बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेटियों को पढ़ाना है मकसद हमारा। यही तो जीवन का यथार्थ है हमारा।। कब तक अपने जीवन को दिलासा देते रहेंगे। एक बेटे की तमन्ना में सब कुछ खोते रहेंगे।। बेटियों को पढ़ाओगे तभी खुशहाल बन पाओगे। दूसरों की बातों में ना आकर उनका भविष्य संवार पाओगे।। बेटियाँ तो अपने घर की नींव को ऊंचाइयों… Continue reading बेटी बचाओ बेटी पढाओ

स्कूल बस्ते का बोझ

रामू जैसे ही स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था और मन में सोच रहा था  आज  वह  देरी से स्कूल पहुंचा तो स्कूल में उसकी पिटाई होगी। उसे स्कूल की प्रार्थना सभा में अलग से डैक्स पर खड़ा कर दिया जाएगा और सारा दिन तपती दोपहरी में एक-दो घंटे खड़ा रखा जाएगा। जल्दी से… Continue reading स्कूल बस्ते का बोझ

वन हैं धरती मां की शान(कविता)

वन है धरती मां की शान और धरती मां की जान। इस को काट कर तुम न करो धरती मां का अपमान।। वनों को बचा कर, अपने जीवन को सफल बनाओ। एक की जगह दस- दस पेड़ लगा कर अपनी डूबती नैया को पार लगाओ।। वनों की लकड़ियों से दवाईयां भी है बनती। इनमें से… Continue reading वन हैं धरती मां की शान(कविता)

बालदिवस(कविता)

  सूर्य से तेजवान चेहरे वाले। चंद्रमा की तरह शीतलता देने वाले।। गुलाब से सुसज्जित कोट वाले। रोबीले  चेहरे और गुणों वाले।। देश के युवाओं की आन थे  नेहरू। युगो युगो की शान थे नेहरू।। नन्हे-मुन्ने बच्चों की शान थे नेहरू। बच्चों के प्यारे चाचा कहलाने वाले, एक   आकर्षक व्यक्तित्व की पहचान थे नेहरू।। भारत… Continue reading बालदिवस(कविता)

आलस्य(कविता)

जीवन शैली का एक विकार है आलस्य । मनुष्य का निकटवर्ती शत्रु है आलस्य।। सुबह का अमूल्य समय जो सो कर हैं गंवाते। वह जीवन में कभी भी तरक्की की सीढी नहीं चढ़ पाते।। अपना समय निरर्थक बातों में जो हैं गंवाते। अस्त व्यस्त दिनचर्या के कारण किसी भी काम को फुर्ती के साथ नहीं… Continue reading आलस्य(कविता)

दीपावली ( कविता)

“वैभव और सम्पन्नता का प्रतीक  है दीपावली। राष्ट्र और समाज के प्राण का प्रतीक है दीपावली।। उज्ज्वलता और स्वच्छता का आवरण पहने हुए, घरों में जगमगाते दीपों के प्रकाश का त्योहार है दीपावली।।,,   दीपावली कार्तिक मास की आमावस्या को है मनाई जाती। हर घर घर में खुशी भरी लहर है छाई रहती।। जीवन की… Continue reading दीपावली ( कविता)

शन्नो चाची

शन्नो चाची को  सुल्तान पूर  गांव में आए हुए छःसाल हो चुके थे। किसी को मालूम नहीं था कि शन्नों चाची कहां से आई? उन्होंने भी अपना परिचय किसी को नहीं दिया था कि वह कौन है? कहां से आई है।? उनको देखकर ऐसा लगता था मानो साक्षात् देवी हो। अपने मधुर व्यवहार से सबको… Continue reading शन्नो चाची

प्रातः कालीन भ्रमण(कविता)

प्रातकाल व्यायाम करने की आदत डालो। तीन चार चक्कर अपने घर की फुलवारी के लगा डालो।   प्रातः भ्रमण आलस्य को है दूर भगाता। चुस्त्ती फुर्ती और ताजगी  को है  बढाता।। शौच आदि नित्य कर्मों से निवृत होकर सैर को जाओ। अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाकर कार्य क्षमता को बढाओ।। स्वच्छ हवा में टहलनें की… Continue reading प्रातः कालीन भ्रमण(कविता)

हॉस्टल और कॉलिज की मधुर यादें

दसवीं की परीक्षा के बाद परिणाम निकलने की उत्सुकता हरदम बनी रहती थी। इस बार अच्छे अंक आए  तो ममी- पापा मुझे कॉलिज और हौस्टल में प्रवेश दिलाना चाहते थे। अपने मन    में   हौस्टल का सपना  संजोए जल्दी से परिणाम निकलनें का इन्तजार करनें लगी। मुझे पता ही था कि  मैं अच्छे अंक ले कर… Continue reading हॉस्टल और कॉलिज की मधुर यादें

मेरी बगिया(कविता)

मेरी बगिया में खिले नन्हे नन्हे फूल। लाल पीले नीले और न्यारे न्यारे फूल।। मन के दर्पण को लुभाते फूल। कभी अधखिले तो कभी मुरझाए फूल।। फूलों से क्यारी की शोभा लगती है प्यारी प्यारी। इसकी खुश्बू से महकती है मेरे आंगन की फूलवारी।। चम्पा चमेली गेंदा और जूही के फूल। नन्ही नन्ही बेलों में… Continue reading मेरी बगिया(कविता)