चींटी है इस धरा की नन्हीं सी जीव।संघर्षों से भरी हुई है इस की नींव।।श्रम की साक्षात मूर्ति है कहलाती।मुश्किलों से झूझनें में कमाल है दिखलाती।।यह दिनों में मिलोंमिल है चलती।मकड़ी की तरह यह कभी नहीं है थकती।।कभी भी आराम नहीं है करती।झून्डों में है वास करती,तन्मयता से है संघर्ष करती।।अपनें पथ से कभी भी… Continue reading चींटी
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