क्षमा याचना

राजन एक ट्रक ड्राइवर था।उस का तबादला दूसरे कस्बे में हुआ था।रोबीला चेहरा,काफी लम्बा चौड़ा बड़ी बड़ी मूंछों वाला।तीखे नयन नक्स। ट्रक चलानें में माहिर था। उसको कस्बे में आए हुए छ सात महीनें हो चुके थे।काफी ज्यादा संख्या में लोग उससे परिचित हो चुके थे।छोटा सा पहाड़ी इलाका था।वह जंहा भी बैठ जाता लोग उसके आसपास घेरा लगा कर बैठ जाते थे। वह उन्हेंं न जानें कितने अपने अनुभव सुना कर उनका मन बहलाया करता था। थोड़े से समय में उसनें वहां के लोगों पर अपना जादू चला दिया था। ट्रक चलानें में भी इतना माहिर था कि लोग उसकी बराबरी नहीं कर सकते थे।उसको एक ही बुरी आदत थी वह ट्रक बहुत ही तेज चलाता था।उसकी पत्नी उस से कहती कि एक बात मेरी भी सुनो लिया करो तुम गांव के लोगों से अपनी प्रसंसा सुन और भी फूल कर कुप्पा हो जाते हो। ज्यादा गर्व करना आप को शोभा नहीं देता।आप का यह घमंड एक दिन आप को ले डूबेगा ।राजन अपनी पत्नी की बात को हंसी में टाल देता।वह कहता अरी नादान मुझे ट्रक चलाते आज इतनें वर्ष हो गए।मैं कोई दूध पीता बच्चा थोड़े हूं जो मैं गिर जाऊंगा।बेवजह अपना दिल मत दुखाया करो।तुम तो मिन्कु का ध्यान रखा करो। वह बोली मेरे माता-पिता ने मेरा नाम आन्नदी रखा है।मगर तुम मेरी जरा परवाह नहीं करते।मैं तो केवल नाम की ही आन्नदी हूं।वह बोला अच्छा अब आगे से कोताही नहीं बरतूंगा।यह कह कर वह मुस्करा कर घर से निकल पड़ता और शाम को घर आता।कभी कभी तो वह रात रात भर देर से घर आता।कभी बहुत देर हो जानें पर वहीं विश्राम कर लिया करता।गांव के लोग उसकी जब प्रशंसा करते तो वह और भी तेज ट्रक चलाता।गांव के लोग भी उससे हिलमिल गए थे।कुछ लोग तो उससे कहते भाई थोड़ी रफ्तार रख ट्रक चलाया करो।वह उन्हें कहता यह तो मेरी आदत है।गांव के कुछ लोग उससे कहते तुम्हारी यह ही आदत एक दिन तुम्हें ले डूबेगी।वह उन्हें हंसी हंसी-मजाक में कहता वह तो उसके इतने सारे वर्षों का नतीजा है जो मैं अच्छी रफ्तार से ट्रक चला लेता हूं।उसकी मां उसे समझाती बेटा अपनी मां कि बातों को अनदेखा नहीं करना चाहिए वह अपनी मां के कुछ कहनें से पहले अपनी माता के मुंह पर हाथ रख दिया करता था।कितनी बार वह मरते मरते बचा?वह सभी को ज़बाब देता कि मैं अपनी होशियारी के कारण हमेशा बच जाता हूं।एक दिन की बात है कि वह सुबह सुबह ही ट्रक को ले कर निकल पड़ा।वह बहुत ही तेज रफ्तार से ट्रक चला रहा था।वह जल्दी ही अपनें गन्तव्य स्थान पर पहुंचना चाहता था। उसे तीन घंटे से भी ज्यादा समय हो चुका था। सारा सामान लेकर दूसरे गांव में बेचने जा रहा था ।अचानक तेज हवाएं चलने लगी हवाएं इतनी तेज थी कि उसे रास्ता भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था आंधी तूफान भी चलनें लग गया था। उसने ट्रक दूसरी ओर घुमा दिया उसे पता था कि दूसरे रास्ते से भी पहुंचा था सकता था। तूफान इतना भयंकर था कि आस पास के पेड़ भी उखड़ने लगे। उसे पता ही नहीं चल रहा था कि ट्रक को कंहा ले जाए । ट्रक की ब्रेक फेल हो गई थी। थोड़ी देर में ट्रक एक गहरी खाई में जा गिरा ।राजन ट्रक की खिड़की से कूद पडा एक पहाड़ी से जा टकराया।उसनें वृक्ष की शाखा को कस कर पकड़ रखा। ट्रक का तो पता नहीं चल सका कि कहां गिरा? वह पेड़ की शाखा को काफी देर तक कस कर पकड़े रखा था।उसे चोटें भी लग चुकी थी।मगर वह सुरक्षित था।वह पेड़ की शाखा के तने को छोड़ता तो वह मर ही जाता कि क्योंकि नीचे बहुत ही गहरी खाई थी।वह उस में गिर सकता था।धीरे धीरे डंडे के सहारे से सरक सरक कर पेड़ के ऊपर चढ़नें में सफल हो गया।वह सोचनें लगा कि मुझे सभी नें समझाया था कि रफ्तार तेज नहीं रखनी चाहिए लेकिन वह अपनी प्रशंसा सुनने के लिए इतना व्याकुल हो चुका था कि अपनें आसपास के लोगों और अपनें परिवार जनों के शब्दों को हंसी में उड़ा दिया करता।आज सचमुच ही जब मुझ पर यह बीता तब पता चला।अच्छा ही हुआ आज ट्रक में मेरे साथ लोग नहीं थे न जानें अपनें साथ कितने लोगों को मरवा ही डालता।आज तो वह मर ही जाता लेकिन मुझे बचना था वह सारी रात पेड़ पर चिपका रहा।सुबह के समय उसने ऊपर कि और देखा उसेएक ट्रक दिखाई दिया।उसने सोचा मैं इस पेड़ पर से छलांग लगा दूं तो मैं मर जाऊंगा ऐसे ही मैं मर ही रहा था।इस समय तो मुझे कोई बचानें वाला भी नहीं आएगा।मेरे चीखनें चिल्लाने से भी इस ट्रक वाले को आवाज सुनाई ही नहीं दी।नीचे खाई में ही गिर जाऊंगा। किसी के गिरनें किआवाज़ तो सुनाई ही देगी।यह सोच कर उसने आंखें बंद करके छलांग लगा दी।वह सड़क में गिरनें की अपेक्षा एक कंटीली झाड़ी में फंस गया।वहां पर बहुत ही कांटेदार झाड़ियों के बीच फंस गया।उसकी सारे शरीर से लहू निकल रहा था।वह बेहोश हो चुका था।उसने सुना कोई कह रहा था शायद यहां कोई गिरा है दूसरे ही पल वहां एक जंगली कुत्ता सरपट भागता हुआ दिखा।ट्रक वाला व्यक्ति बोला यह कुता ही झाड़ियों में फंसा हुआ था।देखो लहू कि बूंदे।यह कह कर वह ट्रक चलानें वाला वहां से जा चुका था।राजन कि आंखों के सामने अंधेरा छा गया।दो दिन तक वह वहीं बेहोश पड़ा रहा।उसकी घड़ी टिक-टिक कर रही थी।वह चिल्लाने कि कोशिश करनें लगा मगर उसके गले से आवाज ही नहीं निकल रही थी।वह घनें जंगल में झाड़ियों के बीच फंस गया था।जंगल में बहुत सारे जीव जन्तु थे। उसे शेर की दहाड़ सुनाई दी।वह लकड़ियों के बीच में छिपा गया।अपनें ऊपर लकड़ीयां गिरा दी।उसके सारे शरीर में कंटीली झाड़ियां चुभ गई थीं।वह बाहर भी निकल नहीं सकता था।शेर, हाथी, तोता , भेड़िया बहुत सारे जीव जन्तुओं की आवाजें उसे साफ सुनाई दे रही थी।शाम के समय सब के सब जीवजन्तु चले गए तो उसकी जान में जान आई।एक तोता उसके पास आ कर टेंटें करनें लगा।तोते को सामनें देख उसकी आंखों में आंसू आ गए।तोता उसकी पैन्ट जो जगह जगह से फट गई थी उस को चाटनें लगाराजन को महसूस हुआ कि वह तोता उस की दयनीय दशा देख कर मायूस हो गया था। ।आज उसे महसूस हुआ कि जीव भी प्राणियों पर अपना प्यार दर्शातें हैं।उसने कभी भी किसी जीव जन्तु को प्यार से कभी नहीं देखा।उसे याद आ गया कि एक दिन एक चिड़िया का बच्चा अपनें घौंसले से नीचे गिरा हुआ था।उस के साथ वाला व्यक्ति बोला देखो भाई इस चिड़िया के बच्चे को चोट लगी है चलो इस को अस्पताल में पहुंचा देतें हैं शायद यह बच जाए।राजन बोला भाई मेरे पास समय नहीं है मैं अगर रुक गया तो मुझे देर हो जाएगी। तुम्हारे पास समय है तो तुम चले जाओ।वह व्यक्ति उस के ट्रक से उतर कर उस चिड़िया के बच्चे को उठा कर ले गया।आज उसे समझ आया कि प्रकृति के जीव जन्तुओं में भी समझ होती है पर वे बोल ही नहीं सकते मूक रह कर भी बहुत कुछ कह जातें हैं। उसकी जेब से पैन नीचे गिर गया था।तोता उसकी जेब में झांकनें लगा।उस की जेब में छोटी सी डायरी और चाकू था। वह दोनों नीचे गिर गए।तोते नें पैन निकाला और पेज पर अपनीं चोंच में पैन पकड़ कर लिखा तुम कौन हो?उसको लिखता देख कर राजन हैरान हो गया। ड्राईवर नें उसे इशारे से बताया कि मैं एक ट्रक ड्राइवर हूं।उसने यह सब बड़ी मुश्किल से लिखा। ट्रक न जानें गिर कर कहां फंस गया।तोता बोला मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक पहुंचाऊंगातुम चिंता मत करो।तुम को खानें के लिए जानवरों का मांस तुम्हें दिलवाता हूं।वह बोला नहीं नहीं आज से कभी भी मांस न खानें का प्रण लेता हूं।आज मैंनै जाना कि जीव जन्तु भी एक दूसरे कि मदद करनें में समर्थ होतें हैं।उनके पास भी इतना प्यारा मन होता है।नहीं मैं आज से ही प्रण लेता हूं कि कभी भी मांसाहारी भोजन नही खाऊंगा।उसने पतो को खा कर अपनी भूख मिटाई।उसे प्यास भी बड़े जोरों की लग रही थी।पानी पानी यह कह कर वह बेहोश हो गया।तोते ने अपनी चोंच से खोद खोद कर पत्थर के नीचे से पानी निकाला।उसने अपनी चोंच से पतों के द्वारा उसे पानी पिलाया। ट्रक ड्राइवर थोड़ा बोलनें में समर्थ हुआ वह बोला तुम मेरे लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं हो।‌तोता बोला कि मैं इंसानों की भाषा समझता हूं।मैं भी एक व्यक्ति के पास रहता था।मेरा मालिक मुझे बहुत ही प्यार करता था।उस से भी मैनें पढ़ना लिखना सीखा।मेरा दोस्त दूसरे शहर में पढ़ने चला गया तो मैं अकेला पड़ गया।उसके दोस्त नें उस से वायदा किया था कि जब वह औफिसर बन कर आएगा तो वह उसे लेनें आएगा।काफी दिनों तक इन्तजार करनें के पश्चात भी जब वह नहीं आया तो वह उड़ कर जंगल में आ गया।इन जानवरों के बीच में रहनें लगा।तोता बोला ये सब के सब मेरे दोस्त हैं।शेर को मैं मना लूंगा वह तुम्हें नहीं खाएगा।रात को जब राजन सो रहा था तो एक भयंकर सांप अपनें बिल से निकला।डर के मारे राजन कांपनें लगा।सांप नें उसे पांव के अंगूठे में काट खाया।वह सोचनें लगा कि मैं ट्रक से तो बच गया अब तो मैं अवश्य ही मर जाऊंगा।सांप उस को छोड़ कर दूर निकल गया।राजन नें बड़ी मुश्किल से पांव से सरक कर आव देखा न ताव देखा जमीन से चाकू को उठाया और अपने पैर का अंगूठा काट डाला।तोता उड़ता उड़ता आया उसने राजन के पैर के अंगूठे से लहू निकलते देखा उस को पता लग गया था कि सांप नें उसे काट खाया है। राजन धीरे धीरे सरक कर डायरी तक पहूंचा लेकिन उस का हाथ काम नहीं कर रहा था।उस के दिमाग में विचार आया क्यों न दांतों से उस डायरी से पन्ना निकाल लूं।उस ने कोशिश की मगर डायरी दूर जा गिरी उस के दांतों के पास केवल कागज का एक पन्ना ही बचा।तोते नें पन्ना लाल कर उसे थमाया।राजन नें डायरी के पन्ने को दांत से पकड़ कर छोटे से परचे पर लिखा मुझे बचाओ।तोते नें सड़क के समीप कुछ लोगों को टैक्सी से जाते देखा।वे पानी पीनें के लिए नीचे उतरे थे।तोता उड़ कर एक व्यक्ति के कंधे पर बैठ गया।वह फौजी अफसर था।उसने तोते को अपनें कंधे पर बैठनें दिया।तोते नें कागज का पन्ना उस व्यक्ति को दिखाया।औफिसर कर्मवीर नें पढ़ा मुझे बचाओ।मैं झाड़ियों में तीन दिन से फंसा हुआ हूं।मुझे सांप नें भी काट खाया है कृपया नीचे झाड़ियों के पास आ कर मेरी मदद करो।आर्मी औफिसर आसपास कि झाड़ियों में जा कर ढूंढनें ही लगा था कि तोता उड़ कर एक झाड़ी के पास जा कर टैंटैं करनें लगा।आर्मी औफिसर नें दखा नीचे एक बड़ी भारी खाई थी।उस के पास ही नीचे की ओर झाड़ियां थी।तोता उड़ कर उस घायल व्यक्ति के पास बैठ गया। आर्मी औफिसर नें टैलिफोन कर के सहायता के लिए लोगों को बुलवाया।बड़ी मुश्किल से उस ट्रक ड्राइवर को बाहर निकाला।उसे अस्पताल पहुंचाया।इतने सारे वक्त में वह तोता भी उसके साथ ही था। आर्मी औफिसर नें सोचा यह तोता शायद इसका पालतू हो।जहांजहा वह औफिसर जाता तोता उसके साथ जाता।डाक्टर नें कहा कि थोड़ा भी समय ज्यादा हो जाता उसका बचना मुश्किल था।यह पता नहीं कौन है? तोता उस अजनबी की नीचे पड़ी डायरी पर मंडरानें लगा।वह जब बार बार उस डायरी के आसपास चक्कर काटनें लगा तब आर्मी आफिसर को शक हुआ हो न हो वह तोता उस से अवश्य कुछ कहना चाहता है।अचानक उस आर्मी आफिसर की नजर उस डायरी पर पड़ी उस ने डायरी को उठाया उस पर ट्रक ड्राइवर का नाम पता लिखा था। उस औफिसर को राजन के घर का पता उस डायरी से मालूम हो चुका था। आर्मी आफिसर को विश्वास हो गया कि उस तोते के साथ उस ट्रक ड्राईवर का कंही न कहीं सम्बन्ध तो अवश्य है राजन की पत्नी के घर का पता मालूम होने पर आर्मी आफिसर ने उस ट्रक ड्राइवर के घर पहुंच दरवाजा खटखटाया।अन्दर से एक नौजवान बाहर निकला।उसको देख कर तोता उस के पास जा कर टैंटैं करनें लगा।अपनें मालिक को पहचान कर खुशी से नाचनें लगा।उसको इस प्रकार देख कर आर्मी औफिसर हतप्रभ रह गया।राघव अपनी बहन के बुलाने पर उसके घर आता था।उसके बोलनें से पहले ही आर्मी औफिसर समझ गया था कि इस तोते से इसका अवश्य ही कोई गहरा नाता है। आर्मी औफिसर नें आन्नदी से बातों ही बातों में राजन के बारे में पूछा। जानकारी मिलनें पर औफिसर कर्मवीर ने आन्नदी को बताया तुम्हारे पति सिविल अस्पताल में भर्ती हैं। उन का ट्रक दुर्घटना ग्रस्त हो गया था।हमनें बड़ी मुश्किल से उन्हें बाहर निकाला।इस तोते नेंअगर उनका सन्देश हमें पहुंचाया न होता तो ये बच नहीं सकते थे।राघव अपने तोते से मिल कर उसे गले लगा रोते रोते बोला मैंनें तुम्हे नहीं छोड़ा था। मैनें सोचा था कि मैं शहर में जाकर अपने लिए घर का प्रबन्ध कर आता हूं।तुम्हें लौट कर लें जाऊंगा।जब मैं वापिस आया तो तुम जा चुके थे। तुम्हें न पा कर मन बहुत दुःखी। हुआ।आज तुम्हें पा कर मैं बहुत खुश हूं।तुम नें मेरे जीजा जी की जान बचा कर और उनको सही सलामत सुरक्षित मौत के मुंह से बाहर निकाला है इसके लिए मैं जीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूंगा।अस्पताल पहुंच कर आन्नदी नें अपने पति को होश में आता देख बहुत ही खुश हुई।वह तोते से बोली आज से तुम भी मेरे भाई हुए।यह कह कर उसने तोते को नाम दिया। बोली आज से मैं तुम्हें रज्जू कह कर बुलाऊंगी।मेरे अब दो भाई हो गए।राजन बोला तुम हमेशा से ठीक ही कहती थी।आज जब अपनें पर बीती तब पता चला कि दूसरे का दर्द क्या होता है।आज से पहले मैं प्रकृति के सभी जीव जन्तुओं को तुच्छ समझता था।आज उनके बीच में रह कर जाना कि जीव जन्तु तो इंसानों से भी ज्यादा समझ दार होतें हैं।वे भी पीड़ा,दर्द को समझतें हैं लेकिन मुंह से कुछ कह नहीं सकते।उनकी मूक जुबान सब कुछ समझती है।तुम मुझे कहती थी कि मांस खाना छोड़ दो मैंनें कसम खाई है कि मैं जिंदगी में कभी भी मांस नहीं खाऊंगा। शाकाहारी भोजन सेहत के लिए लाभकारी होता है।तोते कि और मुड़ कर बोला तुझे तेरे मालिक तक पहुंचा कर ही रहूंगा मैं आजीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूंगा।राजू बोला जीजा जी यही तो मेरा दोस्त तोता है जिस को देते समय आप नें मां से कहा था कि तोते को रखेगा या पढ़ाई करेगा।मैं शहर में इसे अकेला छोड़ कर चला गया था।वह मेरी बांट ढूडते ढूंढते कितनी बार घर भी आया मगर हर बार निराश हो कर वापिस चला गया।राजन बोला हम लोग जीव-जंतुओं को देख कर भी अनदेखा कर देतें हैं यह नहीं समझते कि इन में भी इंसानों कि तरह प्रेम मोहब्बत होती है।उन पर पत्थर मार कर उन्हें भगा देतें हैं लेकिन यह सही नहीं।सभी प्राणियों को यह बोध हो जाए तो लोग दुसरों को सताना भी छोड़ देंगें।राजन नें लटक कर रज्जू को अपने हाथ पर लिया बोला आज से यह घर भी तेरा है।जहां रहना हो आजादी से रह सकते हो।दोस्त मुझे मौफ कर दो।आज मैं मन से सभी लोगों से मौफी मांगना चाहता हूं जो मेरे सम्पर्क में हर रोज आते थे और आएंगें।बाहर लोगों कि भीड़ खड़ा देख कर उन से क्षमा याचना करते हुए बहुत ही हल्का महसूस हो रहा था।उस के मन से सारा गर्व चूर चूर हो चुका था। वह नेक इंसान बन चुका था।

मुन्नी का मधुर सपना

जब सब बच्चे स्कूल में आए तब मैडम ने बच्चों को कहा कि तुम्हें कल “मेरा स्कूल,” पर निबंध लिखने को दिया जाएगा। जो बच्चा सबसे अच्छा निबंध लिखेगा उसे इनाम दिया जाएगा ।निबंध ऐसा होना चाहिए जैसा आज तक किसी ने भी ना लिखा हो। जिसका सबसे अलग निबंध होगा उसे ₹100 ईनाम में दिए जाएंगे।


भोली भाली मुन्नी सोचने लगी कि मैं सबसे अच्छा निबंध लिखकर दूंगी। इस बार निबंध का पुरस्कार तो मुझे ही मिलना चाहिए। आज वह घर में आकर चुपचाप अपनी पढ़ाई करने बैठ गई। मां उसकी आदत से बहुत ही खुश हुई आज अचानक ऐसा क्या हो गया जिससे इसका रवैया ही बदल गया। थोड़ी देर पढ़ाई करने के बाद उसने अपनी मां को कहा कि मां मेरा खाना यहीं पर दे जाना। रात को भी जब मुन्नी खाना खाने नहीं आई तो उसकी मां ने उसकी प्लेट उसकी बिस्तर के पास ही रख दी ।उसने वहीं पर खाना खाया और पढ़ाई करने के पश्चात उसे नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला कि सपने में ही वह स्कूल में पहुंच गई थी। कक्षा में जल्दी-जल्दी जा रही थी। मैडम ने सब बच्चों को मिठाई बांटी और कहा कि सब के सब बच्चे मेरे स्कूल पर निबंध लिखो। मिनी बड़ी खुश हो रही थी वह सोच रही थी कि मैं सबसे अच्छा लिखूंगी ।उसने लिखा मेरा स्कूल मेरे मुताबिक हो। हम बच्चों के मन मुताबिक हो। हम बच्चे ही क्रमानुसार बच्चों को पढ़ाएं । जो बच्चे काम करके नहीं लाए तो उसे सजा नहीं मिले। उसे प्यार प्यार से समझाएं। हम में से हर रोज एक बच्चा अध्यापक या अध्यापिका बनें। कक्षा में शोर होने पर उन्हें सब बच्चों से सलाह मशवरा करके उनकी सजा तय करें। सुबह-सुबह स्कूल आने का मन नहीं करता। 10:00 बजे जब सुबह पापा ऑफिस चले जाएं और बसों का का शोर शराबा कम हो जाए तब हम स्कूल लगवाएंगे। यानी 10:00 बजे तो यह सम्भव नहीं हो सकता। स्कूल में सुबह जल्दी उठ कर स्कूल दौड़ना पड़ता है। न जल्दी उठा जाता है ,ना ढंग से खाया जाता है ,बिना नहाए ही स्कूल जाना पड़ता है ।स्कूल में भी नींद ही लग रही होती है मां भी जोर जोर से हिला कर उठाती है। बिस्तर पर सोए सोए ही खाना खाना पड़ता है ।डांट पड़ने का ख्याल आते ही स्कूल को जैसे तैसे उबासियां लेकर ही भागना पड़ता है।
मेरे स्कूल में मैडम का कोई काम नहीं होना चाहिए। हम बच्चे ही आपस में मैडम बने और बच्चों को पढ़ाएं। हम 12वीं कक्षा की होशियार सी छात्रा को पढ़वाई करवानें के लिए चुन देंगें। मैडम तो सारे दिन स्कूल में सारे दिन लिखवाती रहती हैं ।हमारा मन भी नहीं करता तो भी मजबुरी से लिखना पड़ता है।कई बच्चे जिन को समझ नहीं आता है वह एक ही लाइन को बार बार लिखते रहें हैं ताकि मैडम समझे कि हम काम कर रहें हैं। हम तो एक दिन पढाई किया करेंगे और एक दिन लिखनें का काम किया करेंगे। एक दिन खेल खेल के माध्यम से एकटिवीटी करके काम करेंगें।
हम सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया करेंगे। हमें सकूल का बहुत ही भारी बैग उठाना पड़ता है।की बार कौपियां भी भूल जातें हैं हमें स्कूल में अपमान सहना पड़ता है।हम बस्ते का बोझ भी कम करेंगे।हम अपनी पुरानी किताबों का एक एक सैट स्कूल में रख देंगे। नया सैट घर पर ही रखेंगे। स्कूल में केवल कौपियां ही ले कर जायेंगें।और काश ऐसा हो जाता कि हफ्ते में एक दिन ही अध्यापिकाओं या अध्यापक जी को कक्षा में बुलवाएं ।मैडम को छूट दे देंगे और कहेंगे कि अपना अधूरा कार्य पूरा कर लो। काश ऐसा हो जाए तो हम सभी बच्चे खुश हो जाएंगे। पढ़ाई भी अपने मन मुताबिक होगी।
होमवर्क तो अपने मन मुताबिक ही करेंगे और वह भी स्कूल में ही किया करेंगे। घर में तो मम्मीयां काम खुद कर देती हैं या कान पकड़ कर या खुद कर देती हैं। ऐसा काम करने का क्या फायदा? स्कूल में हम सब से चाहे एक ही पैराग्राफ लिखें लेकिन अपने आप। स्कूल में हर रोज छुट्टी के बाद एक घंटा खेल खेलेंगे। बच्चे अपने मनपसंद खेल खेलेंगे। ग्रुप में बच्चे जो खेल जिसको पसंद है उसमें हिस्सा लेंगे ।श्रुतलेख कंपटीशन में भी जिन बच्चों को सिलेक्ट किया जाएगा उन्हीं को हम ईनाम बाटेंगे अगली बार जो बच्चे प्रथम आएंगे उनका अलग-अलग सा ग्रुप बनाएंगे। सेकंड आनें वालों का अलग ग्रुप। और थर्ड आनें वालों का ग्रुप बनाएंगे फिर पांच ग्रुप में से कंपटीशन करवाएंगे। हर एक बच्चे को इनाम जीतने का मौका मिलेगा। हर बार एक ही बच्चा इनाम ले जाता है।इससे वे बच्चे मायूस हो जातें हैं जिन बच्चों नें थोड़ी बहुत मेहनत की होती है। इसमें हर एक बच्चे को ईनाम लेने का मौका मिलेगा। जिन बच्चों को इनाम नहीं मिलता है वह बच्चे बहुत ही मायूस हो जाते हैं ।हम सभी को इईनाम दिलवानें का यत्न करेंगे जो बच्चा अपने ग्रुप में सबसे अच्छा होगा वह अपनें ग्रुप को पढ़ाई में आगे लानें में मदद करेगा। जो बच्चा अपने सबसे कमजोर बच्चे को पढ़ाने में सक्षम होगा सबसे बढ़िया उसे इनाम दिया जाएगा। हम बच्चे 3 महीने में एक बार पिकनिक का भी आयोजन किया करेंगे। स्कूल में सफाई कूड़ा कर्कट फैलानें वालों के प्रति सख्ती से पेश आएंगें। जो बाहर थूकेगा उसे जुर्माना भी देना पड़ेगा। कड़े निर्देशों का पालन करना होगा। कितना मजा आएगा? जब हम सारे कार्य अपने मनपसंद योजना के अनुसार करेंगे।
मैडम चुपके से कक्षा में आ गई थी। उसने मुन्नी की सब बातें सुन ली थी।वह अपनें निबंध में से बच्चों को पढ़ कर सुना रही थी। जो बच्चा सभी ग्रुप में से सबसे ज्यादा अंक लाएगा हम उसे अपना मुख्याध्यापक या मुखिया चुन लेंगे ।उसकी आज्ञा मानना हमारा अधिकार हो जाएगा ।

हम अपने स्कूल में चुनाव भी करवाएंगे मिड डे मिल्स हमारे मुताबिक ना बना और जरा सी भी भूल चूक हुई तो हम खाना बनानें वाले अंकल या आंटी को बताएंगे चावल कि मात्रा,पानी की मात्रा, पैमानें से तोल कर और साफ सफाई का ध्यान रखते हुए ,कितना खान बनेगा? उसकी मात्रा के लिए हम एक लड़की को चयनित कर के खाना बनाने वालों की मदद करेंगे। हमें हमारे मन मुताबिक खाने को मिलेगा अगर कोई बच्चा बहुत गरीब है या बीमार है तो हम सब यह बच्चे मिलकर उसकी सहायता करेंगे ।हम स्कूल में एक गुल्लक भी बनाएंगे। हर महीने उसमें 10- 10रुपये डालेंगे और अपने अध्यापक वर्ग और अध्यापकों से भी 100रुपये ले कर गुल्क में डालेंगे। किसी बच्चे के बीमार होने पर उन से उसकी मदद करेंगे। हम सभी बच्चे घर में जो कोई भी फल या और कोई खानें की वस्तु हमें घर से खानें को मिलेगा खाने के लिए लाएंगे। वह 15 मिनट के ब्रेक के बाद ही बच्चों में आपस में मिल बैठकर खाएंगे। जब किसी बच्चे का जन्मदिन आएगा तो हम उस से कहेंगे कि टॉफी चॉकलेट के स्थान पर स्कूल में ही खीर बनवा लिया करेंगें।


हम अपने स्कूल में शांति का माहौल बनाएंगे। प्रार्थना में भी हर एक बच्चे को प्रतिज्ञा और प्रार्थना बोलने के लिए हर ग्रुप की बारी लगवाएंगे। जो बच्चा राष्ट्रगान गलत गाता है उसे हर रोज अभ्यास करना कर याद करवाना हर ग्रुप की बारी होगी। जो बच्चा याद नहीं करेगा उस ग्रुप के 5 अंक काट लिया करेंगे ।

मैडम उन बच्चों की बातें सुनकर मुस्कुरा रही थी ।वह चुपचाप वहां से ऑफिस में चली आई ।उसने बच्चों से कुछ नहीं कहा क्योंकि बच्चे सब अपने ही धुन में मग्न थे। मैडम के आने का उन्हें जरा भी आभास नहीं था ।मैडम ने सभी अध्यापकों से मिलकर योजना बनाई और बच्चों को कहा कि बेटा आज से एक महीने के लिए हम सब तुम्हारे मन मुताबिक काम तुम्हें सौंपेंगे न।
एक महीने के लिए तुम स्कूल का कार्य भार अपने ऊपर ले लो। हमें स्कूल के रजिस्टर पूरे करने हैं, देखते हैं तुम स्कूल में पढ़ाई का कैसा माहौल बनाते हो? बच्चों का एक महीना पूरा हो जाने पर निरीक्षण किया तो पाया कि बच्चों ने तो बेहतर परिणाम दिया था। जिन बच्चों को मैडम पढ़ाते पढ़ाते थक जाती थी वह बच्चे बड़े आनंद से अपने कार्य में दिलचस्पी दिखा रहे थे। अध्यापकों ने जब महीने के आखिरी दिन में टैस्ट लिया तो वह देख करदंग रह गए कि सभी बच्चों ने पहले से ज्यादा अंक लिए थे। उन्होंने तालियां बजाकर बच्चों का उत्साह बढ़ाया और कहा कि बच्चों हमें पता ही नहीं था कि तुम स्कूल का उत्तरदायित्व भी बखूबी निभा सकते हो। हमें अपने काम करने का तुम को मौका दिया हम सब अध्यापक वर्ग तुमसे खुश हैं ।


मुन्नी तुम्हें इनाम के तौर पर ₹100 दिए जाते हैं। तुमने सबसे अच्छा निबंध लिखकर सभी बच्चों को सुनाया, लेकिन पीछे खड़े होकर मैं भी सुन रही थी। हम सभी अध्यापक वर्ग तुम्हें भोज देकर खुशियां बाटेंगे। बच्चों को भोज देकर उनकी खुशी अध्यापिका ने और भी बढ़ा दी। अचानक मैडम ने ₹100 का नोट मुन्नी को थमाया और कहा कि बेटा यह लो तुम्हारा ईनाम तुम नें सब से अच्छा निबंध लिखा है।तुम ने लिखनें के बावजुद उसे बच्चों को पढ़ कर ही सुना दिया। अचानक उसे जोर का झटका लगा वह तो सपना देख रही थी। उसकी मां मुन्नी को हिलाकर जोर से बोली क्या तुम्हें आज स्कूल नहीं जाना? देर हो जाएगी। आंखें मलते चलते हाय!यह तो सपना था।इतना अच्छा सपना , काश यह सपना सच हो जाता।

चींटी

चींटी है इस धरा की नन्हीं सी जीव।
संघर्षों से भरी हुई है इस की नींव।।
श्रम की साक्षात मूर्ति है कहलाती।
मुश्किलों से झूझनें में कमाल है दिखलाती।।
यह दिनों में मिलोंमिल है चलती।
मकड़ी की तरह यह कभी नहीं है थकती।।
कभी भी आराम नहीं है करती।
झून्डों में है वास करती,
तन्मयता से है संघर्ष करती।।
अपनें पथ से कभी भी विचलित नहीं है होती।
अपना लघू आकार उसे कभी नहीं है अखरता,
वह तो निरन्तर संघर्ष से दिनोंदिन और भी है निखरता।।

परिश्रम से अंधकार को चांदनी में है बदल सकती।
सफलता के अंतिम छोर तक पहुंच अदम्य साहस है दिखलाती।।
संघर्षों से खेलना उसका स्वभाव है बन जाता।
यह उसकी तरक्की का द्वार है कहलाता।।
कालचक्र की परवाह किए बिना वह तो अपने लक्ष्य को प्राप्त करनें के लिए प्राणों की बाजी है लगाती।
रुकावटों का पूरी जिंदादिली से सामना है करती।।
ऊपर नीचे से घुसकर ,कोनों से निकल कर ,जैसै जैसे वह अपना मार्ग खोज कर ही चैन की सांस ले पाती।
बुजदिलों की भांति पिछे मुडकर कभी नहीं भागती।।
चीटीं को भी है ज्ञात होता,
हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहनें से कुछ भी हासिल नहीं होता।।
मुश्किलें हमें कमजोर बनानें के लिए नहीं आती।
हमारी सोई प्रतिभाओं को जगानें के लिए है आती।।