पिन्कु और जादू की परियां

एक बच्चा था उसका नाम था पिंकू। वह बहुत ही होनहार लड़का था वह हर काम को बहुत होशियारी से किया करता था। एक दिन जब वह स्कूल से आ रहा था तो उसे एक जूता दिखाई दिया। वह इतना चमचम कर रहा था वैसे वह उस जूते को देखकर मोहित हो गया। उसने वह जूता उठा लिया। जूते को उठा कर घर ले आया। उसको उलट पलट कर देखने लगा। उसी समय उसकी मम्मी अंदर आ गई बोली बेटा तुम बार-बार अपने बैग में क्या ढूंढ रहे हो।? पिंकू बोला नहीं मां, मैं बैग में कुछ नहीं ढूंढ रहा। उसने वह जूता बैग में रख दिया। दूसरे दिन जब वह स्कूल से घर आ रहा था तो उसे तीन परियां दिखाई दी। उन्होंने उस बच्चे को आवाज लगाई पिंकू। उसने देखा कि मुझे कौन आवाज़ लगा रहा है।? तीन परियां उसके पास आकर बोली बेटा । हमारी बात ध्यान से सुनो। हमारा जूता नीचे गिर गया था। वह तुमने उठाकर अपने बैग में रख लिया था। कृपया बेटा हमारा जूता हमें दे दो। यह जूता तुम्हारे किस काम का। हम नीचे नहीं आ सकती। अगर हम पृथ्वी पर पांव रखेंगी तो हम जलकर भस्म हो जाएंगी। एक साधू बाबा ने हमे शाप दिया था। वह बोला मुझे तुम्हारा जूता बहुत अच्छा लगा। इस में सितारे लगें हैं। मैं इस के कपड़े की गेंद बनाऊंगा। तीनों परियां उसके आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो गंई और बोली बेटा वह जूता तुम्हारे किस काम का। हम तुम्हें दूसरा जादू का जूता दे देंगी। पर इस जूते को हमें दे दो इसके बदले में हम तुमको एक जादू का बाजा देते हैं। यह जादू का बाजा तुम्हारे बहुत ही काम आएगा पहले तुम इस जादू के बाजे को आजमा कर देख लो। तुम्हें समझ आ जाएगी।

उन्होंने पिन्कु को जादू का बाजा दे दिया। बाजा पा कर पिन्कु बहुत खुश हुआ। उसनें वह जूता छिपा कर रख दिया। जब यह बाजा मेरे काम का होगा तब मैं उन परियों का जूता वापिस कर दूंगा। वह जादू के बाजे को बजाता बजाता घर से बाहर निकल गया। जब वह बाजा बजाता उसके इर्दगिर्द बहुत सारे लोग इकट्ठे हो जाते। एक दिन पिन्कु को कुछ चोरों ने देख लिया। उसका चोर अपहरण करके ले जा रहे थे। वे उसे एक गाड़ी में बिठाने ही लगे थे कि उसे पता चल चुका था कि वह उसका अपहरण करने आए थे। उसने जोर जोर से बाजा बजाना शुरु कर दिया। उसके बाजे की आवाज सुन कर बहुत सारे लोग उसके इर्दगिर्द इकट्ठे हो गए। पिन्कु बोला एक आदमी से बोला अंकल ये चोर मुझे अपहरण कर के ले जा रहे थे। मुझे इनसे छुड़वाओ। पिंकू ने बहुत सारे आदमियों को अपनी ओर आते देखा जैसे उन अपहरणकर्ताओं ने आदमियों को उसकी ओर आते देखा वह अपनी गाड़ी को भगा ले गए। पिन्कु सुरक्षित बच गया था। वह सोचने लगा कि इन परियों ने मुझे सचमुच में ही जादू का बाजा दिया है। वह दौड़ा दौड़ा परियों के पास गया और कहा कि वाह तुमने तो मुझे बहुत ही अच्छा जादू का बाजा दिया है। मैं तुम्हारा जूता तुम्हें वापस करता हूं। आप सच्ची और नेक इंसान हैं। दोनों परियां बोली बेटा आज मैं तुम्हें एक जादू की पेंसिल देती हूं। इस पैंन्सिल ं से जो कुछ भी तुम लिखोगे वह सच्ची घटना होगी। जो तुम्हें आने वाली घटनाओं को पहले ही बता देगी। बेटा हमने तुम्हारी ईमानदारी से प्रसन्न होकर तुम्हें यह दोनों वस्तुएं दी है। यह दोनों वस्तुएं सिर्फ ईमानदार लोगों का ही साथ देती है। वह जादू की पेंसिल पाकर खुश हो गया।

जादू का बाजा और पेंसिल वह हमेशा अपने बैग में रखता था। वह रास्ते में बैठकर ड्राइंग करता था।

वह रास्ते में बैठकर ड्राइंग बना रहा था। अचानक उसकी पैंन्सिल नें लिखना शुरु कर दिया अभी चोर आने वाले हैं। वह तुम्हारा बाजा चुराने आ रहे हैं। परंतु कोई बात नहीं वह चोर है। वह बाजा उनके किसी काम नहीं आएगा। थोड़ी देर बाद पिंकू ने देखा कि तीन चोर जो उस का अपहरण करके ले जा रहे थे वही उसके सामने आकर खड़े हो गए। वह बोले बेटा आज तुम हम से बच नहीं सकते। उस दिन तो तुमने बाजा बजा कर सबको इकट्ठा कर लिया था। आज तो हम तुम्हें पकड़कर ले ही जाएंगे। वह बोला यह बाजा जादू का है। मैं तुम्हें यह बाजा दे देता हूं। वह चोर बोले हम तुम्हारा बाजा-बजाकर देखना चाहते हैं। वह बोला अगर तुम्हें यह बाजा बजा कर देखना है तो एक शर्त पर। तुम यह बाजा बजा सकते हो। अगर आसपास कोई लोग तुम्हारा बाजा सुन कर नहीं आए तो तुम इस बाजे को मुझे वापस कर दोगे। चोरों ने कहा हमें तुम्हारी शर्त मंजूर है। पिंकू नें वह बाजा उन्हें दे दिया। तभी उसकी पेंसिल कुछ लिखने लगी। पेंसिल नें लिखा कि यह चोर अभी पकड़े जाएंगे। इन को पुलिस पकड़ कर ले जाएगी।।

पिंकू ने कहा जल्दी से यहां से चले जाओ वर्ना पुलिस तुम्हें पकड़ कर ले जाएगी। चोर बोले तुम्हें कैसे पता है।? पिन्कु बोला मेरे जादू की पेंसिल नें मुझे बताया है। चोरों नें उस बाजे को बजाया कोई भी नहीं आया। उन्होंने बाजा पिंकू को वापस कर दिया। एक आदमी ने उसके सिर पर बंदूक तान कर कहा यह जादू की पेंसिल हमें दे दो नहीं तो तुम मारे जाओगे। उन चोरों ने उससे जादू की पेंसिल छीन ली। पिंकू ने बाजा बजाया लोग इकट्ठे हो गए। उनमें से दो पुलिस अफसर भी थे। पिंकू ने कहा पुलिस बाबू इन चोरों ने मेरी पेंसिल मुझसे छीन ली है यह पेंसिल कोई मामूली पैंन्सिल नहीं है। जादू की पैंन्सिल है। इन चोरों से यह पेंसिल मुझे दिला दो। पुलिसवालों ने कहा कि यह कैसे अपना जादू दिखाती है? पहले हमें जादू दिखाओ। पिंकू बोला यह जादू की पेंसिल आगे आने वाली भविष्यवाणी कर देती है।

पुलिस इन्सपैक्टर ने चोरों को पकड़ लिया। चोंरोंं से बाजा पिंकू ने प्राप्त कर लिया था। तभी उनकी पेंसिल कुछ लिखनें लगी। पैंन्सिल ने लिखा कि इन पुलिस वालों के घर के सदस्यों की जान खतरे में है। जल्दी से घर पहुंच कर उन्हें बचा लो। उनके घर में उन चोरों के साथियों नें पुलिस इंस्पेक्टर का पता करके उन पुलिस इंस्पेक्टर के बच्चे और पत्नी को पकड़ लिया था। इसके बदले में वे अपने साथियों को छुड़ाने की मांग करेंगे। तुम दोनों पुलिस इन्सपैक्टर अगर समय पर पहुंचकर सारी पुलिस फोर्स को ले कर घर में सेंध लगा दे तो वह चोर पकड़े जाएंगे नहीं तो तुम्हारी पत्नी और बेटा दोनों की जान खतरे में होगी। पुलिस इन्सपैक्टर नें सोचा शायद यह बच्चा ठीक बोल रहा होगा। चलो घर में पुलिस फोर्स को भिजवा देते हैं। पुलिस इन्सपैक्टर नें जैसे ही अपनी पत्नी को कॉल लगाया वह बोली बाहर पता नहीं कौन है जो जोर जोर से दरवाजा खटखटा रहा है।? मैंने लैंन्स में से झांक कर देखा वह कोई दो पगड़ी वाले इन्सान थे। पुलिस इंस्पेक्टर ने अपनी पत्नी को कहा कि तुम दरवाजा मत खोलना मैं पुलिस फोर्स भेजता हूं। तिवारी ने सारी पुलिस फोर्स अपने घर में भेज दी। पुलिस वालों ने पहुंचकर उन दोनों चोरों को पकड़ लिया। बच्चे की सौ फ़ीसदी बात सच निकली।

पिंकू जादू का बाजा बजाता जा रहा था बाजे को सुनने के लिए चारो तरफ लोग इकट्ठा हो चुके थे। स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम होने वाला था। पिंकू स्कूल में जादू की पेंसिल से चित्र बनाने वाला था। वह पेंसिल चित्र ना बनाकर कुछ लिख रही थी। पैंन्सिल नें लिखा जल्दी से सारे सारे बच्चे बाहर जाकर संस्कृति कार्यक्रम मनाएं क्योंकि यहां पर आतंकवादियों ने स्कूल को चारों तरफ से घेर कर आतंकवादी ब्लास्ट करने की सोच रहे हैं। सारे स्कूल की इमारत पन्द्रह मिनट में ध्वस्त हो जाएगी। जल्दी से जल्दी यहां से भागने की कोशिश करो। वर्ना 500 विद्यार्थी बेमौत मारे जाएंगे। वह जल्दी से प्रिंसिपल के पास जाकर बोला मैडम जी जल्दी से अनाउंसमेंट कर दो स्कूल में ब्लास्ट होने वाला है। सारे बच्चे और अध्यापक यहां से बाहर निकल जाओ। प्रिंसिपल बोले तुम झूठ बोल रहे हो। पिंकू बोला मैडम आपको झूठ की पड़ी है जो कुछ करना होगा बाद में कर लेना मुझे सजा दे देना। स्कूल से निकाल देना अगर मेरी बात झूठ साबित होगी। प्लीज पहले यंहा से सारे बच्चों के साथ बाहर निकले। जब पिंकू को यह कहते सुना तो उसने अनाउंसमेंट कर दी और कहा सारे बच्चों का कार्यक्रम यहां से तीन किलोमीटर एक पार्क में होगा। यह कहकर वह प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि हम वहां पर पिकनिक भी करेंगे। जब प्रिंसिपल ने अनाउंसमेंट की सारे के सारे बच्चे और अध्यापक दस मिनट के अंदर ही अंदर में पार्क में चले गए। पन्द्रह मिनट बाद वहां सारा का सारा स्कूल ब्लास्ट हो चुका था। आतंकवादियों ने स्कूल को अपना निशाना बनाया था। पिंकू की मदद से उन बच्चों को बचा लिया गया।

मैडम ने पिंकू को उसके साहसिक कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने पिंकू को बहुत सारा इनाम दिया। उसके बाजे और जादू की पेंसिल की खबर उस गांव के जमींदार को लगी। जंमीदार नें सोचा कि इस बच्चे से जादू का बाजा और जादू की पैंन्सिल छुड़ा लिया जाए। अपने आदमियों को उन्होंनें पिंकू के घर में भेजा वे पिंकू को पकड़कर जमीदार के घर ले आए। पिंकू अपना बाजा और जादू की पेंसिल भी साथ ले आया था। उस जमीदार ने जादू का बाजा पिंकू से छीन लिया। जैसे ही जमीदार ने बाजा बजाया वंहा कोई नहीं आया। जंमीदार बोला तुमने हमें नकली बाजा दिया है। पिंकू बोला यह बाजा केवल ईमानदार लोगों का ही साथ देता है। जंमीदार नें कहा तुम बाजा बजा कर दिखाओ। पिंकू बोला यह बाजा केवल ईमानदार लोगों को ही का ही साथ देता है पिंकू ने जैसे ही बाजा बजाया आसपास के लोग पिंकू के इर्दगिर्द इकट्ठा होकर बोले बेटा क्या करना है।?। पिंकू बोला इस जमीदार ने मुझे बिना वजह पकड़ कर रखा है तुम मुझे इसके चुंगल से छुड़ाओ।
जमीदार ने एक साथ इतने सारे लोगों को सामने इकट्ठे खड़ा देखा तो वह बोला बेटा मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हारे जादू के बाजे की कहानी सुनी थी। सचमुच में यह जादू का बाजा है। पिंकू को जमीदार ने छोड़ दिया। पिंकू की पेंसिल ने लिखा था कि इन सभी आदमियों को कहो कि रुक जाए। उनसे कहो कि जंमीदार से कहो कि तुम नें जिन जिन व्यक्तियों से ज्यादा रुपए तुमने छीने हैं उन सभी के रुपए वापस कर दे नहीं तो आज जंमीदार इन सब व्यक्तियों से बच नहीं सकता। पिंकू ने जमीदार को कहा कि मेरे पास जादू की पेंसिल है। आज जमीदार जी आपकी जान खतरे में है। जिन व्यक्तियों से आपने ज्यादा रुपए छीन लिए है उन सब के रुपए वापस कर दो नहीं तो आज यह सब आदमी आप की छुट्टी कर देंगे। सारे के सारे आदमियों ने जब पिंकू की बातें सुनी तो उनसे व्यक्तियों ने मिलकर कहा जमींदार बाबू आप हमें हमारे छिनें हुए रुपए हमें वापस करो आज हम सब से आप नहीं बचोगे। यह सब राजू की पेंसिल ने लिखा है। चलो सब मिलकर इस जमींदार की पिटाई करते हैं।
पिंकू बोला रुको। पिंकू ने परियों को याद किया परियों नें उसे कहा था कि जब तुम हमें बुलाओगे तब हम हाजिर हो जाएंगी। पिंकू ने परियों को कहा कि आपने मुझे जादू का बाजा और जादू की पेंसिल दी थी। आज मैं इन दोनों वस्तुओं को आप को वापस करना चाहता हूं। क्योंकि हर कोई मुझ से जादू की पेंसिल और जादू का बाजा छिनना चाहता है। मुझे इन दोनों वस्तु की जरूरत नहीं है। आप मेरा एक काम करें इस जमीदार से इन व्यक्तियों के सारे छीने हुए रुपए वापस करवा दो। परियों नें जमीदार पर जल की तीन बूंदे छिड़की। जमीदार ने सभी व्यक्तियों के छिनें हुए रुपए वापस कर दिए। तीनों परियों ने पिंकू की ईमानदारी की प्रशंसा की और कहा बेटा जाओ तुम्हें हम आशीर्वाद देती है जो तुम बनना चाहते हो तुम बनकर रहोगे। भगवान तुम्हें कामयाबी दे।
पिंकू ने तीनों परियों के पैर छुए कहा अच्छा अलविदा। पिंकू बोला पहले तुम तीनों को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए मुझे क्या करना होगा।? मुझे बताओ तीनों परियां बोली यंहा से तीन किलोमीटर की दूरी पर एक मोनी बाबा रहते हैं। वे अखंड तपस्या कर रहे हैं। तुम वहां जाकर उनके बगीचे की देखभाल करना। उनकी खूब सेवा करना। तुम्हारी सेवा से प्रसन्न होकर वह तुम्हें वरदान देंगे। तब तुम उनसे हमारे लिए प्रार्थना करना। हम शाप से छूट जाएंगी तभी हम पृथ्वी पर पैर रख सकेंगे। नहीं तो हम बीच में ही लटक कर रह जाएंगी। हम बीच में ही हवा में इधर उधर घूमती रहती हैं।

पिंकू चलता चलता उस बाबा साधू बाबा की कुटिया में पहुंच गया। उसने दिन-रात साधु बाबा की सेवा की। साधु बाबा की जब आंखें खुली तो अपनी कुटिया की इतनी सुंदर सफाई देखकर आश्चर्यचकित रह गए। वह बोले बेटा यहां की इतनी देखरेख और यहां की हरियाली देख कर मैं हैरान रह गया। बेटा तुम बहुत ही होशियार हो। बोलो तुम क्या मांगना चाहते हो।? पिंकू बोला बाबा जी आप मना तो नहीं करोगे। साधु बाबा बोले बाबा अगर किसी को आशीर्वाद देते हैं तो पूरे मन से। बोल तू क्या मांगना चाहता है? पिंकू बोला आप इन तीनों परियों को शाप से मुक्त कर दे। यह मुझे चाहिए। साधु बाबा ने कहा ठीक है जाओ। एवमस्तु बेटा। तुम दूसरों के लिए ही कुछ मांगते हो अपने लिए भी कुछ मांगो। पिंकू बोला आप मेरे सिर पर हाथ रखकर मुझे आशीर्वाद दें। मैं हमेशा दुनिया में अच्छे काम करुं और अच्छा वैज्ञानिक बनकर देश के भविष्य को संवार सकूं। साधु बाबा ने कहा कि तुम्हारी इच्छा पूरी हो। तीनों परियां शाप से मुक्त हो गई। वह तीनों अपने देश वापस चली गई। पिन्कु भी एक बड़ा वैज्ञानिक बना वह भी अपनी मेहनत के दम पर।

उजाले की किरण

गौरव और गरिमा के परिवार में उनका बेटा अतुल। वे एक छोटे से मकान में रहते थे। उन्होंने अपने मकान की निचली मंजिल किराए पर दी थी। उनके मकान में जिन्होंने मकान किराए पर लिया था वह भी गौरव के साथ ही ऑफिस में काम करता था। गौरव एक बैंक में मैनेजर के पद पर नियुक्त था। उनका किराएदार एक क्लर्क के पद पर आसींन था उनके ऑफिस साथ साथ ही थे। उनके भी एक लड़का था। उसका नाम अखिल। अखिल और अतुल दोनों कम उम्र के थे। दोनों एक ही स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वह दोनों दोस्त इकट्ठे स्कूल जाते। उनके माता-पिता की भी आपस में खूब बनती थी। छुट्टी वाले दिन सभी मिल जुलकर सैर करने का लुफ्त उठाते थे। अतुल को अपने मम्मी पापा से इस बात को लेकर चिढ थी कि वह सदा अपने बेटे को कहते थे पढ़ाई कर पढ़ाई कर। तुम्हारे अखिल से ज्यादा अंक आने चाहिए। इस ज्यादा अंक लेने के चक्कर में बेचारा कुछ नहीं कर पाता था। वह बहुत पढ़ाई करने की कोशिश करता अपने दोस्त जितने अंक नहीं ला पाता। उसे अपने माता-पिता दुश्मन नजर आने लगे। जब भी उसके पापा मम्मी कहते पढ़ाई करो उनके सामने किताब याद करने के लिए पकड़ लेता मगर अच्छे ढंग से पढ़ नहीं पाता।

अर्धवार्षिक परीक्षा में भी अखिल के 20 अंक ज्यादा आए थे। उनके माता-पिता ने कहा वह भी तो तुम्हारी तरह ही बच्चा है। उसके कैसे ज्यादा अंक आए? तुम्हारे क्यों नहीं? अतुल का मन हुआ कि अभी उठकर कहीं चला जाए मगर अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था। तुम्हारेअंक ज्यादा नहीं आए। हम अपने रिश्तेदारों को क्या मुंह दिखाएंगे?अतुल अपने दोस्त से भी खफा खफा रहने लगा। उसका दोस्त आखिर वह तो उसे बहुत ही ज्यादा प्यार करता था। वह उसे कहता रहा क्या कारण है? मुझे बताओ कुछ दिनों से तुम बहुत परेशान लगते हो। अखिल बोला ठीक है अगर तुम मुझे नहीं बताओगे तो आज के बाद मैं तुम्हारे घर कभी-भी खेलने नहीं आऊंगा। तुमसे कभी बात नहीं करूंगा। अतुल रोने लग पड़ा आखिर अपने दोस्त अतुल को रोता देखकर वह भी रो पड़ा बोला मुझे बताओ मैं तुम्हारा सच्चा दोस्त हूं। अतुल बोला मैं तुम्हें बताता हूं मेरे मम्मी पापा मुझे हर वक्त पढ़ाई करने के लिए कहते रहते हैं। वह मेरी तुलना तुमसे करते हैं। वह कहते हैं देखो अखिल के कितने अच्छे अंक आते हैं? तुम्हारे क्यों नहीं।? तुम्हारी तरह वह भी तो बच्चा है। तुम मुझसे ज्यादा नंबर लाया करो। मैं तो उतना ही कर पाऊंगा जितना मैं कर सकता हूं। उसका दोस्त बोला मैं तुम्हारी समस्या सुलझा सकता हूं। यह तुम मुझ पर छोड़ दो। अब तो तुम मेरे साथ खेलोगे। अतुल खुश हो गया।

अतुल को तो मानों खुशी का खजाना मिल गया। उसने अपना दर्द कुछ हल्का किया। अखिल बोला मेरे मम्मी पापा तो मुझे कहते हैं कि जितनी तूने पढ़ाई करनी है उतनी ही पढ़ो। पढ़ाई करो पढ़ाई करने के साथ-साथ तुम्हारे खेलने के दिन है। यह बचपन का समय कभी लौट कर नहीं आता। हम तुम पर पढ़ाई का दबाव नहीं डालेंगे। अखिल बिल्कुल निर्भय होकर पढ़ाई करता था। उसके माता पिता कभी परवाह भी नहीं करते थे कि उनके बेटे को कितने अंक आए हैं? एक बार उनके बेटे के गणित में सातअंक आए थे अखिल के पिता ने अखिल को बुलाया और हंस पड़े मेरे शेर बच्चे गणित में सातअंक। अचानक बोले डरो मत। जब मैं तुम्हारी उम्र का था मेरे तो जीरो अंक आते थे। धीरे-धीरे मेहनत करने से सब कुछ हासिल हो जाता है। डरो मत अखिल की मम्मी ने कहा आज खीर बनाओ। अखिल नें सात अंक आने की वजह से अपनी मूल्यांकन पुस्तिका छिपा दी थी। उसके मम्मी पापा की नजर न पड़े। उसके मम्मी पापा ने तो उसके बस्ते में से उसकी मुल्यांकन पुस्तिका को देख कर कहा बेटा तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं। माता-पिता से कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं होती है। फेल भी तो हो जाते हैं। चाहे फेल हो या पास कोई फर्क नहीं पड़ता। मेहनत करते चलो डरो मत। यह वाक्य उसके पापा कहते अखिल बोला। अतुल, आकाश मेरे पापा ममी में भी ये समझ होती।
परीक्षा में अखिल नें जानबूझकर दो प्रश्न आते हुए भी छोड़ दिए थे।ताकि उसके दोस्त के उससे ज्यादा अंक आए। जब अतुल को पता चला कि अखिल ने जानबूझकर दो प्रश्न हल नहीं किए तो वह अपने दोस्त को गले लगाता हुआ बोला ऐसा दोस्त सबको दे। इस तरह दिन बीतते चले गए।

अखिल और अतुल भी दसवीं में पहुंच गए अखिल के पिता का स्थानांतरण दूसरे ऑफिस में हो चुका था। उन्होंने वहां से मकान भी बदल लिया। वह दूसरे शहर में चले गए। आज अतुल बहुत ही खुश था। क्योंकि उसकी दसवीं की परीक्षा का वार्षिक परिणाम आने वाला था। उसने खूब मेहनत की थी। अखबार सामनें मेज पर पड़ा था। उसका कलेजा धक धक कर रहा था। मेज के सामनें कोई कोई नहीं था। उसने अपना रोल नंबर देखा वह 80% अंको में पास हो चुका था। दूसरे पेज पर उसके दोस्त की फोटो छपी थी। वह सारे जिले में प्रथम स्थान लाया था। उसके 98% अंक आए थे। उसे अपने दोस्त के लिए खुशी भी हुई। उसके मम्मी पापा कमरे में आए और बोले बेटा। तुम्हारा परिणाम निकल गया है। तुम्हारे 80% अंक है। तुम्हारे दोस्त अखिल ने तो 98% अंक लेकर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वह फिर तुमसे बाजी मार गया। तुम कभी भी किसी विषय को गंभीरता से नहीं लेते हो। हम तुम्हें डॉक्टर बनाना चाहते हैं। वह बोला पापा मैं डॉक्टर नहीं बनना चाहता। मैं तो पायलट औफिसर बनना चाहता हूं। उसके पिता नाराज होते हुए बोले तुम्हें डॉक्टरी की पढ़ाई करनी पड़ेगी। भले ही तुम एक बार उसमे रह जाओ। हम तो तुम्हें डॉक्टर बनते हुए ही देखना चाहते हैं। मेरे सारे ऑफिस में मेरी सभी लोग इतनी प्रशंसा करते हैं। तुम्हारी क्या हमारी नाक कटाने का इरादा है? अतुल की मम्मी बोली मेरी सहेलियों में मेरा क्या रुतबा रह जाएगा। डाक्टरी तो तुम को करनी ही पड़ेगी।

अतुल का मन हुआ वहां वहां से कहीं दूर भाग जायेगा। अंदर ही अंदर घुटता जा रहा था। शाम को खाने के लिए भी नहीं आया। उसके मम्मी पापा ने सोचा कि अपने दोस्तों से मिलने गया होगा। परंतु रात के 11:00 बज चुके थे अतुल घर नहीं आया। उसके मम्मी पापा भी परेशान हो रहे थे। वह निराश होकर एक सुनसान सड़क पर पहुंच गया। वह आगे ही आगे चला जा रहा था। उसे भी कुछ भी नहीं मालूम था वह कहां जा रहा है। काफी दूर निकल आया तो उसे वहां पर एक नदी दिखाई दी। उसने सोचा क्यों ना मैं नदी में छलांग लगा लूं।? मैं डाक्टरी कभी नहीं कर सकता। मैं पढ़ाई नहीं करूंगा। अगर कुदनें पर भी नहीं मरा तो क्या होगा। उसने देखा सामने उसी तरह के चेहरे वाला बच्चा गिरा पड़ा था। उसने उसकी नब्ज टटोली वह शायद मर चुका था। उसका चेहरा बुरी तरह झुलस गया था। पहचान में नहीं आ रहा था। उसने जल्दी से अपने कपड़े उस बच्चे को पहना दिए और उसके कपड़े स्वयं पहन लिए और एक पर्ची पर लिख दिया मम्मी पापा मैं सदा के लिए जा रहा हूं। मुझसे डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं होती। मुझे तो पायलट बनना था। मेरा सपना अधूरा ही रह गया। मेरे मरने के उपरांत मेरे मम्मी पापा को मत पकड़ना। मैंने मरने का फैसला खुद लिया है। मैं एक योग्य बेटा नहीं बन पाया। अलविदा अतुल।

अतुल के पापा मम्मी पापा अपने बच्चे को ढूंढते-ढूंढते थक गए। नदी के पास से एक बच्चे की लाश सुबह के समय पुलिस वालों ने उसके पापा को दी। कपड़ों से तो वह लग रहा था कि वह उनका ही बेटा है। क्योंकि कपड़े तो अतुल के ही थे। और एक सोसाईड नोट वह लिखाई भी अतुल की थी। अतुल के माता-पिता रोते-रोते घर वापिस आ गए। सारे जगह खबर फैल गई इतनी होशियार बच्चे ने आत्महत्या क्यों की? अतुल के माता-पिता अंदर ही अंदर घुट रहे थे। उनको पता था कि उन्होंने जबरदस्ती अपनी इच्छा अपने बच्चे पर थोपने का प्रयत्न किया था। उनके हाथ में पछताने के सिवा कुछ नहीं लगा था। उनका बेटा तो उनके हाथ से निकल गया था। अतुल ने नदी में छलांग लगा दी थी।

अतुल बहता बहता एक ऐसी जगह पहुंच गया था जहां पर उसे कोई जानता तक नहीं था। वहां पर एक दंपत्ति परिवार नैनीताल घूमने के लिए आए थे। उन्होंने बहते हुए बच्चे को देखा। उन्होंने उस बच्चे को बचा लिया। उनका कोई बच्चा नहीं था। उन्होंने उस बच्चे को बचा लिया। वे दंपत्ति घूमने के लिए आए थे। उन्होंने उस बच्चे को अपने साथ ले जाने का निश्चय कर लिया। बच्चा होश में आया तो उन्होंने उससे पूछा तुम कौन हो? उसने कुछ नहीं कहा उस दंपति परिवार ने सोचा उसे कुछ भी याद नहीं है। उन्होंने उसे कहा बेटा तुम्हें हम अपना बेटा समझ कर पाल लेंगे। तुम हमें बताओ कहां के हो? उसने अपने बारे में कुछ नहीं बताया। अतुल नें उस परिवार की चुपके से बातें सुन ली थी। वह आंटी कह रही थी हमें तो लगा हमारा बेटा जिंदा होकर वापस आ गया है। हम इसे इतना प्यार देंगे जितना इसनें पढ़ाई करनी होगी हम उसे पढ़ाएंगे। उसे किसी चीज की कमी होने नहीं देंगे। उस परिवार की बातें सुनकर अतुल ने सोचा अच्छा मौका है मैं इन्हें अपने बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। मैं खूब पढ़ाई करूंगा। वहीं पर उनका बेटा होकर रहने लगा। धीरे-धीरे वह उनके परिवार में घुल मिल गया। आंटी को मां और अंकलको पापा कहनें लगा उसे कभी भी अपने मम्मी पापा की याद नहीं आई। कभी कभी अकेले में उन्हें याद कर लिया करता था। उन्होंने उसे पढ़ाई के लिए कभी भी तंग नहीं किया। उसने कहा पापा मैं पायलट बनना चाहता हूं। वह बोले बेटा चिंता की कोई बात नहीं जो तुम बनना चाहते हो वह बनो। तुमसे कोई जबरदस्ती नहीं करेगा। उसके पापा ने उसका नाम अमर रख दिया था। उसका नाम था अतुल। उसका कार्ड उन्होंने सम्भाल कर रख दिया था उसमें उसकी फोटो थी। मगर उसका नाम मिट गया था। नाम का पहला अक्षर ही फोटो में साफ दिखाई दे रहा था बाकि अक्षर मिट गए थे। उन्होंने अ से ही उसका नाम अमर रख दिया। अमर बड़ा हो चुका था। वह पायलट औफिसर चुका था।

एक दिन उसके पिता ने कहा बेटा आज मैं अपने दोस्त की बेटी आरती के साथ तुम्हारी शादी की बात पक्की कर रहा हूंह अमर ने कहा पापा पहले मुझे लड़की तो दिखाओ। उसके पिता ने कहा आज उसे हम अपने घर खाने पर बुलाएंगे। आरती 5:00 बजे वादे के मुताबिक अमर के घर पहुंच गई।। पहली ही मुलाकात में अमर और आरती दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। आरती ने कहा मैं एक दिन आपको अपने भाई और माता-पिता से अवश्य मिलवाऊंगी। अमर नें कहा तुम्हारे भाई का क्या नाम है।? आरती ने कहा मेरे भाई का नाम अखिल है। आरती ने कहा अच्छा अलविदा कल मिलेंगे। आरती तो चली गई उसे अपना गुजरा जमाना याद आ गया। उसका दोस्त आखिर वह भी तो एक बड़ा डॉक्टर बन चुका होगा।

उसके दोस्त का नाम भी तो अखिल था। उसकी आंखों के सामने सारा माजरा घूमने लगा किस तरह उसने इतना भयानक कदम उठाया था। वह मरा तो नहीं था परंतु अपने माता-पिता से बिछड़ गया था। वह एक ऐसे परिवार में उनका बेटा बनकर रह रहाथा जिसे वह जानता तक नहीं था। उस परिवार ने उसे इतना प्यार दिया वह अपने असली मां बाप को भूल ही गया। आज उसनेंअपने सपने को साकार कर दिखाया था। दूसरे दिन आरती उसे बाजार में मिली। आरती ने कहा तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो। शादी से पहले मैं तुम्हें एक सच्चाई से अवगत कराना चाहता हूं। तुम मुझे स्वीकार करो या ना करो। परंतु अगर मैंने तुम्हें सच नहीं बताया तो मेरी अंन्तर्आत्मा मुझे कचोटती रहेगी।

वह बोला तुम्हारे माता पिता हमारी शादी को मान गए हैं। वह बोली परंतु पहले मेरे माता-पिता ने शादी करने से मना कर दिया क्योंकि तुम पंडित परिवार के नहीं हो। परंतु बाद में मेरी इच्छा के सामने उन्होंने घुटने टेक दिए। वे तुमसे मेरी शादी करने के लिए मान गए। वह बोला मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि मैं अग्रवाल परिवार का बेटा नहीं हूं। मैं तो नदी में बहता हुआ उन्हें मिला था। मैंने आत्महत्या करने का प्रत्यन किया था। मेरे माता-पिता मुझे हरदम पढ़ाई करो पढ़ाई करो करनें को कहते रहते थे। तुम्हारे इतने अंक कम क्यों आए? तुम्हारे दोस्त के तुमसे ज्यादा अंक कैसे। हर वक्त टोकाटाकी। अखिल मेरा दोस्त था वह डॉक्टर बनना चाहता था। मैं पायलट बनना चाहता था। मेरा दोस्त हमारे ही घर पर किराए के मकान में रहता था। उसके मम्मी पापा इतने अच्छे थे कि उन्होंने अपने बेटे पर पढ़ाई का कभी जबरदस्ती दखल नहीं दिया। एक दिन मेरे दोस्त के माता-पिता का तबादला दूसरे शहर को हो गया। वह दूसरे शहर में चला ग्ए।हम अपने तरीके से जिंदगी जी रहे थे।

एक दिन दसवीं की परीक्षा परिणाम निकला। मैं जैसे ही अखबार लेकर अपने पापा के पास गया तो मैंने सोचा वह मुझे गले से लगा कर कहेंगे तेरे 80% अंक अच्छे आए हैं। उन्होंने एक बार फिर मुझ पर प्रहार किया। दूसरे पेज पर देखो तुम्हारे दोस्त ने सारे जिले में टॉप किया है। मैं अंदर ही अंदर घुटता जा रहा था। कहां तो तसल्ली देने के बजाय वह मुझे कह रहे थे तुम किसी भी विषय को गंभीरता से नहीं लेते हो। परिवार के लोगों के सामने और मेरे ऑफिस में सहेलियों के सामने हमारी क्या इज्जत रह जाएगी। हमारे बेटे के इतने कम अंक पाए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने मुझे कहा तुम्हें डॉक्टरी की पढ़ाई करनी पड़ेगी। मुझे डॉक्टर की पढ़ाई में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी। मैंने कहा मैं डॉक्टर नहीं करूंगा। मेरे मम्मी पापा आकर बोले कोई बात नहीं। अगर तुम एक बार डॉक्टर की पढ़ाई में नहीं निकलोगे तो भी कोई बात नहीं दूसरी बार कोशिश करना।

मेरा मन डॉक्टरी की पढ़ाई में जरा भी नहीं था मैंने आव देखा ना ताव वहां से चलकर एक सुनसान सड़क पर आ गया। और पहाड़ी पर से कूदने ही वाला था नीचे नदी बहती दिखाई दी सभी मेरे पैरों के पास से कुछ टकराया वहां पर एक बच्चा मेरी ही तरह का गिरा हुआ था उसका मुंह तो जंगली जानवरों ने खा दिया था मैंने चुपचाप अपने कपड़े उस बच्चे को पहना दिएऔर उसके कपड़े पहनकर पानी में छलांग लगा दी। एक पर्ची उसकी जेब में डाल दी मम्मी पापा अलविदा मैं आपको छोड़कर सदा के लिए जा रहा हूं। आप मुझे डॉक्टर करवाना चाहते थे। मेरा डॉक्टर का पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लगता था मैं आपका अच्छा बेटा साबित नहीं हो सका मेरे मरने के बाद मेरे मम्मी पापा को सजा मत देना। मेरा मरने का फैसला मेरा खुद का था क्योंकि मैं खुद आत्महत्या कर रहा हूं। इसके लिए मेरे मम्मी पापा का कोई कसूर नहीं है।
आरती उसकी दर्दभरी कथा सुनकर कहने लगी तुम्हारी कहानी तो बहुत ही दर्दनाक है। तुम्हारे फैसले ने तो मुझे भी रुला दिया। वह बोला अपने मम्मी पापा को कर ले कर आना आरती नें सारी कहानी अपने मम्मी पापा को सुना दी। उसके मम्मी पापा भी उस बच्चे की कहानी सुनकर चौक ग्ए। अखिल सोचने लगा कहीं वह मेरा दोस्त अतुल तो नहीं है। उसने अपनी बहन को बताया मेरा भी एक दोस्त था। उसका घर नैनीताल में था। आरती कहने लगी कि अतुल का घर भी नैनीताल में था। जैसे ही अतुल से मिलने आया वह अतुल को देखकर चौका। वह तो उसका बिछड़ा दोस्त था।

अखिल डॉक्टर बन चुका था। अतुल भी पायलट बन चुका था। दोनों दोस्त एक दूसरे के गले मिले। दोनों की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। अतुल ने अपनी सारी कहानी आरती के माता पिता को सुना दी। अतुल के माता-पिता ने कहा बेटा तुम्हारे ही घर पर तो हम रहते थे। तुम्हारे माता-पिता तो अच्छे थे। उन्होंने तुम पर यह दबाब क्यों डाला? अतुल ने अपने माता-पिता से माफी मांग डाली और कहा कि मैंने आपकी बातें सुन ली थी। आपके कोई बेटा नहीं था। मैंने सोचा मेरे पापा तो मुझे डॉक्टर पढ़ने के लिए मजबूर किया करते थे। मैं तो पायलट बनना चाहता था। आप ने मुझे पायलट बनने का सुनहरा अवसर प्रदान किया आप ही मेरे सच्चे मम्मी पापा हो। मैंने आपको बता कर नहीं किया था। कहीं ना कहीं मेरे मम्मी पापा ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया। इसलिए मैं उनके पास वापस नहीं जाना चाहता था।

अग्रवाल परिवार ने उसे इतना प्यार दिया वह उसको अपने परिवार का सदस्य मानने लगे थे जब अखिल के पापा ने कहा कि हम इस बच्चे के माता-पिता को जानते हैं इसके पिता बैंक में काम करते थे। मैं उन्हें जानता हूं। यह नैनीताल के है। केशव अग्रवाल रोते बोले बेटा हमें छोड़कर मत जाना। अतुल बोलामैं आपको छोड़कर नहीं जाऊंगा। आपने मेरे जीवन में उजाले की किरण जलाकर मुझे उज्जवल भविष्य बनाने का मौका दिया। मैं अपने मम्मी पापा के पास जाऊंगा तो अवश्य पर उन्हें एहसास करवा दूंगा कि मैं जो बनना चाहता था वह मैं बन ही गया।

अग्रवाल परिवार ने उसकी शादी आरती से कर दी। आरती के पिता ने अपने दोस्त को शादी का कार्ड भेजा। अतुल के माता-पिता आरती की शादी में आए क्योंकि वह अखिल से भी मिलना चाहते थे। उन्हें अपने बेटे की याद आ रही थी। आरती के घर में शादी की चहल-पहल थी। अचानक गौरव और गरिमा भी उनके घर पहुंच चुके थे। आरती के पिता अपनी बेटी को विदा कर रहे थे तो उनकी नजर दूल्हे पर पड़ी उनको उसको देखकर अपना बेटा याद आ गया। आंखें छलक आई वे बोले बेटा क्या मैं तुम्हें अतुल बुला सकता हूं? तुमसे हमारे बेटे की शक्ल काफी मिलती है। वह चौका बोला पापा-मम्मी मैं ही आपका अतुल। वह उनके कंधे लगकर रोया बोला मैं आपका ही बेटा अतुल हूं। मैं मरने जा ही रहा था कि मैं अपने सामने एक बच्चे को देखा जो मर चुका था। मैंने उसके कपड़े पहने और अपने कपड़े उसे पहना दिए आपको मेरा सुसाइड नोट मिला होगा क्योंकि आप मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे। मैं पायलट बनना चाहता था इसलिए मैंने मरने का फैसला कर लिया था मैंने पहाड़ी पर से छलांग लगा दी थी मैं तो बच गया मुझे अग्रवाल परिवार ने अपना बेटा बना कर पाला मैंने जानते हुए भी अनजान बन कर उन्हें कुछ नहीं बताया। मैं पायलट बन चुका हूं उसके मम्मी पापा अपने सामने अपने बेटे को पाकर खुश हो गए वह बोले बेटा हमें माफ कर दो हमारी सोच बहुत ही गलत थी। हमं अपनी सोच तुम पर थोपना चाहते थे। बेटा हमें अपने किए की सजा मिल चुकी है। बेटा घर चलो। वह बोला मैं आप से मिलनें आया करुंगा। अपनी बहु को आशीर्वाद दो। उसनें अपनें ममी पापा को माफ कर दिया।

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देर आ दुरूस्त आ

पियूष जल्दी से घर पहुंचना चाहता था क्योंकि आज वह काफी थक चुका था। ऑफिस में बॉस से कहा सुनी हो गई घर में पत्नी से नोकझोंक इस आदत से वह बहुत ही तंग आ चुका था । कुछ दिनों से उसे बहुत ही गुस्सा आ रहा था क्योंकि घर पर उसकी पत्नी उससे हर रोज लड़ाई झगड़ा करती थी । झगड़ा हर रोज एक ही बात को लेकर होता था । उसकी पत्नी उसे हर रोज टेलीविजन की फर्माईश करती थी। टेलीविजन भी बहुत महंगे वाला क्योंकि पल्लवी अपनी सहेलियों के घर में नई-नई चीजें देखकर आती थी और अपने पति से हर रोज यही कहती थी कि मेरी सहेलियों के पास इतनी महंगी महंगी चीजें हैं,आप तो कभी भी हमारी एक भी इच्छा पूरी नहीं करते हो । तब उसका पति उसे समझाता भाग्यवान हमें दूसरों के घर से क्या लेना-देना ? उनके पास चाहे जितनी भी महंगी चीजें हैं पर तुम्हारे पास भी किस वस्तु की कमी नहीं है । तुम्हारे पास दो प्यारे-प्यारे बच्चे हैं और तुम्हारा पति सही सलामत है । सब अच्छी तरह से खा पी रहे हैं । मेरी इतनी हैसियत नहीं है कि मैं इतना महंगा टैलीविजन ले लूं और वह भी ₹30000 का । हमें उतने ही पैर पसारने चाहिए जितनी कि हमारे में क्षमता हो ।हमें दूसरों के पास क्या-क्या है इसको देखकर ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए? मैं ईमानदारी से अपनी आजीविका चला रहा हूं।

आज तो वह चुपचाप घर आकर सो जाना चाहता था परंतु उसकी पत्नी ने उसके सिर दर्द की परवाह कभी नहीं की और कहने लगी तुम झूठ मूठ का बहाना बना रहे हो क्योंकि तुम हमें टैलीविजन दिलाना नहीं चाहते ।मैंने आज तक तुमसे कुछ भी नहीं मांगा ।मेरी सहेलियों के बच्चे तो गाड़ी में ही स्कूल जाते आते हैं । क्या कभी मैंने गाड़ी कि आप से फर्माइश की। तब उसके पति ने कहा कि तुम अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती हो तभी तो तुम तंदुरुस्त हो और अच्छी बात है तुम्हें सैर करने का मौका भी मिल जाता है । तुम अपनी सहेली के बच्चों को ही देखो ।हर रोज उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ता है ।उन्हें ज़रा भी पैदल चलने की आदत नहीं। हो सकता है तुम्हारी सहेलियों के पति इतनी महंगी चीजें घर लेकर आते हैं वह शायद काले धन से कमाया हुआ रुपया हो। या किसी से रिश्वत लेकर। जरा सोचो तो अगर मैं भी तुम्हें गाड़ी, टीवी ,फ्रिज और कूलर दिलवा दूं वह भी रिश्वत की कमाई से तो क्या तुम लेना स्वीकार करोगी? पल्लवी कुछ नहीं बोली चुपचाप रसोई घर में चली गई। दूसरे दिन पियूष ने अपने बॉस से अपना रुपए निकलवाने की शिफारिश की क्योंकि वह अपनी पत्नी की इच्छा को पूरी करना चाहता था। उसे मुश्किल से ₹15000 मिले वह एक टैलीविजन की दुकान पर गया वहां पर उसने वही टैलीविजन देखा जिसकी फर्माइश उसकी पत्नी कर रही थी ।उसकी कीमत सुनकर वह धक्क से रह गया, क्योंकि उसकी कीमत ₹25000 थी ?उसके पास इतने अधिक रुपए नहीं थे तभी उसने सामने से आते हुए अपने दोस्त को देखा ।उसके दोस्त पंकज ने उस से हाथ मिलाया और अपने दोस्त को परेशानी की हालत में देखते हुए बोला ,अरे यार तुम्हें क्या हुआ है ?तुम इतने परेशान क्यों हो ?मुझसे कहो शायद मैं तुम्हें तुम्हारी समस्या को हल कर दूं ।उसने अपने दोस्त को कौफी पेश की और कहा मैं यहां पर टैलीविजन की दुकान पर नौकरी करता हूं ।पल्लवी के पति ने कहा तुम्हारी भाभी हर रोज मुझसे नए मॉडल के टैलीविजन की फर्माइश करती है। मैं क्या करूं ?मेरे पास इतने रुपए नहीं है । मुझे अपने परिवार में बच्चों को भी देखना पड़ता है आजकल महंगाई के वक्त इतना रुपया एकदम जुटाना बड़ा मुश्किल है क्योंकि मैं इतना अमीर नहीं हूं । तुम्हारी भाभी इस बात को जरा भी नहीं सोचती। उसके दोस्त ने कहा कि मेरे पास इस समस्या का भी समाधान है। तुम इसी मॉडल की तरह का एक सस्ता सा टैलीविजन लेना चाहते हो। मैं उस टैलिविजन को इस तरह का बना दूंगा कि तुम्हारी पत्नी को पता भी नहीं चलेगा कि यह सस्ता वाला टैलिविजन है । उसी डिजाइन का टैलिविजन तुम्हें ₹10000 में दे दूंगा जैसा कि तुम्हारी पत्नी की सहेलियों के पास है।उस पर स्टीकर भी उसी मॉडल का चिपका दूंगा तुम्हारी पत्नी को तो क्या उनकी सहेलियों को भी मालूम नहीं पड़ेगा कि यह टैलिविजन ₹10000 का है । तुम्हारी बीवी भी खुश हो जाएगी । पियूष की खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।उसने अपने दोस्त को धन्यवाद देते हुए कहा कि तुम जल्दी से मुझे वह टैलिविजन पैक कर दो । पियूष जब घर आया तो उसने अपनी पत्नी को कहा जल्दी से चाय बना कर लाओ ,आज मैंने तुम्हारी फर्माइश पूरी कर दी है ।उसकी पत्नी खुश होते हुए बोली क्या तुम झूठ बोल रहे हो? उससे पहले कि वह कुछ कहती उसने एक आदमी को एक बॉक्स अपने घर पर छोड़ते हुए देख लिया था। उसने उस बक्से में से टैलिविजन निकाला और पीयूष को पूछा कहां लगाना है ?पल्लवी बार-बार टीवी को देख रही थी। उसने अपने पति को धन्यवाद दिया और कहा तुमने मेरी इच्छा आज आखिरकार पूरी कर ही दी। कहीं तुमने भी तो रिश्वत लेकर टैलिविजन नहीं खरीदा है ?पियूष बोला अगर तुम हर बार फर्माइश करोगी तो मुझे भी यही करना पड़ेगा । पल्लवी बोली नहीं मैं अब तुमसे कुछ भी नहीं मांगूंगी। बच्चे भी दौड़कर बार-बार टैलिविजन को देखकर खुश हो रहे थे अपनी सहेलियों को अगले दिन उसने चाय पर घर बुलाया ।उन्होंने भी टैलिविजन को देख कर उस से कहा अरे वाह !यह टैलिविजन तुमने कितने का लिया अचानक पल्लवी बोली ₹30000 का ।उसकी सहेलियों को पता ही नहीं चला कि वह टैलिविजन बिल्कुल उसी मॉडल की तरह दिख रहा था ।इस बात को काफी दिन व्यतीत हो गए ।पल्लवी अब अपने पति से कभी फर्माईश नहीं करती थी ।एक दिन जब पल्लवी घर आई तो उसके बेटे ने टेलीविजन का शीशा तोड़ दिया ।पल्लवी बड़ी उदास हुई ।उसने अपने पास जो रुपए इकट्ठे किए थे उससे उसने वह टैलिविजन ठीक करवाया ।आज सोचने लगी कि मैं अपने पति पर यूं ही गुस्सा होती थी ,इतना महंगा टैलिविजन उन्होंने हमें खरीद कर दिया है और हमने एक ही झटके में ₹25000 का खून कर दिया। मेरे पति ने पता नहीं कैसे-कैसे पाई-पाई जोड़कर इतने रुपए इकट्ठा किए होंगे? दूसरे दिन जब वह अपनी सहेलियों के घर से आई तो उसने देखा कि उसके बच्चे आपस में लड़ रहे थे ।वह आपस में कह रहे थे पहले मैं सीरियल देखूंगा।लड़की कह रही थी मैं देखूंगी। उनकी मां ने आकर टैलिविजन बंद कर दिया। उन दोनों बच्चों ने तूफान मचा दिया और एक-दूसरे के बाल पकड़ कर खींचनें लगे। भाई ने अपनी बहन को इतनी जोर से धक्का दिया वह दूर जाकर गिरी। उसके माथे से खून निकल गया था ।उन दोनों को लड़ता देखकर उसके पापा भी अचानक आ गए और अपनी पत्नी को डांटते हुए बोले तुम्हारी टैलिविजन की जिद नें तुम्हारे बच्चों को क्या से क्या बना दिया? पहले दोनों बच्चे खूब मन लगाकर पढ़ते थे अब तो सारा दिन टैलिविजन के सामने बैठकर नाटक देखा करते हैं । उन्हें डांटों तो गुस्सा होकर घर से निकल जाते हैं। तुम्हारी इसी आदत से मैं परेशान आ गया हूं । हर रोज हर दिन एक नई फर्माईश लेकर आ जाती हो ।आज तो मैं तुम्हारे बेटे की रिपोर्ट कार्ड लेकर घर आया हूं। तुम्हारा बेटा गणित मैं फेल है ।वह जब दूसरी सहेली के घर गई तो वहां का नजारा तो देखने ही लायक था। पुलिस इंस्पेक्टर वहां पर खड़े थे और पूछ रहे थे कि वर्मा जी घर पर हैं ।क्या वर्मा जी का घर यहीं पर है? वर्मा जी ने ऑफिस में कुछ गड़बड़ घोटाला करके ₹50000 का कालाधन अपने घर में छिपाकर रखा था ।उनके घर से पुलिस ने छापा डाल कर सब रूपये वसूल कर लिए थे। उसे हवालात में डालने के लिए आई थी। उस पर ₹50000 का जुर्माना किया गया था और छ:महीने की जेल हुई थी । वह चुपचाप वंहा से खिसक कर सीधे घर आई और अपने पति से बोली ।आप ठीक ही कहते हो, हमें उतने ही पैर पसारने चाहिए जितनी हम में क्षमता हो ज्यादा के लालच में हमें अपना सब कुछ गंवाना पड़ सकता है ।उसका बेटा आते ही बोला मम्मी मैं आज थक गया हूं जरा टैलिविजन लगा दो ।मम्मी ने टीवी का रिमोट हाथ में लेकर कहा था तुम्हें टैलिविजन तभी देखने दूंगी मगर इस शर्त पर कि तुम एक घंटे से ज्यादा टीवी नहीं देखोगे और दोनों एक ही वक्त पर टैलिविजन देखोगे ।दोनों बच्चों ने अपनी मम्मी को कुछ कहा मां ,जैसा आप कहोगी हम वैसा ही करेंगे । उसके पड़ोस की आंटी आई और बोली पल्लवी आज हमारे घर चलोगी ।आज मेरे बेटे का जन्मदिन है । पल्लवी बोली आज मैं नहीं आ सकती ।मैं अपने बच्चों को तुम्हारे घर पर भेज दूंगी। पल्लवी अब कहीं ना कहीं समझ गई थी कि अपनी मेहनत से कमाया हुआ रुपया ही फलता-फूलता है ।हमें कभी भी दूसरों के घरों में कभी नहीं झांकना चाहिए। जो हमारे पास है वह बहुत ही मूल्यवान है ।हमारे शरीर के सभी अंग करोड़ों रुपयों के हैं । हमारे इन अंगों में से एक भी खराब हो जाता है तो हमारे पास तो इनका इलाज करवाने के लिए भी इतनी कीमत नहीं है ।हम तो बेकार में ही किसी के पास कोई अच्छी सी चीज देखकर अपने मन में कल्पना करने लगते हैं कि काश मेरे पास भी यह चीज होती ,परंतु सोचो जरा ,यह सब बात पल्लवी सोच रही थी ।अपने पति को ऑफिस से आते देखा उसने अपने पति को कहा कि आपको निराश होने की जरुरत नहीं है ।मुझे आज अच्छी तरह से समझ में आ चुका है । कल से मैं अपने बच्चों को जल्दी स्कूल छोड़ने जाया करूंगी ।आप ठीक ही कहते हैं सैर करने से थोड़ा व्यायाम भी हो जाता है । सारा दिन चेहरे पर रौनक रहती है उसका पति खुश होते हुए बोला देर से ही सही दुरुस्त आए । वह बहुत खुश हो गया बोला यही बात मैं तुम्हें समझाना चाहता था ।उसने अपनी पत्नी और बच्चों को कहा कहां चला जाए? आज हम सब बाहर ही खाना खाने चलते हैं । उसकी पत्नी बोली बाहर का खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता ।मैं घर में ही आज बढ़िया बढ़िया भोजन बनाती हूं थोड़ी देर हम सारे बैठकर अंताक्षरी खेलते है।बढ़िया -बढ़िया भोजन का आनंद लेते हैं। दोनों बच्चे ठहाका मारकर हंसने लगे ।सबके चेहरों पर खुशी के आंसू थे ।पियूष को तो आज मानो सारी खुशियां हासिल हो चुकी थी ।

देवव्रत

पुरानी समय की बात है किसी नगर में एक राजा रहता था।।वह राजा अपनी प्रजा को खुश देखकर बहुत खुश होता था ।उसके राज्य में सभी लोग सुखी थे उस ने अपने पास एक सलाहकार नियुक्त किया था। वह राजा को अच्छी सलाह दिया करता था । वह एक अच्छा सलाहकार नंही था।वहबिना सोचे समझे सब को सलाह दिया करता था। राजा उसे अच्छी सलाह देने के लिए कभी धन दौलत कभी रुपए ईनाम स्वरुप दे दिया करता था। वह सलाहकार रुपया पाकर बहुत खुश था ।राजा ने उसे अपने महल में पहरेदार नियुक्त कर दिया था। , वह राजा के घर पर ही रहने लग गया था एक दिन सलाहकार ने अपने मन में मन में सोचा कि मैं बिना सोचे समझे राजा को सलाह देता हूं । मेरी सलाह अगर किसी दिन झूठी साबित हो गई तो राजा उसे छोड़ेगा नहीं ,उसे दंड अवश्य देगा ।वह दंड

से बहुत घबराता था ।राजा जिस भी किसी व्यक्ति को दंड देता था वह उसे कोडे़ लगवाता था ।,।सलाहकार ने सोचा की मैं राजा से एक वचन पहले ही ले लेता हूं उसने एक दिन राजा से कहा कि राजा जी आप तो मुझे अच्छी-अच्छी सलाह लेते हो परंतु आज एक बात आपको मेरी भी माननी होगी ।. राजा ने कहा ने क्या ,मांग के तो देखो? मैं तुम्हे अवश्य दूंगा ।मैं तुझसे वादा करता हूं मैं एक राजा हूं राजा जो भी किसी को वचन देता है वह उसे अवश्य पूरी करता है ।सलाहकार ने राजा से कहा कि अभी नहीं समय आने पर मांगूंगा ।राजा ने कहा तुम्हारी इच्छा मैं अवश्य पूरी करुंगा ।इस बात को बहुत ही महीने गुजर गए ।एक दिन राजा अपने परिवार के साथ घोड़े पर जंगल में गया हुआ था उसने रास्ते में देखा एक बुढ़िया रास्ते में जोर जोर से रो रही थी। बुढ़िया को रोता देखकर राजा का दिल द्रवित होगया ।उसने बढ़िया से कहा तुम क्यों रो रही हो ? बुढ़िया ने कहा मेरी बहू ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया है ।वह मुझे खाने के लिए भी कुछ नहीं देती है ।राजा का हृदय बुढ़िया की बात सुनकर द्रवित हो गया। राजा ने पहरेदार से कहा मैं तो सोचता था कि मेरे राज्य में प्रजा बहुत सुखी है। आज तो मेरा मंत्री मेरे साथ सैर करने नहीं आया । आज मैं तुम्हें अपने साथ सैर.. करनें के लिए ले जा रहा हूं। आज मेरा मंत्री यहां होता तो मैं उसे बुढिया केे साथ उसे उसके घर पता लगाने अवश्य भेजता। राजा ने कहा कल तू मेरे दरबार में आना राजा ने उसे बहुत सारा धन देकर विदा किया । सलाहकार ने राजा को कहा कि आप तो बहुत दयावान हैं राजा जी ।मैं आपसे कह रहा हूं कि बिना देखे बिना सोचे समझे बिना जांचे परखे हमें किसी भी व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए ।राजा ने कहा कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ?सलाहकार ने राजा को कहा कि आज रात को मैं आपके साथ उस बुढिया के घर पर चलूंगा। आप एक राजा के रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना।एक साधारण व्यक्ति की तरह भेश बदल कर जाना ताकि आप को पता चल सके।

इस रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना एक साधारण व्यक्ति की तरह भेष बदलकर जाना ताकि आपको पता चल सके जो बुढिया आपके सामने अपनी बहू की शिकायत करने आई थी वह सच मुच् उसे घर से बाहर निकालना चाहती थी कि नही। वह झूठ मूठ का बहाना बनाकर आप से रुपए लेना चाहती थी और झूठ-मूठ का नाटक करना चाहती थी। राजा को सलाहकार की बात ठीक लगी। राजा एक साधारण व्यक्ति का भेष धारण कर पहरेदार के साथ चल पड़ा ।वह बुढ़िया के घर पहुंचा आधी रात हो चुकी थी अंदर की तरफ कान लगाकर राजा उनकी बातें सुनने लगा बुढ़िया के जोर जोर से रोने की आवाज सुनाई दे रही थी ।हंस हंसकर अपनी बहु से कह रही थी उसने आज राजा को बेवकूफ बनाया कि तुम मुझे हर रोज खाना नहीं देती हो और आज तो मैं राजा से इसके बदले बहुत सारा रूपया लाई हूं ।राजा बुढ़िया की बात सुनकर दंग रह गया चुपचाप वह अपने महल में लौट आया। उसने पहरेदार को वह बहुत सारा रुपया दिया ।पहरेदार रूपया प्राप्त कर फूला-नहीं समा रहा था ।एक बार वह राजा शिकार कर रहा था तो उसकी एक उंगली कट गई और उसकी उंगली से खून बहने लगा यह देख कर उसका सलाहकार बोला भगवान जो करता है वह अच्छा ही करता है ।जब सलाहकार ने ऐसे शब्द कहे तो राजा को बहुत गुस्सा आया। मन ही मन में सोचने लगा जो उसने कहा है शायद यह बात वह सोच समझकर ही बोल रहा होगा, इसलिए राजा ने अपने पहरेदार को कुछ नहीं कहा और चुपचाप चलने लगा चलते-चलते जब वह बहुत दूर निकल आए तो रास्ते में चोरों ने उन्हें देख लिया ।चोरों को सुबह से ही चोरी करने के लिए कुछ भी नहीं मिला था उन्होंने किसी से सुन रखा था अगर किसी इंसान की बलि दे दी जाए त़़ो माता बहुत प्रसन्न होती है।और उसे बहुत सारा धन दौलत देती है। चोर अपने सामने दो हट्टा-कट्टा नवयुवकों को देखकर जो बहुत ही खुश हुए उन्होंने अपनी तलवार दिखाते हुए उन दोनों को बांध लिया और काली माता के मंदिर में ले जाने लगे और जोर-जोर से कहने लगे कि आज तो तुम में से किसी एक की बलि दे दी जाएगी। एक चोर ने दूसरे से कहा पहले यह भी जान लो कि किसी व्यक्ति का कोई अंग कटा तो नहीं है। राजा ने जब यह सुना तो राजा बहुत खुश हुआ क्योंकि वह सोचने लगा मैं तो आज बाल बाल बचा। राजा अपने सलाहकार के लिए कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वह अगर सलाहकार को बचाने की कोशिश करता तो वह खुद जान से हाथ धो बैठेगा ।उन चोरों ने राजा की कटी ऊंगली देखकर उस राजा को तो छोड़ दिया मगर उस सलाहकार को पकड़कर ले गए। राजा तो अपने महल में वापिस आ चुका था रास्ते में उस सलाहकार ने सोचा कि आज तो मैं इन चोरों के चुंगल से अपने आप को छुड़ा नहीं सकता ना जाने मेरी बात कैसे सच हो गई ।राजा तो बच गया मैंने तो अनजाने में ही राजा से बात कही थी कि भगवान जो करता है अच्छा ही करता है ।राजा की उंगली कटने के बावजूद भी राजा ने मुझे कुछ नहीं कहा। वह योजना बनाने लगा कि कैसे मैं इन चोरों से अपने आप को छुडवाऊं।उसके दिमाग में एक योजना आई उसने उन चोरों से कहा चोर भाई चोर भाई, तुम्हें मेरी बलि देने से क्या होगा? तुमने चोरी करनी है तो तो मैं तुम्हें एक तरकीब बताता हूं ।तुम्हें मेरी बात पर यकीन ना हो तो मैं मरने के लिए तैयार हूं ।आपने जिस आदमी को अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं वह एक राजा है । मैं उसका मामूली सा एक सलाहकार हूँ। तुम चोरी करने राजा के महल में रात को आना मैं तुम्हें महल में घुसने से नहीं रोकुंगा। तुम चुपचाप चोरी करके महल से चले जाना। इस तरह तुम्हें बहुत सा थनभी मिलेगा। चोरों को सलाहकार की बात जंच गई और उन्होंने उस सलाहकार को छोडते हुए कहा कि अगर तुमने हमसे जरा भी झूठ कहा तो तुम हमसे नहीं बचोगे ।हम किसी न किसी तरह तुम्हें पकड़ ही देंगे ।यह कहकर उन चोरों ने उस को छोड़ दिया जब रात को चोर राजा के महल में घुसने लगे तो पहरेदार ने उन्हें अंदर जाने दिया ।पहरेदार ने चोरों के आने की सूचना राजाको दे दी ।राजा ने अपने सैनिकों को उन चोरों को पकड़ने का आदेश दिया उन चोरों को पकड़कर जब राजा के सामने लाया गया , चोरों ने राजा से कहा कि आप हमें दंड नहीं दे सकते। आप हमें छोड़ दो। आपका असली गुनाहगार तो आपका सलाहकार है। हम जब आप की बलि चढ़ाने वाले थे तो उसने हमें बताया कि जिस आदमी को आपने अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं बल्कि एक राजा है । तुम चोरी करने आओगे तो मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा । तुम मुझे छोड़ दो सलाहकार के ऐसा कहने पर हमने उसे छोड़ दिया ।हमें क्या पता था कि आपने अपने महल में ना जाने ऐसे बेवकूफ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है जो इंसान यकीन करने के लायक नहीं है। आपको उसे दंड अवश्य देना चाहिए। सलाहकार की बात पर राजा को यकीन हो गया कि वह जो सच कह रहा है। राजा ने उन चोरों को तो छोड़ दिया ।पहरेदार को राजा ने अपने पास बुलाया और कहा कि तुम वफादारी के काबिल नहीं हो तुमने मुझसे छल कपट किया है।

तुम्हें कल सारी प्रजा के सामने दंड मिलेगा उस सलाहकार ने राजा को कहा राजा जी पहले आप मेरी बात तो सुन लो । सलाहकार ने राजा को कहा कि जब चोरों ने आपको छोड़ दिया तो मैं भी अपना चोरो से बचाव करना चाहता था। इसलिए मैंने उन्हें कहा कि तुम महल में चोरी करने आ जाना मैं पहरेदार को समझा दूंगा वह तुम को अंदर आने देंगे। मेरा ऐसा कहने पर चोरों ने मुझे छोड़ने का निश्चय कर दिया ।मैंने चोरों को कहा कि जिसे आप साधारण आदमी समझ रहे हो वह एक साधारण आदमी नहीं है वह एक राजा है मैं उनका सलाहकार।तुम चोरी करने राजा के महल में आना मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा तुम चोरी करके चले जाना ऐसा मैंने अपने बचाव में कहा था तभी उन्होंने मुझे छोड़ दिया ।राजा ने कहा कि मैं तुम्हारी किसी बात पर यकीन नहीं करता तुम्हें सारी प्रजा के सामने सजा तो अवश्य ही मिलेगी ।अगले दिन सारी प्रजा के सामने पहरेदार को बुलाया और कहा तुम्हे दंड तो अवश्य मिलेगा ।तब सलाहकार ने सारी बात। प्रजा के सामने राजा से कहा कि मुझे सजा देने से पहले आपको भी मेरी बात माननी होगी ।आपने सारी प्रजा के सामने मुझे कहा था कि मैं भी तुम्हें एक वचन देता हूं जो तुम मांगोगे मैं तुम्हें दूंगा ।मैंने अपने वचन में आपसे कहा था कि समय आने पर मांग लूंगा ।आज सारी प्रजा के सामने आपसे अपना यह वचन मांगता हूं कि आप मुझे छोड़ दे। राजा ने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी ।एक बार फिर राजा ने उसकी चतुराई की प्रशंसा की और कहा कि तुम यहां से मत जाओ ।मैंनें तुम्हारी सजा को माफ कर दिया।

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होनहार दामाद

बहुत समय पहले की बात है कि किसी नगरी में एक राजा राज करता था। राजा अपनी प्रजा के सामने अच्छा बनने की कोशिश करता था परंतु वह दिखावे के लिए ही प्रजा के सामने अच्छा बनने की कोशिश करता था ।उस राजा जैसा निर्दयी कोई भी उसके राज्य में नहीं था । राजा के सामने फरियाद लेकर जब भी कोई आता तो सबके सामने तो राजा उस व्यक्ति से बहुत ही प्यार से पेश आता था ।परंतु जब दूसरे व्यक्ति चले जाते तो वह अकेले में उस व्यक्ति को बुलाकर उससे बहुत ही बुरा बर्ताव करता था। उसके इस बर्ताव से सारी प्रजा के लोग बहुत ही दुखी थे ,परंतु राजा का ऐसा बर्ताव देख कर लोग उससे कहना तो चाहते थे परंतु सब लोग इतने लाचार थे कि वह राजा के सामने कुछ नहीं कह सकते थे। हर व्यक्ति को मजबूर होकर राजा के पास आना ही पड़ता था अगर प्रजा के लोग उसकी बात नहीं मानते थे तो किसी ना किसी बहाने वह,अपनी प्रजा को सताने में कोई कसर नहीं छोड़ता था राजा की पत्नी हमेशा अस्वस्थ रहती थी ।राजा अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता था उसने अपनी पत्नी की देखभाल के लिए एक दासी नियुक्त की हुई थी ।वह रोज उसकी पत्नी की देखभाल करती थी अगर किसी दिन वह छुट्टी पर होती तो राजा उसकी पगार में कटोती कर देता था।

था राजा की एक बेटी थी सुप्रिया राजा अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था ।राजा के कोई बेटा नहीं था वह हरदम यही सोचा करता था कि मेरे बाद मेरे राज्य की बागडोर कौन संभालेगा? इसलिए वह हमेशा चिंतित रहता था। वह सोचता था कि मुझे ऐसा कोई इंसान मिले जो मेरे राज्य को अच्छे ढंग से संभाले उसके लिए हर तरह की कोशिश किया करता था। एक बार दासी का बेटा बहुत ही बीमार हुआ दासी ने राजा को कहा कि मेरा बेटा बहुत बीमार है परंतु राजा ने कहा कि जब तक तुम अपना काम नहीं करोगी तब तक तुम्हें पगार नहीं मिलेगी अब तो बेचारी दो दिन तक काम पर नहीं आ सकी ।राजा ने उसकी पगार में से रूपये भी काट लिए। जब वह काम पर आती उसका बेटा भी साथ आता इस तरह उसके दिन गुजर रहे थे राजा की बेटी दासी के बेटे के साथ हिल मिल गई थी। वह भी उसके साथ काफी देर तक खेला करती थी। राजा धनुर्विद्या में बहुत ही पारंगत था। राजा की एक बेटी थी सुप्रिया। राजाअपनी बेटी से बहुत प्यार करता था ।राजा के कोई बेटा नहीं था वह हरदम यही सोचा करता था कि मेरे बाद मेरे राज्य की बागडोर कौन संभालेगा ?इसलिए वह हमेशा चिंतित रहता था ।वह सोचता था कि मुझे ऐसा कोई इंसान मिले जो मेरे राज्य को अच्छे ढंग से संभाल ले उसके लिए हर कदम कोशिश किया करता था ।एक बार दासी का बेटा बहुत ही बीमार हुआ दासी नेे राजा को कहा कि मेरा बेटा बहुत बिमार है।दासी काम पर नहीं जा सकी राजा ने उसकी पगार में से रुपए भी काट लिए। जब भी काम पर आती उसका बेटा भी साथ जाता । राजा की बेटी दासी की बेटी के साथ हिल मिल गई थी वह भी उसके साथ काफी देर तक खेला करती थी । बच्चे भी बड़े हो चुके थे दासी का लड़का भी बड़ा हो चुका था ।वह धनुर् विद्या का अभ्यास कर रहा था। एक बार राजानेअपने महल में दूर-दूर से धनुर् धारियों को महल में बुलाया और कहा जो मुझेधनुर्र विद्या में हरा देगा उसे मैं काफी ईनाम दूंगा ।सभी राज्यों से राजकुमार आए मगर कोई भी उसे हरा नही ंसका।दासी का लड़का आकर राजा से बोला मैं आपको धनुर् विद्या में हरा सकता हूं । राजा के कौशल को

देखने के लिए लोग राजा के प्रांगण में पहुंचे । दासी के लड़के ने राजा को एक ही झटके में हरा दिया। राजा ने सोचा इस लड़के ने मुझे हरा दिया है । मुझे अपना राज काज ऐसे आदमी को सौंप देना चाहिए जोमेरा राज्य संभालने के काबिल हो ।उसने अपने भाई के बेटे को गोद ले लिया वह बहुत ही अत्याचारी था ।वह उसका बेटा तो बन गया परंतु किसी ना किसी तरह राजा को नीचा दिखाने की कोशिश करता था ।वह राजा को फूटी आंख नहीं सुहाता था। जब तक राजा ने उसे राज्य की बागडोर नहीं संभाली थी तब तक तो वह राजा के साथ बड़े अच्छे ढंग से पेश आता था ,परंतु जैसे ही राजा नहींउसे राजा सारा राज पाट सौंप दिया तो वह राजा के साथ बुरा बर्ताव करने लगा ।दासी के बेटे को राजा पहचानता नहीं था क्योंकि उसने कभी भी राजा को नहीं बताया जिसने आपको धनुर्विद्या में हराया वह कोई और नहींतुम्हारे घर काम करने वाली दासी का बेटा है । राजा पछताने लगा था कि मैंने गलत आदमी को अपना राजपाट सौंप दिया है अब मेरे राज्य का क्या होगा ।दासी का लड़का राजकुमारी से मिलता था वह दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे ।दासी का लड़का कहता था कि तुम मेरे साथ मेलजोल मत बढ़ाओ क्योंकि कहां तुम और कहां मैं ,?मैं तो एक गरीब घर का बेटा हूं तुम गरीब के घर नहीं रह सकती ।राजा की बेटी ने उससे कहा कि अगर शादी करूंगी तो तुम से वरना मैं कुंवारी रह जाऊंगी । एक दिन राजा की बेटी ने दासी के बेटे को बताया कि मेरे पिता जी ने जिस व्यक्ति के हाथ राज्य की बागडोर सौंपी है वह बहुत ही बेईमान है ।वह कहता है कि अपनी बेटी की शादी मुझसे कर दें जब मेरे पिता ने इन्कार कर दिया तो उसने मेरे पिता जी को बहुत जोर से ठोकर मारी और उन्हें जेल में बंद कर दिया। मैं अपने पिता को कैद में नहीं देख सकती तुम कोई योजना बनाओ जिससे वह मेरे पिता के हथियाए हुए राज्य को वापस कर दें ।और मेरे पिता की सत्ता को लौटा दे ।दासी का बेटा बोला मैं कोई रास्ता खोजता ह।ूं धनुर्विद्या में दासी का बेटा जीत गया। तब राजा ने जिस नवयुवक को गोद लिया था वह आकर दासी के बेटे से बोला वाह, तुम तो बहुत ही बड़े धनुर्विद्या में माहिर हो ।आज मैं तुम्हें अपने महल में मंत्री पद पर नियुक्त करता हूं ।वह दासी के बेटे को महल में नियुक्त कर देता है ताकि कोई भी बाहर वाला आकर उस पर हमला करे तो वह उसकी सहायता करे।ं दासी का बेटा सारी गांव की प्रजा के पास आ कर बोला। पहले राजा ने हमारी नाक में दम कर रखा था अब इस राजा का गोद लिया बेटा यह तो इससे एक कदम आगे ही है ।हम सबको मिलकर कोई ऐसी योजना बनानी होगी जिससे वह नकली राजा हार जाए । राजा के भाई का बेटा जिसको मंत्री के पद पर नियुक्त किया जाना था वह राजा के पास गया और बोला सारे गांव वाले लोग कहते हैं कि अगर कोई गांव वालों में से कोई धनुर्विद्या में हार जाए तो हम उसको हंसी-खुशी अपना राजा स्वीकार कर लेंगे । नव निर्वाचित राजा के पास प्रजा के लोग आए और बोले ।राजा ने ही आपको प्रजा की बागडोर संभाली है परंतु हमारी प्रजा ने अभी तक आपको अपना राजा नियुक्त नहीं किया है ।ठीक है ,अगर आप राज्य के 20 आदमियों को धनुर्विद्या में हरा देंगे तो हम हंसी खुशी आपको अपना राजा स्वीकार कर लेंगे । राजा ने जिस नवयुवक को गोद लिया था वह बोला ठीक है हमें तुम्हारी सारी शर्तें मंजूर है मैं तुम सबको धनुर्विद्या में हरा दूंगा ।मेरे दरबार में मेरे पास एक ऐसा मंत्री है वह तुम सबको एक ही झटके में हरा सकता है । तुम भगवान के मंदिर में चलकर यह बात कहो तभी हम तुम्हारी बात पर यकीन करेंगे अ राजा ने जिसे अपना दत्तक पुत्र नियुक्त किया था वह उनके साथ मंदिर चलने के लिए तैयार हो गया और वहां पर चलकर बोला अगर यह सब लोग इस मंत्री को धनुर्विद्या में हरा देंगे तो मैं राजा की बागडोर पद से त्याग दे दूंगा और राजा को राजपाट वापस कर दूंगा ।प्रजा के लोंगों ने कहा कि तुमने राजा से जो महल की जमीन के कागजों पर हस्ताक्षर करवाएं हैं। वह भी सब राजा को लौटाने होंगे तब नकली बना राजा बोला मंजूर है मुझे तुम्हारी सारी बातें मंजूर है ।उसे अपने मंत्री पर बहुत विश्वास था कि वह प्रजा को एक ही झटके में हरा देगा । प्रजा ने नकली राजा से कहा कि जब तक धनुर्विद्या का आयोजन नहीं होता तब तक तुम्हें असली राजा को भी कैद से बाहर निकालना होगा नकली दत्तक पुत्र ने राजा को जेल से बाहर निकाल दिया । धनुर्विद्या का आयोजन किया गया दूर-दूर से लोग धनुर्विद्या देखने के लिए आए पहले राउंड में तो मंत्री ने प्रजा को हरा दिया । नकली राजा बहुत ही खुश हुआ ,परंतु दूसरे और तीसरे राउंड में मंत्री प्रजा के लोगों से हार गया ।नकली बना राजा आग बबूला हो उठा परंतु उसने सभी प्रजा के सामने कसम खाई थी कि अगर मंत्री हार गया तो वह राजा को सब कुछ वापिस कर

देगा ।नकली बना राजा कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि सारी प्रजा के लोग एक साथ थे। दासी के बेटे ने अपनी होशियारी से प्रजा और अपने राजा का सम्मान पा लिया था ।राजा ने उसे उठकर गले से लगा लिया और बोला तुम ही असली राजा की बागडोर संभालने के लायक हो ।मैं यह सारा राज पाट तुम्हेंं संभालता हूं मैं तुम्हारे साथ अपनी बेटी की शादी करना चाहता हूं। दासी का बेटा बोला कि फिर भी सोच लो आपने सभी प्रजाजनों के सामने मुझे राजा बनाना मंजूर किया है ।क्या तुम अपनी बेटी का हाथ मेरे हाथ में दे दोगे बिना जाने की मैं कौन हूं ?तब राजा बोला हां बेटा ,मैं भी बिना जाने पूछे पूरे होशो हवास में यह बात कह रहा हूं तुम चाहे जो भी हो तुम्हें मैं अपनी बेटी का हाथ सौंपना चाहता हूं । तुम्हें इस देश का राज्य संभालना चाहता हूं सभी प्रजा के लोगों ने उठकर जोर-जोर से तालियां बजाई ।राजा ने उठकर उसे राजा का ताज पहनाया ।नकली बना राजा अपना सा मुंह लेकर वहां से चला गया ।बाद में दासी के बेटे ने बताया कि वह दासी का बेटा है जो कि आपके महल में ही काम करती थी ।राजा यह जानकर हैरान रह गया परंतु उसने उसे अपने दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया ।उसने अपने किए किए के लिए अपने दामाद से क्षमा मांगी और खुशी-खुशी अपने महल में लौट आया।

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झूठा सौदा

बग्गा एक रिक्शाचालक था एक छोटी सी खोली में रहता था। वह रात-दिन मेहनत मजदूरी करके अपने तथा अपने बच्चों का पेट भरता था ।उसका एक बेटा था वह सोचता था कि वह अपने बच्चों को खूब पढ़ आएगा। वह तो कुछ नहीं बन सका मगर किसी ना किसी भी किसी तरह वह अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलवाएगा ।वह बहुत ही मेहनती था। सारा दिन रिक्शा चलाता था उसको घर छोड़ना इसी से वह अपने परिवार का पालन पोषण करता था ।उसका बेटा था विक्रम ।जैसा नाम वैसा ही वह सभ्य और सुशील था ।अपने पापा के संस्कार उसमें कूट-कूट कर भरे थे ।वह हमेशा सोचा करता था कि हम एक छोटी सी खोली में रहते हैं ।यही खाना बनाते हैं ।यही सारा काम करते हैं ।मैं बड़ा होकर अपने पिता के सपनों को साकार करूंगा ।वह मुझे बड़ा आदमी बनाना चाहते हैं मैं भी हमेशा कोशिश करुंगा कि मैं जल्दी से जल्दी कुछ अच्छा बनकर अपने पापा और मां को भरपूर खुशियां दूंगा ।मम्मी तो बेचारी बीमार ही रहती है सारा बोझ तो मेरे पापा के कंधे पर है ।इस तरह उनके जीवन के दिन बीत रहे थे विक्रम दसवीं कक्षा में आ चुका था ।वह सोच रहा था मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं ।मैं डॉक्टर बन जाऊँगा तो मैं अपनी मां का ईलाज स्वयं कर सकता हूं।ं उसने स्कूल में मेडिकल के विषय ले रखे थे। उसके पापा को तो इस विषय में कुछ मालूम नहीं था। वह हमेशा इसी धुन में लगा रहता था कि वह खूब मेहनत करे वह सारी सारी रात बैठ कर पढ़ा करता था। उसके पड़ोस में एक सेठ रहते थे उनका लड़का-डॉक्टरी करना चाहता था ।वह भी उन्हीं के स्कूल में पढ़ता था। कान्वेंट स्कूल वालों ने तो उसे अपने स्कूल में दाखिला नहीं दिया था ।सिर्फ एक ही ऐसा स्कूल था जहां उसे प्रवेश मिला था ।वह हर बार फेल हो जाता था इसलिए हार कर उसके पिता ने उसे समिति के स्कूल में उसका दाखिला करवा दिया था। रिक्शा चालक का बेटा भी संयोग से उनके स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहा था ।उसको अच्छे अंकों के माध्यम से स्कूल में दाखिला मिला था सेठ का बेटा तो हमेशा गाड़ी से स्कूल पहुंचता था ।रिक्शा चालक का बेटा तो अपने पिता के रिक्शा में या कभी-कभी पैदल ही कॉलेज आ जाया करता था ।उसने दसवीं की परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया था। स्कूल वालों ने उसे छात्रवृत्ति भी दी थी ।वह कभी-कभी सेठ करोड़ीमल के बेटे से बात करने की कोशिश करता था। करोड़ीमल का बेटा तो उसे कभी सीधे मुंह बात नहीं करता था ।उसने अपने घर में ट्यूशन लगा रखी थी ।और इंटरनेट के माध्यम से अपने विषय की जानकारी हासिल कर लेता था। ।रिक्शा चालक का बेटा तो दिन रात मेहनत कर रहा था। वह कभी-कभी पार्ट टाइम काम करके रुपए इकट्ठे करके अपनी किताबें ले लेता था ।परीक्षा भी पास आ रही थी ऐसे में करोड़ीमल का बेटा श्याम उससे बात करने लग गया था ।वह विक्रम से प्रश्न पूछता था। एक दिन करोड़ीमल के बेटे ने उसे अपने घर बुलाया और कहा कि चलो आज हम दोनों बैठकर पढ़ाई करते ह।बातों ही बातों में उसने आधे से ज्यादा प्रश्न शाम को हल करवा दिए थे वह कहने लगा अब तो मुझे गहरी नींद आ रही है तू भी सो जा करोड़ीमल का बेटा श्याम सो चुका था ।विक्रम नें इंटरनेट के माध्यम से उसके घर पर सारे प्रश्न हल कर लिए थे ।जो कुछ उसे नहीं आता था वह भी इंटरनेट से उसने हल कर लिया था। अगले दिन वह अपने घर आ गया था परीक्षा भी पास आ गई थी ।विक्रम के सारे पेपर बहुत ही अच्छी हुए उसने अपने पिता को बताया कि पिताजी इस वर्ष तो में पीएमटी में सिलेक्ट हो जाऊंगा ।मैं डॉक्टरी मैं ब्लैकस्टोन होनें के लिए पी एम टी का फॉर्म भर दूंगा। उसके पिता बोले बेटा यह तो अच्छा है परंतु इसके लिए रुपए कहां से आएंगे ?वह बोला कुछ मेरी छात्रवृत्ति होगी कुछ मैं कहीं पार्ट-टाईम नौकरी कर लूंगा ।डॉक्टर तो मैं बन कर ही दम लूंगा ।परीक्षा का परिणाम आने में अभी एक हफ्ता था ।सेठ ने किसी ना किसी तरह पता कर लिया था उसका बेटा तो सेलेक्ट नहीं हुआ था परंतु उसका दोस्त रिक्शा चालक का बेटा पीएमटी में निकल चुका था। करोड़ीमल ने सोचा कि इस रिक्शा चालक के बेटे को डॉक्टर कौन बनाएगा। क्यों ना मैं कुछ योजना बताता हूं ?।विक्रम के पेपर की जगह पर मैं अपने बेटे का रोल नंबर डाल दूंगा और अपने बेटे के पेपर विक्रम के पेपर के साथ बदल दूंगा ।अपने बेटे को सिलेक्ट करवा दूंगा और रिक्शा चालक का बेटा पीएमटी टेस्ट में नहीं निकला ऐसा चक्कर चला दूंगा। उसने अपनी योजना को अंजाम देने के लिए विक्रम के पिता को अपने पास बुलाया देखो भाई मैं आपको दिन रात मेहनत करते देखता रहता हूं आप दिन में कितना कमा पाते हो आपकी पत्नी तो हमेशा बिमार ही रहती है। आपके पास तो उसे अच्छा खिलाने के लिए भी रुपया नहीं है। ।तुमको मैं बहुत सारे रुपए दिलवा सकता हूं अगर तुम मेरा काम कर दो वह बोला मुझे क्या करना होगा करोड़ीमल बोला हमें पता चला है कि आपका बेटा पीएमटी की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया है ।वह डॉक्टर बन कर क्या करेगा? अगर तुम अपने बेटे के पेपरो को मेरे बेटे के पेपर का नाम दे दो तो ठीक है तुम्हारे बेटे के पेपर की जगह मेरे बेटे का नाम होगा । मेरे बेटे के पेपर में तुम्हारे बेटे का नाम होगा। यह बात सिर्फ हम दोनों में ही रहनी चाहिए ।आपका बेटा तो होशियार है ।अगले साल भी पीएमटी परीक्षा में निकल जाएगा मगर मेरा बेटा तो निकल नहीं सकता वह इतना होशियार नहीं है इसके लिए मैं तुम्हें 500,000 रुपए दूंगा। तुम्हारी तो जिंदगी बदल जाएगी तुम अपनी पत्नी का इलाज भी अच्छे अस्पताल में करवा सकते हो ।रिक्शावाला पहले तो सोचने लगा नहीं परंतु बाद में उसने सोचा 500, 000 रुपए तो मैं सारा जन्म ले लूंगा तो भी जुटा नहीं पाऊंगा ।मेरा बेटा तो अगले वर्ष परीक्षा देकर निकल जाएगा ।वह करोड़ीमल की बातों में आ गया ।उसने हां कर दी अब सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ । बोर्ड परीक्षा में रिक्शा चालक के बेटे के पेपर अपने बेटे के पेपर के साथ बदलवा दिए। उसके लिए उसने घुस दी थी। उसने रिक्शा चालक को भी 5,00,000 दिए ।जब परीक्षा परिणाम निकला तो रिक्शा चालक का बेटा बहुत खुश था उसकी मेहनत का परिणाम आने वाला था जब परिणाम में सेठ करोड़ीमल का बेटा पीएमटी ेटैस्ट में निकल गया रिक्शा चालक का बेटा नहीं निकला था ।उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं आया वह एकदम गम्भीर हो गया।इतनी मेहनत करने के बावजूद भी उसका परिणाम गंदा आया था। और जो कभी किताबों को हाथ नहीं लगाता था सेठ करोड़ीमल का बेटा वह परीक्षा में सफल हो चुका था ।इसी चिंता में घुलकर वह अस्पताल में भर्ती हो गया था। उसके पिता ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा कोई बात नहीं अगले साल तैयारी करना। कोई कोई बात नहीं मैं तुम्हें रूपये उपलब्ध करवा दूंगा ।।उनके स्कूल की एक लड़की थी जिसके पिता पुलिस इंस्पेक्टर थे ।वह अपने पिता के साथ करोड़ीमल के बेटे की पार्टी में गई हुई थी ।उसने अपने सभी दोस्तों को पार्टी पर अपने घर बुलाया था ।वह अपनी अपनी खुशी उन सब दोस्तों के साथ बांटना चाहता था। प्रेरणा भी उसकी पार्टी में गई हुई थी। करोड़ीमल के बेटे ने ज्यादा पी ली थी ।उसका दोस्त विनीत और प्रेरणा दोनों उसके साथ ही बातों-बातों में करोड़ी मल के बेटे ने श्याम को बताया कि बेचारा विक्रम उसके पेपरों की वजह से ही मैं आज पीएमटी में निकला हूं मेरे पापा ने उसके पिता को पांच लाख रुपए दिए और कहा कि हमें ऐसा कर लेते हैं ।तब कहीं जाकर विक्रम के पापा मान गए । सच्चाई प्रेरणा के सामने आ चुकी थी ।वह अपनी मेहनत के दम पर नहीं बल्कि उस गरीब रिक्शा चालक के बेटे के अंको के बलबूते पर पीएमटी में निकला था ।वह चुपचाप वहां से चली गई ।वह अस्पताल में विक्रम से मिलने गई बोली ,मुझे तुम्हारे लिए दुख है तुम्हारे पापा ने यह कैसासौदा किया था ।वह चौक कर बोला !क्या कर रही हो ?उसने सारी कहानी विक्रम को सुनाई ।किस तरह तुम्हारे पापा ने करोड़ीमल से 5,00000 रुपए लेकर तुम्हारे पेपर बदल दिए थे ।विक्रम को सारा माजरा समझ में आ चुका था ।उसे अपने पिता पर गुस्सा आ रहा था ।उन्होंने रुपयों की खातिर अपने बेटे की मेहनत के साथ खिलवाड़ किया था ।वह सोचने लगा पापा ने मां के ईलाज के लिए रुपए उपलब्ध ना होने की वजह से हां की होगी। यह बात मेरे पापा मुझसे कह सकते थे ।उन्होंने इतना बड़ा फैसला बिना मुझसे पूछे कैसे ले लिया ?वह फूट फूट कर रोने लगा। उसको इस तरह रोतादेखकर प्रेरणा बोली, मायूस ना हो मैं अपने पिताजी से कहकर तुम्हारी परीक्षा के पेपर की छानबीन करवा दूंगी ।तुम पूर्ण मूल्यांकन का फॉर्म भर दो। उसने पुन: मुल्यांकन के लिए प्रार्थना पत्र दे दिया था ।उसके परीक्षा पेपर के अंको की छानबीन के दौरान पाया गया सचमुच करोड़ीमल के बेटे के पेपर विक्रम के पेपरो के साथ बदल दिए थे ।सारी छानबीन के दौरान करोड़ीमल को घूस लेने के चक्कर में दो साल की कैद सुनाइ। उसे सलाखों के पीछे कैद कर दिया । श्याम के पिता ने भी गुनाह किया था उन्हें भी दो महीने की सजा सुना दी गई। रिक्शा चालक कैद काट कर बाहर आ चुका था ।विक्रम की पढ़ाई का खर्चा अपने ऊपर ले लिया था ।डॉक्टर की सारी पढ़ाई का खर्चा सरकार देगी । विक्रम डॉक्टर बन चुका था। उसने सबसे पहले अपने मां के ईलाज के लिए रुपए इकट्ठे किए और स्वयं अपनी मां का ईलाज किया और एक अच्छा सा घर ले लिया। वह अपने माता और पिता के साथ खुशी-खुशी रहने लग गया था।