मेरी प्यारी बुलबुल

‌ आओ मेरे पास आओ मेरी प्यारी बुलबुल।रानी भैया से बोली हम खेल खेलेंगे मिलजुल।।बुलबुल रानी बुलबुल रानी,तुम तो लगती हो कोई महारानी।भूरे और काले रंग वाली, तुम्हारी उड़ान भी है अजब मस्तानी।। बुल बुल रानी बुलबुल रानी ,तुम हमें क्यो सताती हो?तेज आवाज कि ध्वनि से क्या तुम हमें डराती हो?हमें देख पीपल या… Continue reading मेरी प्यारी बुलबुल

आपसी मेलजोल कविता

रानी और रज्जु गुड़िया के पीछे थे झगड़ रहे।वे एक दूसरे को गुस्से से थे अकड़ रहे।।रानी बोली तुम अपने खिलौनों से खेलो खेल।मुझ से झगड़ कर न रखो कोई मेल।। मां ने आ कर रानी और रज्जु को धमकाया।एक दुसरे को प्यार से खेलनें के लिए मनवाया।।रानी बोली वह हर वक्त मुझे से है… Continue reading आपसी मेलजोल कविता

तारो संग बच्चो का खेल

चमचम चमचम चमके तारे।चन्दा से भी प्यारे।।चमचम चमचम चमके तारे।आओ बच्चों पास हमारे।। चन्दा मामा कि तरह आओ सब पर रोब जमाएं।थोडा अकडू बन कर, थोडा झगडू बन कर सब पर हुक्म चलाएं।चन्दा मामा कि तरह चमक चमक कर ,सब के चेहरों पे खुशी कि रौनक लाएं। छुपन छिपाई का खेल खेल कर सब का… Continue reading तारो संग बच्चो का खेल

कछुआ,खरगोश और बन्दरों का झूंड

एक कछुआ घने जंगल में था आया ।शीतल छांव देख कर मन ही मन मुस्कुराया।।कुछ खरगोशों ने भी वहां सुस्तानें के लिए लगा रखा था डेरा।उन्होंने सामने आ कर उसे था घेरा।। खरगोश अपनें साथियों को बोलेभागों रे भागो ,यहां से भागो।जागो रे जागो,जागो रे जागो।। मोटी और भददी खाल वाला आया है यहां एक… Continue reading कछुआ,खरगोश और बन्दरों का झूंड

होली का त्योहार

होली का त्योहार है रूठों को मनाने का,बिछड़े दिलों को फिर से मिलानेका।।अपनें ही परिवेश में अनजान न बन,एक साथ मिल कर खुशियां मनाने का।।प्रेम के रंग में रंग जानें काहोली के रंग में धमाल मचाने का।।ऊंच नीच,जात पात के बंधन को छोड़ कर,हर एक पल को भूल कर बस जम कर रंग बरसानें का।।हो… Continue reading होली का त्योहार

गुलाब

मैं फूलों का राजा गुलाब कहलाता हूं।मैं रंग और रूप से अपनी पहचान बनाता हूं।बसंत ऋतु में खिल कर उपवन की शोभा बढ़ाता हूं। मेरी सुगन्ध से मधुमक्खियां और तितलियां मेरे चारों ओर इठलाती हैं।चक्कर काट काट कर मुझे रिझाती हैं।झरनों कि मधुरता मुझे लुभाती है।वर्षा के बूंदों कि झंकार मुझे सुहाती है।।ओस की बूंदें… Continue reading गुलाब

वन के प्राणीयों की गुफ़तगू

वन के पक्षियों नें जंगल में सभी जीवों को आपातकालीन न्योता दे कर बुलवाया।जंगल में एक बड़ी बैठक का आयोजन करवाया।।वन के पक्षी आपस में वार्तालाप कर बोले।आजकल हमारा भी धीरज है डोले।। शहरों व कस्बों में मधुर कलरव कर इन्सानों को हैं जगाते।वे हम पर ज़ुल्म करनें से जरा भी नहीं हिचकिचाते।इन्सान हम से… Continue reading वन के प्राणीयों की गुफ़तगू

एक डाल पर बैठी चिड़िया।

एक डाल पर बैठी चिड़िया।पंखों को हिलाती चिड़िया।।पेड़ों पर टक टक करती चिड़िया।मधुर स्वर में गाती चिड़िया।चीं चीं का राग सुनाती चिड़िया।टूकर टूकर कर सब का ध्यान लुभाती चिड़िया।एक डाल से दूजे डाल तक फुदक फुदक कर जाती चिड़िया।एक डाल पर बैठी चिड़िया।प्यारी और मनमोहक चिड़िया।।भीगे पंखों से पानी को छिटकाती चिड़िया।वर्षा का भरपूर आनन्द… Continue reading एक डाल पर बैठी चिड़िया।

व्यायाम करना सीखें

सारे बच्चों मिल कर बजाओ ताली।हमेशा तुम्हारे जीवन में आएगी खुशहाली।। खेल खेल में व्यायाम को अपनें जीवन का हिस्सा बनाओअपनें शरीर को सुडौल और सुन्दर बना के दिखाओ ।पढ़ाई में रहो सब से आगे आओहर काम समय पर कर के दिखाओ ।कुद कुद कर हाथों को जोर से हिलाओ।ऊपर, नीचे,नीचे ऊपर,दाएं बाए,बांएं दाएं, आगे… Continue reading व्यायाम करना सीखें

ऋतुराज बसंत

प्रकृति के सौंदर्य में चार चांद लगाता है ऋतुराज बसंत।मलय पवन की सुगन्ध से लता कूंज को महकाता है बसंत।। पीली सरसों से खेतों को सुसज्जित करता है बसंत।झूम झूम के पक्षियों के कलरव से वन को महकाता है बसंत।। प्रकृति के कोनें कोनें में अपनी छटा को बिखराता है बसंत।हर्ष आनन्द प्रेम प्रसन्नता और… Continue reading ऋतुराज बसंत