भूल का परिणाम

खेतों की मेड़ पर और नदी के किनारे था हर रोज उसका आना-जाना।गांव की गली गली के कूचे ही थे उसका आशियाना।।आज सुबह सुबह ही तो वह नदी के किनारे था आया।सुनहरी धूप और पानी की कल कल का उसने भरपूर आनन्द उठाया।।अपनी पूंछ को हिला हिला कर खुशी से था भर्माया।पक्षियों के अन्डों को… Continue reading भूल का परिणाम

मौसम

मां बोली तुम्हें आज मौसम के बारे में बतलाती हूं। तुम्हारा ज्ञान बढ़ाकर मनोरंजन करवाती हूं ।। एक  वर्ष में मौसम है चार। आओ इन के बारे में चिन्तन मनन कर के करें विचार।। गर्मी सर्दी पतझड़ और बरसात। इनके सामने इन्सान कि क्या है बिसात।।  यह मौसम बारी-बारी से हैं आते।  फरवरी मार्च-अप्रैल और… Continue reading मौसम

थाली में खाना जूठा मत छोड़ो

थाली में खाना जूठा मत छोड़ो। आवश्यकता से अधिक खानें कि आदत से पीछा छोड़ो।। अन्न में होता है अन्न पूर्णा का निवास। जूठन बचाना होता है बर्बादी का वास। अन्न पूर्णा का मत करो अपमान। नहीं तो कोई भी तुम्हारा जग में कभी नहीं करेगा सम्मान।। अपनें छोटे भाई बहनों को भी यह बात… Continue reading थाली में खाना जूठा मत छोड़ो

नन्हीं चिड़िया की पुकार

नन्ही चिड़िया मां से बोली।मैं हूं तेरी प्यारी भोली।।जल्दी से दाना देखकर मेरी भूख मिटाओ न।कहानी सुनाकर मेरा दिल बहलाओ न।।मां बोली ना कर शैतानी।हर दम करती रहती मनमानी।।नन्ही चिड़िया बोली अभी खेलने जाना है।नन्ही चिड़ियों संग खेल खूब धमाल मचाना है।।मां चिड़िया बोली तेरी एक नहीं चलेगी।तू भी आज मेरे संग दाना चुगने चलेगी।।भोली… Continue reading नन्हीं चिड़िया की पुकार

चंदा मामा भाग-२

प्यारे प्यारे चंदा मामा।न्यारे न्यारे चंदा मामा।तुम हो सब के राजदुलारे मामा।मां कहती हैं तुम अपनी किरणों की प्रखरता से सारे जग को चमकाते हो। किरणों की चकाचौंध से सभी के मनों को लुभाते हो।।कभी गोल-मटोल बन कर दिखाते हो।कभी तिरछी कलाओं का जाल दिखाते हो।कभी आधी, कभी पुरी आकृति बनाते हो। आमावस की रात… Continue reading चंदा मामा भाग-२

“हे नारी!तुझे शत शत नमन”

सुसभ्य संस्कृति कि नव चेतना का आधार जननी कर्मधात्री, पवित्रता स्वरुपिणी, वात्सलयमयी,ममता का आधार जननी।। सर्वस्व न्योछावर करने वाली, तन मन धन समर्पित करनें वाली।। अपनें हुनर से घर को साज संवारने में निपुणता लानें वाली। अपनी सूझबूझ के दम पर परिवार पर जान छिड़कनें वाली ।। त्याग,तप और सौम्यता कि मूर्ति बन अपनें परिवार… Continue reading “हे नारी!तुझे शत शत नमन”

मेरे देश की माटी

इस देश की माटी है चन्दन,हम नित्य इसको करतें हैं वन्दन।।ग्राम ग्राम तपोवन का है धाम ।सत्य,शाश्वत,परमात्मा का है स्थान।। हर बाला में है सीता।हर बालक में है राम।। अरूणोदय की वेला में सुरज सबसे पहले आए।मधुर स्वरों में पक्षी गूंजन कर चहचहाए।कृषकों कि आवाजाही से खेतों में,हरी भरी फसलें लहराए।। घर घर मन्दिर हैं,मन… Continue reading मेरे देश की माटी

आज़ादी का जय घोष

आओ आज़ादी दिवस का जयघोष मिल कर मनाएं । अपनी अपनी दुनिया में न खो कर ,सब एक रस हो  जाएं। छोटे और बड़े का भेदभाव भूल कर खुशी से जगमगाएं।। तेरे मेरे कि सोच बाहर फैंक आपस में मैत्री पूर्ण भाव  अपनाएं।। भाई बहन,साथी,दोस्त,युवा और वृद्ध जन। कोरोना जैसी बिमारी से छुटकारा पानें का… Continue reading आज़ादी का जय घोष

ल‌क्ष्मी बाई की वीर गाथा

स्वतंत्रता कि बलिवेदी पर मिटनें वाली वह तो झांसी वाली रानी थी।मणिकर्णिका के नाम से विख्यात , बचपन कि पहचान पुरानी थी।।प्यार से बाबा मनु कह कर उसे बुलाते थे।बाजीराव उसे छबीली कह कर चिढ़ाते थे।।विठूर में मल्लविद्या, घूडसवारी, और शास्त्र विद्याओं को सीख अपनी एक पहचान बनाई।तीर,बर्छी,ढाल कृपाण , तलवार चला कर अपनें हुनर… Continue reading ल‌क्ष्मी बाई की वीर गाथा

खेलखिलाड़ी खेल

खेल खिलाड़ी , खेलखिलाड़ी  खेल खिलाड़ी खेल। मुस्कुराहट के भाव लाकर , बिना संकोच, सहयोग और तालमेल से , मित्रताऔर भाईचारे का समावेश बना,  बिना हिचकिचाहट,बिना घबराहट के सावधानी और धैर्यपूर्वक खेलों में डट  कर  खेलो खेल।। एक दूसरे का हाथ थाम कर ,  मन में नमी उमंग जगा कर सभी को साथ ले कर… Continue reading खेलखिलाड़ी खेल