हेम शरन के परिवार में उसकी पत्नी और उसकी एक बेटा बेटी थे। हेमशरन इतना अमीर नहीं था गांव में उसकी थोड़ी बहुत जमीन थी। जिस में वह खेती-बाड़ी करता था। उसकी बेटी नौ साल की थी और बेटा बीनू से चार साल बड़ा था। उसका भाई आठवी कक्षा में था। हेमशरन अपनी पत्नी… Continue reading नई दिशा भाग (2)
Category: Stories
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नई उमंग
स्कूल में बच्चे मैडम भारती के आने का इंतजार कर रहे थे। बच्चों को अपनी मैडम भारती बहुत ही अच्छी लगती थी। वह उन्हें बहुत ही प्यार से पढ़ाती थी। हर बच्चे को खेल खेल में पढ़ाना उसका शौक था। इसी कारण उसकी कक्षा में बच्चे पाठ को बड़े ध्यान से सुनते थे ।उसकी कक्षा… Continue reading नई उमंग
खेलों के साथ साथ शिक्षा का महत्व
संघर्ष करना है जरुरी
एक पेड़ पर कौवा, और एक कौवी का जोड़ा था रहता। एक डाल से दूसरे डाल तक दाना चुनता रहता।। कौवा था बहुत अभिमानी। काम करते वक्त उसे याद आ जाती थी नानी।। एक डाल से दूसरे डाल तक ही दाना लाने जाता। थोड़ा सा दाना लाकर मस्त होकर सो जाता।। कौवा हमेशा अपनें… Continue reading संघर्ष करना है जरुरी
तीन परियां
एक बुढ़िया थी उसके एक ही बेटा था। उसने अपने बेटे को बताया था कि उसके पिता एक साहूकार थे। उन्होंने ना जाने किसी लड़की के चक्कर में पड़कर दूसरे शहर में जा कर उस लड़की के साथ शादी कर ली थी। उसके पिता शहर के मशहूर साहूकारों में से एक थे पर वे अपना… Continue reading तीन परियां
शिक्षा के साथ साथ खेलों का महत्व
एक स्वस्थ दिमाग में स्वस्थ शरीर है रहता। यह हमारे मस्तिष्क को सेहतमंद है करता।। मनुष्य को जो पाठ शिक्षा नहीं दे पाती। वह शिक्षा बच्चों को खेल का मैदान है सिखलाती।। खेल शारीरिक विकास की है धुरी।। शिक्षा चिंतन मनन से है होती पूरी।। पढ़ने के साथ जो छात्र खेलों में हैं भाग लेते।… Continue reading शिक्षा के साथ साथ खेलों का महत्व
चीनू का नन्हा दोस्त
बहुत समय पहले की बात है कि एक गांव में चीनू अपने माता पिता के साथ रहा करती थी उसका स्कूल गांव से बहुत दूर पड़ता था। उसको पैदल ही स्कूल जाना पड़ता था। हर रोज़ दो-तीन किलोमीटर पैदल जाती थी। हर रोज जब स्कूल जाती अपनी सहेली के साथ जाती। उसकी सहेली मीनू का… Continue reading चीनू का नन्हा दोस्त
दूसरा जन्म
किसी गांव में एक औरत रहती थी।उसका नाम था जमुना। वह बहुत ही नेक इंसान औरत थी। कोई भी उसके घर में आता था उसको भी बिना खिलाए घर से जाने नहीं देती थी। मेहमानों का सत्कार इतने अच्छे ढंग से करती उसे अगर खाने को ना भी मिले तो वह भूखे पेट ही सो… Continue reading दूसरा जन्म
एक मासूम कली
मां मैं हूं तुम्हारी कोख में पल रही कली प्यारी। जिसको जन्म ना देने की तुमने कर दी तैयारी।। तुम इन दुनिया वालों से क्यों डर गई। तुम इतनी भी बेरुख सी क्यों हो गई।। अपनें गर्भ में ही मुझे क्यों मार देना चाहती हो। मुझे मार कर क्या हासिल करना चाहती हो।। दुनिया वालों… Continue reading एक मासूम कली
दिव्यांग
लखू बचपन से ही एक अपंग हीन बालक पैदा हुआ था। उसकी दोनों टांगे बचपन से ही टेढ़ी थी। उसे समझ भी और बच्चों की अपेक्षा कम ही आता था। माता-पिता ने उसका किसी न किसी तरह उसका ऑपरेशन करवा दिया था। वह चलने लग गया परंतु बुद्धि से वह बहुत ही नासमझ था। जब… Continue reading दिव्यांग