माया जाल

हाथ का मैल है यह पैसा। हो लोभ के फल जैसा।। सब कुछ यहीं रह जाना है। साथ किसी के कुछ नहीं जाना है।। यह जीवन तो है बहुमूल्य। पुण्य कमा कर इसे बनाया जा सकता है जीने तुल्य।। चोरी फसाद के सभी धंधों को छोड़ कर, ॑ दूसरों की थाली में झांकना छोड़ दे,।… Continue reading माया जाल

स्नेह का बंधन

जंगल में एक वृक्ष की शाखा पर कबूतर कबूतरी का जोड़ा था रहता साथ में मधुमक्खियों का झुंड भी था इकट्ठा रहता।। हर रोज कबूतर दाना चुगनें था जाता । थक हार कर घर वापस था आता। कबूतर था बेचारा भोला भाला वह तो था उसका सच्चा दिलवाला।। कुछ समय बाद कबूतर कबूतरी ने घौंसले… Continue reading स्नेह का बंधन

‘कहानी की गुल्लक आई,

कहानी की गुल्लक आई ,कहानी की गुल्लक आई। नई नई कहानियां और मनमोहक कविताएं भी लाई।। गुल्लक में छिपा है ज्ञान का बड़ा ही खजाना। इस का उद्देश्य है सभी का मनोरंजन करवाना।। यह ज्ञान हमारा है बढ़ाती । हमारा मार्गदर्शन कर सकारात्मक सोच है जगाती।। जिसकी हर एक सीख है सुहावनी और कहानियां भी… Continue reading ‘कहानी की गुल्लक आई,

शिब्बु

शिब्बु एक भोला भाला और मासूम सा बालक था ।बचपन से ही उसके माता-पिता उसे इस संसार से अलविदा कह चुके थे। वह अपने चाचा चाची जी के यहां रहने लगा था ।चाची उसे अपने घर में नहीं रखना चाहती थी ।चाची ने यहां तक कह दिया था कि उसे अनाथ आश्रम छोड़ आते हैं… Continue reading शिब्बु

एकता का फल

नदी के एक और छोटी सी पहाड़ी पर बहुत सी चींटियों का झुंड रहता था। वे सभी चीटियां झुड में रहकर खाना ढूंढने जाती थी ।बहुत समय तक वर्षा नहीं हुई ।चिंटीयों को बाहर खाना प्राप्त करने में कठिनाई हो रही थी। एक छोटी सी जीव और उस पर तपती दुपहरी धूप, खाना जुटाना उन… Continue reading एकता का फल

तिरंगा

झंडा ऊंचा रहे हमारा। इसके आगे सर्वदा नतमस्तक हो हमारा।। विश्व विजयी तिरंगा प्यारा। हो जैसे भारत माता की आंख का तारा।। इस पर गर्व से मर मिटनें का संकल्प हो हमारा। इसकी आन बान शान के लिए समर्पित हो जीवन हमारा।। झंडा ऊंचा रहे हमारा। इसके आगे नतमस्तक हो हमारा।। स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास… Continue reading तिरंगा

बरसो बादल

  घुमड़ घुमड़ कर बरसो बादल ।गरज गरज कर गरजो बादल।।रिमझिम रिमझिम वर्षा कर।झमझम झमझम बरसो बादल।। कड़क कड़क कर कड़को बादल।घुमड़ घुमड़ कर बरसो बादल।।हमारे सुखचैन और उल्लास के लिए जमकर बरसो बादल।बिजली की घोर गर्जना कर ।शंख रुपी नाद के समान बिगुल बजा कर बरसो बादल।।नए नए पौधों के अंकुर तुम्हें हम पुकार… Continue reading बरसो बादल

उल्टा पुल्टा

11/4/20 टप्पू बहुत ही बुद्धिमान बच्चा था। अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल आता था। वह बहुत ही जिद्दी और शरारती भी था। उसके माता-पिता उसे समझाने की बहुत कोशिश करते बेटा ज़िद नहीं करते मगर वह अपने माता-पिता की बातों पर ज़रा भी गौर नहीं करता था और अपने माता-पिता को बहुत ही परेशान करता… Continue reading उल्टा पुल्टा

नारी

मातृ शक्ति का रूप हूं । घर की लक्ष्मी का स्वरूप हूं ।। अपने परिवार की खुशियों का ताज हूं। घर के आंगन की लाज हूं ।। बच्चों के लाड़ प्यार स्नेह और दुलार का जीता जागता स्मारक हूं । उनके अपनत्व के स्पर्श की एक इबारत हूं।। घर में और कार्यालय में दोनों जगह… Continue reading नारी