कोशिश

चंपा और सुमेश के परिवार में उनकी दो बेटियां थी। सुमेश मेहनत मजदूरी करके अपना भरण-पोषण करता था ।खेतों में भी थोड़ा बहुत अनाज  उगा लेता था और दिन को मजदूरी करके वापस घर आ जाता था। सुमेश की 2 बेटियां थी। मिन्नीऔर विन्नी, दोनों ही बहुत सुंदर सुशील और सभ्य थी। छोटी बेटी मिन्नी जब पैदा हुई थी तो उसकी टांगें   टाईफाइड होनें के कारण  और गलत खान पान के कारण खराब  हो गईं। वह लंगड़ा कर चलती थी। बड़ा होने पर उसकी टांगों से चला भी नहीं जाता था। चंपा और सुमेश अपनी बेटी की टांग ठीक करवाने के बजाय उसे बोझ समझने लगे।वह केवल बिन्नी को ही प्यार करते। बिन्नी को स्कूल में भेजते मगर जब मिन्नी  विन्नी के साथ स्कूल जाती तो कई बार उसे देर हो जाती देरी से स्कूल पहुंचने पर उस मासूम को ही डांट सुननी पड़ती। घर में भी मां पिता से  भी डांट सुननी पड़ती। एक दिन उसनें अपने पिता को कहते सुना कि मिनी को आगे पढ़ाने से क्या फायदा? वह तो कभी ठीक नहीं हो पाएगी यह तो हमारे ऊपर बोझ है । हमने  न जानें पिछले जन्म में कौन से कर्म किए होंगे जिसकी सजा हम आज तक भुगत रहे हैं इसकी तो शादी भी नहीं हो पाएगी। सारी जिंदगी भर हमें इसकी देख-रेख करनी पड़ेगी कभी-कभी तो उसके पिता उसे इतना डांट डपट करते कि मासूम मिनी की आंखों से आंसू बह निकलते। वह चुपचाप अपनी बगिया में आकर चारपाई लगा कर सो जाती। वह जब उदास होती तो गाने सुनती। उसके माता-पिता उसकी बहन सभी  काम पर चले जाते। वह अपधा मन बहलाने के लिए बगिया में बैठ जाती।

मां एक सिलाई सेंटर में काम करती थी ।पिता खेतों में काम करने के बाद बाहर काम मजदूरी की तलाश में चले जाते।  कभी भी अपनी बेटी से बात नहीं करते थे ।इतना अकेला हो जाती की सोचती क्या करूं ?एक दिन इसी तरह वह अपनी बगिया में आंसू बहा रही थी वह उस समय केवल 7 साल की थी। स्कूल जाना  भी  उसका छूट चुका था ।हर रोज देर से स्कूल नहीं जा सकती थी इसलिए घर पर ही रहती थी। उसका भी मन पढ़ने को करता था लेकिन उसकी व्यथा सुनने वाला वहां कोई नहीं था।वह बाहर ही चटाई बिछा कर सो जाती थी।  उसकी बगिया में एक अमरूद का पेड़ था ।वह चुपचाप आकर उस पेड़ को देखा करती थी एक दिन  उसे उस  पेड़ के नीचे नींद आ गई।

पेड़ उसके सपने में आकर उससे बोला मीनू उदास क्यों होती हो? मैं हूं ना तेरे साथ खेलने के लिए। तुम्हें गाने पसंद है ना।  वह बोली तुम्हें कैसे पता?हमनें तुम्हें एक दिन  अपनी मां को कहते सुना गानें बन्द मत  करो। तुम्हें गानें सुननें में आनन्द आता है। तुम को गाना सुननें के लिए अपना   रेडियो ‌यहां लेकर  आना होगा। इसके लिए तुम्हें अपने आप कोशिश करनी होगी। तुम्हें रेडियो लेने घर के अंदर जाना होगा ।कोशिश तो करो। तुम दो-तीन बार गिरोगी।  कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। मैं तुम्हारे साथ हूं । तुम्हें  दिन को जब भूख लगती है तो तुम खाना भी प्राप्त कर सकती हो ।इन सब चीजों के लिए तुम्हें उठना तो जरूरी है ।वह बोली भाई मेरे मैं तुम्हारी बात मानूंगी। मैं तो एक कदम भी नहीं चल सकती ।पहले मैं थोड़ा बहुत चल लिया करती थी। मेरे  इलाज पर घर वालों का बहुत सारा रुपया खर्च होगा।  मुझे इसलिए वे  कभी अस्पताल लेकर नहीं जाते। गरीब हैं ना मेरे मां-बाप । पेड़ बोला यह बातें तो गलत है । गरीब लोग क्या अपने बच्चों का इलाज नहीं करा पाते ?तुम्हारे माता-पिता  की समझ में जब तक यह नहीं आएगा कि हमें अपनी बेटी को ठीक करके ही छोड़ना है तब तक वह कुछ नहीं कर पाएंगे ।उनकी सोच बहुत ही छोटी है। तुम निराश मत हो इस काम में मैं तुम्हारी मदद करूंगा।

मैं भी तो बिल्कुल अकेला होता हूं। तुम्हें पता है कि अकेला वृक्ष कभी फल फूल नहीं सकता ।तुम जैसे बच्चे जब यहां खेलते हैं तो उनकी किलकारियां सुनकर हमारा मन भी खुश हो जाता है ।जब कोई बच्चा आंसू  बहाता है तो हमें बहुत ही दुःख होता है ।हम भी उनका रोना सुनकर  मूर्झा जाते हैं क्योंकि हम उनके घर के सदस्य होते हैं ।लोग पेड़ों को काट देते हैं यह भी नहीं समझते कि तुमने अपने परिवार के एक सदस्य को मार दिया है। बेटा जब तुम हर रोज नहाते हो और सजते  संवरते हो तो तुम्हें कितना अच्छा लगता है ?इसी तरह अगर हम पेड़ों के  आसपास गंदगी को यूं ही पड़ा रहने देंगे तो हम भी मुरझा जाएंगे तुम भी सुंदर दिखने के लिए अच्छे-अच्छे कपड़े पहनते हो तुम्हारे परिवार के सदस्य हर रोज सज धज कर काम पर निकलते हैं तो उनका मन कितना खुश होता है? तुम अगर यहां पर हर रोज गाना लगाओगी और खुद जाकर कमरे से जाकर रेडियो ले कर आओगी तो हमारा भी मनोरंजन हो जाएगा।

मिनी ने सपने में देखा कि वह सरक सरक कर कमरे में जाने की कोशिश कर रही थी। तीन-चार बार जाने की कोशिश की मगर वह गिर पड़ी। पेड़ उससे बोला बेटा हार मानकर कुछ नहीं हो सकता ।जब तक तुम आशा का दामन थामे रखोगी तब  तुम एक ना एक दिन अपने मकसद में कामयाब हो जाओगी। मैं हरदम तुम्हारा मार्ग दर्शक बनकर तुम्हारी सहायता करूंगा।  अपने आप को  कभी अकेला मत समझो।

एक दिन मिनी रेडियो लाने में सफल हो गई। वह  हरदम खुश रहने लगी एक दिन जब उसके घर के सदस्य सभी बाहर गए थे तब  पेड़ उस से बोला बेटा आज  भी तुम उदास क्यूं हो  गई हो?वह बोली कि आज घर में खाने को कुछ नहीं है।पेड़ उससे बोला कि तुम्हारे घर के समीप एक मंदिर है। वहां पर आज ही भंडारा है। तुम स्वयं चलकर धीरे-धीरे उस मंदिर तक पहुंचो वहां तुम्हें खाना  अवश्य ही मिल जाएगा। रास्ते में तुम्हें अपाहिज समझकर  लोग तुम पर दया करेंगे मगर तुम निराश मत होना। तुम उन्हें कहना कि मैं अपाहिज नहीं हूं तुम दया के पात्र मत बनना। तुम्हें उन्हें बताना होगा कि नही,मैं खुद अपने आप वहां पर चल कर  पहुंच जाऊंगी। वह उस दिन सपना नहीं देख रही थी। वह  सचमुच में ही हकीकत में खाना खाने के लिए सरक सरक कर मंदिर में जा रही थी। रास्ते में चलते चलते लोग उससे बोले कि बेटा हम तुम्हें मंदिर छोड़ देते हैं। वह बोली नहीं मैं खुद जाकर प्रसाद ग्रहण करूंगी प्रसाद पाकर भरपेट खाकर वह  आईस्ता आईस्ता चल कर घर आ गई।वह   अब पहले से ज्यादा खुश रहने लगी थी । वह थक हार कर सो गई।जब वह जगी   तो वह पेड की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी।

वह  अपने मन मन में बोली कि मैं अकेली नहीं हूं ।वहां पेड के पास  हर रोज आईस्ता आईस्ता चल कर  रेडियो  रख देती और संगीत सुनती। उसमें धीरे-धीरे सुधार आने लगा था। वह उठकर खड़ी हो जाती थी।

एक दिन  वह अपनी मां से बोली कि मैं भी कोई काम करूंगी। मुझे पढ़ने का शौक है। मुझे स्कूल जाना है। घर में बैठना मुझे अच्छा नहीं लगता। उसकी मां बोली बेटा तू कहां स्कूल जा पाएगी? तेरे पीछे तेरी बहन को भी देरी से स्कूल  आने  पर मार पड़ेगी ।तू तो घर में ही पढ़ाई कर लिया कर ।

एक दिन पेड़ उस से बोला कि तू पढ़ना चाहती है तो तुम्हारे घर की बगल में एक दंपति परिवार रहते हैं।तू उन के घर जा कर पढाई किया कर ।उनकी म़ा छत पर उन्हें पढाती हैं। उनकी दो बेटियां हैं।एक तो 6 महीने की है।चीनू दूसरी कक्षा में पढ़ती है ।उनके घर चली जाया कर।कोशिश तो तुझे  ही करनी पडेगी।बगल वाला ही घर है।

एक दिन  हिम्मत कर के वह  गिरते पड़ते अपने पड़ोसी के घर में पहुंची ।उनकी पडौसन एक नेक औरत   थी ।वह उसकी हालत देख कर बोली बेटी  तेरी टांगों को क्या हुआ? वह बोली आंटी मैं सामनें वाले घर में रहती हूं। बचपन में  टाईफाईड   होनें के कारण और देखभाल न  होनें के कारण    बहुत  बीमार हुई थी। उस दिन से   सेहत में सुधार नहीं हो पाया। मैं  चल नहीं पाई। लेकिन अब मैं धीरे-धीरे चल पाती हूं। मेरी मां कहती है कि तेरी टांगे कभी भी ठीक नहीं हो सकती ।मैं घर में अकेले बैठे बैठे थक जाती हूं।आप अपनी बेटियों को जोर जोर से पढाती हो  आप मुझे भी पढा दिया करो।मैं तुम्हें अवश्य पढाया करुंगी। तुम यहां तक कैसे आओगी ? ।मिन्नी बोली मैं आईस्ता आईस्ता अपनें आप चल कर आ जाया करुंगी। शायद मेरी टांगे कभी ठीक नहीं होंगी।करुणा बोली बेटा ऐसा नहीं कहते एक न एक दिन तुम्हारी टांगें अवश्य ही ठीक होगी ।वह बोली आंटी  धन्यवाद ।आप नें मुझे  दिल्लासा तो दिया।

करुणा को ऑफिस से उसी वक्त कॉल आई जल्दी  ऑफिस पहुंचो।करुणा सोचने लगी कि चीनू तो स्कूल गई है। लक्की को किसके पास छोड़ कर जाऊं।  करुणा मिन्नी से बोली कि बेटा क्या तुम थोड़ी देर के लिए लककी को संभाल सकती हो?। मिन्नी बोली क्यों नहीं ? आप जाओ मैं लककी की देखभाल कर लूंगी आंटी सारा दिन  मिनी के भरोसे अपने बेटे को छोड़कर चली गई ।जब  शाम को घर वापस आई तो लकी सो चुका था ।वह बिल्कुल ठीक था ।वह  मिन्नी को बोली बेटा कौन कहता है कि तुम किसी पर बोझ हो?तुम   अगर पढ़ना चाहती हो मैं तुम्हें  आज से ही पढाऊंगी।उस दिन से वह उस आंटी के पास पढ़ती ।वह पढ़ने लिखने में तेज हो गई। वह धीरे-धीरे लंगड़ा लंगड़ा कर अपने घर पहुंच जाती थी। करुणा के ऑफिस में तीन चार कर्मचारी ऐसे थे जिनके बच्चे घर पर अकेले रहते थे ।करूणा नें अपनें औफिस के कर्मचारियों के पास मिनी की खुब प्रशंसा की। वह भी अपने बच्चों को मिनी के पास छोड़ जाते । जब किसी बच्चे को प्यास लगती तो वह पानी मांगता तो मिन्नी उठकर उन्हेँ जल लेने जाती। सभी बच्चे आगे बढ़कर उसकी मदद करते ।वह अपने आप को अकेला नहीं समझती थी ।

उसके घर पर ही आकर बच्चों के माता-पिता उसके पास अपनें बच्चों को  छोड़ जाते शाम को उन्हें ले जाते। सारी की सारी कर्मचारी वर्ग उसकी प्रशंसा करते तो मिन्नी के माता-पिता हैरान रह जाते। जिस बच्ची को वह बोझ   समझ रहे थे वह तो एक हीरा थी। एक दिन उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ।  सभी कर्मचारियों ने मिलकर मिन्नी को डॉक्टर शुक्ला को दिखलाया। सभी ने उसकी टांगों की ऑपरेशन के लिए रुपए इकट्ठे किए ।मिनी की टांगे ठीक हो चुकी थी ।वह खुशी के मारे चिल्ला कर बोली मेरे भाई का मेरे प्रति सहानुभूति का परिणाम है। उसने अगर मुश्किल की घड़ी में मेरा  साथ ना  दिया होता तो मैं कभी भी आगे नहीं बढ  सकती थी।  उसने ऑपरेशन के बाद सबसे पहले अमरूद के पेड़ के पास जा कर पैर छू कर  उनका आशिर्वाद लिया और कहा कि भैया आपके आशीर्वाद से आज मैं कहीं जाकर ठीक हो सकी हूं। मैं अगर कोशिश नहीं करती तो सारी उम्र भर यूं ही अपाहिज रहती। तुम्हारा प्रयास और मेरी कोशिशों का  नतीजा मुझे  सफल कर पाया ।

मिन्नी का जन्मदिन

मिन्नी स्कूल से घर लौट कर कर हर रोज़ की तरह अपनी सहेलीयों के साथ खेलनें के लिए निकल जाती थी। सभी अपने अपने भाइयों की तारीफ करते नहीं थकती थीं। वे आपस में एक दिन कहने लगी कि राखी का त्यौहार नज़दीक आ रहा है । कोई कहती थी मैं तो अपने भाई के लिए तरह-तरह के उपहार लेकर जाऊंगी, अपने हाथों से तैयार करके उसे सुंदर सी राखी बना कर  राखी बांधूंगी। यह सुनकर मिन्नी तड़प उठती। उसका तो कोई भी भाई नहीं जिसके लिए वह राखी बनाए। वह अपने हाथों से अपने भाई को सुंदर सी राखी स्वयं बनाना चाहती  थी।

उस दिन मिन्नी का स्कूल में भी दिल नहीं लगा। वह भी इस बार अपने हाथों से सुंदर सी राखी बनाकर अपने भाई को बांधना चाहती थी। घर आते ही उसने अपनी मिट्टी की गुल्लक तोड़ी। सारे  सिक्के बटोरे, जल्दी से सखियों के साथ वह बाजार गईं,  कुछ सामान ले कर घर वापस आ गई।

घर आकर अपनी मां को बोली की मां मां मैं इस बार अपने हाथ  से बनाई हुई राखी किसे बांधूं? उसकी मां बोली कि बेटा उदास नहीं होते। मैं तुझे बताऊंगी कि तू किसे राखी बना कर देगी। मिनी की मां उसे बाहर बरामदे में ले आई।

वंहा कई सारे वृक्ष लगे थे।उसकी मां बोली मैं भी इसी तरह भाई ना होने पर उदास रहा करती थी। तुम यह मत सोचो कि तुम्हारे कोई भाई नहीं है। यह भी तुम्हारे भाई से भी कम नहीं है। मैं  जब ब्याह कर इस घर में आई  तो देखा कि हमारे घर में एक पीपल का पेड़ लगा हुआ था। मैं यहां आकर बहुत ही खुश हुई। मैं इस पीपल के पेड़ को अपने परिवार का सदस्य मानने लगी ।तुम देख रही हो कि इसकी जड़ें कितनी दूर दूर तक फैली है ।तुम मेरे साथ  हर रोज़ आकर यहां पर पानी चढ़ाती हो । यह पेड़ हमारे घर के सदस्य हैं । वह हमारी सहायता करते हैं जिससे हमें शुद्ध हवा मिलती है ।  यह हमें  मीठे फल भी देते हैं। तुम  गर्मियों में इस बगिया में चारपाई लगा कर सो जाती हो। गर्मियों में वृक्ष  छाया देता है। पेड़ के पत्तों और जड़ों  से दवाईयां भी बनती है।  वृक्षों का धार्मिक ग्रन्थों में और वेदों में  महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे शास्त्र ग्रंथ में वृक्षों को पूजा भी जाता है। बेटा तुम अपनी वाटिका में अपने जन्मदिन पर एक एक पेड़ अवश्य लगाना। राखी वाले दिन तुम एक पेड़ लगा कर उसे  राखी अवश्य बांधना देखो तब तुम्हें कितना आनंद आएगा।

यह सुन कर  मिन्नी बहुत खुश हो गई। उसने  अपने जन्म दिन पर  एक पेड़ लगाया। उसकी मां बोली कुछ सालों बाद यह भी तुम्हारी तरह बड़ा हो जाएगा इस से तुम्हें खाने को मीठे मीठे फल प्राप्त होंगे ।मिन्नी हर रोज अपने घर के बगिचे में आ जाती । उसकी माताजी ने उसे  बताया था कि बेटा पेड़ों को भी संगीत बहुत ही पसंद होता है ।वह भी संगीत की धुन सुनकर खुश होते हैं ।जब तुम यहां पर संगीत सुनकर अपने दोस्तों के साथ खेलोगे तो उन्हें भी अच्छा महसूस होगा। मिन्नी अब खुश रहने लगी थी। वह हर साल  पीपल  के पेड़ पर राखी  बांधती थी।अपने पेड़ का बहुत ध्यान रखती थी। अच्छी खाद पानी देना उसकी दिनचर्या में शामिल था। उसके पेड़ को लगे हुए सात साल हो चुके थे। वह पेड़ भी अब बड़ा हो चुका था  मिनी भी अब कुछ बड़ी हो चुकी थी।

कक्षा में अध्यापक आज जैसे ही आए बच्चे कक्षा में शोर कर रहे थे। अध्यापिका बोली बेटा चुपचाप पढ़ाई करो मुझे आज बहुत काम है। बच्चे सब अपने-अपने कामों में लग गए।

उसकी  कक्षा अध्यापिका आज बहुत ही उदास थी। उसे पता चला गया था कि बच्चों को हम बिना वजह डांट डपट कर देते हैं। बच्चे तो कोरे कागज की तरह होते हैं जैसा हम उन्हें संस्कार देंगे वह वैसे ही बन जाते हैं ।आज उन्हें किसी बच्चे के घर जाने का  सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वहां जाकर उस बच्ची से मिल कर अध्यापिका जी की आंखें नम हो  गईं। वह बच्ची एक टांग से लंगडी थी। स्कूल नहीं जा पा रही थी। उसकी मां कह रही थी स्कूल से उसे निकाल दिया गया था क्योंकि वह समय पर नहीं पहुंच पाती थी। उसका घर दूर था। उसके मां-बाप भी पढ़े-लिखे नहीं थे लंगडी होने के कारण उस बच्ची ने स्कूल छोड़ दिया था उसको देखकर अध्यापिका को बड़ा बुरा लगा।  वह अब  हर एक बच्चे के बारे में जानकारी जुटाया करेगी ।वह सभी बच्चों को आगे लेकर आएगी जिन को हालात  नें स्कूल छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

स्कूल में सब बच्चे आपस में बातें कर रहे थे। कक्षा अध्यापिका बच्चों की बातों को ध्यान से सुन रही थी। पारुल, मिन्नी को बोली  कल हम जान गए थे तुमने अपने जन्म दिन पर क्या उपहार खरीदा? इस बार तुम नें सुन्दर सी राखी भी खरीदी थी। हम पूछना ही भूल गए तुम्हारे तो कोई भाई नहीं है । तुम हर साल राखी भी खरीदी हो और  त्यौहार पर  गिफ्ट भी  ले जाती हो। हमने तो तुम्हारे घर पर तुम्हारे भाई को कभी नहीं देखा। वह पढ़ने स्कूल क्यों नहीं आता ?

मिन्नी बोली कि वह चल नहीं सकता और बोल नहीं सकता। उसके इस उत्तर पर सभी सहेलियां चुप हो गई। अध्यापिका यह सब देख रही थी। बोली बेटा तुमने तो हमें कभी भी नहीं बताया कि  तुम्हारा भाई स्कूल नहीं आ सकता। वह बोल नहीं सकता। मैं तुम्हारे घर पर उसे पढ़ाने आ जाया करूंगी। सभी सहेलियां अध्यापिका जी को बोली इस का जन्मदिन राखी  वाले दिन ही है।  हम सब इसके घर इसका जन्मदिन मनाने जाएंगे। इससे पहले कि मीनू कुछ बोलती अध्यापिका ने उसे इशारे से चुप करवा दिया। तुम्हारी कोई बात नहीं चलेगी। आज से हम सब बच्चों के घर उनके जन्मदिन पर चला करेंगे । तुम्हारे माता-पिता से भी मिलना हो जाया करेगा।

घर आकर मिनी उदास हो गई। वह अपनी मां को  बोली  कि मां मेरी सहेलियां और मेरे दोस्त मेरे जन्मदिन पर हमारे घर आएंगे ।हमारी कक्षा अध्यापिका भी आएगी ।उसकी मां बोली बेटा तो तू डर क्यों रही है? वह बोली कि मैंने उन्हें कहा है कि  मेरे भी एक भाई है।  सभी सहेलियां  कह रही थी कि हमारे भाई हमारी रक्षा करते हैं। तुम्हारा भाई तो चल भी नहीं सकता वह तुम्हारी कैसे रक्षा कर पाता है ?

सभी सहेलियां राखी वाले दिन उसके जन्मदिन पर मीनू के घर पहुंच गई थी। उसकी अध्यापिका भी आकर मीनू की मां से बातें करने में व्यस्त हो गई। सभी सहेलियां  मीनू को कहनें लगी कि तुम्हारा भाई नहीं दिख रहा वह कहां है?  वह बोली मैं अपने भाई को भी तुम सभी से मिलवाऊंगी। पहले हम यंहा मौज मस्ती कर लेतें हैं।

गर्मियों के ‌दिन थे। उसकी सभी सहेलियां कैसेट चला कर डान्स करनें लगी।अचानक ही लाईट चली गई।गर्मी के कारण सभी का बुरा हाल हो चुका था।उसकी मां बोली बाहर पेड़ की छाया में डान्स का आनन्द मनाओ।सभी की सभी सहेलियां बाहर आ गई‌। मीनू उन्हें अपने बगिया में ले गई।

उसने उस बगिया में एक सुन्दर वृक्ष लगाया था। उसमें उसने अपने हाथों  उस वृक्ष को राखी बांधी। वह अपनी सहेलियों की ओर देख कर बोली यह है मेरा भाई । मैंने तुम्हें बताया था कि वह चल नहीं सकता  और बोल नहीँ सकता।सारी सहेलियां हैरान हो कर उसे देख रही थी। इसके साथ मुझे खेलना और मस्ती करना अच्छा लगता है। वह भी मेरे साथ झूमता गाता है मिन्नी बोली।यहां पर हम संगीत बजाते हैं ।यहीं पर कैसेट चला कर संगीत का आनंद लेते हैं । पारूल बोली लाईट तो चली गई है। पूनम बोली यह म्यूजिक प्लेयर सैल से भी चलता है।  यहां संगीत का भरपूर आनन्द लेते हैं।  मेरी मां कहती है कि  यह जो पीपल का पेड़ है यह तुम्हारा भाई है।  मेरी मां जब से ब्याह कर यहां आई थीं वह तभी से इस पीपल के पेड़ को अपने घर का सदस्य मानती है। कहती है कि वह हमारे घर का सदस्य है। पेड हमारे  मित्र‌ हैं। हमें इनका सम्मान करना चाहिए। इसलिए हर रोज मैं भी यहां आकर पीपल की पूजा करती हूं और पानी  चढ़ाती हूं।यह सुन कर उनकी अध्यापिका जोर से हंस पड़ी।।ओ, अब समझ गई ये चल बोल नही सकता।उसने मुस्कुराते हुए मिन्नी को शाबाशी  दी और कहा सचमुच पेड हमारे लिए बहुत महत्व पूर्ण है सब को ऐसा जरूर करना चाहिए।मिन्नी बोली

मेरी मां आज बहुत सारे पौधे लेकर आई है।मिन्नी बोली हम  सब आज अपने हाथों से एक-एक पौधा लगाएंगे और इनकी हिफाजत भी करेंगें। सभी लड़कियों ने खुशी खुशी हामी भरी।।उसकी मां तभी हाथ में  एक-एक पौधा लेकर आई और मिन्नी की सहेलियों को बोली बेटा तुम भी अपने हाथों से मिन्नी के जन्मदिन पर एक-एक पौधा लगा दो। सब की  सब सखियाँ यह सुन कर बहुत ही खुश हुई। कक्षा  अध्यापिका भी बच्चों को बोली की बेटा इस नेक काम में वह  भी तुम्हारा साथ देंगी ।मैं भी तुम्हारे साथ एक पौधा लगाऊंगी ।।बीच-बीच में आकर तुम सब इसको पानी दे जाया करना। इसकी देखभाल करना जरूरी होता है ।हमें पेड़ों को काटना नहीं चाहिए।

मीनू ने पीपल के पेड़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस पेड़ पर बहुत सारे पक्षियों ने अपना घोंसला बनाया हुआ है ।यहां पर नेवले भी रहते हैं। मैं यहां पर गर्मियों में चारपाई लगा कर सो जाती हूं ।ठंडी ठंडी हवा के झोंके से और सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाट से मेरा मन बहुत ही खुश हो जाता है।

कुछ बच्चे आज मिनी और उसकी सहेलियों को मजा चखानें आ गए थे। वे छिप कर  सारी बातें सुन रहे थे।.वह एक बड़ी योजना बना कर आए थे हम  आज इनके वृक्ष को उखाड़ कर  ही दम लेंगें। वह यह सब  देख रहे थे कि कब जैसे यह सब सहेलियां यहां से अंदर जाए। हम  तब उसकी वाटिका को तहस-नहस कर देंगे ।हमें अपनें साथ  खिलाती भी नहीं है  वे सभी छुप-छुपकर पीपल के पेड़ के पीछे से उनको देख रहे थे।  वहां पर छोटी सी चारपाई लगी थी।। नीचे चटाई बिछाई थी।  डांस कर कर  के सभी लड़कियां थक गई थी। सभी  सखियाँ  विश्राम करने लगी। थोड़ी देर बाद वे सभी सुस्तानें लगी कुछ चारपाई पर सो गई और कुछ चटाई पर ।

लड़के तो इसी ताक में थे कि कब जैसे  सभी सखियाँ सो जाएं और मौका पा कर उनके पौधों को  वह नष्ट कर देंगे। उसके पेड़ को भी उखाड़ देंगे ।लड़कियों को भी नींद आ चुकी थी

सभी सो चुके तो लडके  चुपके से उन के  पास पहुंच   गए। तभी लड़कों ने देखा कि एक  सांप उन की ओर बढ़ रहा था।  सभी   एकदम डर के मारे   कांपनें लगे।. सांप को देख कर पेड पर बैठी चिडियों नें चहचहाना शुरु कर  दिया।उन की चहचहाहट सुन कर नेवले सतर्क हो गए कि आसपास कोई खतरा है।  नेवलों.के मुखिया ने  बाहर आ कर देखा कि एक जहरीला सांप  पेड के नीचे सोई लडकियों की तरफ आ रहा था।  अचानक वह उन  बच्घो की ओर बढ़ने लगा। नेवले ने पीपल के पेड़ के ऊपर से सब देखा। वह जल्दी से पेड़ पर से उतरा और सांप  के साथ  लड़ने लगा  ।

सांप के साथ काफी देर तक  जम कर लडाई की । नेवले ने आखिर में  सांप को मार डाला और उन लड़कियों को बचा दिया। लड़के  छिप छिप कर  यह सब माजरा देख रहे थे नेवले और सांप की लड़ाई को उन्होंने अपने मोबाइल में कैद कर लिया था।  उस नेवलें ने हमें आज नहीं बचाया होता तो आज हम सुरक्षित नहीं बच सकते थे ।आज कहीं जाकर हमें एहसास हुआ है कि हम कितने  गल्त  थे? हम यहां आए तो पेड़ों को काटने  थे मगर मिन्नी ने तो हमें सीख दे डाली। हम भी  आज से कसम खातें हैं  अपनें अपनें घरों में जा कर   एक एक पेड  पौधा अवश्य लगाएंगे जिससे हम स्वच्छ वातावरण मैं खुली सांस लेंगे ।

सभी बच्चों ने  आ कर  मिन्नी को जन्मदिन की बधाई दी  और बहुत  शर्मिन्दा हो कर  सब सच सच बता दिया.और संकल्प लिया कि वह कभी भी पेड़ों को  नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।हम भी अपने घर जा कर  हर एक दोस्तों को पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए  प्रोत्साहित  करेंगे।अपने घरों में एक एक पेड़ अवश्य लगाएंगे।

मिन्नी ने अपने सभी दोस्तों को कहा कि तुम्हें एहसास हो गया है कि हमें पेड़ों को काटना नहीं चाहिए ।यह हमारी रक्षा करते हैं और हमें खाने के लिए भी देते हैं और हमारी रक्षा भी करते हैं। सप्ताह में एक बार आकर वह उस पेड़ के नीचे खूब मस्ती करते थे ।अगले साल जब  राखी का त्यौहार आया तब सभी  सहेलियों ने उस वृक्ष को  राखी बांधी और एक नया पौधा लगाकर खुशी जाहिर की।