स्वच्छता का संकल्प

मेरे प्यारे बच्चों तुम इधर तो आओ। आने में तुम यूं ना देर लगाओ। नाना-नानी चाचा-चाची ताया ताई, सभी को बुलाओ सभी को बुलाओ। आने में यूं ना तुम देर लगाओ। अपनें वातावरण को साफ रखनें का तुम्हे देते हैं आज यह मूल मंत्र। यही है तुम्हारे जीवन का तंत्र। इसको तुम सभी अपने जीवन… Continue reading स्वच्छता का संकल्प

पेड़ (वृक्ष)

पेड़ हमारे जीवन दाता। हमारा इनसे सदियों का नाता। यह है हमारे जीवन का आधार। इनके बिना जिंदगी है निराधार। पेड़ है धरती की जान। इसकी हिफाजत करना है हमारी शान। पेड़ों को काटना है पाप। नहीं तो जिंदगी भर भुगतना पड़ेगा श्राप। पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ।पेड़ लगा कर इस पावन धरा को और भी… Continue reading पेड़ (वृक्ष)

बचपन की यादें

हरी हरी वादियों से मैं यूं ही चला जा रहा था।चला जा रहा था। झूमते गाते, झूमते गाते, यूं ही चला  जा रहा था। मुंह में बस यही एक  धुन गुनगुनाता जा रहा था। गुनगुनाता जा रहा था। हरी हरी वादियों से, मैं यूं ही चला जा रहा था। हरीहरी वादियों से, मैं यूं ही… Continue reading बचपन की यादें

आओ हम सब मिलकर एक हों जांए

आओ हम सब मिलकर एक आवाज़ उठाएं। भारत को तरक्की के शिखर तक पहुंचाकर अपने देश की शान बढ़ाएं। एकता को अपना  जगतगुरु बना कर दुनिया को शिखरों तक पहुंचाएं। मिलजुल कर काम करने का जज्बा सबके दिलों में पहुंचाएं। आओ हम सब मिलकर एक आवाज़ उठाएं। इस पावन धरा को और भी खूबसूरत बनाएं।… Continue reading आओ हम सब मिलकर एक हों जांए

लंच बाक्स

जल्दी से वर्दी पहनाकर स्कूल को करो तैयार। लंच बॉक्स में देरी ना करो झटपट करो तैयार। रोज-रोज रख देती हो मक्की की रोटी और साग। जिस को खा कर अब मेरा दिल नहीं होता है बाग बाग। मीनू अब मैंने छांट डाला। किचन के द्वार पर लिख टांगा। सोमवार को आलू खिचड़ी। संग रोटी… Continue reading लंच बाक्स

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कब क्यूं और कैसे

तीन दोस्त थे अंकित अरुण और आरभ। तीनों साथ-साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वह तीनों 12वीं की परीक्षा के बाद पढ़ाई भी कर रहे थे। और नौकरी ढूंढने का प्रयास भी कर रहे थे। उनके माता पिता चाहते थे कि वे नौकरी करके हमारा भी सहारा बने। अंकित अरुण और आरभ तीनों मध्यम वर्गीय… Continue reading कब क्यूं और कैसे

एकता में बल होता है

एक छोटे से गांव में एक वृद्ध दंपति रहते थे। उनके दो बेटे थे। हनी मोटू था। बनी पतला था। हनी सारा दिन खा खा कर अपना पेट भरता था। घर का कोई भी काम नहीं करता था। वह हर काम के लिए अपने छोटे भाई बनी पर, हुक्म चलाया करता था। उसके मां बाप… Continue reading एकता में बल होता है

दक्षिणा

पीहू एक छोटी सी बस्ती में रहती थी उसकी मां उसे अच्छी शिक्षा नहीं दिलवा सकती थी वह इधर उधर घरों घरों में जाकर बर्तन साफ कर और झाड़ू पोछा लगा कर अपनी आजीविका चलारही थी। पीहू तो मौज मस्ती में सपने देखने में अपना समय व्यतीत कर रही थी वह हर रोज नए नए… Continue reading दक्षिणा

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चिड़िया

पेड़ों पर चहचहाती चिड़ियां। शाखाओं पर मंडराती चिड़िया।। अपनी चहचाहट से सबके मन को लुभाती चिड़िया। एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर अटखेलियां  करती चिड़िया।। अपने मधुर संगीत से सबके मन को हर्षाती चिड़िया एक डाल से दूसरी डाल तक की यूं फुदकती जाती चिड़िया।।   सुबह से दोपहर तक एक पंक्ति में इकट्ठे होकर… Continue reading चिड़िया

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सूरज

सूरज की किरणों से जगमगाता है घर का हर कोना। तन को  ताजगी प्रदान करता है इसका रुप सिलौना। खेतों में हरियाली लाता है सूरज। अपनी हरियाली से चारों ओर खुशियां ही खुशियां लाता है सूरज। सुनहरी धूप से पौधों में जान डाल  देता है सूरज। नन्हे पौधों को विकसित करके।। पूर्व से निकलता है… Continue reading सूरज