माया जाल

हाथ का मैल है यह पैसा। हो लोभ के फल जैसा।। सब कुछ यहीं रह जाना है। साथ किसी के कुछ नहीं जाना है।। यह जीवन तो है बहुमूल्य। पुण्य कमा कर इसे बनाया जा सकता है जीने तुल्य।। चोरी फसाद के सभी धंधों को छोड़ कर, ॑ दूसरों की थाली में झांकना छोड़ दे,।… Continue reading माया जाल