नन्हा फ़रिश्ता

प्रकाश अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी । वह रात दिन खेतों में मेहनत करके अपनी पत्नी और बेटे भानु के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था । भानु 5 वर्ष का था। वह अपने पिता के साथ,गौशाला को साफ करना, खेतों में पशुओं को चारा खिलाना ,वह अपनें पिता को यह सब काम करते देखा करता था । उनकी छोटी सी गाय का नाम सुरभि था।।

गाय कि कभी पूंछ पकड़ता कभी सींग, गाय भी उसको बहुत प्यार किया करती थी। वह उसको कभी भी नहीं मारती थी । अपने माता पिता को गाय को चारा देते देखा करता था। फिर भी वह सब से चोरी छुप कर गौ को रोटी डालता ।

इस बात को चार पांच साल व्यतीत हो गए थे‌।कुछ समय से

वेद प्रकाश के स्वभाव में कुछ परिवर्तन आ गया था। वह बात बात पर अपनी पत्नी से लड़ने लग जाता था। कभी-कभी तो गौ पर भी लाठी से प्रहार करने लग जाता था। गौ नें भी दूध कम देना शुरू कर दिया था। प्रकाश को उसके ऊपर काफी क्रोध आने लगा था। घर में दूध पीने लायक भी नहीं है ।कई बार अपनी पत्नी को कहता कि इस गौ को बेच देते हैं। कुछ रुपये तो मिलेंगे।। एक दिन तो सुरभि बहुत ही बीमार हो गई ।पहले प्यार से सुरभि से पेश आता था।वह कभी भी पहले जैसा प्यार नहीं दिखाता था। उसके आगे घास चारा भी थोड़ा ही डालता था।उसकी पत्नी एक दिन अपनें पति से बोली आप यह अच्छा नहीं कर रहें हैं।अगर गौ दूध ज्यादा नहीं दे पा रही है तो इस में उस बेचारी का क्या कसूर।तुम तो इतनें निर्लज्ज कभी नहीं थे।इसे डाक्टर के पास क्यों नहीं ले जाते। सुरभि ने उन दोनों की बातें सुन ली थी।वह अपनी पत्नी से बोला मुझे कोई और जुगाड़ करना पड़ेगा।

उस दिन के बाद चुपचाप गौ गुमसुम सी एक कोने में पड़ी रहती थी । एक दिन उसने अपने मालिक और मालकिन की बातों को सुना मालिक अपनी पत्नी से कह रहे थे भाग्यवान देखो आज मैं एक बकरी लेकर आया हूं। बकरी का दूध गौ के दूध से कहीं अच्छा होता है ।इससे बीमारियां भी नहीं लगती ।भानु अभी छोटा है कुछ दिनों बाद उसे भी बकरी का दूध अच्छा लगने लग जाएगा। उस गाय को अब अपनें घर में नहीं रखेंगे ।कल जब इसे मैं डॉक्टर के पास ले गया था तो उसने कहा कि अब वह कभी दूध नहीं देगी। ऐसी गौ को घर में रखने से क्या काम? जो दूध ही ना दे। पत्नी कुछ नहीं बोली वह बोली जैसा आप उचित समझें वैसा करें ।सुरभि नें यह बात सुन ली थी ।उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी।

मेरे मालिक भी अब मुझे प्यार नहीं करते। वह औरों की तरह ही स्वार्थी निकले ।मैंने तो ना जाने इस घर में आ के क्या-क्या कल्पना की थी। । मैं इनके घर में आकर बहुत खुश हो गई थी। अपनें मालिक को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगी। आज तो यह एक बकरी को लेकर आ गए। वह अपने मन में सोचने लगी जब जीव या प्राणी बूढा हो जाता जाता है तो उसकी कोई भी कदर नहीं होती। बकरी, सुरभि की ओर देख देख कर मैं मैं कर रही थी। बकरी को भी आए हुए काफी दिन हो गए थे ।घर में बकरी का दूध इस्तेमाल होने लगा।

दिन के समय एक दिन प्रकाश सुरभि को बहुत दूर जंगल में छोड़ कर आ गया ।जहां से वह घर वापस ना लौट सके।गौ को पहले से ही पता था कि क्या होने जा रहा है? वह अंदर ही अंदर गुमसुम चुप्पी साधे थी। जब भानु स्कूल से घर आया तो सुरभि को ना कर पाकर बहुत रोया।वह अपनी मां को बोला मेरी सुरभि को वापस लाओ।काफी दिन तक स्कूल भी नहीं गया। प्रकाश बोला धीरे धीरे वह भूल जाएगा।सपनें में भी की बार सुरभि को पुकारता।मां का पल्लू पकड़ कर पूछता हमारे सुरभि कंहा चली गई? उसकी मां बोली पता नहीं बेटा कहां चली गई ?उसने भानु को कुछ भी नहीं बताया। बकरी को भी वह बहुत प्यार करता था।कुछ बड़ा हो चुका था। उसमें बकरी को नाम दिया था भूरी। भूरे रंग की थी। वह उसके सिर पर हाथ फेरा करता। उसे प्यार करता स्कूल से आते ही उस के साथ खेला करता। वह सुरभि की याद को दिल से भुला न पाया था। रात को भी सोते सोते सोते मां को कहता कि मां सुरभि भूखी होगी। वह उसकी याद में दुबला पतला हो गया था।

एक दिन जब उसकी मालकिन भूरी को जंगल में चराने ले गई तो भूरी की नजर सुरभि पर पड़ गई थी।सुरभि सूख कर कांटा हो गई थी। शाम को जब भूरी घर आई तो वह बहुत ही उदास थी। उसे पता चल चुका था कि उसके स्वामी ने सुरभि को बाहर फेंक दिया था ।भूरी अपने मन में सोचने लगी कि कल उसकी भी ऐसी ही हालत होगी ।जब उसके पास भी दूध नहीं होगा तो वह उसे भी जंगल में छोड़ कर आ जाएंगे ।वह किसी से कुछ भी नहीं कर सकती थी ।मन ही मन बहुत ही दुखी थी। वह सोच रही थी वह यहां से भाग जाएगी।

एक दिन वह चुपके से शाम के वक्त जब सभी अपने अपने कामों में व्यस्त थे वह सुरभि से मिलने जानें लगी। सुरभि को पुकारते पुकारते उसी जंगल में पहुंच गई और वहां पहुंच कर उसने सुरभि को देखा ,वह सुरभि से बोली बहन यह क्या हालत बना ली है? सुरभि बोली कि बहन इंसान जाति पर कभी भी भरोसा नहीं करना। उसके मालिक ने जब वह दूध देने लायक ना रही तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।मुझे तो भानु की बड़ी याद आती है ।मैं उससे मिलने के लिए तड़प रही हूं ।भूरी बोली कि तू चिंता मत कर। एक दिन मैं तुझसे उसे अवश्य मिलाने लेकर आऊंगी। सुरभि बोली अब तो शायद मेरा आखरी वक्त आ गया है ।मुझे इतने दिन हो गए घास भी नहीं खाया है।

शाम को जब सब भूरी को ढूंढने लगे तब भानु दौड़ा दौड़ा आया और भूरी से लिपट कर बोला कहीं तुम भी तो मुझे छोड़ कर नहीं जाओगी, जैसे ही भूरी गौ शाला में आई तो प्रकाश उस पर बहुत जोर से चिल्ला पड़ा और कहा तुम कहां चली गई थी?भानु उसे प्यार करते बोला तुम मुझे छोड़कर मत जाना। मेरी सुरभि भी मुझे छोड़ कर ना जाने कहां चले गई। पता नहीं वह अब जीवित भी होगी या नहीं।

गौ शाला में चुपचाप जा कर बैठ गई। जब भानु उसके पास आया तो उसे भूरी का उदास चेहरा दिखाई दिया जिसमें कोई गहरा राज छिपा था। उसने रोज की तरह उसे रोटी खिलानी चाही तो वह रोटी भूरी नें नहीं खाई। उसको ना खाता देखकर भानु बोला आज मैं भी खाना नहीं खाऊंगा। पता नहीं आज भूरी क्यों खाना नहीं खा रही है? मां क्या आप नें उसे डांटा था या पापा नें। भूरी उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई।

भानु 7 साल का हो चुका था। उसकी अध्यापिका आज जीवों के बारे में सभी बच्चों को बता रही थी। अध्यापिका बच्चों को बोली की सभी जीव जन्तु प्राणी इन्सानों की तरह प्यार की भाषा समझतें है ।लेकिन वे मूक प्राणी मुख से बोल नहीं पातें हैं। इशारों को समझतें हैं। प्यार करोगे तो प्यार से आप की हथेली को चाटेंगें। भानु सब कुछ समझ चुका था।उस को समझ आ चुका था। वह भूरी को और भी ज्यादा प्यार करने लगा ।कभी-कभी वह भगवान के पास हाथ जोड़कर कहता कि हमारी सुरभी ना जाने कहां चली गई है ?वह वापस आ जाए। उसकी मां बोली बेटा अब वह कहां से आएगी ?जंगल में तो अब तक उसे शेर जैसे भयानक जानवर खा चुके होंगे।

मां मेरी सुरभि को पापा नें जंगल मेंछोड़ा है ।मुझे आभास हो गया है अध्यापिका कहती हैं कि जो पशु दूध नहीं देते तो कोई कोई मालिक पशुओं को बाहर फेंक देते हैं । भानु अपनें माता पिता पर नजर रखनें लगा।भानु ने दिन के समय चुपचाप जंगल की तरफ जाते भूरी को देखा उसके पास लिफाफा था ।उसमें रोटियां देखकर हैरान चुप चाप भूरी के पीछे पीछे चलनें लगा। रोटी लेकर कहां जा रही है? जंगल में अकेली थी ।एक घने जंगल के बीच झाड़ियों के पीछे भानु छिप गया। भूरी नें जोर जोर से मैं मैं करना शुरु किया।उसने रोटियां नीचे डाल दी।सुरभि बेहोश पड़ी थी।मैं मैं का शोर सुन भानु झाड़ी से निकला सुरभि को जमीन पे बेहोश देख कर जोर जोर से रोने लगा।उठो ,देखो तेरा दोस्त मुझे लेनें आया है।वह जोर जोर से उसे झिंझोड़ते हुए बोला तुझे आज घर से गए हुए एक महीना हो गया।जल्दी उठ कर मुझे से खेलो।वह गौ के मुंह में रोटी डालते हुए बोला अगर आज तू नहीं उठी तो इस पत्थर पर पटक कर मैं भी मर जाऊंगा।घर जाऊंगा तो तेरे साथ।बकरी की आंखों में आंसू थे।भानु का गला जोर जोर से रो कर बैठ गया था।प्रकृति भी उस बच्चे की प्यार भरी भावना से आहत थी।पतों पर भी गिरी गिली पानी की बूंदों से वह अपनी गौ को पानी पिला रहा था।भगवान को भी उस बच्चे पर दया आई।गौ नें अपनी आंखें खोली।भानु को देख कर उसे प्यार से पुचकारा मानों वह कितनें दिनों से उसका इन्तज़ार कर रही हो।उसने भानु के हाथों से एक टुकड़ा खाया और फिर बेहोश हो गई। सड़क के पास ही उसने एक ट्रक वाले को सामनें से जाते देखा।वह जोर से चिल्लाया अंकल भगवान के लिए ट्रक रोको।ट्रक वाला दयावान व्यक्ति था।उसने जब गौ कि हालत देखी तो अपने आप को रोक नहीं पाया बोला।लोग इतना भी गिर सकतें हैं आज मैनैं अपनी आंखों से इस गौ माता कि हालत देख कर जाना।

ट्रक वाले को बोला मेरी सुरभि आज मुझे मिल गई आज मैं आप को मालामाल कर दूंगा।आप को फीस जरूर दूंगा आप मेरी गौ को अस्पताल ले कर चलो।फीस की चिन्ता मत करना।ट्रक ड्राइवर बोला हो न हो तुम्हारे घर वाले इसे जंगल में छोड़ गए होंगें उसने जब दूध नहीं दिया होगा।भानु बोला नहीं मेरे मातापिता कभी भी ऐसा काम नहीं कर सकते।मैं जब उन्हें बताऊंगा कि हमारी सुरभि घर वापिस आ गई है तो वे बहुत खुश होंगें।

ट्रक वाला बोला अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर क्या करोगे वह बोला अगर यह बात सच्ची नहीं होगी तो इस गाय को आप ले ले जाना।मैं इस गाय को ठीक देखना चाहता हूं। बड़ा हो कर जब मैं कमानें लग जाऊंगा तब इस गौ को आप से ले जाऊंगा।अंकल आप तो सचमुच में आज भगवान के फरिश्ते बन कर आए हैं।समय व्यतीत नहीं करना चाहिए।जल्दी से गौ को अस्पताल पहुंचाया।डाक्टर बोला फीस भी लाए हो या नहीं।भानु बोला आप विश्वास रखिए आप की फीस मैं दे दूंगा।डाक्टर बोला मैं तुम पर कैसे विश्वास करु।भानु ने कहा अभी तो आप मेरी ये चेन रख लो।डाक्टर उस छोटे से बच्चे से बहुत ही प्रभावित हुआ।वह भानु से बोला जरा दिखाओ ये चेन असली है या नकली।डाक्टर नें देखा उस में एक लौकेट था।उस फोटो को देख कर बहुत खुश हो कर बोला जल्दी से गाय को इनजैकश्न लगाता हूं।डाक्टर बोला इस चेन में ये कौन है? भानु बोला ये मेरी मां की तस्वीर है। साथ में मेरे मामु हैं। मां नें बताया था।डाक्टर भी उस के साथ घर आ गए थे।

अपनें पिता के पास आ कर बोला पापा हमारी सुरभि कहीं नहीं गईं थीं।वह आज मुझे मिल गई है।उसके पिता उस पर चिल्लाते हुए बोले तुम्हें शर्म नहीं आई जंगल की ओर जाते हुए उसे मैं जंगल में छोड़ कर आ गया था।वह मर ही जाती तो अच्छा था।दूध ही नहीं देती थी तब उसे घर में रखनें से क्या लाभ?भानु अपनें पिता की बात सुन कर रो दिया।भानु बोला आप मेरे पिता नहीं हो सकते।भानु नें देखा भूरी की आंखों में भी आंसू थे।वह भूरी की ओर देख कर बोला तू मत रो।मैं तेरा इन्तजार करूंगा। भानू बोला पापा जब मां बूढ़ी हो जाएंगी तब आप उन्हें अनाथालय भेज देंगें।मैं आप को बूढ़ा होनें पर अनाथालय छोड़ दूंगा।आप भी किसी काम के नहीं रहेंगे। डाक्टर अपने भांजे कि बातें सुन कर हक्का बक्का रह गया था।उसने भी तो अपनी प्यारी बहना को घर छोड़ने को विवश कर दिया था।गाय को बचानें के चक्कर में अपने भांजे से उसकी चेन रख ली थी।

हम कितने स्वार्थी हो जातें हैं मूक प्राणियों कि भाषा समझ ही नहीं सकते।भानु दौड़ा दौड़ा सुरभि के पास आया बोला आज मैं तुम्हें ऐसे इन्सान को सौंपनें जा रहा हूं जो तुम्हारे प्यार की कद्र करेगा। तुम्हें खुश रखेगा।मैं जब बड़ा हो कर कमानें लग जाऊंगा तो तुम्हारी जैसी अनेक गौवों के संरक्षण की संस्था खोलूंगा, ताकि कोई भी व्यक्ति गौ को जंगल में या राह में भटकने न के लिए न छोड़ दें।भानु नें देखा ट्रक ड्राइवर भानु कि तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।भानू बोला आप जीत गए हैं ,मैं आज हार गया।आज से सुरभि आप की हुई।वह रोते रोते सुरभि से बोला तू निराश न होना कभी कभी तुझ से मिलनें आ जाया करुंगा।

भानु के पिता बोले बेटा मुझे मौफ कर दे ।आज तूनें मेरी आंखें खोल दी हैं। मेरी आंखों पर अंधकार की परत पड़ी थी।मैं भटक गया था आज मैं सच्चाई जान गया।भानु बोला पापा अब काफी देर हो चुकी है मैनें किसी से वायदा किया था वह निभाने का समय आ गया है।भानु नें गौ को दीनदयाल को सौंप दिया।डाक्टर नें भी अपनी बहन से क्षमा मांगी और कहा बहन मुझे मौफ कर दे।सुमन तो अपनें भाई को मौफ कर चुकी थी।सभी की आंखों में ख़ुशी के आंसू थे। भाई नें अपनी बहन को कहा कि गाय रूपी तोहफा तुम्हें इस लिए सौंप कर जा रहा हूं क्यों कि इस में भानु की जान बसती है।आप सभी को अपनी गल्ती का एहसास हो गया होगा। इस नन्हें से बालक नें हमें सीख दी है।भानु की आंखों में ख़ुशी के आंसू थे उसकी सुरभि और भूरी उस से कभी जुदा नहीं होंगी। आज उसे कई दिनों बाद गहरी नींद आई थी।

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