चालाक सलाहकार

पुरानी समय की बात है किसी नगर में एक राजा रहता था।।वह राजा अपनी प्रजा को खुश देखकर बहुत खुश होता था ।उसके राज्य में सभी लोग सुखी थे उस ने अपने पास एक सलाहकार नियुक्त किया था। वह राजा को अच्छी सलाह दिया करता था । वह एक अच्छा सलाहकार नंही था।वहबिना सोचे समझे सब को सलाह दिया करता था। राजा उसे अच्छी सलाह देने के लिए कभी धन दौलत कभी रुपए ईनाम स्वरुप दे दिया करता था। वह सलाहकार रुपया पाकर बहुत खुश था ।राजा ने उसे अपने महल में पहरेदार नियुक्त कर दिया था। , वह राजा के घर पर ही रहने लग गया था एक दिन सलाहकार ने अपने मन में मन में सोचा कि मैं बिना सोचे समझे राजा को सलाह देता हूं । मेरी सलाह अगर किसी दिन झूठी साबित हो गई तो राजा उसे छोड़ेगा नहीं ,उसे दंड अवश्य देगा ।वह दंड

से बहुत घबराता था ।राजा जिस भी किसी व्यक्ति को दंड देता था वह उसे कोडे़ लगवाता था ।,।सलाहकार ने सोचा की मैं राजा से एक वचन पहले ही ले लेता हूं उसने एक दिन राजा से कहा कि राजा जी आप तो मुझे अच्छी-अच्छी सलाह लेते हो परंतु आज एक बात आपको मेरी भी माननी होगी ।. राजा ने कहा ने क्या ,मांग के तो देखो? मैं तुम्हे अवश्य दूंगा ।मैं तुझसे वादा करता हूं मैं एक राजा हूं राजा जो भी किसी को वचन देता है वह उसे अवश्य पूरी करता है ।सलाहकार ने राजा से कहा कि अभी नहीं समय आने पर मांगूंगा ।राजा ने कहा तुम्हारी इच्छा मैं अवश्य पूरी करुंगा ।इस बात को बहुत ही महीने गुजर गए ।एक दिन राजा अपने परिवार के साथ घोड़े पर जंगल में गया हुआ था उसने रास्ते में देखा एक बुढ़िया रास्ते में जोर जोर से रो रही थी। बुढ़िया को रोता देखकर राजा का दिल द्रवित होगया ।उसने बढ़िया से कहा तुम क्यों रो रही हो ? बुढ़िया ने कहा मेरी बहू ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया है ।वह मुझे खाने के लिए भी कुछ नहीं देती है ।राजा का हृदय बुढ़िया की बात सुनकर द्रवित हो गया। राजा ने पहरेदार से कहा मैं तो सोचता था कि मेरे राज्य में प्रजा बहुत सुखी है। आज तो मेरा मंत्री मेरे साथ सैर करने नहीं आया । आज मैं तुम्हें अपने साथ सैर.. करनें के लिए ले जा रहा हूं। आज मेरा मंत्री यहां होता तो मैं उसे बुढिया केे साथ उसे उसके घर पता लगाने अवश्य भेजता। राजा ने कहा कल तू मेरे दरबार में आना राजा ने उसे बहुत सारा धन देकर विदा किया । सलाहकार ने राजा को कहा कि आप तो बहुत दयावान हैंराजा जी ।मैं आपसे कह रहा हूं कि बिना देखे बिना सोचे समझे बिना जांचे परखे हमें किसी भी व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए ।राजा ने कहा कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ?सलाहकार ने राजा को कहा कि आज रात को मैं आपके साथ उस बुढिया के घर पर चलूंगा। आप एक राजा के रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना।एक साधारण व्यक्ति की तरह भेश बदल कर जाना ताकि आप को पता चल सके।

इस रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना एक साधारण व्यक्ति की तरह भेष बदलकर जाना ताकि आपको पता चल सके जो बुढिया आपके सामने अपनी बहू की शिकायत करने आई थी वह सच मुच् उसे घर से बाहर निकालना चाहती थी कि नही। वह झूठ मूठ का बहाना बनाकर आप से रुपए लेना चाहती थी और झूठ-मूठ का नाटक करना चाहती थी। राजा को सलाहकार की बात ठीक लगी। राजा एक साधारण व्यक्ति का भेष धारण कर पहरेदार के साथ चल पड़ा ।वह बुढ़िया के घर पहुंचा आधी रात हो चुकी थी अंदर की तरफ कान लगाकर राजा उनकी बातें सुनने लगा बुढ़िया के जोर जोर से रोने की आवाज सुनाई दे रही थी ।हंस हंसकर अपनी बहु से कह रही थी उसने आज राजा को बेवकूफ बनाया कि तुम मुझे हर रोज खाना नहीं देती हो और आज तो मैं राजा से इसके बदले बहुत सारा रूपया लाई हूं ।राजा बुढ़िया की बात सुनकर दंग रह गया चुपचाप वह अपने महल में लौट आया। उसने पहरेदार को वह बहुत सारा रुपया दिया ।पहरेदार रूपया प्राप्त कर फूला-नहीं समा रहा था ।एक बार वह राजा शिकार कर रहा था तो उसकी एक उंगली कट गई और उसकी उंगली से खून बहने लगा यह देख कर उसका सलाहकार बोला भगवान जो करता है वह अच्छा ही करता है ।जब सलाहकार ने ऐसे शब्द कहे तो राजा को बहुत गुस्सा आया। मन ही मन में सोचने लगा जो उसने कहा है शायद यह बात वह सोच समझकर ही बोल रहा होगा, इसलिए राजा ने अपने पहरेदार को कुछ नहीं कहा और चुपचाप चलने लगा चलते-चलते जब वह बहुत दूर निकल आए तो रास्ते में चोरों ने उन्हें देख लिया ।चोरों को सुबह से ही चोरी करने के लिए कुछ भी नहीं मिला था उन्होंने किसी से सुन रखा था अगर किसी इंसान की बलि दे दी जाए त़़ोू माता बहुत प्रसन्न होती है।और उसे बहुत सारा धन दौलत देती है। चोर अपने सामने दो हट्टा-कट्टा नवयुवकों को देखकर जो बहुत ही खुश हुए उन्होंने अपनी तलवार दिखाते हुए उन दोनों को बांध लिया और काली माता के मंदिर में ले जाने लगे और जोर-जोर से कहने लगे कि आज तो तुम में से किसी एक की बलि दे दी जाएगी। एक चोर ने दूसरे से कहा पहले यह भी जान लो कि किसी व्यक्ति का कोई अंग कटा तो नहीं है। राजा ने जब यह सुना तो राजा बहुत खुश हुआ क्योंकि वह सोचने लगा मैं तो आज बाल बाल बचा। राजा अपने सलाहकार के लिए कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वह अगर सलाहकार को बचाने की कोशिश करता तो वह खुद जान से हाथ धो बैठेगा ।उन चोरों ने राजा की कटी ऊंगली देखकर उस राजा को तो छोड़ दिया मगर उस सलाहकार को पकड़कर ले गए। राजा तो अपने महल में वापिस आ चुका था रास्ते में उस सलाहकार ने सोचा कि आज तो मैं इन चोरों के चुंगल से अपने आप को छुड़ा नहीं सकता ना जाने मेरी बात कैसे सच हो गई ।राजा तो बच गया मैंने तो अनजाने में ही राजा से बात कही थी कि भगवान जो करता है अच्छा ही करता है ।राजा की उंगली कटने के बावजूद भी राजा ने मुझे कुछ नहीं कहा। वह योजना बनाने लगा कि कैसे मैं इन चोरों से अपने आप को छुडवाऊं।उसके दिमाग में एक योजना आई उसने उन चोरों से कहा चोर भाई चोर भाई, तुम्हें मेरी बलि देने से क्या होगा? तुमने चोरी करनी है तो तो मैं तुम्हें एक तरकीब बताता हूं ।तुम्हें मेरी बात पर यकीन ना हो तो मैं मरने के लिए तैयार हूं ।आपने जिस आदमी को अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं वह एक राजा है । मैं उसका मामूली सा एक सलाहकार हूँ। तुम चोरी करने राजा के महल में रात को आना मैं तुम्हें महल में घुसने से नहीं रोकुंगा। तुम चुपचाप चोरी करके महल से चले जाना। इस तरह तुम्हें बहुत सा थनभी मिलेगा। चोरों को सलाहकार की बात जंच गई और उन्होंने उस सलाहकार को छोडते हुए कहा कि अगर तुमने हमसे जरा भी झूठ कहा तो तुम हमसे नहीं बचोगे ।हम किसी न किसी तरह तुम्हें पकड़ ही देंगे ।यह कहकर उन चोरों ने उस को छोड़ दिया जब रात को चोर राजा के महल में घुसने लगे तो पहरेदार ने उन्हें अंदर जाने दिया ।पहरेदार ने चोरों के आने की सूचना राजाको दे दी ।राजा ने अपने सैनिकों को उन चोरों को पकड़ने का आदेश दिया उन चोरों को पकड़कर जब राजा के सामने लाया गया , चोरों ने राजा से कहा कि आप हमें दंड नहीं दे सकते। आप हमें छोड़ दो। आपका असली गुनाहगार तो आपका सलाहकार है। हम जब आप की बलि चढ़ाने वाले थे तो उसने हमें बताया कि जिस आदमी को आपने अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं बल्कि एक राजा है । तुम चोरी करने आओगे तो मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा । तुम मुझे छोड़ दो सलाहकार के ऐसा कहने पर हमने उसे छोड़ दिया ।हमें क्या पता था कि आपने अपने महल में ना जाने ऐसे बेवकूफ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है जो इंसान यकीन करने के लायक नहीं है। आपको उसे दंड अवश्य देना चाहिए। सलाहकार की बात पर राजा को यकीन हो गया कि वह जो सच कह रहा है। राजा ने उन चोरों को तो छोड़ दिया ।पहरेदार को राजा ने अपने पास बुलाया और कहा कि तुम वफादारी के काबिल नहीं हो तुमने मुझसे छल कपट किया है।

तुम्हें कल सारी प्रजा के सामने दंड मिलेगा उस सलाहकार ने राजा को कहा राजा जी पहले आप मेरी बात तो सुन लो । सलाहकार ने राजा को कहा कि जब चोरों ने आपको छोड़ दिया तो मैं भी अपना चोरो से बचाव करना चाहता था। इसलिए मैंने उन्हें कहा कि तुम महल में चोरी करने आ जाना मैं पहरेदार को समझा दूंगा वह तुम को अंदर आने देंगे। मेरा ऐसा कहने पर चोरों ने मुझे छोड़ने का निश्चय कर दिया ।मैंने चोरों को कहा कि जिसे आप साधारण आदमी समझ रहे हो वह एक साधारण आदमी नहीं है वह एक राजा है मैं उनका सलाहकार।तुम चोरी करने राजा के महल में आना मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा तुम चोरी करके चले जाना ऐसा मैंने अपने बचाव में कहा था तभी उन्होंने मुझे छोड़ दिया ।राजा ने कहा कि मैं तुम्हारी किसी बात पर यकीन नहीं करता तुम्हें सारी प्रजा के सामने सजा तो अवश्य ही मिलेगी ।अगले दिन सारी प्रजा के सामने पहरेदार को बुलाया और कहा तुम्हे दंड तो अवश्य मिलेगा ।तब सलाहकार ने सारी बात। प्रजा के सामने राजा से कहा कि मुझे सजा देने से पहले आपको भी मेरी बात माननी होगी ।आपने सारी प्रजा के सामने मुझे कहा था कि मैं भी तुम्हें एक वचन देता हूं जो तुम मांगोगे मैं तुम्हें दूंगा ।मैंने अपने वचन में आपसे कहा था कि समय आने पर मांग लूंगा ।आज सारी प्रजा के सामने आपसे अपना यह वचन मांगता हूं कि आप मुझे छोड़ दे। राजा ने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी ।एक बार फिर राजा ने उसकी चतुराई की प्रशंसा की और कहा कि तुम यहां से मत जाओ ।मैंनें तुम्हारी सजा को माफ कर दिया।

सच्चा साथी चंपू

चिंटू बहुत ही प्यारा बच्चा था ।वह हर काम को बड़ी होशियारी से करता था। वह रोज अपने साथियों के साथ स्कूल जाता । शाम को स्कूल से आते वक्त वह अपने दोस्त के साथ खूब बातें करता। उसके साथ खूब मौज मस्ती करता ।उसको खाने को भी ले जाता कभी बिस्कुट, कभी मूंगफली कभी चने ,वहां उसके साथ खेलता दौड़ता और खूब मनमानी करता था ।शाम को आते समय उसे हर रोज देर हो जाती थी ।उसकी मम्मी उससे पूछती कि तुम्हारे साथी तो ना जाने कितनी जल्दी घर पहुंच जाते हैं चीन्टू कहता मां मेरा एक दोस्त है। उसके साथ में काफी देर तक खेलता हूं। वह अपनी मां को हमेशा कहता की मां एक रोटी ज्यादा बना दे ।मैं अपने दोस्त को दूंगा इस तरह जो कोई भी चीज खाता वह अपने दोस्त को ले जाना नहीं .भूलता। वह अपने दोस्त से काफी घुल मिल गया था ।वह तो उसका सच्चा दोस्त था। उसके साथ बैठकर वह अपने साथी दोस्त को पा कर बहुत ही खुशी अनुभव करता था ।चिंटू की मम्मी उससे पूछती कि बेटा तुम अपने दोस्त को तो तुम कभी घर नहीं लाते हो । मैं तुम्हारे सारे दोस्तों को अच्छी प्रकार से जानती हूं मगर यह तुम्हारा कैसा दोस्त है जो तुमसे मिलने कभी नहीं आता ।चिंटू हर रोज अपनी मां की बात काट जाता और बोलता मैं जल्दी ही तुम्हें अपने दोस्त से मिलाने ले जाउंगा। इस प्रकार बहुत दिन व्यतीत हो गए। चिंटू ने अपनी मां को बताया कि मेरे दोस्त का नाम चंपू है ।मां चंपू बहुत ही होशियार है ।एक दिन जब काफी देर तक चिंटू घर नहीं लौटा तो चिंटू की मां को चिंता होने लगी चीन्टू अपने दोस्त के घर परीक्षा की तैयारी करने के लिए उसके घर कॉपी लेने चला गया था ।चिन्टू की मां ने उसके सभी दोस्तों को फोन किया परंतु सब ने कहा वह हमारे घर नहीं आया ।वह पड़ोस वाली आंटी से चंपू का पता पूछने लगी ।पड़ोस वाली आंटी ने बताया कि चंपू लड़का नहीं जिसके साथ वह घंटों खेलता है।वह तो प्यारा सा बंदर है ।चंपू की मां का डर के मारे बुरा हाल हो रहा था ।वह उसे लेने के लिए घर से बाहर निकली थी वह आधे रास्ते तक ही गई थी की वहां पर पेड़ के नीचे चिंटू अपने चंपू के साथ खूब मस्ती कर रहा था ।उसकी मम्मी ने वहां पहुंच-कर कहा बेटा घड़ी तो देखो क्या बजा है ?तुम अपने दोस्त के साथ ही खेलते रहोगे या घर भी चलोगे ।उसकी मम्मी को पता चल चुका था कि उसका दोस्त चंपू एक बंदर था। चिंटू ने अपनी मम्मी से पूछा आपको मेरा दोस्त कैसा लगा ।चंपू की मां बोली तुम्हारा दोस्त बहुत ही अच्छा है ।एक दिन जब चंपू स्कूल से वापस आया तो उसे बुखार था बीमार होने के कारण वह काफी दिन तक स्कूल नहीं जा सका। उसके पापा उसे डॉक्टर के पास ले गए डॉक्टर ने चिंटू की मम्मी पापा को बताया कि चिंटू एक बहुत ही भयानक बीमारी का शिकार है अगर उसका ईलाज जल्दी से जल्दी नहीं किया गया तो उसके बचने की आशा कम है। । यह सुनकर चिंटू के माता पिता परेशान हो गए। वह हर हफ्ते चिंटू को अस्पताल ले जाते काफी दिन तक जब चंपू से चिंटू नहीं मिला तो चिंटू से मिलने के लिए उसके घर के पास वाले पेड़ के पास रहने को आ गया ।उसे अपने दोस्त को देखे बिना बहुत ही दिन हो गए थे।।वह भी बहुत मायूस हो गया था ।चंपू ने चिंटू को जब अस्पताल ले जाते देखा तो चंपू भी चुपचाप उसकी गाड़ी में बैठ गया चिंटू अपने दोस्त को पाकर बहुत खुश हुआ ।वह उसके साथ खेलना चाहता था ।चिंटू की मम्मी ने चंपू से कहा कि तुम्हारा दोस्त तुम्हारे साथ ही बैठा रहेगा ।तुम कहीं नहीं जाओगे अब तो चंपू भी चुपचाप अपने दोस्त के साथ बैठ गया ।डॉक्टर आए उन्होंने चिंटू के पापा को बताया कि चिंटू की दवाईयां लेनी है उन्होंने एक पर्ची पर दवाइयां लिख कर दे दी ।चंपू चिंटू के पापा को हर रोज उस केमिस्ट की दुकान पर जाते हुए देखा करता था ।चंपू ने जल्दी से वह पर्ची चिंटू के पापा की जेब से निकाली उन्हें पता भी नहीं चला चंपू दौड़कर केमिस्ट की दुकान पर पहुंच गया और उसने वह पर्ची कैमिस्ट कोे दिखाई पर्ची देखकर केमिस्ट पहचान गया कि किसकी पर्ची है ।केमिस्ट्री नें जल्दी से दवाईयां निकालकर एक और रख दी । चंपू ने जल्दी से दवाइयों का पैकेट लिया और अस्पताल पहुंच गया ।अस्पताल पहुंचकर उसने वह दवाइयां चिंटू के पापा को दे दी। चिंटू की सही दवाइयां देखकर चिंटू के पापा आश्चर्यचकित रह गए । चंपू ने ं यह काम इतनी जल्दी किया था कि उसके जाने की भनक किसी को भी नहीं लगी चीन्टू के माता पिता चंपू की प्रशंसा करने लगे ।डॉक्टरों ने चिंटू के पापा को कहा कि आपके बेटे के ईलाज के लिए विदेश जाना पड़ सकता है क्योंकि जो दवाई हम चिंटू को देना चाहते हैं वह यहां पर उपलब्ध नहीं है ।चिंटू के पापा को कंप्यूटर पर दिखाया गया कि इन जड़ी-बूटियों से भी हम चंपू का इलाज कर सकते हैं परंतु यह जड़ी-बूटियां यहां बहुत ही कम मिलती है। उन्होंने सारा वीडियो कंप्यूटर पर चिंटू के पापा को दिखाया । ऑपरेशन के पश्चात इन जड़ी बूटियों के अर्क से औषधि बनाई जाती है । उस सेे मरीज जल्दी ठीक हो जाता है ।इन जड़ी बूटियों से हम ईलाज कर सकते हैं परंतु यह जड़ी बूटियां यंहा बहुत ही कम मिलती है अगर यह दवाई यहां उपलब्ध हो गई तो हम आपके बच्चे को बचा सकते हैं । नहीं तो आपके बेटे को बचाना मुश्किल हो जाएगा। यह सब बातें चंपू सुन रहा था । डॉक्टरों ने कहा कि आज से तीन महीने बाद हम चिंटू का ऑपरेशन करेंगे । हमें यहां पर दवाईयां उपलब्ध हो गई तो ठीक है नहीं तो आपके बच्चे को विदेश ले जाना होगा। चिंटू के माता पिता के पास इतने रुपए नहीं थे जिससे वह अपने बच्चे को विदेश ले कर जाते चिंटू के माता-पिता सोचने लगे कि भगवान के भरोसे ही अब हम अपने बच्चे को छोड़ते हैं ।चिंटू के माता-पिता को रोता देखकर चंपू भी उदास हो गया ।शाम को वह सब घर आ गए काफी दिनों तक चंपू नजर नहीं आया सभी ने सोचा चंपू इस वृक्ष को छोड़कर कहीं चला गया है। एक दिन जब चिंटू के पापा चिंटू को अस्पताल ले जा रहे थे तो चंपू आकर चुपचाप उनके साथ गाड़ी में बैठ गया। गाड़ी जल्दी अस्पताल में खड़ी थी ।चिंटू के पापा ने देखा कि चंपू के मुंह में एक थैला था ।वह थैला उसने इतनी जोर से पकड़ कर रखा था कि कहीं वह गिर ना जाए ।उसने जल्दी से लाकर थैला डॉक्टर के पास रख दिया और अपने हाथ से डॉक्टर को वह पकड़ा दिया। डॉक्टर ने जब उस थैले को खोला और सूंघा तो डॉक्टर हैरान थे कि वह तौ वही जड़ी-बूटी थी जिसकी डॉक्टर बात कर रहे थे। उन्होंने जल्दी से एक विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ मिलकर उस जड़ी बूटी की छानबीन की और पाया कि वह तो वही संजीवनी बूटी थी जिसकी बात डॉक्टर कर रहे थे।चिंटू के पापा को डॉक्टर ने कहा कि यह पहला चमत्कार हमने देखा कि आपकी बेट को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ी।जड़ी बूटी का मिलना असंभव था इस जड़ी-बूटी को इस चंपू नें लाकर हमारा इतना बड़ा काम हल कर दिया है ।यह चमत्कार किसी भगवान से कम नहीं है ।यह तो वास्तव में तुम्हारे बेटे का सच्चा साथी है ।जो अपने दोस्त की मदद के लिए हरदम तत्पर है।हम ऐसे दोस्त को सलाम करते हैं ।चिंटू के पापा मम्मी ने चंपू को गले से लगा लिया और रो पड़े ।उन जड़ी बूटियों के चमत्कार से चिंटू की जान बच गई थी ।डॉक्टर द्वारा किया गया ऑपरेशन कामयाब हो गया था ।चिंटू को अब अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। चिंटू अपने दोस्त के साथ हंसी-खुशी घर लौट आया।

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पंडिताइन की सूझबूझ

एक पंडित जी थे ।वह अपने मोहल्ले में पूजा-पाठ के लिए बहुत प्रसिद्ध थे ।उन्हें लोग दूर-दूर से पूजा पाठ के लिए अपने घर ले जाते थे। पंडित भी सभी घरों में पूजा पाठ के लिए जाते थे। जो कुछ मिलता था उसी से वह अपना तथा अपने परिवार का पालन पोषण करते थ।े अब की बार जब पूजा के लिए गये तो उसके गांव के जमींदार ने एक गाय भी दान में दी ।वह पंडित भोले-भाले थे वह चतुर नंही थे।जब वह सारा सामान लेकर घर को जा रहे थे जमीदार ने उन्हें गाय को देते हुए कहा कि मैं यह गाय तुम्हें दक्षिण़ा स्वरूप दे रहा हू।ं पंडित जी इस बार इन्कार नहीं कर सके गाय को लेकर रास्ते में वह काफी दूर जा चुके थे। बहुत थक भी बहुत चुके थे ।उन्होंने गाय पर अपना समान रख दिया जब वह रास्ते से जा रहे थे तब उनको तीन ठगों ने देख लिया ।वह आपस में विचार विमर्श करने लगे कि इस पंडित जी से गाय को कैसे हासिल किया जाए, इसके लिए उन्होंने एक योजना बना ली थी ।वह थोड़े थोड़े फासले में तीनों जाकर खड़े हो गए थे जैसे ही

वो रास्ते से गुजर रहे थे पहला ठग उनसे बोला पंडित जी राम-राम ।सुबह-सुबह गधे को कहां ले जा रहे हो ?पंडित जी को अपनी गलती का एहसास हुआ उन्होंने अपना सामान अपने कंधे पर रख दिया और धीरे-धीरे कदमों से आगे जाने लगे तभी उन पंडित जी को दूसरे ठग ने कहा तुम गधे को क्यों ले जा रहे हो ?पंडित जी ने कहा यह गधा नहीं है यह कहते हुए वह आगे निकल गए ।थोड़ा फासले पर एक दूसरा ठग मिला उसने पंडित जी को कहा पंडित जी आप गधे को कहां ले जा रहे हो ?तब पंडित जी ने गाय को ऊपर से नीचे की ओर देखा बोले भाई यह गधा नहीं है तुम्हारी मति क्या मारी गई है जो तुम गाय को गधा कह रहे हो थोड़ी दूर आगे जाने पर उसे तीसरा ठग दिखाई दिया तीसरे ठगने भी उससे वही बात कही परंतु तीसरे ठग की बात सुनकर पंडित जी हैरान रह गए और सोचने लगे हो ना हो जमीदार ने मुझे गधा ही दान में दिया है।मुझे उस जमीदार ने बेवकूफ बनाया और एक गधे को मेरे पल्ले मढ दिया परंतु अब क्या हो सकता था ?ःवह गाय को जैसे ही ले जाने लगे तो उसने पंडित जी से कहा कि इस गधे को तुम मुझे बेच दो ,अब तो पंडित जी ने सोचा मुझे इस गधे को बेच देने में ही भलाई है क्योंकि पहले दो लोगों ने भी उसे यही बात कही थी। वह लोग झूठ नहीं बोल सकते पंडित जी ने अपनी गाय को उसको ₹500 में बेच दिया ।वह पंडित जैसे ही घर जा रहा था उसे रास्ते में उसकी पत्नी मिल गई उसकी पत्नी ने पूछा कि तुम क्या लाए हो तब उसने अपनी पत्नी को सारी कहानी सुना दी ःउसको गांव के जमीदार न उसे एक गाय दान में दी थी उसने सोचा कि वह गाय है परंतु रास्ते में मुझे तीन लोगों ने एक ही बात कही कि पंडित जी तुम इस गधे को क्यों ले जा रहे हो ।मैंने सोचा कि वह झूठ बोल है जब तीन बार तीन व्यक्ति द्वारा एक ही बात कही गई तो मैंने सोचा कि तीनों व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोल सकते इसलिए मैंने उस गधे को तीनों दोस्तों को बेच दिया। पंडित जी की पत्नी बहुत ही समझदार थी। वह बोली तुम ठहरे बेवकूफ के बेवकूफ गाय को भी नहीं पहचानते है ।वे तीन ठग नहीं थे बल्कि वे तीन चोर थे जो तुमसे तुम्हारी गाय चुराना चाहते थे इसलिए उन्होंने जब तुम्हें गाय को ले जाते देखा तो उन तीनों ने सोचा कि क्यों ना इस पंडित जी को बेवकूफ बना कर इसकी गाय को हासिल कर लिया जाए ।और तुम इन तीनों लोगों के बहकावे में आ गए अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा वह तीनों अभी भी तीनों ज्यादा दूर नहीं गए होंगे मैं पूरे दावे के साथ कह सकती हूं कि वह तीनों अभी बहुत ज्यादा दूर नहीं गए होंगे अगर तुम में थोड़ी सी भी अक्ल है तो तुम उस गाय को वापस लेकर आओ ।मैं तुम्हें बताती हूं कि क्या करना है उसकी पत्नी ने पंडित जी को अच्छे ढंग से समझा-बुझाकर कहा मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आ रही ,हूं।ं जैसे ही पंडित आधे रास्ते में पहुंचा तब पंडित जी को वापस आते देखकर रास्ते में पहला ढंग बोला तुम वापिस क्यों आए हो ।पंडित जी ने कहा कि मेरा थैला रास्ते में ही रह गया था इसलिए मैं उसे लेने आया हूं पंडित जी अपना थैला ढूंढने लगे ।पंडित जी ने बातों ही बातों में कहा कि मैंने तुम्हें गाय ही दी थी यह बात मैं जानता थाूं तुमने कहा था कि ये गधा है परंतु मैंने यह जानबूझकर यह गाए तुम्हें दी थी क्योंकि मैं जानता था कि यह जो गाय मैं मैं दे रहा हूं यह मुझे दान में मिली थी उसको पागल कुत्ते ने काटा हुआ था चाहे उसकी टांग में निशान भी देख लो पागल कुत्ते के काटे का निशान है इसलिए मैंने उसकी टांग में पट्टी बांधी थी जब इस गाय को जमींदारार दान कर रहे थे तो यह बात मेरी पत्नी ने सुन ली थी उसने मुझे यह बात बताई थी इसलिए मैंने तुम्हें यह गाए दे दी थी तभी उसने अपने पंडित जी को कहा कि तुम तुम यहां पर अपना थैला ढूंढो मैं अभी गाय ले कर आता हूं ऐसी गाय मुझे भी नहीं चाहिए ठग दौड़ा दौड़ा अपने दोनों दोस्तों के पास पहुंचा और उन दोनों को यह सारी कहानी सुनाई वह दोनों व्यक्ति पंडित जी की होशियारी की दाद देने लगे उसने तो हम दोनों को बेवकूफ बनाया इतने में पंडित जी भी वहां पहुंच गए पंडित जी ने उन दोनों को कहा भाई राम राम अब मैं तो चला मुझे मेरा थैला मिल गया है तब दूसरा ठग बोला भाई मैं समझता हूं कि तुम गाय ही हथियाने के चक्कर में फिर से आए थे तब पंडित जी ने कहा मुझे गाय नहीं चाहिए पंडित जी ने कहा की जब मैं यहां से गुजर रहा था तब मैंने एक औरत को पशुओं को चरातेे देखा हम इस गाय को इस महिला को बेच देते हैं जो कीमत मिलेगी हम चारों बांट लेंगे परंतु होशियार रहना जैसे ही वह वापस जाने के लिए उसी रास्ते से मुड़े वहां पर एक महिला पशुओं को चरा रही थी उन ठगों ने उस महिला को कहा हम यह गाय बेचना चाहते हैं क्या तुम यह गाए लोगी वह महिला बोली तूम मुझे बेवकूफ क्यों बना रहे हो मुझे कोई गायनहीं लेनी मेरे पास तो पहले ही बहुत सारे पशु है इस गाय को लेकर मैं क्या करूंगी और मुझे तो यह गाय बहुत ही बीमार दिखाई देती है तुमने इस की टांग में पट्टी क्यों बांधी हुई है नहीं साहब मुझे कोई गाय नहीं चाहिए तुम किसी और को इस गाय को बेच देना तब तीनो ठग सोचने लगे की कि यह पंडित झूठ नहीं बोल रहा है सचमुच यह गाय बहुत बीमार लग रही है तभी तीसरा ठग बोला नहीं पंडित जी हम तीनों को माफ कर दीजिए हम तुमसे तुम्हारी गाय छिनना नंही चाहते थे परंतु अब हम आपसे माफी मांगते हैं भला हम तीनों इस पागल गाय का क्या करेंगे आप तो पंडित हो अगर आपने नहीं रखनी हो तो ना सही हम आपको इस गाय के 500रुपए देते हैं आप इस गाय को किसी को दान में दे देना या बेच देना अच्छा तब तीनों ठग मूर्ख बनकर वहां से अपने अपने घरों को चले गए पंडित जी ने अपनी पत्नी की सूझबूझ से गाय को उनके उसे फिर से प्राप्त कर लिया था।

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