समझदार दोस्त

विकी जैसे ही घर आया वह बहुत खुश था क्योंकि आज उसका वार्षिक परीक्षा परिणाम निकल चुका था वह अपनी कक्षा में प्रथम आया था। उसके मम्मी पापा एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे उन्होंने उससे वादा किया था कि अगर तुम इस बार अपनी कक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो गए तो हम तुम्हें तुम्हारे लिए तुम्हारी मनपसंद की वस्तु ले कर देंगे। आज तो वह खुशी से झूम रहा था विद्यालय में भी उसे ईनाम मिला था घर-आते ही उसने अपनी मम्मी पापा को कहा कि अब तो आपको मेरा वादा पूरा करना ही पड़ेगा। दूसरे दिन उनके गांव में बहुत बड़ा मेला था। उसने अपनी मम्मी पापा को कहा कि आपको भी मेला देखने मेरे साथ जाना होगा ।वहां पर जो चीज मुझे पसंद आएगी वह मैं ले लूंगा। उसके मम्मी पापा मान गए आखिरकार  उन्हें भी तो अपनी बेटी की इच्छा को पूरी करना था। मेला देखने जाने के लिए उन्होंने एक टेक्सी बुक कर ली और टैक्सी में बैठ कर  मेला देखनेंं पहुंच गए। मेले में तरह तरह के पांडाल सजे हुए थे चारों  तरफ चहक महक  थी। एक तरफ खिलौनों की दुकानें, मिठाइयों की दुकानें और ना जाने क्या-क्या ?मिठाइयों की सुगंध से विकी के मुंह में पानी भर आया वह बोला पापा अभी मुझे मिठाई खाने का जरा भी मन नहीं है ।आज मैं मेले से  अपनी मनपसंद वस्तु लेना चाहता हूं ।वह एक समझदार बच्चा था वह जानता था कि उसके पिता इतने अमीर व्यक्ति नहीं है जो उसे बहुत कुछ दिला सके इसलिए उसने अपने पिता से कहा कि पिताजी थोड़ी देर मुझे सारे मेले का चक्कर लगाने दो जो वस्तु मुझे सबसे ज्यादा पसंद आएगी वही मैं ले लूंगा। उसके पिता अपने बेटे की होशियारी से बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा बेटा हम यहां एक होटल में बैठते हैं तब तक तुम मेलेका  एक चक्कर लगा कर देखलो कि तुम्हें क्या पसंद आता है? उसकी मम्मी पापा एक होटल में रुक गए ।विकी अपने दोस्तों के साथ मेले का चक्कर लगाने लगा ।उसके दोस्त भी उसके साथ ही थे। उन्होंने मिठाइयां ,किसी ने घड़ी ,किसी ने कैमरा ,सब दोस्त उसके पास आकर बोले, तुम क्या खरीद रहे हो ? वह अपने दोस्तों से बोला, मैं तो कोई ऐसी वस्तु देखना चाहता हूं जो मेरे काम की हो । उसकी नजर एक दुकान पर पड़ी जिसमें एक कुत्ता था ।एक व्यापारी उस कुत्ते को बेच रहा था ।कुत्ते को देखकर उसके मुंह से  निकला शेरू  उस व्यापारी ने कहा बेटा वाह! तुमने तो उसका नाम भी दे दिया ।हम इस कुत्ते को बेचना ही चाहते थे । तुम इसे लेना चाहते हो तो तुम  को यह कुत्ता ₹5000 में मिल जाएगा ।5000 रुपए  किमत सुन कर विक्की बहुत ही परेशान हो गया और सोचने लगा यह तो बहुत महंगा है।  उसने तो अपने मन में कुत्ते को खरीदने का विचार कर लिया था ।वह अपने पापा के पास आकर बोला मम्मी पापा मुझे एक वस्तू बहुत ही पसंद आई है । वह बहुत ही महंगी है ।उसके पिता ने कहा बेटा आज तो हम तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे ।तुमने भी  तो हमारा मान बढ़ाया है।   उसने अपने माता पिता को कहा पापा बहुत बहुत ही महंगी चीज है क्या आपके पास 5000 रुपए हैं ? उसके पिता ने कहा बेटा मैंने तुम्हारे लिए हर महीने 1000 -हजार रुपए बचा कर रुपए इकट्ठे किए थे ।मैंने सोचा था जब तुम  परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो जाआेगे तब हम तुम्हें तुम्हारी मन पसन्द वस्तु अवश्य वस्तु देंगे ।उसको अपने पापा पर बहुत ही प्यार आया और बोला पापा आपने एक बार हां कर दी है तो आप मना मत करना। वह अपने मम्मी पापा को एक दुकान पर ले गया। जहां पर एक व्यापारी कुत्ते को बेच रहा था। वह कहने लगा बाबूजी यह कुत्ता पालतू है परंतु अभी ही इसके मालिक का देहांत हो चुका है।  इस इस दुनिया में  अब इसकाकोई नहीं है ।मैं इस  कुत्ते को अपने पास ही रखना चाहता था परंतु ,मेरा व्यापार ही ऐसा है कि मुझे व्यापार के लिए ना जाने कहां कहां जाना पड़ता है ?इसलिए अब मैं इस कुत्ते की देखभाल नहीं कर सकता ।मैं इसे बेचना चाहता हूं ।विकी के पापा ने उस व्यापारी से उस कुत्ते को खरीद लिया ।शेरूं को पाकर विकी बहुत ही खुश हुआ ।वह उस कुत्ते को अपने घर लेकर आया । वह शेरू से इस प्रकार घुल मिल गया जैसे कि वह उसका अपना भाई हो। वह कहने लगा पापा, आज से यह मेरा भाई है ।यह हमारे घर आ जाया है हमें इसका जन्मदिन मनाना होगा ।घर में खूब रौनक हुई विकी के सारे दोस्त आए उन्होंने केक काटा शेरू को तिलक लगाया और उसे हैप्पी बर्थडे कहां और खूब देर तक उत्सव मनाया ।जिस किसी ने सुना कि उनके घर में एक बच्चा आया है तो सुनकर सब अवाक रह गए कि कुत्ते का भी कोई जन्मदिन मनाया जाता है । विकी कहने लगा कि कोई भी उसे कुत्ता नहीं कहेगा। यह मेरा शेरु है ।जहां भी जाता शेरू को वह साथ लेकर जाता। उसके दोस्त भी शेरू के साथ खेलते ।शाम को जब वह खेलता तो उसकी   गेंद निचे गिर जाती शेरू दौड़ कर उसकी गेंद उसे ला कर देता।शेरू उसे खूब दौड़ाता इस प्रकार वह दौड़ने में भी बहुत तेज हो गया ।स्कूल में  विकी को दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम पुरष्कार मिला। उसको शेरू नें दौड़ने में बहुत ही कुशल का दिया था शेरू तो उसकी जान था।शेरू को पाकर वह खूब  मौज मस्ती करता था।  घर के काम के साथ- साथ  पढ़ाई भी खूब मन लगाकर करता था ।उसकी मम्मी पापा भी बहुत खुश थे क्योंकि अब उनका बेटा बहुत ही होशियार हो गया था। एक दिन वह शेरू को लेकर अपने दोस्त के यहां विवाह उत्सव में शामिल होने के लिए गया था ।सभी विवाह उत्सव का आनंद मना रहे थे ।उसने शेरू को एक जगह खड़ा रहने का आदेश दिया।  वह  राम मंदिर चला गया जंहा उसके दोस्त की बहन की शादी थी ।चारों तरफ खूब रौनक थी ।शादी के कार्यक्रम में सभी इतने व्यस्त थे, जिस घर में शादी थी  उनकी  तीन वर्ष   की बेटी अचानक आई और पानी की टंकी पर चड्डी ।उसकी गुड़िया वहां गिर गई थी। वह उस गुड़िया को निकालने के लिए ऊपर चढ़ी तभी वह बच्ची पानी की टंकी में गिर गई ।उस बच्चे को पानी में गिरते हुए शेरू ने देख लिया। शेरू नें जोर-जोर से  भौंकना शुरू कर दिया। उसको भौकता देख कर कुछ लोगों ने उसे मारना शुरू कर दिया , तभी वहां विक्की पहुंच गया ।उसने लोगों को उसे मारने से रोका अब तो विकी को देखकर  शेरू और भी जोर-जोर से   भौंकनें लगा । विकी को पता चल चुका था कि जरूर कोई बात है जो शेरू उससे कुछ कहना चाहता है। शेरू उस की कमीज पकड़कर उसे  पानी की टांकी के पास लेकर गया ।विकी  ने  देखा कि यहां तो कोई नहीं है पर कुछ  सोचा। क्या पता इस टांकी में  कहीं कुछ तो नहीं है ।विकी ने देखा तो उसे वहां पर कुछ तैरता दिखाई दिया। उसने जोर-जोर  सेशोर मचा कर सब लोगों को इकट्ठा किया। सब  लोंगों नें वंहा  पंहुच कर उस   बच्ची को टांकी के अंदर से निकाला ।उस बच्ची की अभी सांसें शेष थी ।उसको जल्दी से डॉक्टर के पास ले जाया  गया। उसकी जान बच  गई वह लड़की उसके दोस्त की बहन थी। लड़की को विदा कर उसके दोस्त  की मां नें रोते-रोते कहा कि अगर आज शेरू नहीं होता तो आज हम अपनी बेटी को खो देते। शेरू ने आज मेरी बेटी की जान बचाई है । वास्तव में अच्छी प्रसंशा  का हकदार मेरा दोस्त शेरू है। बेजुबान प्राणी होते हुए भी वह कितना समझदार है , कितनी वफादारी के साथ उसने मेरी बेटी की जान बचाई । आज से यह मेरा भी बेटा बेटा होगा। कौन कहता है कि  मूक प्राणी समझ दार नंही होते ।यह तो इन्सानों से भी समझदार होते हैं जो मुसीबत पडनें पर किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं  हटते। शेरू  अपने मोहल्ले में  प्रसिद्ध हो चुका था। शेरू को पाकर विकी फूला नहीं  समाता था। कभी-कभी  अपने दोस्त शेरू को मायूस देख कर सोचने लगता कि शायद उसे भी अपने मालिक की याद आ रही हो ।एक दिन वह अपने पापा के साथ अपने अंकल के घर गया हुआ था ।वह  शेरू कोअपनी मम्मी के यहां छोड़ आया था ।जब  अपने पिता के साथ ट्रेन में बैठा तो उसकी मुलाकात एक परिवार से हुई उसके परिवार में पति-पत्नी और उनकी बेटी थे। सब ट्रेन से मुंबई जा रह थे।उनके साथ उनकी कुत्तिया भी दिखी ,जो कि भूरी भूरी आंखों वाली थी ।वह बहुत ही प्यारी थी ।उसे देख कर विकी कहने लगा अंकल मेरे पास भी एक कुता शेरू है।  मैंउसे बहुत ही प्यार करता हूं ।मैं अपने पापा के साथ शादी की  पार्टी में शामिल होने जा रहा हूं ।अंकल आप कहां के रहने वाले हो ? उन्होंने कहा कि बेटा हम मुंबई के रहने वाले हैं । हम मुंबई से हमेशा के लिए विदेश जा रहे हैं । हमारी 12:00 बजे रात की फ्लाइट है ।विकी उनके साथ काफी घुल मिल गया था ।रात को अचानक उसे नींद आ चुकी थी ।उसने देखा कि वह परिवार तो उतर चुका था परंतु उनकी कुत्तिया वंही नीचे लेटी हुई थी। विकी ने समय देखा तो 2:00 बज चुकेथे। उनकी कुत्तिया वहीं पर ही रह गई थी ।वह जोर-जोर से भौंक रही थी ।उसके भौंकनें की आवाज से विकी जागा । वह चारों तरफ डिब्बे में अपने मालिक को ढूंढ रही थी। उसे  इस अवस्था में  देख कर विकी  जोर-जोर से रोनें लगा ।विकी को रोता बिलखता देख कर उसके पापा ने उसे कहा बेटा वे जल्दी में उसे ले जाना भूल गए क्योंकि गाड़ी आज देर से चली थी। जल्दबाजी में  वे उसे ले जाना भूल गए ।पापा अब बेचारी ये कहां जाएगी ।हम उसको यूं भटकने के लिए नहीं छोड़ सकते । विकी अपने पापा को मना कर उस कुत्तिया को अपने साथ घर ले आया ।शेरू  तो उसको पा कर जैसे बहुत खुश हो गया था। उसे अपने साथ खेलने के लिए एक साथी मिल गया था। दोनों साथ-साथ जाते । विकी ने उसे सुहानी नाम दे दिया था शेरू बहुत ही खुश था एक दिन विकी ने दो तीन अनजान लोंगोंको शेरू पर पत्थर  मारते देखा। शेरू उन अजनबी लोंगो को देख कर  जोर से भोंकनें  लगता ।  उन्होंने थोड़े दिन पहले ही पड़ोस में मकान किराए  पर लिया था ।शेरु उनको देखकर जोर- जोर से भौकने लगता था ।एक दिन शाम के समय विकी अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। उसका दोस्त शेरू उसके पास ही था। अचानक शेरू उसकी आंखों से  ओझल हो गया ।उसने सोचा शेरू यही कही होगा ।  शेरू काफ़ी आगे निकल गया था। उसका दोस्त बोला बॉल फेंको ।बॉल को  फैंकनें के चक्कर में वह शेरू को भूल ही गया ।खेल जब खत्म हुआ तो सभी बच्चे घर जाने लगे तो उसे शेरू का ध्यान आया।शेरू उसे  छोड़कर कहीं नहीं जाता था ।वह तो पास ही बैठा हुआ उसे हमेशा देखा करता था ।सुहानी उसे अभी इतना घुली मिली नहीं थी ।जब काफी देर तक शेरू नहीं लौटा तो उसे चिंता हुई वह अपने दोस्तों को लेकर काफी दूर निकल आया। उसके साथ सुहानी भी भागते भागते काफी दूर तक आ चुकी थी ।उन्हें कहीं शेरू दिखाई नहीं दिया, तभी एक जगह सुहानी ने भौकना आरंभ कर दिया ।।वहां पर झाड़ियां थी। झाड़ियां कांटो वाली थी। अचानक सुहानी दौड़ी दौड़ी नीचे उतरती गई ।  वंहा पर उसेे शेरू का पट्टा दिखाई दिया।  उसके पास एक अटैची पडी थी। थोड़ी नीचे जाने पर एक आदमी गिरा हुआ  था। वह बहुत बुरी तरह घायल था। वह बेहोश चुका था ।विकी को समझते देर नहीं लगी कि शेरू  नें उस आदमी का पीछा  किया होगा  उस आदमी के समीप एक अटैची थी जिसमें  एक करोड रुपए  के हीरे थे। वह आदमी हीरे  चुराकर भाग रहा होगा तभी शेरू भी उसके पीछे भागा होगा ।और उसी वक्त  खाई में नीचे गिर गया होगा उसने अपने पापा को फोन किया और सारी सूचना दी। उसके पापा ने तुरंत पुलिस वालों को जल्दी से बुलाया पुलिस वाले जिस व्यक्ति को ढूंढने की कोशिश करे थे वह वह वही आदमी था जो खाई में गिर गया था । वह वही आदमी था जिस पर शेरू  भोंका था। कुछ दिन पहले ही उस व्यक्ति नें मकान किराये पर लिया था। पुलिस वालों ने उसे पकड़ने के लिए 50,0000रुपये का ईनाम रखा था ।एक बार फिर शेरूने अपने वफादार होने का और अपने सच्चे  दोस्त होने का प्रमाण दे दिया था ।विकी ने तो खाने को हाथ भी नहीं लगाया ।सुहानी ने तो इतनी चुप्पी साध ली कि पूछो ही मत ।पुलिस वालों ने विकी को 50,0000रुपये  दिलवा दिये। उनके दो साथियों को भी पकड़वा दिया।एक दिन विकी  आश्चर्य चकित हो गयाजब उसके घर पर किसी अजनबी ने घंटी बजाई, जैसे उसने दरवाजा खोला उसके सामने वही अंकल  थे जिन्होंने सुहानी को खो दिया था। वह ढूंढते-ढूंढते उनके घर पहुंच चुके थे । उनका व्यापार विदेश में नहीं चल सका ।वे मुंबई वापिस आ चुके थे ।उस दिन बातों-बातों में विकी  ने उन्हें अपने घर का पता दे दिया था ।अंकल ने कहा बेटा, सुहानी को इतने दिन तक अपने घर में रखने के लिए धन्यवाद । हमारी सुहानी को  हमें लौटा दो ।विकी सुहानी को प्यार करते हुए सोचने लगा कि मैं इसे इसकी मालिक के पास वापिस कर देता हूं । सुहानी को वापिस लौटाते  रो पड़ा और बोला अंकल सुहानी का ध्यान रखना और चुपके से सुहानी को लेने चला गया। वह सुहानी को विदा होते हुए नहीं देख सकता था ।वह  जैसे ही सुहानी को लेकर आया उसने अपने शेरू की हल्की सी आवाज सुनाई दी उसका शेरू लंगड़ाता हुआ आया और विकी के पैरों के पास गिरपड़ा वह अपने शेरू को अपने ंसामने देख कर बहुत ही खुश हुआ ।सुहानी अपने शेरू को वापिस आता देख कर अपने मालिक की गोद से निकलकर तुरंत शेरू के पास दौड़ी दौड़ी आईऔर उसे चाटने लगी ।यह देख कर उन अंकल की आंखों से झर-झर आंसू  बहने लगे ।शेरू को डरता देख कर सुहानी भी उदास होकर इधर-उधर चक्कर  काटने लगी। वह चुपचाप मौन रहकर इशारा कर रही थी कि अब वह तुम्हारे साथ मुंबई वापिस नहीं जाना चाहती ।वह तो अपने शेरू के पास ही रहकर खुश थी। उसको वही छोड़कर विकी की तरफ देख कर अंकल बोले बेटा, मैं सुहानी को लेने वापिस आया था ,परंतु यंहा का दृश्य देकर मैं उसे ले जाने की सोच भी नहीं सकता ।विकी ने अपने शेरू की सारी कहानी अंकुल को सुना दी थी ।वह  झटपट शेरू को लेकर अस्पताल गया और  उसे बचा लिया ।उसके हंसीभरे दिन लौट आए-थे।

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