उन मुक्त गगन के हम पंछी नभ में विचरण करने वाले। हम खग , नभचर , और विहग हैं कहलाते। दिखनें में हैं हम अति सुन्दर,मनभाते। ,तभी तो अपनी जान हैं गंवाते।। कभी शिकारी पकड़ कर हमें ले जातें हैं। हमें कठपूतली बना कर अपनें इशारों पे नचातें हैं। पक्षी विक्रेता को बेच कर हमें… Continue reading उन्मुक्त गगन के पंछी