दहेज है एक घोर अभिशाप। कुरीतियों के विकसित होने से बन गया यह महापाप।। दहेज रूपी पर्दे नें समाज के मस्तक पर कलंक थोप डाला। बेटियों के जीवन को अंधकारमय बना कर, कितनी अबोध कलियों को खिलने से पहले ही रौंद डाला।। न जाने कितनी और मसली जाएंगी। इस कुरीति का शिकार हो फांसी लगा… Continue reading दहेज(कविता)