बहू

बहू को बेटी की नजर से देखो अरे दुनिया वालो।   बहू में अपनी बेटी को तलाशों दुनिया वालों।। बेटी और बहू में फर्क मत करना। जग में अपनी जग हंसाई मत करना।। जितना प्यार अपनी बेटी को करते हो।   उससे भी वही प्यार करना दोस्तों।। उसको भी वही दुलार देने की कोशिश करना… Continue reading बहू

उठो धरा के अमर सपूतों

उठो धरा के अमर सपूतों। जग में अपना नाम करो, नाम करो।।   तन मन धन से एकजुट होकर मिलजुल कर काम करो, काम करो।।   सच्चाई के पथ पर चलकर, अपना और अपने जग का नाम करो, नाम करो।। हिम्मत और अपनें हौसलों को बुलन्द कर पराजय को स्वीकार करो, स्वीकार करो। हार कर… Continue reading उठो धरा के अमर सपूतों

अनमोल

काशीनाथ आज बहुत खुश थे, इसलिए खुश नजर आ रहे थे क्योंकि आज उनका बेटा स्कूल में प्रथम आया था।कहीं ना कहीं उस की तरक्की  में उनका भी बड़ा योगदान है था काशीनाथ एक छोटे से फ्लैट में रहते थे। वह फ्लैट उन्होंने अपनी पाई-पाई जमा करके जोड़ा था। घर के बाहर छोटा सा लौन… Continue reading अनमोल

15( अगस्त) स्वतन्त्रता दिवस कविता

“ 15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर पर अतीत और भविष्य का प्रतीकात्मक मिलन हुआ। धरती मां की बलिवेदी पर शहीद होनें  वालों  हर एक भारतीय का सपना साकार हुआ।भारत की स्वतंत्रता का नवप्रभात और नव युग का तभी से प्रारंभ हुआ। वहीं से एक स्वतंत्र भारत का जन्म हुआ।” 15अगस्त को  हर… Continue reading 15( अगस्त) स्वतन्त्रता दिवस कविता

राजू और उसकी दोस्त चिड़िया

राजू के घर के पास एक छोटा सा घोंसला था उस पर गाने वाली चिड़िया रहती थी। वह चिड़िया इतना मीठा गाना सुनाती कि राजू चिड़िया की मधुर गुंजन से भावविभोर होकर घोंसले के पास स्कूल से आकर घंटों बैठा रहता। वह चिड़िया भी उसे बेहद प्यार करती थी जब तक वह उसे दाना नहीं… Continue reading राजू और उसकी दोस्त चिड़िया

सावन की फुहार

सावन आया, सावन आया। अपने साथ ढेर सारी खुशियां लाया। वर्षा की बूंदों से सावन में, चारों और खुशी का वातावरण लहराया।। कोयल की मधुर गुंजन हर जगह छाई हर जगह पक्षियों की चहचहाहट दी सुनाई। हर नारी नें अपनी कलाई में चूड़ियाँ और हाथों में मेहंदी रचाई। सावन की झलक सभी के चेहरों पर… Continue reading सावन की फुहार

मासूम भाग(2)

समृति को डॉक्टर ने बताया कि वह बेहोशी में भी बघिरा बघिरा पुकार रहा था। लगता है बघिरा का इन से कोई खास लगाव है। स्मृति के मानस पटल पर सारी घटना चलचित्र की भांति खीची चली बघिरा के कारण ही यह सब कुछ हुआ। बघिरा को दोषी ठहराते हुए उसको भला बुरा कहने लगी।… Continue reading मासूम भाग(2)

मासूम

शेरभ अपने मम्मी पापा के साथ शिमला की वादियों में घूमने गया था। वह केवल 10 साल का मासूम सा, प्यारा सा बच्चा था। बड़ी बड़ी आंखें, गोल मटोल, भोला-भाला चेहरा, अपने माता-पिता का हाथ थामे कुफरी की बर्फीली वादियों का लुत्फ उठा रहा था। वह गर्म इलाके का रहने वाला था। ठंडी ठंडी हवा… Continue reading मासूम

कोई अपना सा

गाजियाबाद जाने वाली ट्रेन 2 घंटे लेट थी प्लेटफार्म पर लोगों की बहुत ही भीड़ थी। यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान तक इधर उधर ट्रेन पकड़ने के लिए दौड़ रहे थे। एक बच्चा दौड़ता दौड़ता आया बोला आंटी अंकल मुझे बचा लो। उस बच्चे की दर्द भरी पुकार सुनकर आकाश की पत्नी ने उनकी… Continue reading कोई अपना सा

वर्षा आई वर्षा आई

वर्षा आई वर्षा आई। बच्चों के मन को खूब भाई।। काम छोड़कर सारे भागे। मुस्कान लिए अधरों पर, बच्चे भागे।। आसपास पास के बच्चों की टोली भी आई। वर्षा आई वर्षा आई सभी के मन को खूब भाई।। रेल बनाकर दौड़े आए। झूला झूलने सारे आए। बच्चों ने सावन के गीत बनाए। गा गा कर… Continue reading वर्षा आई वर्षा आई