प्रकृति के सौंदर्य में चार चांद लगाता है ऋतुराज बसंत।मलय पवन की सुगन्ध से लता कूंज को महकाता है बसंत।। पीली सरसों से खेतों को सुसज्जित करता है बसंत।झूम झूम के पक्षियों के कलरव से वन को महकाता है बसंत।। प्रकृति के कोनें कोनें में अपनी छटा को बिखराता है बसंत।हर्ष आनन्द प्रेम प्रसन्नता और… Continue reading ऋतुराज बसंत