समझदार दोस्त

विकी जैसे ही घर आया वह बहुत खुश था क्योंकि आज उसका वार्षिक परीक्षा परिणाम निकल चुका था वह अपनी कक्षा में प्रथम आया था। उसके मम्मी पापा एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे उन्होंने उससे वादा किया था कि अगर तुम इस बार अपनी कक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो गए तो हम तुम्हें तुम्हारे लिए तुम्हारी मनपसंद की वस्तु ले कर देंगे। आज तो वह खुशी से झूम रहा था विद्यालय में भी उसे ईनाम मिला था घर-आते ही उसने अपनी मम्मी पापा को कहा कि अब तो आपको मेरा वादा पूरा करना ही पड़ेगा। दूसरे दिन उनके गांव में बहुत बड़ा मेला था। उसने अपनी मम्मी पापा को कहा कि आपको भी मेला देखने मेरे साथ जाना होगा ।वहां पर जो चीज मुझे पसंद आएगी वह मैं ले लूंगा। उसके मम्मी पापा मान गए आखिरकार उन्हें भी तो अपनी बेटी की इच्छा को पूरी करना था। मेला देखने जाने के लिए उन्होंने एक टेक्सी बुक कर ली और टैक्सी में बैठ कर मेला देखनेंं पहुंच गए। मेले में तरह तरह के पांडाल सजे हुए थे चारों तरफ चहक महक थी। एक तरफ खिलौनों की दुकानें, मिठाइयों की दुकानें और ना जाने क्या-क्या ?मिठाइयों की सुगंध से विकी के मुंह में पानी भर आया वह बोला पापा अभी मुझे मिठाई खाने का जरा भी मन नहीं है ।आज मैं मेले से अपनी मनपसंद वस्तु लेना चाहता हूं ।वह एक समझदार बच्चा था वह जानता था कि उसके पिता इतने अमीर व्यक्ति नहीं है जो उसे बहुत कुछ दिला सके इसलिए उसने अपने पिता से कहा कि पिताजी थोड़ी देर मुझे सारे मेले का चक्कर लगाने दो जो वस्तु मुझे सबसे ज्यादा पसंद आएगी वही मैं ले लूंगा। उसके पिता अपने बेटे की होशियारी से बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा बेटा हम यहां एक होटल में बैठते हैं तब तक तुम मेलेका एक चक्कर लगा कर देखलो कि तुम्हें क्या पसंद आता है? उसकी मम्मी पापा एक होटल में रुक गए ।विकी अपने दोस्तों के साथ मेले का चक्कर लगाने लगा ।उसके दोस्त भी उसके साथ ही थे। उन्होंने मिठाइयां ,किसी ने घड़ी ,किसी ने कैमरा ,सब दोस्त उसके पास आकर बोले, तुम क्या खरीद रहे हो ? वह अपने दोस्तों से बोला, मैं तो कोई ऐसी वस्तु देखना चाहता हूं जो मेरे काम की हो । उसकी नजर एक दुकान पर पड़ी जिसमें एक कुत्ता था ।एक व्यापारी उस कुत्ते को बेच रहा था ।कुत्ते को देखकर उसके मुंह से निकला शेरू उस व्यापारी ने कहा बेटा वाह! तुमने तो उसका नाम भी दे दिया ।हम इस कुत्ते को बेचना ही चाहते थे । तुम इसे लेना चाहते हो तो तुम को यह कुत्ता ₹5000 में मिल जाएगा ।5000 रुपए किमत सुन कर विक्की बहुत ही परेशान हो गया और सोचने लगा यह तो बहुत महंगा है। उसने तो अपने मन में कुत्ते को खरीदने का विचार कर लिया था ।वह अपने पापा के पास आकर बोला मम्मी पापा मुझे एक वस्तू बहुत ही पसंद आई है । वह बहुत ही महंगी है ।उसके पिता ने कहा बेटा आज तो हम तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे ।तुमने भी तो हमारा मान बढ़ाया है। उसने अपने माता पिता को कहा पापा बहुत बहुत ही महंगी चीज है क्या आपके पास 5000 रुपए हैं ? उसके पिता ने कहा बेटा मैंने तुम्हारे लिए हर महीने 1000 -हजार रुपए बचा कर रुपए इकट्ठे किए थे ।मैंने सोचा था जब तुम परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो जाआेगे तब हम तुम्हें तुम्हारी मन पसन्द वस्तु अवश्य वस्तु देंगे ।उसको अपने पापा पर बहुत ही प्यार आया और बोला पापा आपने एक बार हां कर दी है तो आप मना मत करना। वह अपने मम्मी पापा को एक दुकान पर ले गया। जहां पर एक व्यापारी कुत्ते को बेच रहा था। वह कहने लगा बाबूजी यह कुत्ता पालतू है परंतु अभी ही इसके मालिक का देहांत हो चुका है। इस इस दुनिया में अब इसकाकोई नहीं है ।मैं इस कुत्ते को अपने पास ही रखना चाहता था परंतु ,मेरा व्यापार ही ऐसा है कि मुझे व्यापार के लिए ना जाने कहां कहां जाना पड़ता है ?इसलिए अब मैं इस कुत्ते की देखभाल नहीं कर सकता ।मैं इसे बेचना चाहता हूं ।विकी के पापा ने उस व्यापारी से उस कुत्ते को खरीद लिया ।शेरूं को पाकर विकी बहुत ही खुश हुआ ।वह उस कुत्ते को अपने घर लेकर आया । वह शेरू से इस प्रकार घुल मिल गया जैसे कि वह उसका अपना भाई हो। वह कहने लगा पापा, आज से यह मेरा भाई है ।यह हमारे घर आ जाया है हमें इसका जन्मदिन मनाना होगा ।घर में खूब रौनक हुई विकी के सारे दोस्त आए उन्होंने केक काटा शेरू को तिलक लगाया और उसे हैप्पी बर्थडे कहां और खूब देर तक उत्सव मनाया ।जिस किसी ने सुना कि उनके घर में एक बच्चा आया है तो सुनकर सब अवाक रह गए कि कुत्ते का भी कोई जन्मदिन मनाया जाता है । विकी कहने लगा कि कोई भी उसे कुत्ता नहीं कहेगा। यह मेरा शेरु है ।जहां भी जाता शेरू को वह साथ लेकर जाता। उसके दोस्त भी शेरू के साथ खेलते ।शाम को जब वह खेलता तो उसकी गेंद निचे गिर जाती शेरू दौड़ कर उसकी गेंद उसे ला कर देता।शेरू उसे खूब दौड़ाता इस प्रकार वह दौड़ने में भी बहुत तेज हो गया ।स्कूल में विकी को दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम पुरष्कार मिला। उसको शेरू नें दौड़ने में बहुत ही कुशल का दिया था शेरू तो उसकी जान था।शेरू को पाकर वह खूब मौज मस्ती करता था। घर के काम के साथ- साथ पढ़ाई भी खूब मन लगाकर करता था ।उसकी मम्मी पापा भी बहुत खुश थे क्योंकि अब उनका बेटा बहुत ही होशियार हो गया था। एक दिन वह शेरू को लेकर अपने दोस्त के यहां विवाह उत्सव में शामिल होने के लिए गया था ।सभी विवाह उत्सव का आनंद मना रहे थे ।उसने शेरू को एक जगह खड़ा रहने का आदेश दिया। वह राम मंदिर चला गया जंहा उसके दोस्त की बहन की शादी थी ।चारों तरफ खूब रौनक थी ।शादी के कार्यक्रम में सभी इतने व्यस्त थे, जिस घर में शादी थी उनकी तीन वर्ष की बेटी अचानक आई और पानी की टंकी पर चड्डी ।उसकी गुड़िया वहां गिर गई थी। वह उस गुड़िया को निकालने के लिए ऊपर चढ़ी तभी वह बच्ची पानी की टंकी में गिर गई ।उस बच्चे को पानी में गिरते हुए शेरू ने देख लिया। शेरू नें जोर-जोर से भौंकना शुरू कर दिया। उसको भौकता देख कर कुछ लोगों ने उसे मारना शुरू कर दिया , तभी वहां विक्की पहुंच गया ।उसने लोगों को उसे मारने से रोका अब तो विकी को देखकर शेरू और भी जोर-जोर से भौंकनें लगा । विकी को पता चल चुका था कि जरूर कोई बात है जो शेरू उससे कुछ कहना चाहता है। शेरू उस की कमीज पकड़कर उसे पानी की टांकी के पास लेकर गया ।विकी ने देखा कि यहां तो कोई नहीं है पर कुछ सोचा। क्या पता इस टांकी में कहीं कुछ तो नहीं है ।विकी ने देखा तो उसे वहां पर कुछ तैरता दिखाई दिया। उसने जोर-जोर सेशोर मचा कर सब लोगों को इकट्ठा किया। सब लोंगों नें वंहा पंहुच कर उस बच्ची को टांकी के अंदर से निकाला ।उस बच्ची की अभी सांसें शेष थी ।उसको जल्दी से डॉक्टर के पास ले जाया गया। उसकी जान बच गई वह लड़की उसके दोस्त की बहन थी। लड़की को विदा कर उसके दोस्त की मां नें रोते-रोते कहा कि अगर आज शेरू नहीं होता तो आज हम अपनी बेटी को खो देते।

शेरू ने आज मेरी बेटी की जान बचाई है । वास्तव में अच्छी प्रसंशा का हकदार मेरा दोस्त शेरू है। बेजुबान प्राणी होते हुए भी वह कितना समझदार है , कितनी वफादारी के साथ उसने मेरी बेटी की जान बचाई । आज से यह मेरा भी बेटा बेटा होगा। कौन कहता है कि मूक प्राणी समझ दार नंही होते ।यह तो इन्सानों से भी समझदार होते हैं जो मुसीबत पडनें पर किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं हटते। शेरू अपने मोहल्ले में प्रसिद्ध हो चुका था। शेरू को पाकर विकी फूला नहीं समाता था। कभी-कभी अपने दोस्त शेरू को मायूस देख कर सोचने लगता कि शायद उसे भी अपने मालिक की याद आ रही हो ।एक दिन वह अपने पापा के साथ अपने अंकल के घर गया हुआ था ।वह शेरू कोअपनी मम्मी के यहां छोड़ आया था ।जब अपने पिता के साथ ट्रेन में बैठा तो उसकी मुलाकात एक परिवार से हुई उसके परिवार में पति-पत्नी और उनकी बेटी थे। सब ट्रेन से मुंबई जा रह थे।उनके साथ उनकी कुत्तिया भीदिखी ,जो कि भूरी भूरी आंखों वाली थी ।वह बहुत ही प्यारी थी ।उसे देख कर विकी कहने लगा अंकल मेरे पास भी एक कुता शेरू है। मैंउसे बहुत ही प्यार करता हूं ।मैं अपने पापा के साथ शादी की पार्टी में शामिल होने जा रहा हूं ।अंकल आप कहां के रहने वाले हो ? उन्होंने कहा कि बेटा हम मुंबई के रहने वाले हैं । हम मुंबई से हमेशा के लिए विदेश जा रहे हैं । हमारी 12:00 बजे रात की फ्लाइट है ।विकी उनके साथ काफी घुल मिल गया था ।रात को अचानक उसे नींद आ चुकी थी ।उसने देखा कि वह परिवार तो उतर चुका था परंतु उनकी कुत्तिया वंही नीचे लेटी हुई थी। विकी ने समय देखा तो 2:00 बज चुकेथे। उनकी कुत्तिया वहीं पर ही रह गई थी ।वह जोर-जोर से भौंक रही थी ।उसके भौंकनें की आवाज से विकी जागा । वह चारों तरफ डिब्बे में अपने मालिक को ढूंढ रही थी। उसे इस अवस्था में देख कर विकी जोर-जोर से रोनें लगा ।विकी को रोता बिलखता देख कर उसके पापा ने उसे कहा बेटा वे जल्दी में उसे ले जाना भूल गए क्योंकि गाड़ी आज देर से चली थी। जल्दबाजी में वे उसे ले जाना भूल गए ।पापा अब बेचारी ये कहां जाएगी ।हम उसको यूं भटकने के लिए नहीं छोड़ सकते । विकी अपने पापा को मना कर उस कुत्तिया को अपने साथ घर ले आया ।शेरू तो उसको पा कर जैसे बहुत खुश हो गया था। उसे अपने साथ खेलने के लिए एक साथी मिल गया था। दोनों साथ-साथ जाते । विकी ने उसे सुहानी नाम दे दिया था शेरू बहुत ही खुश था एक दिन विकी ने दो तीन अनजान लोंगोंको शेरू पर पत्थर मारते देखा। शेरू उन अजनबी लोंगो को देख कर जोर से भोंकनें लगता । उन्होंने थोड़े दिन पहले ही पड़ोस में मकान किराए पर लिया था ।शेरु उनको देखकर जोर- जोर से भौकने लगता था ।एक दिन शाम के समय विकी अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। उसका दोस्त शेरू उसके पास ही था। अचानक शेरू उसकी आंखों से ओझल हो गया ।उसने सोचा शेरू यही कही होगा । शेरू काफ़ी आगे निकल गया था। उसका दोस्त बोला बॉल फेंको ।बॉल को फैंकनें के चक्कर में वह शेरू को भूल ही गया ।खेल जब खत्म हुआ तो सभी बच्चे घर जाने लगे तो उसे शेरू का ध्यान आया।शेरू उसे छोड़कर कहीं नहीं जाता था ।वह तो पास ही बैठा हुआ उसे हमेशा देखा करता था ।सुहानी उसे अभी इतना घुली मिली नहीं थी ।जब काफी देर तक शेरू नहीं लौटा तो उसे चिंता हुई वह अपने दोस्तों को लेकर काफी दूर निकल आया। उसके साथ सुहानी भी भागते भागते काफी दूर तक आ चुकी थी ।उन्हें कहीं शेरू दिखाई नहीं दिया, तभी एक जगह सुहानी ने भौकना आरंभ कर दिया ।।वहां पर झाड़ियां थी। झाड़ियां कांटो वाली थी। अचानक सुहानी दौड़ी दौड़ी नीचे उतरती गई । वंहा पर उसेे शेरू का पट्टा दिखाई दिया। उसके पास एक अटैची पडी थी। थोड़ी नीचे जाने पर एक आदमी गिरा हुआ था। वह बहुत बुरी तरह घायल था। वह बेहोश चुका था ।विकी को समझते देर नहीं लगी कि शेरू नें उस आदमी का पीछा किया होगा उस आदमी के समीप एक अटैची थी जिसमें एक करोड रुपए के हीरे थे। वह आदमी हीरे चुराकर भाग रहा होगा तभी शेरू भी उसके पीछे भागा होगा ।और उसी वक्त खाई में नीचे गिर गया होगा उसने अपने पापा को फोन किया और सारी सूचना दी। उसके पापा ने तुरंत पुलिस वालों को जल्दी से बुलाया पुलिस वाले जिस व्यक्ति को ढूंढने की कोशिश करे थे वह वह वही आदमी था जो खाई में गिर गया था । वह वही आदमी था जिस पर शेरू भोंका था। कुछ दिन पहले ही उस व्यक्ति नें मकान किराये पर लिया था। पुलिस वालों ने उसे पकड़ने के लिए 50,0000रुपये का ईनाम रखा था ।एक बार फिर शेरूने अपने वफादार होने का और अपने सच्चे दोस्त होने का प्रमाण दे दिया था ।विकी ने तो खाने को हाथ भी नहीं लगाया ।सुहानी ने तो इतनी चुप्पी साध ली कि पूछो ही मत ।पुलिस वालों ने विकी को 50,0000रुपये दिलवा दिये। उनके दो साथियों को भी पकड़वा दिया।एक दिन विकी आश्चर्य चकित हो गयाजब उसके घर पर किसी अजनबी ने घंटी बजाई, जैसे उसने दरवाजा खोला उसके सामने वही अंकल थे जिन्होंने सुहानी को खो दिया था। वह ढूंढते-ढूंढते उनके घर पहुंच चुके थे । उनका व्यापार विदेश में नहीं चल सका ।वे मुंबई वापिस आ चुके थे ।उस दिन बातों-बातों में विकी ने उन्हें अपने घर का पता दे दिया था ।अंकल ने कहा बेटा, सुहानी को इतने दिन तक अपने घर में रखने के लिए धन्यवाद । हमारी सुहानी को हमें लौटा दो ।विकी सुहानी को प्यार करते हुए सोचने लगा कि मैं इसे इसकी मालिक के पास वापिस कर देता हूं । सुहानी को वापिस लौटाते रो पड़ा और बोला अंकल सुहानी का ध्यान रखना और चुपके से सुहानी को लेने चला गया। वह सुहानी को विदा होते हुए नहीं देख सकता था ।वह जैसे ही सुहानी को लेकर आया उसने अपने शेरू की हल्की सी आवाज सुनाई दी उसका शेरू लंगड़ाता हुआ आया और विकी के पैरों के पास गिरपड़ा वह अपने शेरू को अपने ंसामने देख कर बहुत ही खुश हुआ ।सुहानी अपने शेरू को वापिस आता देख कर अपने मालिक की गोद से निकलकर तुरंत शेरू के पास दौड़ी दौड़ी आईऔर उसे चाटने लगी ।यह देख कर उन अंकल की आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे ।शेरू को डरता देख कर सुहानी भी उदास होकर इधर-उधर चक्कर काटने लगी। वह चुपचाप मौन रहकर इशारा कर रही थी कि अब वह तुम्हारे साथ मुंबई वापिस नहीं जाना चाहती ।वह तो अपने शेरू के पास ही रहकर खुश थी। उसको वही छोड़कर विकी की तरफ देख कर अंकल बोले बेटा, मैं सुहानी को लेने वापिस आया था ,परंतु यंहा का दृश्य देकर मैं उसे ले जाने की सोच भी नहीं सकता ।विकी ने अपने शेरू की सारी कहानी अंकुल को सुना दी थी ।वह झटपट शेरू को लेकर अस्पताल गया और उसे बचा लिया ।उसके हंसीभरे दिन लौट आए-थे।

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लालची किसान

एक किसान था वह खूब मेहनत करता और अपनी फसलों को लहलाता देख कर खुशी से फूला नहीं समाता था ।वह रोज सुबह जल्दी उठता और शाम तक काम करता और अपनी हरी-भरी फसलों को देखकर खुश होता ।उसकी पत्नी घर का काम करती थी चाहे वर्षा हो गया आंधी तूफान आए अपने खेतों में हर रोज काम करता था। कोई भी दिन ऐसा नहीं होता था जिस दिन वह मेहनत ना करता हो। इस तरह उसके दिन व्यतीत हो रहे थे ।एक दिन की बात है कि जब वह हल चला रहा था तो उसने अपने खेत में एक तरफ उसका पैर किसी नुकीली चीज से जा टकराया ।उसको खोजने की कोशिश की मगर वह चीज इतनी कठोर थी कि वह अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई ।अंधेरा हो चुका था उसने सोचा क्यों ना सुबह के समय में मै इसे देखूगा कि यह वस्तु क्या है?।सुबह जल्दी-जल्दी वह खेत में चला गया और देखने लगा कि यह क्या है ?यह देखकर उसकी आंखें चौंधिया गई। उसका खेत सोने की मुहरों से भरा हुआ खड़ा था । वह घड़ा देखकर और सोने की मोहरें देखकर बहुत ही खुश हुआ ः। किसान सोचने लगा एक दिन मैं बहुत ही अमीर व्यक्ति बन जाऊंगा। मेरे पास गाड़ी होगी बंगला होगा नौकर-चाकर होंगे वह उस घड़े को देखकर सोचने लगा वह उस घड़े को घर नहीं ले जाएगा हो सकता है मेरी पत्नी मुहरों को देखकर अपनी सहेलियों से मोहरों वाली बात कह दे।नहीं नहीं औरतों के पेट में कुछ भी बात पचती नहीं है, नहीं यह बात मैं अपनी पत्नी को भी नहीं बताऊंगा ।यह सोचकर उस ने मोहरो से भरे घड़े को वैसे ही जमीन में गाड़ दिया ।सारी रात उसको नींद भी नहीं आ रही थी ।उस के घड़े को कोई चुरा कर ना ले जाए ।वह अब पहले जैसी मेहनत भी नहीं करता था ।वह सोचने लगा कि कोई बात नहीं अगर एक दिन मेहनत नहीं की तो क्या बिगड़ जाएगा ।पहले उसे खूब नींद आती थी। उसकी पत्नी सोचती आजकल मेरे पति काम पर भी बहुत कम जाते ह,हैं। बहुत आलसी हो गए हैं और रात को भी ठीक ढंग से खाना-नहीं खाते ।पता नहीं उनके मन में क्या बात है जो मुझसे भी वह नहीं कहते। वह अपने पति से पूछने का प्रयत्न करती मगर ,किसान उससे कुछ कहता नहीं था।तुम्हें क्या वह उसे यही कहता ,भाग्य-वान अब तो मैं भी तुम्हें सब कुछ लाकर दूंगा तुम्हें गहने भी बनवाउगा, बंगला भी दूंगा ।उसकी पत्नी सोचती कि मेरा पति पागल तो नहीं हो गया ।कभी सोचती कि मेरे पति को शायद कोई खजाना हाथ लग गया है ।वह अपने पति पर हमेशा नजर रखने लगी ।एक दिन उसने अपने पति को वहां पर कुछ खोदते हुए देखा। उससे रहा नहीं गया ।वह अपने पति से कुछ नहीं बोली मगर उसने यह सारी बात अपनी सहेलियों को बता दी।उसकी सहेलियां सोचने लगी हो ना हो दाल में कुछ काला अवश्य है। उसकी सहेली ने खेत में सुबह सुबह जाकर खुदाई कि तो उसे मोहरों से भरा घड़ा देखकर वह दंग रह गई। उसकी सहेली ने उस केे पति कीे मोहरे चुरा ली। जब किसान ने खेत में आकर देखा तो उसकी फसलें तहस-नहस हो चुकी थी ।उसने वहां पर खुदाई कर देखा तो उसे कुछ भी नहीं मिला। अब तो वह जोर जोर से रोने लगा। वह सोचने लगा कि जब वह मेहनत करके पेट भरता था तब वह चैन की नींद सोता था ।और मोहरो ने तो उसकी रातों की नींद भी छीन ली थी। मैं तो पैसा पाकर ,धन दौलत की चकाचौंध सेे अपने आप को मैं भूल ही गया था। ।धन-दौलत तो मैं हर कभी पा सकता हूं मगर मैं मेहनत करुंगा तो धन दौलत तो कभी भी कमा सकता हूं ।मगर रातों की नींद हराम करके और भी आलसी बन गया था ।अब मैं कभी भी लालच नहीं करूंगा ।इंसान को मेहनत से कमाए गए धन पर ही संतोष रखना चाहिए। पाप की कमाई से कमाई गई दौलत कभी भी हमें गवानी पड़ सकती है ।अब तो किसान सब कुछ समझ गया था अब फिर से वह पहले जैसे ही मेहनत करने लगा।

समझदार दोस्त

विकी जैसे ही घर आया वह बहुत खुश था क्योंकि आज उसका वार्षिक परीक्षा परिणाम निकल चुका था वह अपनी कक्षा में प्रथम आया था। उसके मम्मी पापा एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे उन्होंने उससे वादा किया था कि अगर तुम इस बार अपनी कक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो गए तो हम तुम्हें तुम्हारे लिए तुम्हारी मनपसंद की वस्तु ले कर देंगे। आज तो वह खुशी से झूम रहा था विद्यालय में भी उसे ईनाम मिला था घर-आते ही उसने अपनी मम्मी पापा को कहा कि अब तो आपको मेरा वादा पूरा करना ही पड़ेगा। दूसरे दिन उनके गांव में बहुत बड़ा मेला था। उसने अपनी मम्मी पापा को कहा कि आपको भी मेला देखने मेरे साथ जाना होगा ।वहां पर जो चीज मुझे पसंद आएगी वह मैं ले लूंगा। उसके मम्मी पापा मान गए आखिरकार  उन्हें भी तो अपनी बेटी की इच्छा को पूरी करना था। मेला देखने जाने के लिए उन्होंने एक टेक्सी बुक कर ली और टैक्सी में बैठ कर  मेला देखनेंं पहुंच गए। मेले में तरह तरह के पांडाल सजे हुए थे चारों  तरफ चहक महक  थी। एक तरफ खिलौनों की दुकानें, मिठाइयों की दुकानें और ना जाने क्या-क्या ?मिठाइयों की सुगंध से विकी के मुंह में पानी भर आया वह बोला पापा अभी मुझे मिठाई खाने का जरा भी मन नहीं है ।आज मैं मेले से  अपनी मनपसंद वस्तु लेना चाहता हूं ।वह एक समझदार बच्चा था वह जानता था कि उसके पिता इतने अमीर व्यक्ति नहीं है जो उसे बहुत कुछ दिला सके इसलिए उसने अपने पिता से कहा कि पिताजी थोड़ी देर मुझे सारे मेले का चक्कर लगाने दो जो वस्तु मुझे सबसे ज्यादा पसंद आएगी वही मैं ले लूंगा। उसके पिता अपने बेटे की होशियारी से बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा बेटा हम यहां एक होटल में बैठते हैं तब तक तुम मेलेका  एक चक्कर लगा कर देखलो कि तुम्हें क्या पसंद आता है? उसकी मम्मी पापा एक होटल में रुक गए ।विकी अपने दोस्तों के साथ मेले का चक्कर लगाने लगा ।उसके दोस्त भी उसके साथ ही थे। उन्होंने मिठाइयां ,किसी ने घड़ी ,किसी ने कैमरा ,सब दोस्त उसके पास आकर बोले, तुम क्या खरीद रहे हो ? वह अपने दोस्तों से बोला, मैं तो कोई ऐसी वस्तु देखना चाहता हूं जो मेरे काम की हो । उसकी नजर एक दुकान पर पड़ी जिसमें एक कुत्ता था ।एक व्यापारी उस कुत्ते को बेच रहा था ।कुत्ते को देखकर उसके मुंह से  निकला शेरू  उस व्यापारी ने कहा बेटा वाह! तुमने तो उसका नाम भी दे दिया ।हम इस कुत्ते को बेचना ही चाहते थे । तुम इसे लेना चाहते हो तो तुम  को यह कुत्ता ₹5000 में मिल जाएगा ।5000 रुपए  किमत सुन कर विक्की बहुत ही परेशान हो गया और सोचने लगा यह तो बहुत महंगा है।  उसने तो अपने मन में कुत्ते को खरीदने का विचार कर लिया था ।वह अपने पापा के पास आकर बोला मम्मी पापा मुझे एक वस्तू बहुत ही पसंद आई है । वह बहुत ही महंगी है ।उसके पिता ने कहा बेटा आज तो हम तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे ।तुमने भी  तो हमारा मान बढ़ाया है।   उसने अपने माता पिता को कहा पापा बहुत बहुत ही महंगी चीज है क्या आपके पास 5000 रुपए हैं ? उसके पिता ने कहा बेटा मैंने तुम्हारे लिए हर महीने 1000 -हजार रुपए बचा कर रुपए इकट्ठे किए थे ।मैंने सोचा था जब तुम  परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो जाआेगे तब हम तुम्हें तुम्हारी मन पसन्द वस्तु अवश्य वस्तु देंगे ।उसको अपने पापा पर बहुत ही प्यार आया और बोला पापा आपने एक बार हां कर दी है तो आप मना मत करना। वह अपने मम्मी पापा को एक दुकान पर ले गया। जहां पर एक व्यापारी कुत्ते को बेच रहा था। वह कहने लगा बाबूजी यह कुत्ता पालतू है परंतु अभी ही इसके मालिक का देहांत हो चुका है।  इस इस दुनिया में  अब इसकाकोई नहीं है ।मैं इस  कुत्ते को अपने पास ही रखना चाहता था परंतु ,मेरा व्यापार ही ऐसा है कि मुझे व्यापार के लिए ना जाने कहां कहां जाना पड़ता है ?इसलिए अब मैं इस कुत्ते की देखभाल नहीं कर सकता ।मैं इसे बेचना चाहता हूं ।विकी के पापा ने उस व्यापारी से उस कुत्ते को खरीद लिया ।शेरूं को पाकर विकी बहुत ही खुश हुआ ।वह उस कुत्ते को अपने घर लेकर आया । वह शेरू से इस प्रकार घुल मिल गया जैसे कि वह उसका अपना भाई हो। वह कहने लगा पापा, आज से यह मेरा भाई है ।यह हमारे घर आ जाया है हमें इसका जन्मदिन मनाना होगा ।घर में खूब रौनक हुई विकी के सारे दोस्त आए उन्होंने केक काटा शेरू को तिलक लगाया और उसे हैप्पी बर्थडे कहां और खूब देर तक उत्सव मनाया ।जिस किसी ने सुना कि उनके घर में एक बच्चा आया है तो सुनकर सब अवाक रह गए कि कुत्ते का भी कोई जन्मदिन मनाया जाता है । विकी कहने लगा कि कोई भी उसे कुत्ता नहीं कहेगा। यह मेरा शेरु है ।जहां भी जाता शेरू को वह साथ लेकर जाता। उसके दोस्त भी शेरू के साथ खेलते ।शाम को जब वह खेलता तो उसकी   गेंद निचे गिर जाती शेरू दौड़ कर उसकी गेंद उसे ला कर देता।शेरू उसे खूब दौड़ाता इस प्रकार वह दौड़ने में भी बहुत तेज हो गया ।स्कूल में  विकी को दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम पुरष्कार मिला। उसको शेरू नें दौड़ने में बहुत ही कुशल का दिया था शेरू तो उसकी जान था।शेरू को पाकर वह खूब  मौज मस्ती करता था।  घर के काम के साथ- साथ  पढ़ाई भी खूब मन लगाकर करता था ।उसकी मम्मी पापा भी बहुत खुश थे क्योंकि अब उनका बेटा बहुत ही होशियार हो गया था। एक दिन वह शेरू को लेकर अपने दोस्त के यहां विवाह उत्सव में शामिल होने के लिए गया था ।सभी विवाह उत्सव का आनंद मना रहे थे ।उसने शेरू को एक जगह खड़ा रहने का आदेश दिया।  वह  राम मंदिर चला गया जंहा उसके दोस्त की बहन की शादी थी ।चारों तरफ खूब रौनक थी ।शादी के कार्यक्रम में सभी इतने व्यस्त थे, जिस घर में शादी थी  उनकी  तीन वर्ष   की बेटी अचानक आई और पानी की टंकी पर चड्डी ।उसकी गुड़िया वहां गिर गई थी। वह उस गुड़िया को निकालने के लिए ऊपर चढ़ी तभी वह बच्ची पानी की टंकी में गिर गई ।उस बच्चे को पानी में गिरते हुए शेरू ने देख लिया। शेरू नें जोर-जोर से  भौंकना शुरू कर दिया। उसको भौकता देख कर कुछ लोगों ने उसे मारना शुरू कर दिया , तभी वहां विक्की पहुंच गया ।उसने लोगों को उसे मारने से रोका अब तो विकी को देखकर  शेरू और भी जोर-जोर से   भौंकनें लगा । विकी को पता चल चुका था कि जरूर कोई बात है जो शेरू उससे कुछ कहना चाहता है। शेरू उस की कमीज पकड़कर उसे  पानी की टांकी के पास लेकर गया ।विकी  ने  देखा कि यहां तो कोई नहीं है पर कुछ  सोचा। क्या पता इस टांकी में  कहीं कुछ तो नहीं है ।विकी ने देखा तो उसे वहां पर कुछ तैरता दिखाई दिया। उसने जोर-जोर  सेशोर मचा कर सब लोगों को इकट्ठा किया। सब  लोंगों नें वंहा  पंहुच कर उस   बच्ची को टांकी के अंदर से निकाला ।उस बच्ची की अभी सांसें शेष थी ।उसको जल्दी से डॉक्टर के पास ले जाया  गया। उसकी जान बच  गई वह लड़की उसके दोस्त की बहन थी। लड़की को विदा कर उसके दोस्त  की मां नें रोते-रोते कहा कि अगर आज शेरू नहीं होता तो आज हम अपनी बेटी को खो देते। शेरू ने आज मेरी बेटी की जान बचाई है । वास्तव में अच्छी प्रसंशा  का हकदार मेरा दोस्त शेरू है। बेजुबान प्राणी होते हुए भी वह कितना समझदार है , कितनी वफादारी के साथ उसने मेरी बेटी की जान बचाई । आज से यह मेरा भी बेटा बेटा होगा। कौन कहता है कि  मूक प्राणी समझ दार नंही होते ।यह तो इन्सानों से भी समझदार होते हैं जो मुसीबत पडनें पर किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं  हटते। शेरू  अपने मोहल्ले में  प्रसिद्ध हो चुका था। शेरू को पाकर विकी फूला नहीं  समाता था। कभी-कभी  अपने दोस्त शेरू को मायूस देख कर सोचने लगता कि शायद उसे भी अपने मालिक की याद आ रही हो ।एक दिन वह अपने पापा के साथ अपने अंकल के घर गया हुआ था ।वह  शेरू कोअपनी मम्मी के यहां छोड़ आया था ।जब  अपने पिता के साथ ट्रेन में बैठा तो उसकी मुलाकात एक परिवार से हुई उसके परिवार में पति-पत्नी और उनकी बेटी थे। सब ट्रेन से मुंबई जा रह थे।उनके साथ उनकी कुत्तिया भी दिखी ,जो कि भूरी भूरी आंखों वाली थी ।वह बहुत ही प्यारी थी ।उसे देख कर विकी कहने लगा अंकल मेरे पास भी एक कुता शेरू है।  मैंउसे बहुत ही प्यार करता हूं ।मैं अपने पापा के साथ शादी की  पार्टी में शामिल होने जा रहा हूं ।अंकल आप कहां के रहने वाले हो ? उन्होंने कहा कि बेटा हम मुंबई के रहने वाले हैं । हम मुंबई से हमेशा के लिए विदेश जा रहे हैं । हमारी 12:00 बजे रात की फ्लाइट है ।विकी उनके साथ काफी घुल मिल गया था ।रात को अचानक उसे नींद आ चुकी थी ।उसने देखा कि वह परिवार तो उतर चुका था परंतु उनकी कुत्तिया वंही नीचे लेटी हुई थी। विकी ने समय देखा तो 2:00 बज चुकेथे। उनकी कुत्तिया वहीं पर ही रह गई थी ।वह जोर-जोर से भौंक रही थी ।उसके भौंकनें की आवाज से विकी जागा । वह चारों तरफ डिब्बे में अपने मालिक को ढूंढ रही थी। उसे  इस अवस्था में  देख कर विकी  जोर-जोर से रोनें लगा ।विकी को रोता बिलखता देख कर उसके पापा ने उसे कहा बेटा वे जल्दी में उसे ले जाना भूल गए क्योंकि गाड़ी आज देर से चली थी। जल्दबाजी में  वे उसे ले जाना भूल गए ।पापा अब बेचारी ये कहां जाएगी ।हम उसको यूं भटकने के लिए नहीं छोड़ सकते । विकी अपने पापा को मना कर उस कुत्तिया को अपने साथ घर ले आया ।शेरू  तो उसको पा कर जैसे बहुत खुश हो गया था। उसे अपने साथ खेलने के लिए एक साथी मिल गया था। दोनों साथ-साथ जाते । विकी ने उसे सुहानी नाम दे दिया था शेरू बहुत ही खुश था एक दिन विकी ने दो तीन अनजान लोंगोंको शेरू पर पत्थर  मारते देखा। शेरू उन अजनबी लोंगो को देख कर  जोर से भोंकनें  लगता ।  उन्होंने थोड़े दिन पहले ही पड़ोस में मकान किराए  पर लिया था ।शेरु उनको देखकर जोर- जोर से भौकने लगता था ।एक दिन शाम के समय विकी अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। उसका दोस्त शेरू उसके पास ही था। अचानक शेरू उसकी आंखों से  ओझल हो गया ।उसने सोचा शेरू यही कही होगा ।  शेरू काफ़ी आगे निकल गया था। उसका दोस्त बोला बॉल फेंको ।बॉल को  फैंकनें के चक्कर में वह शेरू को भूल ही गया ।खेल जब खत्म हुआ तो सभी बच्चे घर जाने लगे तो उसे शेरू का ध्यान आया।शेरू उसे  छोड़कर कहीं नहीं जाता था ।वह तो पास ही बैठा हुआ उसे हमेशा देखा करता था ।सुहानी उसे अभी इतना घुली मिली नहीं थी ।जब काफी देर तक शेरू नहीं लौटा तो उसे चिंता हुई वह अपने दोस्तों को लेकर काफी दूर निकल आया। उसके साथ सुहानी भी भागते भागते काफी दूर तक आ चुकी थी ।उन्हें कहीं शेरू दिखाई नहीं दिया, तभी एक जगह सुहानी ने भौकना आरंभ कर दिया ।।वहां पर झाड़ियां थी। झाड़ियां कांटो वाली थी। अचानक सुहानी दौड़ी दौड़ी नीचे उतरती गई ।  वंहा पर उसेे शेरू का पट्टा दिखाई दिया।  उसके पास एक अटैची पडी थी। थोड़ी नीचे जाने पर एक आदमी गिरा हुआ  था। वह बहुत बुरी तरह घायल था। वह बेहोश चुका था ।विकी को समझते देर नहीं लगी कि शेरू  नें उस आदमी का पीछा  किया होगा  उस आदमी के समीप एक अटैची थी जिसमें  एक करोड रुपए  के हीरे थे। वह आदमी हीरे  चुराकर भाग रहा होगा तभी शेरू भी उसके पीछे भागा होगा ।और उसी वक्त  खाई में नीचे गिर गया होगा उसने अपने पापा को फोन किया और सारी सूचना दी। उसके पापा ने तुरंत पुलिस वालों को जल्दी से बुलाया पुलिस वाले जिस व्यक्ति को ढूंढने की कोशिश करे थे वह वह वही आदमी था जो खाई में गिर गया था । वह वही आदमी था जिस पर शेरू  भोंका था। कुछ दिन पहले ही उस व्यक्ति नें मकान किराये पर लिया था। पुलिस वालों ने उसे पकड़ने के लिए 50,0000रुपये का ईनाम रखा था ।एक बार फिर शेरूने अपने वफादार होने का और अपने सच्चे  दोस्त होने का प्रमाण दे दिया था ।विकी ने तो खाने को हाथ भी नहीं लगाया ।सुहानी ने तो इतनी चुप्पी साध ली कि पूछो ही मत ।पुलिस वालों ने विकी को 50,0000रुपये  दिलवा दिये। उनके दो साथियों को भी पकड़वा दिया।एक दिन विकी  आश्चर्य चकित हो गयाजब उसके घर पर किसी अजनबी ने घंटी बजाई, जैसे उसने दरवाजा खोला उसके सामने वही अंकल  थे जिन्होंने सुहानी को खो दिया था। वह ढूंढते-ढूंढते उनके घर पहुंच चुके थे । उनका व्यापार विदेश में नहीं चल सका ।वे मुंबई वापिस आ चुके थे ।उस दिन बातों-बातों में विकी  ने उन्हें अपने घर का पता दे दिया था ।अंकल ने कहा बेटा, सुहानी को इतने दिन तक अपने घर में रखने के लिए धन्यवाद । हमारी सुहानी को  हमें लौटा दो ।विकी सुहानी को प्यार करते हुए सोचने लगा कि मैं इसे इसकी मालिक के पास वापिस कर देता हूं । सुहानी को वापिस लौटाते  रो पड़ा और बोला अंकल सुहानी का ध्यान रखना और चुपके से सुहानी को लेने चला गया। वह सुहानी को विदा होते हुए नहीं देख सकता था ।वह  जैसे ही सुहानी को लेकर आया उसने अपने शेरू की हल्की सी आवाज सुनाई दी उसका शेरू लंगड़ाता हुआ आया और विकी के पैरों के पास गिरपड़ा वह अपने शेरू को अपने ंसामने देख कर बहुत ही खुश हुआ ।सुहानी अपने शेरू को वापिस आता देख कर अपने मालिक की गोद से निकलकर तुरंत शेरू के पास दौड़ी दौड़ी आईऔर उसे चाटने लगी ।यह देख कर उन अंकल की आंखों से झर-झर आंसू  बहने लगे ।शेरू को डरता देख कर सुहानी भी उदास होकर इधर-उधर चक्कर  काटने लगी। वह चुपचाप मौन रहकर इशारा कर रही थी कि अब वह तुम्हारे साथ मुंबई वापिस नहीं जाना चाहती ।वह तो अपने शेरू के पास ही रहकर खुश थी। उसको वही छोड़कर विकी की तरफ देख कर अंकल बोले बेटा, मैं सुहानी को लेने वापिस आया था ,परंतु यंहा का दृश्य देकर मैं उसे ले जाने की सोच भी नहीं सकता ।विकी ने अपने शेरू की सारी कहानी अंकुल को सुना दी थी ।वह  झटपट शेरू को लेकर अस्पताल गया और  उसे बचा लिया ।उसके हंसीभरे दिन लौट आए-थे।

आशा की किरण

यह कहानी हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव की है ।एक बार मुझे शिक्षा के किसी कार्यक्रम के लिए बाहर जाने का मौका मिला। वहां जाकर मुझे इन इलाकों को देखने के बाद मेरी लेखनी ने मुझे यह लिखने के लिए मजबूर कर दिया ।मैं धीरे धीरे चलती जा रही थी। मैं इन कस्बों से अवगत नहीं थी। मुझे शिक्षा से संबंधित सेमिनार के लिए जो स्थान मुझे चयनित किया गया था वहां मुझे 1:00 बजे पहुंचना था ।मैं अपने साथियों को मिलने का इंतजार कर रही थी ,जहां पर हम खड़े थे वहां से 2 किलोमीटर पैदल चलना था ।वहां से हम सब साथियों ने शिक्षा कार्यक्रम में भाग लेने जाना था। मैं भी इसी प्रकार अपने आवास स्थान से पैदल ही चल रही थी ।कुछ दूरी पर जाकर मैंने देखा कि एक फटे हुए कपड़ों वाली महिला शक्ल से बिल्कुल भीखारी लग रही थी। उसके साथ पांच बच्चे थे और एक बच्चा उसने अपनी गोद में लिया हुआ था ।वह आगे आगे चल रहे थे ।मैं इनसे थोड़ा ही कदम पीछे थी चलती चलती ।वह महिला कभी पेट पर हाथ रख दी ।उसने बच्चे को अपनी चुनी से बांधा हुआ था। उसकी कमर में चुनरी बंधीं हुई थी ।उसमें उसने अपने बच्चों को लिटा रखा था ।

ऐसा लगता था कि वह महिला काफी दिनों से भूखी हो।एक जगह चलते चलते वह महिला रुक गई ।उसने अपने साथ चलते हुए बच्चों को भी रुकने का इशारा किया। वह पीछे की ओर भी देख रही थी ।मैं उसे देख तो नहीं रही हूं ।थोड़ी देर बाद वह बैठ गई मैंने उसे देखकर अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया ताकि उसे लगे कि मैं उसे देख नहीं रही हूं मैंने अपना मोबाइल कान में लगा लिया था ।ु मैंने अपना फोन ऑफ रखा हुआ था ।

मैं यह देखने का प्रत्यन कर रही थी कि कंही यह कोई चोर तो नहीं मैं उसके चेहरे के पीछे क्या छुपा है ।उसे समझने का प्रयास कर रही थी ।उसने कूड़े के ढेर में से सारा कूड़ा निकाला उसे कूड़े के ढेर में से बड़ी मुश्किल से एक रोटी मिली ।उसने जल्दी से रोटी के पांच टुकड़े किए वह रोटी भी पांच दिन की बासी थी ।उस रोटी को देखकर वह खुशी महसूस कर रही थी।उसने वह रोटी ली और उसके पांच टुकड़े और एक एक टुकड़ा सभी बच्चों में बांट दिया फेंके हुए टुकड़ों में से चावल के दाने खाने लगी थी। मुझसे यह देखा नहीं गया मेरी आंखों से आंसू बहने लगे थे ।उसका एक बेटा तभी आकर बोला आज पांच दिनों से केवल हमें यह रोटी मिली है मां ,अब रोटी कब मिलेगी? हम से अब और नहीं चला जाता तब वह बोली बेटा रोटी जरूर मिलेगी थोड़ा और आगे जाएंगे वंहा हमें रोटी मिलेगी ।मैंने धीरे धीरे आगे चलना शुरु कर दिया। मैंने अपने टिफिन बॉक्स से निकालकर रोटी उन्हें दे दी रोटी पर वह ऐसे टूट पड़े मानो ना जाने कितने दिनों के भूखें हो।ं मैं धीरे-धीरे चली जा रही थी और उनकी बातें भी सुन रही थी ।एक जगह प्राईमरी स्कूल का बोर्ड देखकर वह बोली बेटा यह स्कूल है यहां से खाने की भीनी भीनी सुगंध आ रही है यहां पर हर रोज तरह तरह के खाने बनते है।ं जो बच्चों का जूठा बचा होता है वह मैं तुम्हें छुपाके खिला देती हूं परंतु आज अभी तुम सब को इंतजार करना होगा क्योंकि आज स्कूल में कोई बड़ा ऑफिसर आया होगा उसके लिए तुम को आधे घन्टे के े बाद खाना मिलेगा तभी वह बच्चा बोला मुझे भी स्कूल में दाखिल कर दो मां मैं स्कूल में बैठ डट कर भोजन करा करूंगा ।उसकी मां बोली मेरे पास तुम्हारे लिए कपड़े भी नहीं है तुम्हें स्कूल में ड्रेस ना लाने पर मार पड़ेगी। तुमने देखा नहीं है जब हम यहां से गुजरते हैं तो स्कूल की शिक्षिका डांट कर कहती है कि निकलो यहां से ।हम वहां तुम्हें कैसे दाखिल करवा सकते हैं यहां तो हमें प्रवेश भी नहीं मिलेगा ।वह बच्चा बोला मैं अपने आप ही स्कूल आ जाया करूंगा ।मां मैं मैडम से कहूंगा मैं भी पढ़ लूंगा। मैं यहां पर भरपेट भोजन खाया करुंगा ।

उनके छोटे-छोटे मासूम बच्चों के मुख से यह सुनकर मेरी आह निकलती मैं वहां से जल्दी जल्दी चल कर अपने शिक्षा कार्यक्रम में भाग लेने चली गई ।वहां पर मेरा बिल्कुल भी कुछ भी काम करने का मन नहीं किया ।मैं कुछ काम करने की सोचती मेरी आंखो के सामने वह गरीब मां का चेहरा आ जाता जो कि कूड़े कर-कट के ढेर में से खाना ढूंढ रही थी हमने अपने स्कूलों में मिड डे मील जारी तो कर दिया परंतु हमने इसकी सही कीमत नहीं आंकी क्योंकि हमने मिड डे मील सभी शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य कर दिया जबकि सभी शिक्षण संस्थानों में उस मिड डे मील के कार्यक्रम को शुरू करने की व्यवस्था की गई है परंतु हमारे 25 राज्यों में से सभी क्षेत्रों के बच्चे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं हमें मिड डे मील उन्हीं शिक्षा संस्थानों में या जहां पर जिन राज्यों में अधिक आबादी हो या जिस क्षेत्र के लोग समृध औरा खुशहाल ना हो ।वही इस व्यवस्था को लागू करना चाहिए था ।मेरा तो यही सुझाव है कि जहां पर बच्चों को घरों में भरपेट खाना मिलता है। वहां तो स्कूलों में बनने वाले भोजन को तो कोई छूता तकनहीं है ।हमें वहां केवल पौष्टिक आहार ही उपलब्ध करवाना चाहिए ।मैं जब अपने शिक्षा से संबंधित स्कूलों में गई वहां मैंने पाया कि अधिकतर अध्यापक वर्ग तो सारा दिन मिड डे मील का रजिस्टर ले कर उनके बारे में ही चर्चा करता रहता है। दाल चावल चीनी नमक और पढ़ाने को तो समय ही नहीं बचता। मिड डे मील तक ही सीमित रहता है और अध्यापक वर्ग क्या करें उन पर अपने से ऊपर वाले अधिकारियों का दबदबा होता है । रजिस्टर महीने की आखिरी तारीख तक पूरा नहीं हुआ या मिड डे मील में कोई गड़बड़ी हुई या आकर किसी निरीक्षक महोदय ने मिड डे मील का रजिस्टर देख लिया तो खूब कार्यवाही होगी ।इस चिंता में आधे से अधिक अध्यापक बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने में असमर्थ होते हैं या उन पर अपने अधिकारियों का दबाब होने से कुछ तो झूठ मुठ बीमार हो जाने का नाटक करते े हैं ।उन अध्यापक वर्गों की बारी आती है जो बेचारे सारे के सारे सारे साल बच्चों को मेहनत करवाते हैं। उन्हीं पर इनकी तलवार पड़ती है बाकी भाई-भतीजावाद वाले अध्यापकों या चापलूसी करने वाले अध्यापकों पर इन बातों का कोई असर नहीं पड़ता है।ैमैं वहां से जब अपने सेमिनार पहुंची तो वहां पर मैंने सभी स्कूलों से आए हुए अध्यापकों को इस घटना के बारे में बताया ताकि वे उन बच्चों को अपने स्कूल में अवश्य शामिल करें जिनके मां बाप उन्हें भर पेट खाना नहीं खिला सकते। इसके लिए बच्चों को स्कूल में बिना किसी शर्त के स्कूल में प्रवेश देना होगा, पहले अनोपचारिक तरीके से उनको प्रवेश करवाना होगा फिर उनके आयु से संबंधित तथ्य जुटाने होंगे ।हमें उन बच्चों को प्रवेश दिलाने में मना नहीं करना होगा जिनके पास आयु प्रमाण पत्र या जरूरी दस्तावेज ना हो । किसी बड़े अधिकारी या स्वास्थ्य अधिकारी से उनका प्रमाण पत्र बनवा कर उनके बड़े मुख्य से हस्ताक्षर करवा कर उनको स्कूलों में अवश्य दाखिल करना होगा ताकि छोटे-छोटे मासूम बच्ची शिक्षा से वंचित ना रहे। इसके लिए उनके लिए खाने पीने की व्यवस्था और उनकी स्वास्थ्य की जिम्मेदारी हमें ही निभानी होगी कहीं ना कहीं इन बच्चों में ही हमारे देश का भविष्य छुपा है ।हमें इन बच्चों को आगे लाना होगा। इस कहानी को लिखने का तात्पर्य मुझे इन सभी तथ्यों से अवगत कराना है जिससे की एक आम बालकों को इन सभी समस्याओं से जूझना पड़ता है इसके लिए कहीं ना कहीं हम भी जिम्मेदार हैं ।और हमारे अभिभावक गण भी हमें इन परिस्थितियों का कड़े दमसे मुकाबला करना है ।सच्ची वास्तविकता से सब लोगों को उजागर करना है।हमें अपने शिक्षा से जुड़े हुए अभिभावकों अध्यापकों और सभी राज्यों के मांन्य गणों को प्रेरित करना होगा । कोई भी बच्चा इन समस्याओं से इतना निष्प्राण ना हो जाए कि उसके पास खाने के लिए रोटी ना हो ,पहनने के लिए कपड़ा ना हो, अगर उसे खाने के लिए रोटी नहीं मिलेगी तो वह शिक्षा कैसे ग्रहण कर पाएगा इसके लिए हम सभी को मिलकर कदम उठाना होगा ।ं

जीवन दान

किसी गांव में वैशाली नाम की एक औरत थी। उसके एक बेटा था वह कपड़े सिल सिल कर अपना तथा अपने बेटे का पेट पाल रही थी। उसके पिता नहीं थे ।उसका बेटा आठवीं कक्षा में पढ़ता था। किशन बहुत ही होशियार था उसके गुरुजन उस से बहुत प्यार करते थे वह जो कुछ अध्यापक सिखाते वह उसे ध्यान से सुनता था। एक दिन उनके स्कूल में मेडिकल चेकअप के लिए डॉक्टरों की टीम आई हुई थी, पहले उन्होनें बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दी । उन्होंने बच्चों को बताया कि कई ऐसे व्यक्ति होतें हैं जो मृत्यु के करीब होतें हैं।हम ऐसे लोंगो कोअपने शरीर का कोई भी अंग दानकर हम किसी ऐसे इंसान को दान दे जो सचमुच ही उनके काबिल हो। तो अंग दान देकर वह अपना जीवन कृतार्थ कर सकता है।हम सब अगर अपने मन में धारणा बना ले कि हम सबको अपना अंग किसी ऐसे इंसान को दे देना चाहिए जो सचमुच में ही उसके काबिल हो। अंग दान देकर अपना जीवन कृतार्थ कर सकता है। जिस व्यक्ति को उनकी बहुत ही आवश्यकता हो ।तुम घरों में भी अपने अभिभावक गुणों को प्रेरित कर सकते हो ।सभी बच्चे डॉक्टरों की बातें ध्यान से सुन रहे थे। आधी छुट्टी तक सारे बच्चों का चेकअप हो गया था ।कुछ एक बच्चों को दूसरे दिन स्कूल में बुलाया था। जिन बच्चों की आंखों का चेकअप होना बाकि था। उन बच्चों के अभिभावको को अस्पताल में बुलाया था। अध्यापक ने सभी बच्चों को कहा कि जिन बच्चों को हमने अस्पताल ने बुलाया है वह बच्चे अपने अभिभावकों के साथ अस्पताल आ जाएंगे। किशन ने भी अपने माता को कहा कि डॉक्टर से मुझे आज टाइम मिला है ।उसकी मां बोली क्या बात है ?किशन बोला डॉक्टरों की टीम हमारे स्कूल में आई थी। उन्होंने कुछ बच्चों को अस्पताल मेंबुलाया है । किशन की मां किशन को लेकर अस्पताल पहुंच गई। डॉक्टरों ने किशन का चेकअप किया , और बोला क्या बात है बेटा तुम्हारा खून तो बन ही नहीं रहा है ।उन्होंने उसको कुछ दवाइयां लिख दी ।उसे दूसरेे दिन बुलाया। दूसरे दिन कृष्ण अपनी मां के साथ अस्पताल गया तो तो भी उसका खून नहीं बन रहा था। डॉक्टर ने अच्छे ढंग से जांच की उन्होंने कहा कि इस बच्चे को तो ल्यूकीमिया है। उन्होंने किशन की माता को अलग से बुलाकर कहा जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं उसे ध्यान से सुनो ।आप तो यह बात सपने में भी नहीं सोच सकती ।आपने अपने बेटे को अस्पताल लाने में काफी देर कर दी। किशन की मां बोली मुझे ठीक ठीक बताओ क्या कह रहे हो ?वह बोले मां हम आप को अंधेरे में नहीं रखना चाहते। आपका बच्चा छ: महीने ही जी पाएगा। आप इसकी सभी इच्छाओं को पूरी कर दो अब कोई दवाई काम नहीं कर सकती ।जमीन पर खड़े खड़े उसकी मां को चक्कर आ गया । इतने में किशन आया बोला आपको क्या हुआ ?आप ठीक ढंग से खाना नहीं खाती ।क्या मेरा ही ध्यान रखती हैं?आप अगर अच्छे ढंग से खाना नहीं खाया करोगी तो मैं आपसे नाराज हो जाऊंगा ।मैं कभी आपके पास नहीं आऊंगा मैं सदा के लिए आप से रूठ जाऊंगा । किशन की मां ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया। वह रोज भगवान के पास प्रार्थना कर कहती हे भगवान !मेरे बच्चे को यह क्या हो गया ?एक दिन किशन को बैठे बैठे बड़े जोर का चक्कर आया । डॉक्टर ने वैशाली को पहले ही सचेत कर दिया था अब आपके बेटे के पास केवल तीन महीने बाकी है ।वह सोचने लगी मैं अपने बच्चे की इन तीन महीनों में सारी ख्वाहिशें पूरा करूंगी। ठीक है ,मैं भी अपने बच्चे को तब तक देखती रहूंगी जब तक वह जिंदा है। जिस दिन मेरे बच्चे को कुछ हो जाएगा उस दिन मैं अपने बच्चे के पास सदा सदा के लिए चली जाऊंगी ।किशन की मां रात रात को बैठकर आंसू बहाती रहती ।वह सूख कर कांटा हो गई । वह अपने बेटे को बचाने की भरपूर कोशिश करती रही। वह सोचती कि मैं अपने बच्चे की तीन महीनों में सारी ख्वाहिशें पूरी कर दूंगी ।दूसरे दिन किशन की मां ने उसके सारे दोस्तों को अपने घर बुलाया और कहा तुम सब मेरे घर आमंत्रित हाे ।मैं अपने बच्चे को सारी खुशियां देना चाहती हूं । मेरी तनख्वाह बढ़ गई है इसलिए मैं उसे सारी खुशियां देना चाहती हूं ।सभी बच्चे किशन का जन्मदिन मना रहे थे किशन अपनी मां से बोलाकि मां मेरा जन्मदिन तो हमेशा पांच दिसंबर काे आ रहा है।आप मेरा जन्म दिन समय से पहले क्याें मना रहीं हैं?आपकी लॉटरी लग गई है क्या। हां हां मेरे वेतन में बढौत्तरी हो़ गई है ।दस दिन के बाद दिवाली है आज ही हम दिवाली मनाएंगे। किशन मन में ं कुछ सोचने लगा दाल में कुछ काला अवश्य है जो तीन महीने पहले ही मेरी मां दिवाली मना रही है। हर रोज मिठाई और ना जाने क्या-क्या खिलाती है। मेरी मां ने कोई गलत काम धन्धा तो नहीं कर दिया मां आप सच सच बताओ ।आप इतने सारे पैसे कहां से लाए ?एक दिन किशन की मां उसे अस्पताल लेकर गई ।वहां पर डॉक्टरों ने किशन को कहा कि तुम बेटा जरा बाहर जाओ। हम तुम्हारी मां से कुछ आवश्यक बात करना चाहते हैं। किशन बाहर चला गया । लेकिन चुपके से लौट आया ।डॉक्टर मेरी मां से चुपके से क्या बात करे हैं ?वह चुपचाप पर्दे के पीछे -छुप कर उनकी बातें सुनने लगा। डॉक्टर बोले तुम्हारे बेटे के पास अब केवल पन्द्रह दिन शेष है।

आप उसे अस्पताल में भर्ती करवा दो ।यहां पर वह ठीक रहेगा वह पन्द्रह दिन बाद भगवान के पास चला जाएगा। किशन ने सब सुन लिया । वह बाहर बैठकर सब सुन रहा था।उसको पता चल चुका था कि वह अब थोड़े ही दिन का मेहमान है। वह अपनी मां के पास गया और बोला मां क्यों चिंता करती है?ं आप मुस्कुराते हुए ही अच्छी लगती हैंं ।वह बोला मां में अस्पताल चलना चाहता हूं ।मुझे थोड़ी थकान महसूस हो रही है आजकल काम भी अच्छे ढंग से नहीं होता। स्कूल गए बगैर भी बहुत दिन हो गए हैं ।किशन की मां ने कहा ठीक है बेटा ,दूसरे दिन उसकी मां ने उसे अस्पताल में दाखिल करवा दिया। वह बोला मां आप सिलाई का काम जारी रखना ।वह बोली बेटा तुम यह क्यों कह रहे हो? वह बोला मां सिलाई में आप व्यस्त होती हो तब आप खुश रहती हैं । मुझे आपने पढ़ाना भी तो है इसलिए वादा करो आप कभी भी सिलाई करना नहीं छोड़ोगी ।वह बोली ठीक है जब तक मैं जिंदा रहूंगी तब तक सिलाई करूंगी। एक दिन अस्पताल में जब किशन की मां वैशाली अस्पताल में अपने बेटे के लिए पास की केमिस्ट सेें दवाइयां लेने गई किशन सोया हुआ था किशन सोया हुआ नहीं था वह जाग रहाथा जैसे ही उसकी मां दवाईयां लेने गई वह दौड़ा दौड़ा डॉक्टर के पास गया और बोला डॉक्टर अंकल मेरे पास कम समय है मुझे पता चल चुका है मैं मरने वाला हूं ।उस दिन मैंने पर्दे के पीछे से आपकी सारी बातें सुन ली जो कुछ कहना चाहता हूं वह सुनो। डॉक्टर बोला बेटा अभी मैं बहुत जरुरी काम कर रहा हूं जो तुमने कहना है वह इस फोन में रिकॉर्ड हो जाएगा। तुम कहते रहो मैं सुन लूंगा। वह बोला ठीक है मगर आप काम के बाद इसे अवश्य सुन लेना। वह बाेलाा डॉक्टर साहब मेरे मरने के बाद मेरे मरने के 24 घंटे पहले मेरी आंखें किसी भी व्यक्ति को या किसी एसे व्यक्ति जिसको आंखाें की बहुत ही आवश्यकता होगी उसको दान दे देना। हमारे स्कूल में हमारे अध्यापको ने हमें बताया था। मुझे जब पता चल ही गया है कि मैं मरने वाला हूं तब आप नेक काम को अवश्य करना ।मेरी आंखों से अगर कोई दृष्टिहीन व्यक्ति देख पाएगा तो मुझे इससे बड़ी खुशी होगी ।इसके लिए आप फॉर्म भर दो मैं हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हूं । किशन की मम्मी दवाई लेकर आई तब किशन बोला मां आज मैं आपसे एक चीज मांगना चाहता हूं ।मैं समझूंगा कि आपने मेरे जन्मदिन का सबसे अमूल्य उपहार मुझे दे दिया है । मेरे सिर पर हाथ रखकर आप कसम खाओ आप मना नहीं करोगी । डॉक्टर बाहर से आ गए थे वह बाहर से आकर इतने छोटे बच्चे के विचारों को सुनकर हैरान रह गए ।वह बोले किशन आज मैं भी तुम्हारी हिम्मत और हौंसले को सलाम करता हूं । तुम जैसे नवयुवक इस तरह आगे आए तो कोई भी यह नहीं कह सकता कि हमारे देश के नागरिकों की सोच सकारात्मक नहीं है ।किशन की मां बोली जरा मैं भी तो सुनूं मेरे बेटे ने ऐसा क्या कहा है? वह बोला मां कसम खाओ ,आप मुझे यह कदम उठाने के लिए मना नहीं करोगी । क्योंकि मैंने उस दिन आपकी सारी बातें सुन ली थी।

मेरे पास अब जीवन के थोड़े से दिन शेष हैं ।आप मेरे मरने के बाद मेरी आंखें किसी अनाथ व्यक्ति को दे देंगे वह भी मेरी मौत के 24 घंटे पहले इस फार्म पर आप हस्ताक्षर कर दो। मेरी मां कमजोर नहीं हो सकती मेरी मौत के बाद अगर मेरी आंखों की ज्योति से कोई अंधा ईंसान देखने लग जाएगा तो मैं अपने आप को खुशनसीब समझूंगा ।यदि मेरी मौत के बाद भी मेरी आंखों से कोई व्यक्ति देखेगा उसे तो जीवनदान मिल जाएगा कमजोर मत पडना। आज एक बीमार बेटा आप से फरियाद कर रहा है आशा है आप मना नहीं करोगी। किशन की मां वैशाली ने उस फार्म पर हस्ताक्षर कर दिए। किशन अब मौत के करीब ही था । डॉक्टरों ने देखा एक एक छोटे से बच्चे को लेकर उसके परिवार के लोग लेकर आए थे। वह बच्चा अंधा था डॉक्टरों ने किशन की आंखें उस बच्चे को लगा दी ।किशन सदा सदा के लिए भगवान के पास जा चुका था। वैशाली फूट-फूट कर रो रही थी। डॉक्टर रस्तोगी ने बताया कि तुम्हारे बेटे की आंखों से इस बच्चे को आंखें मिल गई है ।वह उस बच्चे को अस्पताल देखने गई ।वह किशन की आंखों से संसार देख रहा था। उसकी आंखों की पट्टी खुल गई थी उस बच्चे ने कहा कि जिस बच्चे ने मुझे आंखें दी है है मैं उसकी मां को सबसे पहले देखूंगा ।डॉक्टरों ने किशन की मां को उसके सामने बिठा दिया । जब उसकी पट्टी खुली तो उसने अपने सामने एक महिला को देखा वह बोला। मां अपने आप को कभी अकेला मत समझो मैं वापस आ गया हूं ।आपके बेटे की आंखों से इस संसार को देखूंगा ।मैं दस साल से मैंं बिना आंखों के था मैं समझता हूं मेरे लिए दिन-रात दोनो बराबर थे।मैं सोचा करता था कि मैं कभी देख भी पाऊंगा या नहीं ।आज आप देवी बनकर आई है ।आपके बेटे ने मुझे नेत्रज्योति दी है ।मैं कभी भी आपको अकेला नहीं छोडूंगा ।आज से मैं ही आपका बेटा हूं वह बोली बेटा तुम्हारा क्या नाम है ?वह बोला मेरा नाम श्याम है । श्याम ठीक हो कर घर चला गया था वह एक जमीदार का बेटा था। उसके पास सब कुछ था धन-दौलत थी मगर उसके बेटेे के पास आंखें नहीं थी। घर आकर श्याम अपने पिता शंकर प्रसाद से बोला पिता जी किशन की मां ने अपने बेटे की आंखें दान में दी है ।मैं भी उनके लिए कुछ करना चाहता हूं ।मैं तो अभी छोटा हूं पर आज आप उन्हें कुछ रुपए दे दो ।श्याम प्रसाद ने अपने बेटे को नेत्रज्योति देने के लिए उसकी मां के नाम 30,00000 रुपए दे दिए ।वैशाली बोली 30,00000 रूपये मेरे किस काम के । यह रूपये पा कर भी मैं अपने बेटे को वापिस जिन्दा नंही कर सकती।शंकर प्रसाद ने हठ कर के 30,00000 रुपये वैशाली के खाते में डाल दिए। वैशाली मरना चाहती थी परंतु उसके बेटे के शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे ।आप सिलाई करेंगे काफी दिनों तक तो अपने बेटे के वियाेग में कुछ नहीं कर सकी ।कुछ दिनों के बाद उसने 20,00000 रुपए से एक संस्था खाेली। वह भी अपने बेटे किशन के नाम से वहां पर उसने घर पर जाकर ऐसी औरतों की खोज की जिनके पति ने उन्हें छोड़ दिया था उसने एक एक कर पन्द्रह महिलाएं इकट्ठी कर ली थी उसने उन औरतों को मुफ्त सिलाई सिखाई। उसने कुछ रुपयों से दस-बारह मशीन खरीद ली जब वह उन औरतों को सिलाई सिखा रही थी तब उसने उन औरतों को कहा कि तुम वादा करो यहां स सिलाई सीखने के पश्चात एक या दो औरताें को मुफ्त सिलाई की शिक्षा अवश्य दोगी। वह सब बोली हम कसम खाते हैं कि हम सब सिलाई सीखने के बाद एक या एक से अधिक औरतों को सिलाई मुफ्त सिखाएंगे । उसके पास देखते ही देखते पचास के करीब औरतें सिलाई सीखनें आ गई थी। वह उसे फीस भी देने लगी थी ।उस ने फीस को बैंक में जमा करवा दिया अब उसके पास बैंक में ₹20000 इकट्ठे हो गए थे। वह अगले दिन अस्पताल में जाकर किसी ऐसे व्यक्ति को दान देना चाहती थी जिससे किसी बीमार व्यक्ति को बचाया जा सके ।उसने 20000 रूपये डॉक्टर को दे कर कहा कि जिस व्यक्ति के पास बीमारी के इलाज के लिए रुपए नहीं है आप काे उस व्यक्ति का इलाज़ मुफ्त में करना है ।जिसे ब्लड की सख्त जरूरत हो उसे ये रुपये दे देना। किशन की स्कूल में एक दोस्त थी मेताली वह उसे बहुत प्यार करती थी। वह हमेशा उसके साथ साथ स्कूल जाती थी ।उसको बहुत ही प्यार करती थी। वह कहती थी कि बड़ा होने पर मैं तुमसे शादी करूंगी। जब किशन मर गया तो वह अपने आप को बहुत अकेला महसूस करने लगी ।उसने शादी नहीं की वह सोचने लगी की जब मेरा किशन ही नहीं रहा मैं शादी करके क्या करूंगी ? मेताली डॉक्टर बन चुकी थी। मिताली के माता पिता विशाल के पास गए बोले हमने अपनी मेताली के लिए एक लड़का देखा है ।वह भी उसके अस्पताल में डॉक्टर है पर ,वह शादी करना नहीं चाहती। आपके घर में वह डॉक्टर हमेशा आता है आप ही मेताली को समझाए ।वैशाली एक दिन अस्पताल में मेताली के पास आई बोली बेटा हमारा किशन तो इस दुनिया में नहीं है पर डॉक्टर श्याम तो बड़े ही अच्छे हैं। तुम्हें पता है वह वही डॉक्टर श्याम है जिस को किे हमारे किश्न नेंअपनी आंखें दान दी थी। हमारा किश्न डॉक्टर श्याम की आंखों में अभी भी जिंदा है। तुम्हारा प्यार जीत गया बेटा तुम्हारा किश्न तुम्हें छोड़कर नहीं गया। वहआज भी डा० श्याम की आंखों में जिंदा है । तू उससे शादी करने के लिए हां कर दे। मेताली ने जब यह सुना उसकी आंखों से झरझर आंसू गिरने लगे ।वह बोली मां मैं शादी करने के लिए तैयार हूं। वह डॉक्टर श्याम से शादी करने के लिए मान गई। डॉक्टर श्याम से उसकी शादी हो गई किशन की मां ने अपनी संस्था मेताली और डॉक्टर श्याम के नाम कर दी । जिस से उन्होंने क्लीनिक खाेला। वह भी किश्न के नाम से जहां मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जाता था। शादी के बाद दोनों आशीर्वाद लेने के लिए वैशाली के पास आये और बोले क्याआप अपनी बहू को आशीर्वाद नहीं दोगी ?आज से आप हमारे साथ रहेंगी ।श्याम मेताली को और मां कोे लेकर खुशी खुशी अपने घर ले आया।

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आशा कीकिरण

यह कहानी हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव की है ।एक बार मुझे शिक्षा के किसी कार्यक्रम के लिए बाहर जाने का मौका मिला। वहां जाकर मुझे इन इलाकों को देखने के बाद मेरी लेखनी ने मुझे यह लिखने के लिए मजबूर कर दिया ।मैं धीरे धीरे चलती जा रही थी। मैं इन कस्बों से अवगत नहीं थी। मुझे शिक्षा से संबंधित सेमिनार के लिए जो स्थान मुझे चयनित किया गया था वहां मुझे 1:00 बजे पहुंचना था ।मैं अपने साथियों को मिलने का इंतजार कर रही थी ,जहां पर हम खड़े थे वहां से 2 किलोमीटर पैदल चलना था ।वहां से हम सब साथियों ने शिक्षा कार्यक्रम में भाग लेने जाना था। मैं भी इसी प्रकार अपने आवास स्थान से पैदल ही चल रही थी ।कुछ दूरी पर जाकर मैंने देखा कि एक फटे हुए कपड़ों वाली महिला शक्ल से बिल्कुल भीखारी लग रही थी। उसके साथ पांच बच्चे थे और एक बच्चा उसने अपनी गोद में लिया हुआ था ।वह आगे आगे चल रहे थे ।मैं इनसे थोड़ा ही कदम पीछे थी चलती चलती ।वह महिला कभी पेट पर हाथ रख दी ।उसने बच्चे को अपनी चुनी से बांधा हुआ था। उसकी कमर में चुनरी बंधीं हुई थी ।उसमें उसने अपने बच्चों को लिटा रखा था ।

ऐसा लगता था कि वह महिला काफी दिनों से भूखी हो।एक जगह चलते चलते वह महिला रुक गई ।उसने अपने साथ चलते हुए बच्चों को भी रुकने का इशारा किया। वह पीछे की ओर भी देख रही थी ।मैं उसे देख तो नहीं रही हूं ।थोड़ी देर बाद वह बैठ गई मैंने उसे देखकर अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया ताकि उसे लगे कि मैं उसे देख नहीं रही हूं मैंने अपना मोबाइल कान में लगा लिया था ।ु मैंने अपना फोन ऑफ रखा हुआ था ।

मैं यह देखने का प्रत्यन कर रही थी कि कंही यह कोई चोर तो नहीं मैं उसके चेहरे के पीछे क्या छुपा है ।उसे समझने का प्रयास कर रही थी ।उसने कूड़े के ढेर में से सारा कूड़ा निकाला उसे कूड़े के ढेर में से बड़ी मुश्किल से एक रोटी मिली ।उसने जल्दी से रोटी के पांच टुकड़े किए वह रोटी भी पांच दिन की बासी थी ।उस रोटी को देखकर वह खुशी महसूस कर रही थी।उसने वह रोटी ली और उसके पांच टुकड़े और एक एक टुकड़ा सभी बच्चों में बांट दिया फेंके हुए टुकड़ों में से चावल के दाने खाने लगी थी। मुझसे यह देखा नहीं गया मेरी आंखों से आंसू बहने लगे थे ।उसका एक बेटा तभी आकर बोला आज पांच दिनों से केवल हमें यह रोटी मिली है मां ,अब रोटी कब मिलेगी? हम से अब और नहीं चला जाता तब वह बोली बेटा रोटी जरूर मिलेगी थोड़ा और आगे जाएंगे वंहा हमें रोटी मिलेगी ।मैंने धीरे धीरे आगे चलना शुरु कर दिया। मैंने अपने टिफिन बॉक्स से निकालकर रोटी उन्हें दे दी रोटी पर वह ऐसे टूट पड़े मानो ना जाने कितने दिनों के भूखें हो।ं मैं धीरे-धीरे चली जा रही थी और उनकी बातें भी सुन रही थी ।एक जगह प्राईमरी स्कूल का बोर्ड देखकर वह बोली बेटा यह स्कूल है यहां से खाने की भीनी भीनी सुगंध आ रही है यहां पर हर रोज तरह तरह के खाने बनते है।ं जो बच्चों का जूठा बचा होता है वह मैं तुम्हें छुपाके खिला देती हूं परंतु आज अभी तुम सब को इंतजार करना होगा क्योंकि आज स्कूल में कोई बड़ा ऑफिसर आया होगा उसके लिए तुम को आधे घन्टे के े बाद खाना मिलेगा तभी वह बच्चा बोला मुझे भी स्कूल में दाखिल कर दो मां मैं स्कूल में बैठ डट कर भोजन करा करूंगा ।उसकी मां बोली मेरे पास तुम्हारे लिए कपड़े भी नहीं है तुम्हें स्कूल में ड्रेस ना लाने पर मार पड़ेगी। तुमने देखा नहीं है जब हम यहां से गुजरते हैं तो स्कूल की शिक्षिका डांट कर कहती है कि निकलो यहां से ।हम वहां तुम्हें कैसे दाखिल करवा सकते हैं यहां तो हमें प्रवेश भी नहीं मिलेगा ।वह बच्चा बोला मैं अपने आप ही स्कूल आ जाया करूंगा ।मां मैं मैडम से कहूंगा मैं भी पढ़ लूंगा। मैं यहां पर भरपेट भोजन खाया करुंगा ।

उनके छोटे-छोटे मासूम बच्चों के मुख से यह सुनकर मेरी आह निकलती मैं वहां से जल्दी जल्दी चल कर अपने शिक्षा कार्यक्रम में भाग लेने चली गई ।वहां पर मेरा बिल्कुल भी कुछ भी काम करने का मन नहीं किया ।मैं कुछ काम करने की सोचती मेरी आंखो के सामने वह गरीब मां का चेहरा आ जाता जो कि कूड़े कर-कट के ढेर में से खाना ढूंढ रही थी हमने अपने स्कूलों में मिड डे मील जारी तो कर दिया परंतु हमने इसकी सही कीमत नहीं आंकी क्योंकि हमने मिड डे मील सभी शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य कर दिया जबकि सभी शिक्षण संस्थानों में उस मिड डे मील के कार्यक्रम को शुरू करने की व्यवस्था की गई है परंतु हमारे 25 राज्यों में से सभी क्षेत्रों के बच्चे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं हमें मिड डे मील उन्हीं शिक्षा संस्थानों में या जहां पर जिन राज्यों में अधिक आबादी हो या जिस क्षेत्र के लोग समृध औरा खुशहाल ना हो ।वही इस व्यवस्था को लागू करना चाहिए था ।मेरा तो यही सुझाव है कि जहां पर बच्चों को घरों में भरपेट खाना मिलता है। वहां तो स्कूलों में बनने वाले भोजन को तो कोई छूता तकनहीं है ।हमें वहां केवल पौष्टिक आहार ही उपलब्ध करवाना चाहिए ।मैं जब अपने शिक्षा से संबंधित स्कूलों में गई वहां मैंने पाया कि अधिकतर अध्यापक वर्ग तो सारा दिन मिड डे मील का रजिस्टर ले कर उनके बारे में ही चर्चा करता रहता है। दाल चावल चीनी नमक और पढ़ाने को तो समय ही नहीं बचता। मिड डे मील तक ही सीमित रहता है और अध्यापक वर्ग क्या करें उन पर अपने से ऊपर वाले अधिकारियों का दबदबा होता है । रजिस्टर महीने की आखिरी तारीख तक पूरा नहीं हुआ या मिड डे मील में कोई गड़बड़ी हुई या आकर किसी निरीक्षक महोदय ने मिड डे मील का रजिस्टर देख लिया तो खूब कार्यवाही होगी ।इस चिंता में आधे से अधिक अध्यापक बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने में असमर्थ होते हैं या उन पर अपने अधिकारियों का दबाब होने से कुछ तो झूठ मुठ बीमार हो जाने का नाटक करते े हैं ।उन अध्यापक वर्गों की बारी आती है जो बेचारे सारे के सारे सारे साल बच्चों को मेहनत करवाते हैं। उन्हीं पर इनकी तलवार पड़ती है बाकी भाई-भतीजावाद वाले अध्यापकों या चापलूसी करने वाले अध्यापकों पर इन बातों का कोई असर नहीं पड़ता है।ैमैं वहां से जब अपने सेमिनार पहुंची तो वहां पर मैंने सभी स्कूलों से आए हुए अध्यापकों को इस घटना के बारे में बताया ताकि वे उन बच्चों को अपने स्कूल में अवश्य शामिल करें जिनके मां बाप उन्हें भर पेट खाना नहीं खिला सकते। इसके लिए बच्चों को स्कूल में बिना किसी शर्त के स्कूल में प्रवेश देना होगा, पहले अनोपचारिक तरीके से उनको प्रवेश करवाना होगा फिर उनके आयु से संबंधित तथ्य जुटाने होंगे ।हमें उन बच्चों को प्रवेश दिलाने में मना नहीं करना होगा जिनके पास आयु प्रमाण पत्र या जरूरी दस्तावेज ना हो । किसी बड़े अधिकारी या स्वास्थ्य अधिकारी से उनका प्रमाण पत्र बनवा कर उनके बड़े मुख्य से हस्ताक्षर करवा कर उनको स्कूलों में अवश्य दाखिल करना होगा ताकि छोटे-छोटे मासूम बच्ची शिक्षा से वंचित ना रहे। इसके लिए उनके लिए खाने पीने की व्यवस्था और उनकी स्वास्थ्य की जिम्मेदारी हमें ही निभानी होगी कहीं ना कहीं इन बच्चों में ही हमारे देश का भविष्य छुपा है ।हमें इन बच्चों को आगे लाना होगा। इस कहानी को लिखने का तात्पर्य मुझे इन सभी तथ्यों से अवगत कराना है जिससे की एक आम बालकों को इन सभी समस्याओं से जूझना पड़ता है इसके लिए कहीं ना कहीं हम भी जिम्मेदार हैं ।और हमारे अभिभावक गण भी हमें इन परिस्थितियों का कड़े दमसे मुकाबला करना है ।सच्ची वास्तविकता से सब लोगों को उजागर करना है।हमें अपने शिक्षा से जुड़े हुए अभिभावकों अध्यापकों और सभी राज्यों के मांन्य गणों को प्रेरित करना होगा । कोई भी बच्चा इन समस्याओं से इतना निष्प्राण ना हो जाए कि उसके पास खाने के लिए रोटी ना हो ,पहनने के लिए कपड़ा ना हो, अगर उसे खाने के लिए रोटी नहीं मिलेगी तो वह शिक्षा कैसे ग्रहण कर पाएगा इसके लिए हम सभी को मिलकर कदम उठाना होगा ।ं

अनौखा मिलन

आज होली का दिन था ।सभी बच्चे अपने घरों में होली खेल रहे थे। नन्हा सा रौनित भी होली खेलना चाहता था पर उसकी मां उसे कभी होली खेलने नहीं भेजती थी। रौनित का दिल करता कि वह भी पानी से भरी बाल्टी में पिचकारी से रंग खेले, परंतु उसकी मां ने उसे कभी भी होली खेलने नहीं जाने दिया। उसकी मां गरीब थी वह बर्तन साफ कर अपना तथा अपने बच्चे का पेट भरती थी ।आज तो रौनित ने हद ही कर दी । वह अचानक अपने दोस्तों के साथ होली खेलने चुपके से चला गया और जब वापस घर आया तो रंगों से सराबोर होकर आया ।सारे कपड़ों में रंग ही रंग बालों में भी रंग और आते ही उसने अपने मासूम से हाथों से अपनी मां के गुलाल मल दिया और अपनी तोतली ज़ुबान से बोला हैप्पी होली। माँ ने आव देखा ना ताव एक ज़ोरदार थप्पड़ मारकर बेचारे रौनित के होली खेलने के मजे को किरकिरा कर दिया । उसकी माँ को ख्याल आया कि मैंने क्यों उस बेचारे को थप्पड़ मारा? वह क्या जानता है कि होली के दिन उसके पापा हम सबको छोड़कर चले गए थे। वह दर्दनाक हादसा मैं भुलाए नहीं भूलती । वह अपने पति के साथ बहुत खुश थी। उसके पति उसे बहुत ही प्यार करते थे । वह उनके साथ बाजार से सामान लाने गई थी ।अचानक उसका कुछ सामान दुकान में ही रह गया था। उस दिन होली का दिन था वह सामान लेने के लिए रौनित के साथ नीचे उतर गई ।उस दिन घर में मेहमान आने वाले थे। उनकी शादी की सालगिरह थी। रौनित के पापा ने कहा, तुम दोनों दूसरी बस में आ जाना ।रौनित उस समय पांच महीने का था। रौनित को गोद में लेकर नीचे उतर गई ।उसे क्या पता था कि होली की रात उसके जीवन में उस से सदा के लिए उसकी ख़ुशियाँ छिनने के लिए आई है ।उस दिन बस के एक्सीडेंट में रौनित के पिता को सदा के लिए उन से दूर कर दिया था ।उस भयानक काली स्याही रात को कभी भी वह नहीं भूलती थी,जब भी होली आती उसे ऐसा महसूस होता की वह क्यों जिंदा है ? परंतु अपने मासूम बेटे की तरफ देखकर वह अपना गम भुलाने की कोशिश करती परंतु आज रौनित ने उसे गुलाल लगा कर सारी यादें ताज़ा कर दी ।उसे अपने ऊपर गुस्सा आने लगा मैंने छोटे से बच्चे को थप्पड़ क्यों मारा? उस बेचारे का क्या कसूर ।अपने दोस्तों को होली खेलते देख कर उसका भी होली खेलने का मन करता होगा। उसे बताते भी तो उसे क्या समझ आने वाला था ?अपनी मां को रोते देख कर उसने अपनी मां से कहा । माँ सब लोग अपने घरों में त्यौहार मनाते हैं । हम होली क्यों नहीं मनाते। एक दिन तुम बड़े होकर समझ जाओगे इस बात को बहुत दिन गुज़र गए । मां दूसरों के घरों में काम कर कर जो कुछ बचता उससे घर का खर्चा चला रही थी।उस से उनका निर्वाह हो रहा था। उनके पास रहने के लिए दो कमरे तो थे ।एक कमरा उन्होंने किराए पर दे रखा था ।उनके पड़ोसी जिनको उन्होंने किराए पर मकान दिया था उनसे काफी घुल मिल गए थे । वह पुनीत को अपना छोटा भाई मानती थी । पुनीत को राखी वाले दिन राखी बांधती थी ।पुनीत और उसकी पत्नी उनके घर में रहने लगे थे। एक कमरा रोहित की मम्मी ने उन्हें दे रखा था ।उनको ऐसा लगता था कि वह उनके परिवार का ही हिस्सा हो। पुनीत और उसकी पत्नी उन दोंनों से बहुत प्यार करते थे ।पुनीत ऑफिस में काम करता उसकी पत्नी भी पार्ट टाइम जॉब करती थी । उनके घर में भी नन्हा मेहमान आने वाला था ।पुनीत की पत्नी की यह पहली संतान थी ।धीरे-धीरे प्रसव का समय नजदीक आता जा रहा था ।पुनीत ने इसकी पहले से ही तैयारी कर रखी थी ।रोहित की मम्मी ने कहा भैया तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी बहन हर मुश्किल में तुम दोनों के साथ रहेगी।सुमित को ऐसा महसूस होता कि उसने अपने अपने मां बाप की सूरत तो नहीं देखी उसे बहन के रूप में एक मां मिल गई थी। विभा के भी माँ बाप नहीं थे। दोनों मां बाप के प्यार से वंचित थे। वह दोनों सोचते यही हमारा परिवार है।वह सभी दोस्तों से कहते एक बहन के इलावा हमारा इस दुनिया में और कोई नहीं है ।मैं बहुत ही भाग्यशाली हूं ,जो तुम्हारी जैसी बहन मिली शायद मैंने पुनर्जन्म में कोई अच्छे काम किए होंगे ,जिसकी वजह से आज मुझे इतनी सुंदर बहन मिली है ।वो दिन भी आ गया जिस दिन का सभी को बेसब्री से इंतजार था। होली का त्यौहार भी पास आ रहा था। अचानक होली के दिन उनके घर में एक नन्हा सा मेहमान आ गया था ।रोहित की माँ उस नन्हे से फरिश्ते को गोद में लेकर इतनी खुश थी कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । रोहित अपनी मां के पास आकर बोला मां मुझे भी होली खेलनी है। उसकी मां ने कहा हां हां बेटा ,आज हम सब होली खेलेंगे। आज मैं भी होली खेलूंगी । हम आज अपने घर मे ही होलीं मनाएंगे ।रंगों से होली खेलेंगे । बाहर के बनाए गए रंगों में ना जान कितने रसायनयुक्त विषैले तत्व होते हैं जो हमारे शरीर और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं आज हम अपने घर में ही रंग बनाएंगे और उस नन्हे से फरिश्ते को भी तिलक लगाएंगे।नन्हा रौनित अपनी माँ को मुस्कुराता हुआ देखकर बोला, माँ आज आप घर में कैसे रंग बनाएंगे? रोहित की माँ ने कहा बेटा, जो मेहंदी घर में पड़ी हुई है उसमें हम आटा मिलाएंगे और उसको पानी में डुबाएंगे। हम उस में फिर बेसन मिलाएंगे तो पीला रंग बन जाएगा । बेसन में मेहंदी मिलाकर घोलेंगे तो पीला रंग बन जाएगा और पुनीत मां जो चुकंदर खाने के लिए लाए हैं उसको पानी में उबालकर डालेंगे तो उससे गुलाबी रंग बन जाएगा ।हम सब इस तरह अपने ही घरों में रंग बनाकर होली खेलेंगे। आज का दिन हम सभी के लिए खास है। आज के बाद मैं तुम्हें होली खेलने से कभी भी नहीं रोकूंगी ।सभी खुशी-खुशी होली मनाते हैं।

मौसी

एक किसान था वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ गांव में रहता था ।किसान और उसकी पत्नी दिन रात मेहनत करके अपना जीवन- यापन कर रहे थे । किसान की पत्नी हमेशा अस्वस्थ रहती थी न जाने उसे कौन सी बीमारी ने घेर लिया था ।उसकी बेटी की शादी हो चुकी थी। उसके पति ने उसे छोड़ दिया था ।वह अपने माता-पिता के पास ही अपने मायके में रहती थी शायद यही कारण था कि उसकी माता को हमेशा अपनी बच्ची की चिंता लगी रहती थी कि मेरी मौत के बाद इसकी देखरेख कौन करेगा। उन्होंने उसे तालीम भी नहीं दी थी क्योंकि उनके पास उसको पढ़ाने के लिए इतने अधिक रुपए नहीं थे । उसकी मां हमेशा बीमार रहती थी ।उनके पास एक सुरभि नाम की एक गाय थी उसकी पत्नी उस गाय से बहुत प्यार करती थी ।वह उस गाय को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती थी। एक बार किसी ने उससे उस गाय को बेचने के लिए पूछा तो उसने कहा सुरभि में तो उसकी जान बसती है ।वह सोने से पहले उस गाय को देखना नहीं भूलती थी , गाय ने ठीक ढंग से चारा खाया या नहीं जितना अधिक प्रेम वह अपने पति और बेटी से करती थी उतना ही वह प्रेम अपने गाय सुरभि को भी करती थी । किसान की पत्नी की बीमारी इतनी बढ़ चुकी थी कि वह एक दिन अपनी बेटी और पति को रोता बिलखता छोड़ कर सदा के लिए उनके जीवन से दूर चली गई ।सुरभि ने तो मानो मौन धारण कर लिया हो दो दिनों तक उसने चारे को हाथ तक नहीं लगाया और ऐसा महसूस होता था कि वह ं चारों तरफ अपने घर की मालकिन को ढूंढ रही हो परंतु होनी को कौन टाल सकता था।किसान के मुश्किल भरे दिन आ चुकेथे । उसकी बेटी भी अपनी मां के वियोग में सुख सुख कर कांटा हो चुकी थी ।एक तो पति के छोड़ने का गम और दूसरा अपनी माता के विरह का गम, ऐसे में वह आंसू बहाने के सिवा क्या कर सकती थी। उसने अपने दुख को कुछ कम किया इस तरह आंसू बहाने से क्या होगा मेरी मां तो आंसू बहाने से वापस नहीं आ सकती है ।मेरे दुखी रहने से मेरे बाबा पर क्या बीतेगी ।वह अपने बाबा को और दुखी देखना नहीं चाहती थी इसलिए उसने सोचा कि अब वह कभी दुखी नहीं रहेगी। वह अपने आप को समझाने की बहुत काेशिश करती रही।काफी दिन तक तो उसके बाबा चुपचाप चुप्पीसाधे बैठे रहे । मेहनत करना भी जरूरी था।।वह सोचने लगी कि एक दिन मैं भी भगवान के पास चला जाऊंगा तब मेरी बेटी अकेली कैसे

जीवित रहेगी। उस ने सोचा कि क्यों ना, मैं अपनी बेटी की कोई अच्छा सा नवयुवक देखकर शादी कर दूं । किसान सोचने लगा इसके लिए तो खर्चा भी बहुत होगा । किसान ने सोचा अपनी बेटी की शादी करनेके लिए खर्चा तो मैं अवश्य करूंगा ।मैं अपनी लड़की को अच्छी तालीम तो नहीं दे सका इसके लिए मैं अपने आपको जीवन भर कोसता रहूंगा।मैं अपने मरने से पहले इसके हाथ पीले अवश्य करूंगा ।उसने अपनी बेटी केलिए अपनी गाय को बेचने का फैसला कर लिया । मुझे इस गाय की कोई न कोई अच्छी कीमत देगा ।मैं इस गाय को बेचकर अपनी बेटी की शादी कर दूंगा ।उसकी बेटी ने जब अपने पिता को किसी साहुकार के हाथ गाय को बेचते हुए देखा और यह कहते हुए सुना कि मैं अपनी बेटी की शादी करना चाहता हूं। उसकी बेटी को बहुत ही धक्का लगा ।वह भी गाय को बेहद प्यार करती थी ।उसने अपने पिता को तो कुछ नहीं कहा परंतु ,अंदर ही अंदर वह मायूस हो गई। वह उस गाय को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी ।वह भी उस गाय से हिल मिल गई थी वह गाय को अपनी सच्ची दोस्त मानती थी ।उसके पिता को कौन समझाए ?वह अपने पिता के पास गई और बोली ,बाबा आप इस गाय को मत बेचो और मेरी शादी का ख्याल दिल से निकाल दो ।मेरी जिंदगी में अगर सुख लिखा ही नहीं तो आप मेरे लिए दुखी क्यों हो रहे हो बाबा? मैं जिंदगी भर शादी नहीं करुंगी आप तो मेरी शादी करवा कर मुझे खुश रखने का प्रयत्न करना चाहते हैं।

मुझे एक जगह जब सुख नहीं मिला ,क्या पता मुझे दूसरी जगह भी खुशी ना मिले ।जब उसकी बेटी ने ऐसे कहा तब उसके पिता ने उसके मुंह पर हाथ रख कर कहा बेटा ऐसा नहीं कहते ,जब तक बेटी अपने घर नहीं चली जाती तब तक मां-बाप सुखी कैसे रह सकते हैं। मैं तुम्हें सुखी देखना चाहता हूं मेरे निर्णय को कोई नहीं बदल सकता ।किसान की बेटी ने देखा उसके घर पर दो साहुकार आए हुए थे उसके पिता ने सुरभि को उन्हें देते हुए कहा यह गाय अब मैं तुम्हारे हवाले करता हूं। मेरी पत्नी ने इस गाय को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार से पाला था ।तुम इस गाय को अच्छे ढंग से पालना । मेरी मजबूरी न होती तो मैं इस गाय को बेचने की भी नहीं सोचता। उसका गाय के प्रति इतना स्नेह देख कर किसान को समझाते हुए साहुकार किसान से बोले ,आप चिंता मत करो ,हमारे घर में इस गाय को कोई कष्ट नहीं होगा। साहुकार गाय को लेकर चले गए। उस दिन किसान ने और उसकी बेटी ने खाना तक नहीं खाया। किसान की बेटी को ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई उससे उसकी जान निकाल कर ले जा रहा है उस गाय में उसे उसकी मां की छवि दिखाई देती थी। किसान की बेटी ने वहां से जाने का निश्चय कर लिया । वह भी अपने बाबा पर बोझ नही ंबनेगी वह भी उन मुसाफिरों के पीछे पीछे चलने लगी। काफी अंधेरा हो चुका था वहं भी अपने गांव से बहुत दूर किसी दूसरे ही गांव में पहुंच चुकी थी। वह साहूकार एक घर में उस गाय को लेकर अंदर चले गए, शायद आज रात वे वहां बिताना चाहते थे। किसान की बेटी ने देखा कि उन्होंने गाय को सामने गौ-शाला में बांध दिया था। आधी रात हो चुकी थी उसकी नींद टूटी ।वह एक पेड़ के नीचे सो रही थी। उसे ऐसा महसूस हुआ कोई उसके मुंह को चाट रहा था। उसने देखा कि गाय रस्सी तोड़कर उसके पास आ चुकी थी। किसान की बेटी की आंखों में खुशी के आंसू साफ साफ नजर आ रहे थे ।सुरभि गाय की आंखें भी छलक रही थी। किसान की बेटी ने चुपचाप आधी रात के समय ही बिना समय गंवाय वहां से निकल जाना ही उचित समझा। वह साहूकार जिन्होंने गाय खरीदी थी उन्होंने किसान की बेटी को रोते हुए देख लिया था। उन्होंने उससे पूछा तुम यंहा कैसे पंहुंची? किसान की बेटी की आंखों में आंसू देखते हुए उन्होंने कहा बेटी हमें माफ कर दो ,हमने तुमसे इस गाय को तुम से बिना पूछे यूंही ले लिया। वह गाय भी अपनी रस्सी तोड़कर तुम्हारे पास आना चाहती है ।हम इस गाय को अपने पास नहीं रखेंगे बेटी ,आज से यह गाय तुम्हारी ही है ।हम इस गाय को तुम्हें ही दान करते हैं। किसान की बेटी नें साहूकारों के पांव छुए और कहा कि, आप मेरे पिता समान हो ।आपने मुझे मेरी गाय को लौटा कर जो उपकार आपने मुझ पर किया है उसके लिए जीवनभर मैं आप की आभारी रहूंगी । मेरे पास आपको देने के लिए जब कुछ रुपए इकट्ठे हो जाएंगे तब मैं आपको इस गाय की कीमत चुका दूंगी । गाय के बिना जिन्दा रह सकूं या नहीं आप मुझे अपने गांव का पता मुझे दे दो ।मैं आपको इस गाय की कीमत जल्दी ही अदा कर दूंगी । उन साहुकारों ने गाय उस लड़की को दे दी ।उसे कहा बेटा आधी रात को तुम कहां पर जाओगी सुबह के वक्त तुम इस गाय को लेकर चले जाना। किसान की बेटी गाय को पाकर बहुत ही खुश थी ।वह दूसरे दिन गाय को लेकर उस गांव से बहुत दूर दूसरे गांव में जहां उसको कोई भी पहचानता नहीं था गाय को ले कर चली ग्ई।उसने गांव में गाय का दूध बेच कर अपना गुजारा करना शुरू कर दिया ।उसने वहां पर एक घर भी किराए पर ले लिया था और खाली वक्त में एक पास के घर में बर्तन मांजना ,कपड़े धोना ,और झाड़ू पोछा लगाना आदि का काम करने लगी ।वह घर एक पुलिस इंस्पेक्टर का था ।वह उन्हें दूध बेचती , उनके घर का काम करती और उनके बेटे को रखती, इस तरह अपने आप को व्यस्त रखती थी ।गांव कें घने जंगल में उस गाय को शाम के समय जब भी समय मिलता वह अपनी गाय को चराने ले जाया करती थी। जंगल में जब भी जाती हर रोज एक बच्चा भी गाय चराने के लिए वहां पर आता था ।वह उस बच्चे से काफी हिल मिल गई थी ।वह गाय भी चराता और साथ ही साथ पढ़ाई भी करता था ।उसे पढ़ता देकर उसका भी मन होता की वह भी आज पढी लिखी होती तो कितना अच्छा होता? बच्चा बोला, मौसी क्या आप पढी लिखी हो तब उसने कहा नंही, अपनी गर्दन हिला दी ।बच्चे ने फिर पूछा, मौसी आप क्यों नहीं पढी? उसने बच्चे को कहा मेरे मां बाप ने मुझे नहीं पढ़ाया। छोटी उम्र में ही मेरी शादी कर दी थी मेरे पति ने भी मुझे घर से निकाल दिया ।मैं अपने मां बाप के पास अपने मायके में रहती थी । मेरी मां की बीमारी के कारण मेरी मां चल बसी। मेरे बाबा ने मेरी शादी करनी चाही परंतु मैंने शादी करने से इंकार कर दिया और इस गाय को लेकर चली आई। मैं अपने बाबा पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहती थी। उस बच्चे की आंखों में आंसू आ गए ।वह बोला मौसी में आपको थोड़ा थोड़ा पढ़ाया करूंगा । मैं आपको हर रोज पढ़ना लिखना सिखाऊंगा लेकिन आपको मेरा शिष्य बनना होगा । उसकी मौसी ने कहा अच्छा गुरु जी तभी दोनों हंस पड़े ,भोलु ने कहा तुम भी मुझे बहुत ही गंभीर दिखाई देते हो । तुमने मुझे मौसी कहा है तुम भी मुझसे कुछ मत छिपाओ अपनी सारी कहानी मौसी को सुना दी उसकी सौतेली मां उसे बहुत तंग करती थी भोलू ने कहा मेरे पिता को मरे हुए अभी थोड़े ही दिन हुए हैं जब तक मेरे पिता जिंदा थे तब तक, उसने मुझे कुछ नहीं कहा जब उनकी मृत्यु हो गई वह मुझे बहुत ही तंग करने लगी ना अच्छे ढंग से खाने को देती है और मुझसे रात दिन कोल्हू के बैल की तरह सारा दिन काम करवाती है ,।मैं कहता हूं मां आज मैं बहुत ही थक गया हूं तब वह कहती है निकल जा मेरे घर से ,मौसी बताओ अब मैं क्या करूं ? भोलू ने अपनी मौसी को थोड़ा बहुत पढ़ना लिखना सिखा दिया था। वह कुछ-कुछ पढ़ना लिखना सीख गई थी । एक दिन भोलू आते ही रोने लगा मौसी मौसी ,आज तो सौतेली माता ने मेरी खूब पिटाई की और आज मैंने किसी व्यक्ति के साथ उसे यह कहते हुए सुना कि वह उसे बेच देगी ।वह मुझे पढ़ाना नहीं चाहती। उसने मेरी पढ़ाई भी छुड़वा दी यह कहकर वह जोर जोर से रोने लगा। उसे रोते हुए देखकर मौसी का कलेजा पसीज गया वह बोली बेटा, हिम्मत नहीं हारा करते, तुम्हारी मां तुम्हें कुछ नहीं देती तो तुम मेरे घर पर आ जाना । तुम मेरे दोस्त ही नहीं ,मेरे सच्चे हमदर्द और मेरे बेटे की तरह ही हो । मैंने भले ही किसी बेटे को जन्म नहीं दिया हो, परंतु मुझे ऐसा महसूस होता है कि तुम्हारा मेरा जन्म जन्मों का नाता है ।मौसी गाय चराने गई उसने भोलू को ं नहीं देखा, दो-तीन दिनों तक वह गाय चराने नहीं आया ।उसने गांव वालों से उसके घर का रास्ता पूछा । वह जब गाय चरा कर घर की तरह वापस आ रही थी तो उसने एक ट्रक को वहां से गुजरते देखा ।उसने उस ट्रक में एक बच्चे को जोर जोर से चिल्लाते हुए देखा। उसे धक्का सा लगा ,उसके दिमाग में ख्याल आया कि कहीं वह भोलू तो नहीं है। उसकी मौसी ने उसे किसी को बेच तो नहीं दिया उसने चुपचाप उस गाड़ी का नंबर अपनी कॉपी पर नोट कर लिया । वह अपने पास एक छोटी सी कॉपी और पेंसिल हमेशा रखती थी। भोलू उसे पढाता था।मौसी ने उस ट्रक का पीछा करना शुरू कर दिया ।एक जगह ट्रैफिक अधिक था वह ट्रक वहां रुक गया था उस में से अभी तक चिल्लाने की आवाज आ रही थी ,तभी उसे गांव की तीन चार औरतें दिखाई दी। वह आपस में कह रही थी कि उस बेचारे भोलू का क्या कसूर ?बाप के मरते ही उसने भोलू को कहीं दूर भेजने का निर्णय कर लिया । वह सोचने लगी हो ना हो ,उस ट्रक में भोलू ही गया है ।वह घर ना जा कर उस ट्रक का पीछा करने लगी ।उसने एक टेलीफोन बूथ पर जाकर गांव की किसी औरत को कहा कि जब तक मैं ना आऊं ,तब तक तुम सुरभि को देख लेना उसे चारा भी खिला देना । गांव की औरतों के साथ उसकी खूब पटती थी। उसकी सहेली ने कहा की कोई चिंता करने की बात नहीं ,हम तुम्हारी गाय को देख लेंगे। वह बिना किसी चिंता के उस ट्रक का पीछा करने लगी। गांव से बहुत दूर एक बहुत बड़े होटल के पास वह ट्रक रुक गया था। उस ट्रक पर नेम प्लेट भी नहीं थी । उस ट्रक में उसे कोई नजर नहीं आया ।वह काफी देर तक सोचती रही क्या करूं, कहां जाऊं ?वह कमजोर नारी नहीं थी। उसने बहुत बड़े ढाबे को देखकर वहां चाय पीने का विचार किया ।वहां पर वह चाय पीने जाने लगी।ढाबे की मालकिन ने उसे गर्मगर्म चाय दी। चाय पी कर और खाना खाकर उसने अपने आपको तरोताजा महसूस किया ।उसने वहां पर एक किराए किराए पर कमरा लेना चाहा।उस होटल की मालकिन ने उसे कहा कि उस सराय में रहने के लिए कोई कमरा खाली नहीं है तब उसने वहां से लौट जाना ही उचित समझा ।वहां से लौट कर अपने गांव वापस आ गई । भोलू को ना पाकर वह बहुत उदास रहती थी ।वह पुलिस इंस्पेक्टर के पास गई जिनके पास वह काम करती थी ।उससे कहा भाई साहब इस गांव के बच्चे भोलू को उसकी सौतेली मां ने बेच दिया है ।मैंने उसके घर जाकर भी देखा पर इतने दिन तक वह मुझसे बिना मिले रह नहीं सकता था ।आप उस बच्चे का पता लगाओ । पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा कि मैं पता लगाने की कोशिश करुंगा ।तुम्हारे पास क्या कोई सबूत है। उसने कहा मैं उसे ढूंढे बगैर नहीं रह सकती ।पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा अच्छा बहन तुम उसे ढूंढने अवश्य जाओ, मैं तुम्हें एक मोबाइल देता हूं तुम्हें पढ़ना लिखना तो आता ही है उसने कहा कि भोलू ने मुझे थोड़ा बहुत पढ़ना लिखना सिखाया है । उस पुलिस इंस्पेक्टर ने उसे मोबाइल चलाना सिखाया। उसने पुलिस इंस्पेक्टर को कहा कि उसने उस ट्रक का नंबर भी नोट कर लिया था। वह हरे रंग का ट्रक था परंतु जैसे ही मैंने उस ट्रक का पीछा किया, और मैंने उस ट्रक को खड़े देखा तब उसकी नेमप्लेट गायब हो चुकी थी ।उसने पुलिस इंस्पेक्टर को ट्रक का नंबर भी दिखाया अब वह भालू की तलाश में एक बार फिर चली गई वह जब उसी स्थान पर पहुंची वहां पर पंहुंच कर पास में ही उसने एक घर किराए पर ले लिया और सब्जी बेचने वाली बनकर वहां उस होटल में सब्जी बेचने लगी ।उसने वहां पर ही सभी ट्रकों को खड़े देखा था ।उसने सोचा कि कहीं आस-पास ही उन अपहरण क्ने भोलू को रखा होगा । वह हर रोज उस होटल वाले को सब्जी देती और हर रोज उस पर नजर रखती थी ।एक दिन उस होटल में उन्होंने किसी को ऊपर वाली मंजिल में स्ट्रेचर पर ले जाते हुए देखा ।उसने सोचा कि कोई बीमार व्यक्ति होगा जिसको लिटा कर ले जा रहे हैं ।थोड़ी देर बाद उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया । एक दिन किसान की बेटी ने होटल की मालकिन को सुबह सुबह जगा दिया और कहा कि मुझे चाय बनाओ ,वह चाय बनाने लगी उसे किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी आवाज ऊपर से आ रही थी ।किसान की बेटी जल्दी जल्दी चाय पीकर अपने घर वापस आ रही थी तो होटल की मालकिन ने कहा, मैं सोने जा रही हूं यह चाबी तो तुम्हीं रखो ।तुम्हीं होटल बंद करके चाबी बाहर वाले कमरे में रख देना । मुझे बहुत ही नींद आ रही है वह होटल वाली मालकिन चाबी किसान की बेटी को पकड़ा कर सोने चली गई। वह जब सोने चली गई तो किसान की बेटी ने सोचा यह अच्छा मौका है ऊपर चल कर देख कर आती हूं कि इस घर में हर रोज रोने की आवाज किसकी है यहां पर कौन बीमार है ?वह जल्दी जल्दी में सीढ़ियां चढ़ने लगी । वह जब तीसरी मंजिल पर गई वहां तो ताला लगा था ।एक कमरे से रोने की आवाज अभी भी आ रही थी । किसान की बेटी ने सोचा कि इस कमरे को कैसे खोलें । चाबी के गुच्छे से एक चाबी लगाई जिसमे ं लाल धागा बंधा था , चाबी लगा कर देखा दरवाजा खुल गया। वहां पर दस साल का बच्चा जो बेहद कमजोर हो चुका था रो रहा था ।वह सोचने लगी कि भोलू को भी किसी ने ऐसे ही कैद कर लिया होगा ।जैसे ही उस बच्चे ने उस औरत को देखा वह उससे लिपट लिपट कर जोर जोर से रोने लगा ।उसे रोता देखकर किसान की बेटी ने पूछा तुम कौन हो ?तुम क्यों रो रहे हो ? उस बच्चे ने रोते-रोते कहा कि मैं तुम्हारा ंभोलूं उसने अपना कोड वर्ड जो दोनों आपस में कहते थे वह कहा , किसान की बेटी ने कहा तुम्हारी यह हालत कैसे हो गई? भोलू ने कहा कि मेरी सौतेली मां ने मुझे इस होटल के मालिक को बेच दिया ,इस होटल के मालिक का बेटा उसने किसी व्यक्ति को ट्रक के नीचे कुचल कर मार दिया था । होटल के मालिक नेंमुझे मौसी से खरीद लिया। उन्होंने मेरी मार मार कर मेरी यह दर्गति कर दी है। उस होटल की मालकिन के बेटे की शक्ल कुछ- कुछ मुझ से मिलती है। अस्पताल ले जा कर डाक्टर को घूस खिला कर ठीक वैसा ही तिल मेरे गाल पर भी बना दिया जैसा तिल उस होटल के मालिक के बेटे के मुंह पर था।मुझसे कहा कि पुलिस के सामने कबूल कर दो कि खून तुम्हारे द्वारा ही हुआ। तुम कहां जाओगे? तुम्हारी सौतेली मां ने तो तुम को हमें बेच दिया है। तुम यहां से कहां जाओगे ? तुम्हें कोई भी नहीं बचा सकता। भोलू की मौसी यह सुन कर हैरान रह गई ।उसने कहा बेटे तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं । तुम्हारी मौसी तुम्हें बचाने आ गई है। तुम चुपचाप यहीं पड़े रहो जब तक मैं तुम्हें यहां से निकालकर नहीं ली जाती । मौसी ने चुपके से दरवाजे में ताला लगाया और चुपचाप नीचे आकर चाबी दूसरे कमरे में रखकर घर चली आई ।उसने सबसे पहले पुलिस वाले को सूचना दी कि इस होटल के मालिक ने भोलू को उसकी सौतेली मां से खरीद कर सजा दिलवाने का हकदार बना दिया है जो गुनाह उस बच्चे ने नहीं किया । बच्चे पर खून करने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। उसने अपने भाई पुलिस इंस्पेक्टर को भी मोबाइल से फोन करके भोलू की सारी कहानी सुनाई कि उसको दूर एक गांव में होटल के मालिक ने अगवा करके बंदी बनाकर रखा हुआ है । उस पर एक व्यक्ति के मारने का आरोप लगा दिया था। उसने अपने भाई पुलिस इन्सपैक्टर को यह भी बताया कि उस होटल के मालिक ने भोलू को अस्पताल ले जा कर उसके गाल पर भी तिल बनवा दिया था जैसा उसके बेटे के गाल पर था। उसका चेहरा होटल के मालकिन के बेटे जैसा ही दिखाई देनें लगा। किसान की बेटी जब उस पुलिस इंस्पेक्टर के पास पहुंची तो गांव के पुलिस इंस्पेक्टर ने उससे कहा ,तुम बिना किसी सबूत के यह कैसे कह सकती हो? यह खून उस बच्चे ने नहीं किया। वह कहने ही जा रही थी तभी उसने उस पुलिस इंस्पेक्टर को उस होटल के मालिक को फोन करते हुए सुना ।वह कह रहा था कि तुम्हारा पर्दाफाश हो चुका है ।तुम्हारी सारी सच्चाई एक औरत को मालूम हो चुकी है ।तुम तुरंत यहां आ जाओ, और उस औरत को भी पकड़ लो । किसान की बेटी ने पुलिस इंस्पेक्टर को यह जताया जैसे उसने कुछ भी नहीं सुना। रोशनी ने पुलिस इंस्पेक्टर को कहा कि मैं यहां पर बैठ जाती हूं ।पुलिस इंस्पेक्टर ने सोचा कि यह औरत तो अनपढ़ है उसने उसे बताया था कि वह पढ़ना लिखना नहीं जानती। वह जैसे ही अंदर गया ,किसान की बेटी जल्दी से गाड़ी करके वहां से चली गई और एक मालिन का भेष धारण कर लिया । होटल का मालिक तब तक इस्पेक्टर के पास पहुंच चुका था । वह औरत तो वहां से जा चुकी थी वह मालिन का भेष धारण कर होटल की मालकिन के पास गई। उस होटल की मालकिन नें उसे नहीं पहचाना क्योंकि उसने अपनें मुंह पर काला रंग मल दिया था । थोड़ी देर बाद होटल का मालिक भी वहां पहुंच चुका था उसकी पत्नी ने अपने पति से पूछा तुम्हें उस पुलिस इंस्पेक्टर ने क्यों बुलाया था? मालिन ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड का बटन दबा दिया था होटल के मालिक ने कहा कि हमारी असलियत सबके सामने आ चुकी है ।किस तरह उस बच्चे की प्लास्टिक सर्जरी करके हमने उसका चेहरा अपने बेटे के चेहरे की तरह कर दिया है ? होटल की मालकिन बोली कि मेरे बेटे ने खून करके बड़ा बुरा किया ।हमें उस लड़के को ही अपना गुनहगार साबित करना होगा क्योंकि उस बच्चे का उसकी सौतेली मां के सिवा कोई नहीं है । भोलू को उसकी सौतेली मां ने 50,000 रू में तुम्हे बेचा था। होटल की मालकिन बोली

उस बच्चे को ही मेरे बेटे की जान बचाने होगी इसके सिवा हम कुछ नहीं कर सकते ।हमें अपने बेटे की जान तो बचानी है। उस होटल के मालिक ने भोलू के पास जाकर कहा , तुम्हें मिलने कौन आया था ?तुम्हें फांसी से कोई नहीं बचा सकता है यह कह कर उसे हवालात में ले जाने लगा तभी मालिन सीढ़ियां चढ़कर ऊपर आ चुकी थी । होटल के मालिक ने उसको सीढ़ियां चढ़ते देखकर कहा कि तुम कौन हो ?आप दोनों को जोर-जोर से बातें करते सुना ,यह बच्चा कौन है ?होटल के मालिक ने कहा कि यह बच्चा बीमार है । इसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है । हम इसे अस्पताल ले कर जा रहें हैं। किसान की बेटी ने अपने गांव के पुलिस इंस्पेक्टर को बताया कि इस गांव के पुलिस इन्सपैक्टर भी उस होटल के मालिक से मिले हुए थे ।आप जल्दी से आकर उस बेगुनाह बच्चे को बचा लो ।वह पुलिस इंस्पेक्टर अब उस गांव में पहुंच चुके थे मामला हवालात तक पंहुच गया । जज से मिलकर उसने जज को सारी बात सुनाई ।अदालत में जब जज ने पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है तब उस बच्चे ने कहा कि जज साहब! मेरा इस गुनाह से कोई लेना देना नहीं है ।मैं तो इस गांव के बारे में कुछ भी नहीं जानता ।मेरी सौतेली मां ने मुझे इस गांव के होटल मालिक के हाथ ₹50,000 में बेच दिया । मुझे कुछ सूंघा कर बेहोश करके मेरे चेहरे को और ही रूप दे दिया ।मैंने जो खून नहीं किया उसकी सजा मुझे दे दी ।मैं बेगुनाह हूं ।मेरी मुंहबोली मौसी के सिवा इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है । मेरे गांव में ही मांसी की मुझसे जान-पहचान हुई।मैंने उन्हें पढ़ाया और आज यह मुझे छुड़वाने यहां तक पहुंच गई ।उस होटल के मालिक ने मुझे इतने दिन तक कैद रखा और मुझे मारने के लिए छोड़ दिया ।मेरी मुंह बोली मौसी ने मुझे यहां पर आकर मेरे बचने की उम्मीद जगा दी ।मेरे गांव के पुलिस इन्सपैक्टर भी मुझे बचाने के लिए यहां आए है।ं पुलिस इन्सपैक्टर ने कहा मुझे इसकी मौसी ने पहले ही सब कुछ बता दिया था। मैंने ही उसे मोबाइल दिया था ताकि वह सारी बातें इस मोबाइल में नोट कर लिया करें ।उसने आज तो होटल के मालिक और मालकिन की सारी बातें रिकॉर्ड कर ली थी ।हम ने उस ट्र्क का नम्बर भी पता कर लिया वह नम्बर उस होटल के मालिक का ही है।

आप किसी बेगुनाह को सजा कैसे दे सकते है?ं पुलिस इंस्पेक्टर ने उसकी सौतेली मां को भी जेल में डलवा दिया जिसने अपने बेटे को उन दरिंदों को बेच दिया था ।होटल के मालिक और मालकिन को भी छ: महीने की सख्त सजा सुनाई और होटल के मालिक के बेटे को पांच साल की सजा दे दी गई ।उस मासूम गोलू के साथ बुरा बर्ताव करवाने के आरोप में उसे 20,000 रुपए भी दिलवा दिए । भोलू को रिहा कर दिया गया ।मौसी ने उसे कानूनी रूप में गोद ले लिया । वह अपने बेटे के साथ खुशी-खुशी रहनें लग गई थी।बेटे को लेकर सबसे पहले साहूकार के पास जाकर उसने गाय की कीमत साहूकार को अदा की। अपने पिता के पास उस बच्चे को लेकर अपने गांव लौटी।अपनी बेटी को सही सलामत देखकर और सुरभि गाय को वापस आता देखकर उसके पिता फूट-फूटकर अपनी बेटी को गले लगा कर रो दिए ।बेटी मुझे माफ कर दो मैंने तेरे दिल को दुखाया है जो तू, बिना बताए मुझे यहां से चली गई ।मेरे मन में एक बोझ साथ था। मैं अब खुशी-खुशी इस दुनिया से जा सकूंगा । उसकी बेटी बोली देखो बाबा हमारी सुरभी हमारे घर वापिस आ गई है ।ं एक नन्हें मेहमान को लेकर आई है । बाबा को बताया कि उसने उस बच्चे को कानूनी तौर पर गोद ले लिया है यही अब मेरे बुढ़ापे का सहारा है ।हम इस बच्चे को अच्छी तालीम देंगे । उस बच्चे ने भी बाबा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया सब खुशी से झूम रहे थे।

कीमती उपहार

किसी गांव में एक किसान रहता था। वह बहुत बूढ़ा हो चुका था ।।एक दिन वह बैठा-बैठा सोचने लगा कि मेरे दो बेटे हैं। एक बेटा तो मेहनत करके अपना निर्वाह अच्छे ढंग से कर सकता है परंतु उसका दूसरा बेटा बहुत ही आलसी था ।वह कुछ भी काम धंधा नहीं करता था ।बैठे बैठे बूढ़े पिता की कमाई पर ऐश कर रहा था। किसान सोच रहा था कि मैं कैसे अपने बेटे को सुधार सकूं। वह हर रोज भगवान जी से सदा यही प्रार्थना करता था कि हे भगवान जी अगर तूने मेरी पूजा स्वीकार की हो तो मैं तुमसे यह मांगना चाहता हूं कि किसी ना किसी तरह तुम मेरे मरने से पहले मेरे बेटे को सुधार दो ताकि मैं इस दुनिया से खुशी-खुशी जा सकूं।मेरे मरने के पश्चात भी अपने बच्चे की तरफ मेरा ध्यान नहीं जाएगा। हे भगवान तू कोई ना कोई चमत्कार कर दे ,हे बिहारी जी तू कुछ ना कुछ चमत्कार कर दे ।तुम्हारा यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगा ,इस तरह अपनी पूजा में वह रोज भगवान जी से प्रार्थना किया करता था। एक दिन शाम को जब वह सो गया तो सोचने लगा कि मैं ऐसा क्या करूं, जिससे मेरा बेटा आलस छोड़कर अपना काम ठीक ढंग से करने लग जाए तभी उसके मन में एक विचार आया और वह बहुत अधिक प्रसन्न हो गया ।उसने अपने छोटे बेटे को अपने पास बुलाया और कहा बेटा आज तुम्हें मैं एक महत्वपूर्ण बात बताने जा रहा हूं ।मेरी तबीयत कुछ दिनों से बिगड़ती ही जा रही है ।मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं, परंतु यह बात बहुत ही गोपनीय है किसी से कहने लायक नहीं है मैं तुम्हीं से यह बात कहना चाहता हूं ,क्योंकि छोटा बेटा कहीं ना कहीं ज्यादा प्यारा होता है यह बात तुम अपने बड़े भाई से भी मत कहना अगर तूने यह बात अपने बड़े भाई को बता दी हो सकता है इस बात का असर समाप्त हो जाए इसलिए तुम मुझसे आज एक वादा करो, जो कुछ आज मैं यह तुम्हें कहने जा रहा हूं उसे ध्यान से सुनो ।तुम्हे मेरी सच्चाई पर विश्वास हो जाएगा आज मैं तुम्हें यह संदुक दे रहा हूं इसमें ताला लगा है। इसमें मैंने तुम दोनों बेटो़ के लिए कुछ चीज छुपा कर रखी है ।यह बक्सा तुम मेरे मरने के उपरांत खोलना ,मगर मैं तुम्हें अपने सामने आलस छोड़कर मन लगाकर काम कर ते देखना चाहता हू ।मुझे शायद अभी मरना नहीं है ,परंतु हो सकता है मैं पहले ही मर जाऊं इसलिए तुम अभी से मेहनत करना शुरु कर दो । इस संदूक में मैंने तुम्हारे लिए उपहार रखा है वह बहुत ही कीमती है । उस संदूक को तुम नहीं खोलना ।यह संदूक मुझे एक सच्चे साधु बाबा ने दिया था और कहा था कि यह संदूक तुम उस व्यक्ति को देना जिससे तुम बहुत ज्यादा प्यार करते हो अगर तूने अभी इस संदूक को खोल दिया तो इसका असर समाप्त हो जाएगा, और उसमें से तुम्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा। यह संदूक प्राप्त करने के लिए तुम्हें संघर्ष करना होगा ।तुम्हें हर रोज खेत जोतनेहोंगें , कुएं से पानी भर कर लाना होगा,पशुओं को चारा खिलाना होगा और चक्की से आटा पिसवा कर लाना होगा, बाजार का आटा नहीं चक्की से आटा पिसवाना,और बच्चों को स्कूल से स्वयं लेने जाना होगा ।यह सभी काम तुम्हें अपने हाथों से करने होंगे तब उसका छोटा बेटा बोला पिताजी बताओ तो इसमें क्या है। उसके पिता बोले तुम इस को हिला तो सकते हो परंतु इसको खोल नहीं सकते ।जब किसान के छोटे बेटे ने उस संदूक को हिलाया तो उसमें छन छन की आवाज आई ।उसने सोचा था इसमें हीरे जवाहरात होंगे छोटा बेटा बहुत ही खुश हो गया ।वह अपना काम बहुत मेहनत के साथ करने लगा ।उसका आलसपन तो मानो गायब ही हो चुका था उसे भूख भी बहुत अधिक लगती थी। अपने बेटे में आए हुए परिवर्तन को देखकर किसान खुश था कहीं ना कहीं वह यह भी सोच रहा था कि अगर मेरे बेटे ने यह संदूक खोल कर देख लिया उसमे तो मैंने पत्थर और मोती भरे हैं ,जिसमें से उसमें छन छन की आवाज आ रही थी ।अब तो वह बहुत ही बीमार हो गया ।उसे लगने लगा कि शायद मैं अधिक दिनों तक जिवित नहीं रह पाऊंगा ।हे बिहारी जी !तू मुझपर सच्ची कृपा कर दे ।मेरे बेटे में सुधार तो आ चुका है हे भगवान !हे बिहारी बाबा !मुझे उठा ले ।इससे पहले कि कुछ अनर्थ हो जाए तभी उसे अपने दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी ।उसने अपने बेटे को द्वार खोलने के लिए कहा उसके बेटे ने बाहर एक साधु बाबा को खड़े देखा तो कहा आप कौन हैं और कहां से आए हैं ? एक बूढ़े साधु बाबा ने कहा कि बिहारी बाबा के नाम पर कुछ दे दो ।अल्लाह !तुम्हारा भला करेगा। उसके पिता ने उस महात्मा की बात सुन ली थी ।उसने अपने बेटे और बहू से कहा कि उस महात्मा को मेरे पास ले आओ और इन्हें खाना खिलाओ। किसान का छोटा बेटा अपने पिता की बात को कैसे टाल सकता था। उसने कहा बाबा जी आप अंदर बैठिए, मेरे बाबा बहुत बीमार है ।वह आप के दर्शन करना चाहते हैं ।किसान के बेटे ने साधु बाबा को अंदर बिठा दिया । छोटे बेटे की पत्नी ने साधु बाबा को खाना खिलाया ।उसने वृद्ध पिता को आशीर्वाद दिया बिहारी बाबू तुम्हारी इच्छा को अवश्य पूरी करेंगे ।तुम खुशी-खुशी प्रस्थान करो ऐसा कहकर साधु बाबा जाने लगे तो वृद्ध किसान ने उनके पांव को हाथ लगाया । साधु महात्मा चले गए थे तभी छोटे बेटे ने पिता से कहा ,बाबा आप क्या कुछ कहना चाहते है? ।उस बूढ़े किसान ने अपने बेटे को कहा तुम इस संदूक को मेरे सामने खोल कर देख सकते हो । मुझे लगता है कि मेरे प्राण अब निकलने ही वाले है।ं इसमें तुम्हें जो कुछ भी मिलेगा उसका आधा हिस्सा अपने भाई को दे देना। उसके छोटे बेटे ने कहा पिता जी ,मैं अपने भाई को आधा हिस्सा अवश्य दे दूंगा। किसान सोच रहा था कि यह बात तो मैंने ऐसे ही कही है अपने भाई को भी इसमें से आधा हिस्सा दे देना ।क्योंकि मैं इसको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि इसमें तुम्हारे लिए खजाना रखा है। उसका दूसरा बेटा भी आवाज सुन कर अंदर आ चुका था ।वह बोला बाबा आपको कुछ नहीं होगा। हम आपको अस्पताल लेकर चलते हैं । छोटा बेटा बोला बाबा की इच्छा है कि इस संदूक को खोलकर देखो । उन दोनों ने उस संदूक को खोला। पहले छोटे बेटे ने जो र लगाया उस से वहां संदूक नहीं खुला। दूसरे बेटे ने भी जोर लगाया तो उससे भी वह संदूक नहीं खुला तब उसके बूढ़े पिता ने हल्की सी आवाज में कहा। एक बेटा संदूक को कस कर पकड़े और एक बेटा संदूक को खोले दोनों ने जब एक साथ मिल कर संदूक को खोला तो वह देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे कि उसमें हीरे-जवाहरात थे ।बूढ़ा वृद्ध किसान भी चकित रह गया था कि वह हर रोज बिहारी बाबा से फरियाद करता था ।आज सचमुच उनके घर के दरवाजे पर बिहारीबाबाआकर उस संदूक में हीरे जवाहरात भर कर गए थे कह गए थे कि प्रस्थान करो। वह खुशी खुशी इस दुनिया से जा रहा था क्योंकि बिहारी ने उसकी मुराद पूरी कर दी थी । दोनों बेटे बूढ़े पिता के पास आकर उन्हें पुकारने लगे। बूढ़ा किसान तो सदा की नींद सो रहा था । वह ऐसी जगह पहुंच गया था जहां से वह कभी वापस नहीं आ सकता था ।वहां जाते जाते उन्हें सीख देकर गए थे कि आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए और आपस में मिलजुल कर रहने से सारे काम संपन्न होते हैं ।छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को आधे हीरे दे दिए और खुशी खुशी रहने लगे।

रूलदू और गडरिया

एक चोर था वह अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से कस्बे में रहता था। उसकी पत्नी बहुत ही नेक थी वह चोर को कहती थी कि चोरी का धंधा छोड़ दो ।चोर कहता था जब तक मुझे कोई काम नहीं मिलेगा मैं चोरी करना नंही छोड़ सकता क्योंकि मैं पढ़ा लिखा नहीं हू।ं मेरे बेटा होता तो मैं उसे पढ़ाता लिखाता चोर की पत्नी हमेशा बेटे की चाह रखती थी ।उसके कोई संतान नहीं थी इसके लिए उसने ना जाने कितनी मन्नतें मांगी थी। एक बार एक साधु बाबा जी ने उसे कहा कि तुम्हारे भाग्य में बेटा नहीं ।तुम्हें बेटा तो मिलेगा वह तुम्हारी कोख से उत्पन्न नहीं होगा बलिक कोई बेटा इस घर में आ जाएगा ।उस बच्चे को तुम पालना ,वह बेटा तुम्हें बहुत सारी खुशियां देगा ॥चोर की पत्नी सोचा करती थी कि मेरा पति तो कभी चोरी से बाज नहीं आएगा हे भगवान !उससे चोरी का धंधा छुड़वा दो ,मगर वह कभी भी चोरी नहीं छोड़ना चाहता था। एक दिन चोरी करने गया था उसे कहीं भी कुछ प्राप्त नहीं हुआ रास्ते में जाते हुए एक गडरिये पर उसकी नजर पड़ी वह अपने मवेशियों के साथ जा रहा था।गडरिये को उसने कुछ रखते हुए देख लिया। वह दूर था उसने सोचा जो कुछ भी उसके पास होगा वह उसे चुरा कर ले जाएगा। गडरिया जहां भी जाता अपने बेटे को साथ ले जाता क्योंकि गडरिये की पत्नी बेटे को जन्म देकर मर गई ।बच्चा सो चुका था उसे बहुत प्यास लगी उसने कपड़े में लिपटे हुए बच्चे को ढककर एक झाड़ी में छुपा दिया। वह अपने आप से कहने लगा मैं जल्दी से जाकर पानी पीकर आता हूं ।उसने देखा उसे सामने ही पानी का नल दिखाई दिया। उसने लुसी को वहां खड़ा कर दिया ।लुसी मेमनेे का छोटा सा बच्चा था ।दोनों साथ साथ बड़े हुए थे लुसी ने उस बच्चे को देखा वह पास ही खड़ी रही। लुसी उसकी रखवाली कर रही थी ।गडरिया दौड़ता दौड़ता नल के पास पहुंच गया ।चोर गडरिये से पहले वहां पर पहुंच गया उसने सोचा इस कपड़े में बहुत सारे रुपए होंगे ।उसने चुपचाप उस कपड़े से लिपटे हुएबच्चे को अपनी टोकरी में डाला और उसको लेकर उसने चुपचाप चलना शुरु कर दिया ।रास्ते में उसे टांगेवाला मिला उसने उसे रोक कर कहा मुझे दूसरे कस्बे में जाना है ले चलो ,उसने अपनी टोकरी को उस टांगे में रख दिया और तांगे वाले को कहा मुझे दूसरे रास्ते से ले चल।मेमने की बच्ची लुसी भी चुपके से उसके तांगे में बैठ ग्ई। गडरिया वहां पर पहुंचा जंहा उसने अपने बच्चे को रखा था वहां उसने अपने बच्चे को नहीं पाया तो वह जोर जोर से रोने लगा ।उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई क्योंकि वह पैदल रास्ते से चल रहा था। रिक्शावाला तो सड़क से चला गया था जैसे ही रिक्शे में से चोर उतरने लगा उसने टोकरी को उठाया तब लूसी चिल्लाई उसने चोर का पीछा किया ।घर तक उसके साथ आ गई ।लुसी भी उस चोर के घर के आंगन में छिप गई ।उस बच्चे को लाकर उसने अपनी पत्नी को देते हुए कहा भगवान ने आज तुम्हारी पुकार सुन ली है ।वह भी बेटा पाकर बहुत खुश हुई।वह बोली तुम इस बच्चे को कहां से लाए वह बोला भाग्यवान !मैं चोरी करने के लिए जैसे ही गया मैंने कपड़े में लिपटी हुई इस गठरी को एक आदमी को झाड़ी के पीछे छिपाते देखा। मैंने सोचा वह पानी पीने गया है ।मैंने सोचा उसके रुपए से भरी हुई थैली को क्यों ना मैं चुरा लूं जैसे ही रास्ते में उतरने लगा तो वह बच्चा रोने लगा, तब मुझे पता चला कि वह बच्चा है।मैं उस बच्चे को हर कही छोड़ने लगा था परंतु फिर मुझे तेरा ध्यान आया तू बच्चे के बिना अपने आप को कोसती रहती है ।आज से यह तेरा बेटा होगा ।हम इसका नाम रखेंगे पाहुना। हो सकता है ,यह बेटा जब कमाकर लाएं मैं चोरी करना छोड़ दूं।वह बच्चा रोने लग गया था वह चुप ही नहीं हो रहा था ।उन्होंने उस बच्चे को पालने में रख दिया। उसने पहले ही एक पालना घर में रखा हुआ था शायद किसी न किसी दिन मेरे बेटा या बेटी होगी मैं उसे पालने में रखूंगी परंतु आज तक उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई थी आज एक छोटे से बच्चे के रूदन से उसकी आंखों से आंसू आ गए ।उसने उस बच्चे को पालने में रखा परंतु फिर भी ,वह रोए जा रहा था। वह रसोई में गई उसके लिए दूध गर्म कर लाई ।उसने देखा बच्चा चुप हो गया था बच्चे को लुसी चाट रही थी।। लूसी भी उस बच्चे के साथ खेल रही थी ।बच्चा भी हंस रहा था ।चोर की पत्नी यह दृश्य देखकर आश्चर्यचकित रह ग्ई। उस ने चोर को बताया कि यह मेमने की बच्ची उसे चाट रही थी ।चोर बोला शायद मेमने की बच्ची उसे पहचानती हो । मैंने उसे जिस जगह से उठाया था वह वही टहल रही थी लेकिन छोटा सा मेमने का बच्चा ही था । चोर की पत्नी समझ चुकी थी कि यह उसके परिवार का ही है उसने उस लूसी को भी अपने घर पर रख लिया।

दस साल हो चुके थे चोर तो मर चुका था उसका बेटा रूलदू वह भी चोरी करता था। चोरी करके अपनी मां का पेट भरता था। एक दिन वह चोरी करने गया हुआ था शाम तक उसे कुछ नहीं मिला ,उसे एक घर दिखाई दिया उसमें वह घुस गया ।वहां पर अंदर जा कर चारों तरफ चोरी करने के लिए ढूंढने लगा ।एक छोटी सी टोकरी में उसे ₹5000 दिखे उसने चुपचाप रुपए उठाए और वहां से जाने लगा। उसका पैर एक बिस्तर से टकराया। गडरिया उठ गया उसने उस नवयुवक को पकड़ लिया बोला मैंने चोरी करते तुम्हें देख लिया था जल्दी से जल्दी इन रूपयों को वही रख दो वरना ,इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। रूलदू तेजी से भागा वह बहुत तेज भाग रहा था । गडरिये ने उसको पकड़ लिया। उसके हाथ-पांव बांधकर चोर को वहां के राजा के पास ले गया। इस व्यक्ति ने मेरी चोरी की है इसने मेरे ₹5000 चुरा लिए हैं ना जाने कितने दिन से मैं रुपए इकट्ठे कर रहा था ताकि मुसीबत के समय मेरे काम आ सके ।मैं एक छोटी सी टोकरी में इन रूपयों को रखता था इस चोर ने आकर मेरे सारे रुपए चुरा लिए। आप इस को कड़ी से कड़ी सजा दे ।राजा ने अपने मंत्रियों से अच्छे ढंग से छानबीन करवाई तब उसने पाया कि उस चोर ने सचमुच ही चुराए थे ।उसने अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि इस चोर के घर का पता लगाओ इसके घर में कौन-कौन रहता है। मंत्रियों ने चोर के घर जाकर देखा ।वहां पर चोर की मां थी और कोई नहीं था ।चोर की मां को मंत्री ने कहा, तुम्हारे बेटे ने चोरी की है इसको राजा ने अपने महल में कैद कर लिया है और रूलदू की मां रोने लगी बोली ,कृपया करके मेरे बेटे को छोड़ दो। वह मंत्री के पीछे पीछे आ गई ।राजा ने रुलदू को कैद कर लिया । रूलदू रोते हुए बोला मां चिंता मत करो, मैं जल्दी ही यहां से निकल जाऊंगा । राजा ने चोरी करने वाले को फांसी की सजा सुना दी ।राजा झूठ बोलने वाले को कभी माफ नहीं करता था। गडरिया ने कहा ठीक है इसे सजा तो मिलकर ही रहेगी। राजा ने रूलदू को बुलाया तुम्हारी कोई आखिरी इच्छा हो तो बताओ ।वह बोला जब तक मेरे सामने मेरी दोस्त लुसी को नहीं लाओगे मैं तब तक कुछ नहीं खाऊंगा ।ं पहले मुझे अपने दोस्त से मिलने दो तब मुझे मार देना। राजा ने देखा रुलदू लूसी को गले लगाते रो रहा था। रूलदू की मां राजा से फरियाद कर रही थी इसको छोड़ दो वह लूसी को महल मे ले आई।तुमने भी कुछ नहीं खाया होगा रूलदू ने अपनी दोस्त लूसी को चारा खिलाया और उसके गले लगा कर बोला मैंने जन्म से लेकर आखिरी समय तक तुम्हारा साथ दिया है। मेरी दोस्त मुझे छोड़कर चली जाओ आगे तो मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकता ।राजा भी उनकी दोस्ती देखकर हैरान रह गया। उसकी आंखों से भी आंसू झर झर बह रहे थे ।राजा बोला एक शर्त पर मैं इसको छोड़ सकता हूं अगर गडरिया उसे माफ कर दे । गडरिये को बुलाया गया ,उसे बिना देखे बोला, मैं चोरी करने वाले को कभी माफ नहीं करुंगा ।फांसी की सजा देने वाले भाट उसे फांसी देने के लिए बुर्का पहना कर ले गए ।फांसी होने ही वाली थी तभी लूसी वहां पर पहुंच गई ,और चिल्लाने लगी । उसे देखकर गडरिया हैरान रह गया लुसी को पहचान गया ।उसने लुसी को गले लगाया ।चोर की मां गडरिये को कह रही थी कि कृपया मेरे बेटे को बचा लो। मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी वह बोला यह बेटा आपका है ।वह बोली नहीं मेरे पति ने इस मेमनेे के बच्चे को और इस बच्चे को मेरे हवाले किया था । गडरिया फांसी के स्थान पर आ कर बोला इस चोर को माफ कर दो ।कृपया इस को फांसी मत लगाओ । राजा ने

रूलदू को छोड़ दिया गडरिये ने रूलदू को गले लगाते हुए कहा तुम मेरे खोए हुए बेटे हो। यह हमारी लूसी है आज मैं बहुत ही खुश हूं आज तुम और लुसी मुझे मिल गए जाओ मैंने तुम्हें माफ किया । रूलदू ने कहा,

मैं तो अपनी मां को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा ।मेरा अपनी मां के सिवा दुनिया में कोई नहीं है ।गडरिये ने कहा तुम मेरे साथ अपनी मां को लेकर रह सकते हो । रूलदू अपनी मां को लेकर घर वापिस आ चुका था ।तीनो खुशी खुशी रहने लग गये।