(मस्ती की पाठशाला) कविता

लुक्का छिपी लुकाछिपी खेल खेल कर साथ मिल कर खेलो खेल। हम सब बच्चे मिलकर बनाएं अपनी रेल।। छुक छुक छुक छुक करती आई रेल। सीटी बजाती आई रेल।। एक दो तीन चार, पांच छः सात, आठ नौ दस ग्यारह। आज मौसम बहुत ही प्यारा।। मेरे साथ मिलकर तुम गांओ यह गाना। डम डम डिगा… Continue reading (मस्ती की पाठशाला) कविता