खेतों की मेड़ पर और नदी के किनारे था हर रोज उसका आना-जाना।गांव की गली गली के कूचे ही थे उसका आशियाना।।आज सुबह सुबह ही तो वह नदी के किनारे था आया।सुनहरी धूप और पानी की कल कल का उसने भरपूर आनन्द उठाया।।अपनी पूंछ को हिला हिला कर खुशी से था भर्माया।पक्षियों के अन्डों को… Continue reading भूल का परिणाम