करवाओ।

कौवा बोला जो थोड़ा बहुत है उसी से काम चलाओ।।

कौवा अगर मगर  करने लगा।

कौवी की तरफ देख मुस्कुराने लगा।।

कौवी की आंखों से आंसू छलकनें लगे। आसपास घोंसले के पक्षी भी उसका मजाक उड़ाने लगे।।

कौवी आग बबूला होकर कौवे से बोली। तुम्हारी  तीन-पांच अब नहीं चलेगी।।

कौवा बोला तुम ही घर चलाओ ना।

मुझसे काम करवा कर अपना अपमान करवाओ न।।

कौवी बोली मिल जुल कर रहना है फर्ज हमारा।

संघर्ष करना ही है कर्तव्य हमारा।।

कौवा अपने साथियों के पास मदद मांगने चला गया।

अपना सा मुंह लेकर वापस आ गया।।

कौवी बोली तुम्हारे साथियों ने भी तुम्हें अंगूठा दिखा दिया

असफलता से सीख लेना तुम्हें सिखला दिया।। कौवा बोला आज मैं दाना चुगने जाता हूं।

जो कुछ मिलेगा वह घर मे ले कर लाता हूं।। कौवा उड़ता उड़ता दूर गगन में चला गया। लाचार होकर वह घर वापस आ गया।।

कौवी बोली संघर्ष करना है जरूरी।

विफलता से हारना नहीं है मजबूरी।।

अपने कर्तव्य से पीछे मत हटो।

अपना कर्म कर हमेशा आगे बढ़ते रहो।

कौवी की बात सुनकर कौवा फिर से दाना चुगने चला गया।

देर बाद भटकने के उसे थोड़ा सा दाना मिल गया।।

  • कौवा दाना प्राप्त कर खुशी से फूला न समाया आज उसे संघर्ष का मतलब समझ में आया।। 7/12/2018.

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