“हे नारी!तुझे शत शत नमन”

सुसभ्य संस्कृति कि नव चेतना का आधार जननी

कर्मधात्री, पवित्रता स्वरुपिणी,

वात्सलयमयी,ममता का आधार जननी।।

सर्वस्व न्योछावर करने वाली,

तन मन धन समर्पित करनें वाली।।

अपनें हुनर से घर को साज संवारने में निपुणता लानें वाली।

अपनी सूझबूझ के दम पर परिवार पर जान छिड़कनें वाली ।।

त्याग,तप और सौम्यता कि मूर्ति बन

अपनें परिवार में एकता बनाए रखनें में सक्षम।

कड़ी को जोडनें में विश्वास रखनें वाली।

दया ममता और जान लुटाने वाली।।

बड़े बूढों और बूजूर्गो का सम्मान करनें वाली।

बच्चों पर स्नेह ममता और प्यार लुटाने वाली।

कमजोर को बल प्रदान करनें वाली ,

हर क्षेत्र में रानी झांसी कि तरह शक्तिशाली।।

  करुणा स्वरुप जननी को शत शत नमन।

दाम्पत्य जीवन में मधुरता का रस घोल ,

रिश्तों को और भी मधुर बनाने कि सामर्थ्य जुटानें में सक्षम

हे !नारी तुझे शत शत नमन।

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