खेतों की मेड़ पर और नदी के किनारे था हर रोज उसका आना-जाना।गांव की गली गली के कूचे ही थे उसका आशियाना।।आज सुबह सुबह ही तो वह नदी के किनारे था आया।सुनहरी धूप और पानी की कल कल का उसने भरपूर आनन्द उठाया।।अपनी पूंछ को हिला हिला कर खुशी से था भर्माया।पक्षियों के अन्डों को… Continue reading भूल का परिणाम
Author: Meena
नन्हा फ़रिश्ता
प्रकाश अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी । वह रात दिन खेतों में मेहनत करके अपनी पत्नी और बेटे भानु के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था । भानु 5 वर्ष का था। वह अपने पिता के साथ,गौशाला को साफ करना, खेतों में पशुओं… Continue reading नन्हा फ़रिश्ता
शादी की दावत
बंदर मामा, दोस्तों संग शादी की दावत खाने के लिए लगे जानें। कोट पैन्ट, टाई और हैट लगा कर सभी पर अपनी धाक लगे आजमाने।। बार बार अपने नए जूतों को देख देख लगे खुशी से मुस्कूरानें। तरह तरह की पोशाकें पहन कर उन के दोस्त थे आए। दर्पण में बार बार अपना चेहरा देख… Continue reading शादी की दावत
अनमोल वचन
भज सके तो भज ले राम नाम प्यारा। पाछे फिर पछताएगा जब छुटेगा घर द्वारा।। दाता इतना दिजीए,जितना निर्वाह होई जाए। घर पे आया कोई पाहुना, भूखा न रहे जाए।। कुटिल वचन न बोलिए,जो काया को करे तार तार। मृदुल वचन जल रुप है ,बरसे अमृत धार।। राम राम भज ले बन्दे,राम नाम अनमोल। सियाराम… Continue reading अनमोल वचन
गाय माता
गाय जगत माता कामधेनु है कहलाती।गाय की सेवा घरों में खुशहाली को बढ़ाती।। धर्म,अर्थ,मोक्ष का आधार है गौ माता।।सकल जग उदधारिणी है गौ माता।समन सकल भव रोग हारिणी है गौ माता।।पृथ्वी पर रहनें वाले जीवों से करती है प्यार।हर प्राणी,जीवों पर इसके हैं असंख्य उपकार।।गाय की सेवा,पालन पोषण करना है धर्म हमारा।इस से बढ़ कर… Continue reading गाय माता
मौसम
मां बोली तुम्हें आज मौसम के बारे में बतलाती हूं। तुम्हारा ज्ञान बढ़ाकर मनोरंजन करवाती हूं ।। एक वर्ष में मौसम है चार। आओ इन के बारे में चिन्तन मनन कर के करें विचार।। गर्मी सर्दी पतझड़ और बरसात। इनके सामने इन्सान कि क्या है बिसात।। यह मौसम बारी-बारी से हैं आते। फरवरी मार्च-अप्रैल और… Continue reading मौसम
स्वच्छंदता से मुस्कुरानें दो।
स्वच्छंदता से मुस्कुरानें दो। बचपन के अद्भुत क्षणों का आनन्द उठानें दो। मां मुझे खेल खेलनें जानें दो। खेल खेलनें जानें दो।। रोक टोक छोड़ छाड़ कर , सपनों के हिंडोलों में खो जानें दो। मन्द मन्द मुस्कान होंठों पर आने दो।। मुझे पर काम का बोझ मत बढ़ाओ। पढाई में अभी से मत उलझाओ।।… Continue reading स्वच्छंदता से मुस्कुरानें दो।
शिक्षक
शिक्षक हैं हमारी आन,बान और शान।हम दिल से सदा करते हैं उन का सम्मान।।वे हमें देतें हैं सत्बुद्धि,शिक्षा और ज्ञान।हमारे शिक्षक सभ्य और संस्कारी।नम्रता की मुर्त और हितकारी।उन की संगत हमें लगती है प्यारी।।ऊंगली पकड़ कर लिखना सिखलाते।मां की ममता जैसा आभास करवाते।।बार बार अभ्यास की राह सुझाते।हर शब्द,वाक्य,स्वर,वर्णों का क्रम है सिखलाते।श्रूतलेख का हर… Continue reading शिक्षक
थाली में खाना जूठा मत छोड़ो
थाली में खाना जूठा मत छोड़ो। आवश्यकता से अधिक खानें कि आदत से पीछा छोड़ो।। अन्न में होता है अन्न पूर्णा का निवास। जूठन बचाना होता है बर्बादी का वास। अन्न पूर्णा का मत करो अपमान। नहीं तो कोई भी तुम्हारा जग में कभी नहीं करेगा सम्मान।। अपनें छोटे भाई बहनों को भी यह बात… Continue reading थाली में खाना जूठा मत छोड़ो
नई सदी का भारत
नई सदी का मानव बनेगा महान। शान्ति दूत बन कर सभी का करेगा कल्याण। भ्रष्टाचार कि राजनीति करनें वालों पर कड़ा रुख अपनाएगा। भाई भतीजावाद, चापलूसी से मुक्ति दिलवाएगा।। आंतकवाद फैलानें वालों को अपनें देश से बाहर करवाएगा। कर्मयोग की राह पर चलने वाला ही मां भारती का सच्चा सपूत कहलाएगा। अपनें प्राणों का उत्सर्जन… Continue reading नई सदी का भारत