नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर

एक छोटे से गांव में एक व्यापारी रहा करता था। वह छोटी-छोटी वस्तु को बेचने के लिए गांव से दूर दूर तक जाया करता था। व्यापारी का नाम था रोहित। उसका एक छोटा सा बेटा था नीटू। रोहित की मां पुरानी विचारधारा वाली स्त्री थी। कहीं भी जाना हो अगर बिल्ली रास्ता काट जाए तो अपशगुन गिलास टूट जाए तो अपशगुन। वह छोटी-छोटी बातों पर अपने बेटे को कहा करती थी की ऐसी बातें होने पर अपशगुन होता है। उसका बेटा भी अपनी मां की तरह छोटी-छोटी बातों पर यकीन कर लिया करता था। रोहित का एक दोस्त था मोहित। वह दोनों ही व्यापार के सिलसिले में इकट्ठे घर से बाहर जाया करते थे। व्यापार के सिलसिले में गांव से बाहर जाने लगे तो रोहित की पत्नी रीमा उसे पानी देने लगी तो उसके हाथ से शीशे का गिलास नीचे छूट गया। उसकी मां वहां पर आ गई बोली कांच का टूटना अशुभ माना जाता है। रोहित भी कहने लगा हां मां तुम ठीक ही कहती हो।

उसका दोस्त मोहित आकर बोला अरे यार। हर चीज के दो पहलू होते हैं। अच्छा और बुरा जैसा वस्तु के बारे में हम सोच रखेंगे वैसे यह हमें महसूस होगा। कोई अपशगुन नहीं होता तुमने अगर नकारात्मक विचारधारा नहीं रखी रखी हो तो तुम यह भी तो सोच सकते थे कि कोई बात नहीं गिलास ही था। टूटने की वस्तु है। इस बहाने घर में नया गिलास आ जाएगा। उसकी मां बोली गिलास टूट गया तो पैसे भी खर्च होंगे। हमारे सोचने का नजरिया सकारात्मक होना चाहिए। उसकी पत्नी ने उनके सामने खाना रख दिया खाना खा ही रहे थे तभी उसका बेटा दौड़ता दौड़ता आया उसने खाने की प्लेट नीचे गिरा दी। उसमें से थोड़ा सा खाना नीचे गिर गया। उसके बेटे नें यह सब देख लिया। कहीं पापा मुझे मारे ना इसलिए उसने वह अन्न नीचे से उठाकर प्लेट में खाना डाल दिया। उसके पापा बोले बेटा तुम देख कर काम क्यों नहीं करते? आज का दिन शुभ नहीं है। उसकी पत्नी ने जो आज अनाज गिरा था वह किनारे रख दिया। बाकी प्लेट में खूब सारा खाना था उसका पति बोला यह प्लेट तुम लेकर जाओ। मैं गिरा हुआ खाना नहीं खाता। उसकी पत्नी बोली जो नीचे गिरा था वह तो मैंने किनारे रख दिया। वह बोला मैं नीचे गिरी वस्तु किसी भी वस्तु को नहीं उठाता। अशुभ होता है।

उसकी मां ने उसके दिमाग में नकारात्मकता भर दी थी। वह उस विचारधारा से बाहर निकलने का कभी भी प्रयत्न नहीं करता था। मोहित बोला अरे यार जब तुम किसी होटल में खाना खाते हो तुम्हें क्या पता वह होटल का मालिक तुम्हें ना जाने कितने लोगों का झूठा खाना खिलाता है? रोहित बोला मैं खाना नहीं खाऊंगा। उसने अपने प्लेट वापस कर दी। वह अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर चल पड़ा।

उसकी पत्नी काफी दिनों से मायके नहीं गई थी वह अपनी पत्नी से बोला चलो तुम्हें और नीटू को साथ ले चलता हूं। तुम हमेशा कहती रहती हो मुझे मायके नहीं ले चलते। आज तुम्हारी इच्छा को पूरी कर ही देता हूं। चारों चल रहे थे काफी दूर निकल आए तो उसकी पत्नी बोली यहां पर किसी पेड़ की छाया में बैठकर विश्राम कर लेंतेंहैं। सर्दियों के दिन थे उसने अपनी गठरी में इतनी स्वेटर दस्ताने और टोपियां रखी थी। उन्हें बेचने जा रहा था। उन्हें कुछ दूरी पर जाने पर एक पीपल का पेड़ दिखाई दिया। वहां पर पहुंच कर वह व्यापारी बोला मुझे तो बड़ी सर्दी लग रही है। हवाएं भी बड़ी तेज चल रही है। घर से मोटे कपडे भी नहीं ले कर आए। सर्दी से हम कांप रहे हैं। काश धूप निकल जाती। कितना अच्छा होता? उस पेड़ के पास ही एक होटल था। उसकी पत्नी बोली यहां पर बैठ कर खाना खा लेते हैं। चारों ने वहां पर होटल में बैठकर खाना खाया। जब वह वापस पीपल के पेड़ के नीचे आए तो देखा उनकी गठरी वंहा नहीं थी। व्यापारी बहुत ही उदास हो गया। मेरी सारी मेहनत पर पानी फिर गया। नीटू बोला पापा इस वृक्ष की शाखा पर देखो। पेड़ पर बंदर उसके स्वेटर और टोपियों का बैग लिए बैठे थे। व्यापारी रोने लगा। उसकी पत्नी बोली रोने से काम नहीं चलेगा। कोई तरकीब सोचो। हम अपनी वस्तुओं को इन से कैसे प्राप्त करें। बच्चा बोला पापा यह तो मैं करके बताता हूं। हमारी मैडम ने हमें बताया था कि बन्दर तो नकलची होतें हैं। वह दूसरों की नकल करतें हैं। नीटू ने अपनी निकर खोल दी और नीचे फेंक दी। बंदरों ने उसे ऐसा करते देखा। उन्होंने उसके स्वेटर नीचे फेंक दिए। व्यापारी दौड़ा दौड़ा गया उसने सारे स्वेटर मफलर दस्ताने अपने बैग में रख दिए। तभी उसका दोस्त बोला भाई जान एक बात पूछूं। आपने तो कहा था कि मैं किसी गिरी वस्तु को नीचे से नहीं उठाता। उसका दोस्त मजाक करते हुए बोला। अब तो तुम इन सारी वस्तुओं को मुझे दे दो। रोहित कुछ नहीं बोला उसके पास कोई जवाब नहीं था।

मैं रास्ते से चले जा रहा था। अपनी पत्नी को स्टेशन पर छोड़ने जाने लगा तो रास्ते में बिल्ली रास्ता काट गई। रोहित फिर रुक कर बोला मेरे साथ कुछ बुरा होगा। मोहित बोला बुरा बुरा बुरा कुछ नहीं होगा। रास्ते से जाते हुए उन्हें एक शुद्र महिला दिखी। उसे देखते ही रोहित बोला। यह महिला ही दिखाई देनी थी। ना जाने आज क्या होगा? मोहित को मालूम हो गया था यह एक शुद्र महिला है। क्यों कि रास्ते में उस से औरतें कह रही थी बीवी जी दूसरी औरत अपनें बच्चों से तुम्हारे बारे में कह रही थी उस सामनें वाली आंटी के घर चाय मत पीना। वह एक शुद्र महिला है। मुझे तो उसकी सोच पर गुस्सा आ रहा था। । उच्च जाति और नीच जाति यह तो मनुष्य की सोच का नजरिया है। सभी जातियां एक जैसी हैं फिर भेदभाव कैसा। उसका दोस्त मोहित बोला मैं तुम्हारे मन में यह नकारात्मक विचार कहां से निकालूं।।

निक्कू आगे-आगे बढ़ता जा रहा था चार-पांच कुत्तों को देखकर वह डर गया उसने एक मोटा सा पत्थर उस कुत्ते पर मार दिया कुत्ते ने उसे काट खाया। मोहित जैसे ही अपने बेटे को बचाने भागा तो उसका पर्स गिर गया और उसकी गठरी भी नीचे गिर गई। उसे कुछ भी ध्यान नहीं रहा। वह तो अपने बच्चे को बचाने के लिए दौड़ रहा था। तीनों के पास रुपए नहीं थे। कहां जाएं? क्या करें? तभी सामने एक घर दिखाई दिया। वह जल्दी से उस घर में चले गए वह बोले क्या कोई घर में है? हमारे बेटे को कुत्ते ने काट खाया है। हम इस गांव में बिल्कुल अजनबी है। हमारा सब कुछ अपने बेटे को बचाते बचाते नीचे गिर गया। क्या कोई पास में ही अस्पताल है? घर की मालकिन आई और बोली साहब आप जाति के क्या हो? मैं आप लोगों की खातिरदारी करती हूं। मगर मैं आपको बता दूं कि मैं एक शूद्र महिला हूं। मोहित ने पहचान लिया। वह तो वही औरत है जो रास्ते में मिली थी। मोहित ने सारी कथा सुना दी कि कैसे मेरे दोस्त की गठरी और उनका पर्स सब कुछ निचे गिर गया। रोहित की पत्नी बोली इनमें के घर में तो हमारे घर से भी ज्यादा सफाई है। मैं तो इनके घर चाय अवश्य ही पी लूंगी।

रोहित की पत्नी बोली बहन क्या एक गिलास पानी मिलेगा? मोहित ने उसे देखकर अपनी पत्नी की तरफ गुस्से भरी नजरों से देखा। जब वह पानी लेने गई तब रोहित बोला तुम्हें क्या यही पानी पीना था? मोहित बोला अरे यार अब तो चुप कर। वह पानी लेकर आई। रोहित ने भी चुपचाप बड़ी मुश्किल से पानी पिया। वह बोली मैं आपको चाय बना कर लाती हूं। मैं अपने पति को कहकर तुम्हें अस्पताल पहुंचाती हूं। तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो।

अतिथि तो भगवान का दूत होता है। जब मैं रास्ते से आ रही थी तो रास्ते में मुझे एक गठरी और पर्स मिला था। बाबू जी यह पर्स सौर गठरी आपकी तो नहीं। वह खुश हो रहा बोला हां यह तो मेरा ही है। बहन जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद। रोहित उसकी तरफ हैरान हो कर देख रहा था थोड़ी देर जिस औरत को वह अपशकुन कह कर उसकी शक्ल नहीं देखना चाहता था वह ही उसे अपनी सबसे बड़ी हितैषी नजर आई। उसने सोचा मेरा दोस्त सच ही कहता है हमें अपने मन से नकारात्मक विचारों को स्थान नहीं देना चाहिए। हम किसी भी चीज को अगर सकारात्मक तरीके से देखेंगे तो हमारे मन में सकारात्मक करता की भावना पैदा होगी। वह चाय लेकर आ गई थी।

रोहित बोला भाभी जी पकोड़े तो बहुत ही स्वादिष्ट लगे। मोहित अपने दोस्त की तरफ आश्चर्य भरी नजरों से देख रहा था। थोड़ी देर में ही उसके दोस्त का सोचने का नजरिया बदल गया था। उस शुद्र महिला ने उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया। वहां पर डॉक्टरों ने उसे टैटनैस का इन्जैक्शन लगा कर उसे छोड़ दिया। रोहित अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ने जा रहा था तभी उसके बेटे नीटू नें जोर से छींक दिया। मोहित उसकी तरफ मजाक करते हुए बोला अरे यार तुम रुके नहीं । वह भी मुस्कुराया बोला चल हट पगले। अपनी पत्नी और बेटे को हाथ हिला कर उन्हें जाता देखता रहा। आज उसके मन से नकारात्मकता की भावना सदा के लिए मिट गई थी। अपनी पत्नी और बेटे को हाथ हिला कर उन्हें जाते देखता रहा।

अधूरा मिलन

विकी और निकी दो भाई थे दोनों ही सुबह जल्दी उठ जाते थे। उनकी मम्मी उन्हें सुबह जल्दी उठा देती थी क्योंकि उनकी वार्षिक परीक्षा नजदीक आ रही थी। एक घंटा सुबह के पढ़ने के बाद वह रोज दोनों बगीचे में सैर करने आ जाते थे। बगीचा घर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर था। वह स्कूल से लौटने के बाद उस बगीचे में काफी देर तक खेला करते थे। उस बगीचे में पीपल के वृक्ष पर एक प्रेत रहता था। वह उन दोनों का दोस्त बन चुका था। वह जब भी बगीचे में आते तो वह उन दोनों को खेलते देखता रहता था। उन दोनों को खेलते देखता तो वह खुशी से झूम जाता था। एक दिन तो उन दोनों के सामने आ ही गया बोला मैं तुम दोनों को खेलता देखता हूं तो मेरा भी तुम्हारे साथ खेलने को मन करता है। वह दोनों कहने लगे अगर तुम हमसे दोस्ती करना चाहते हो तो तुम दोनों को किसी से भी यह कहना नहीं होगा कि मैं इस पेड़ पर मैं रहता हूं।तुम अगर किसी से कह दोगे मैं तुम्हें भी दिखाई नहीं दूंगा। तुम मुझसे वादा करो कि तुम यह बात किसी को नहीं बताओगे तभी तुम्हारे सामने आकर मैं तुम्हें दिखाई दूंगा और किसी को भी मैं दिखाई नहीं दूंगा। उन दोनों भाइयों ने उस दिन उस भूत से कहा कि हम तुमसे वादा करते हैं। तुम यहां पर रहते हो हम यह किसी से भी नहीं कहेंगे। वह प्रेत उनके सामने प्रगट हो गयाऔर उन दोनों भाइयों ने उससे दोस्ती कर ली। वह रोज बगीचे में उनके साथ खेलने लगता। एक दिन वह दिन बहुत उदास होकर बैठा था उन दोनों भाइयों ने उसको कहा दोस्त तुम उदास क्यों हो?वह बोला यह एक दर्द भरी कहानी है।

मैं अपनी सारी कहानी सुनाऊंगा। वह अपनी कहानी दोनों भाइयों को सुनाने लगा,। यंहा से 7 किलोमीटर की दूरी पर एक शहर है जिसका नाम है दौलतपुर। बात उन दिनों की है कि जब मैं भी दौलतपुर में पढ़ता था। मेरी अच्छी खासी जिंदगी व्यतीत हो रही थी। मैंने स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली। इसके बाद अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज में मुझे एक लड़की से प्यार हो गया। वह भी एक ऑफिस में काम करती थी। जिस औफिस में वह काम करती थी उस का बॉस मेरी प्रेमिका से शादी करना चाहता था। मेरी प्रेमिका ने मुझे सारी बात बता दी थी। उसने मुझसे ही शादी करने का वादा किया। शादी वाले दिन भीे उसके बॉस ने हंगामा खड़ी करने की कोशिश की। किसी ने किसी तरह हम दोनों नें शादी कर ली। शादी हो चुकी थी मैं अपनी पत्नी सुमन को बहुत प्यार करता था। शादी के बाद जो हुआ अपने ऑफिस में जब वह अपने बॉस से छुट्टी मांगने गई तो उसके बॉस ने उसे छूटटी देने से मना कर दिया। उसका बौस उससे शादी करना चाहता था। वह पहले से ही शादीशुदा थाऔर दो बच्चों का पिता था। सुमन की सुन्दरता पर फिदा हो गया था। वह हर किमत पर उसे अपना बनाना चाहता था। उसने सुमन से कहा कि तुमने उससे शादी करके अच्छा नहीं किया। मैं अब उसे छोड़ूंगा नहीं। सुमन ने सारी बात अपने पति को बता दी। मैंनें कहा कि तुम डरो नहीं। मुझे कुछ नहीं होगा।

शादी के 6 महीने भी नहीं बीते थे कि सुमन के बौस नें मुझे मरवा दिया और गाड़ी से एक्सीडेंट करवा दिया। उसने धोखे से मुझ को मार दिया। सुमन के ऊपर तो दुःख का पहाड़ टूट पड़ा। मैंनें नें यम राज से प्रार्थना की कृपा करके मुझे थोड़ी मोहलत दे दो अभी तो मेरी नई-नई शादी हुई थी। शादी को थोड़े ही दिन हुए थे। मेरी पत्नी सुमन का मेरे इलावा कोई नहीं है। वह मां बनने वाली थी। वह अब कैसे जी पाएगी।? यमराज जी मैं आपके पांव पकड़ता हूं। आप मेरा खाता खोल कर देख लो मैंने अपनी जिंदगी में मैंनें किसी को भी नंहीं मारा और ना किसी का दिल दुःखाया। यमराज जी आप बहीं खाता खोलकर देख लो। यमराज ने उस से कहा मैंने तुम्हारा सारा बहीखाता खोलकर देखा। मैं तुम्हें प्रेत बना देता हूं। तब तक तुम किसी भी वृक्ष पर रह सकते हो। अपनी इच्छा से थोडे समय के लिए तुम जैसा बनना चाहो बन सकते हो। जैसे ही तुम्हारा बदला पूरा होंगा तब मैं तुम्हें लेने आऊंगा। तुम्हारे अच्छे काम की वजह से मैं तुम्हें छोड़ रहा हूं। तुम्हारी कहानी सुनने के बाद मेरा दिल पिघल गया। तुम अपनी पत्नी के हत्यारों को सजा दिलवा कर जल्दी से यहां आना। तब तक तुम जा सकते हो। उस दिन के बाद में मैं अपनी पत्नी की खोज में रहता हूं कि कैसे उसकी मदद करूं?
मैं उन दोंनो भाइयो को अपनी कहानी सुना रहा था कि शादी के कुछ दिन शेष थे। सुमन नें अपने बौस से कहा कि मैं अपनी तनख्वाह लेना चाहती हूं। उसके बौस नें कहा कि तुम्हें यह फॉर्म भरना पड़ेगा। उसके बॉस ने उसके पति समर्थ पर झूठा केस करवा दिया। उस फार्म के निचले कागजों पर लिखा था कि मैं सुमन अपनी शादी के लिए रुपये निकलवाना चाहती हूं। इसके लिए मैं औफिस का अधिकारी भवानीप्रसाद इसको ₹40, 000 देता हूं। 20, 000 जो ज्यादा आए थे वह थोड़ा थोड़ा करक चुका देगी। सुमन ने बिना पढे ही कागजों पर हस्ताक्षर कर दिए। वह अपने बॉस के इस व्यवहार से बहुत खुश थी। उसका बौस उसे ज्यादा रूपये दे रहा है। उसने जल्दी में शपथ पत्र पर पर हस्ताक्षर कर दिये। और उसने नीचे वाले कागजों पर लिखा था कि सुमन की शादी उस की इच्छा के बगैर हो रही है। जिस के साथ उस की शादी हो रही है उस लड़के ने उस को प्यार का झूठा वादा करके इसके साथ गलत व्यवहार किया। उसके साथ शादी करने के लिए वह तैयार नहीं है। वह उससे शादी का झूठा नाटक कर रहा है इसलिए इसकी जान बचानें के लिए मैं इस लडकी के साथ शादी करने के लिए तैयार हूं। उस जिस दिन सुमन की शादी होने वाली थी उस दिन सुमन के हस्ताक्षर करवा लिए।

उस दिन शादी की बारात लेकर जब मैं आया तो उसके बौस नें सुमन को कहा कि तुम इस के साथ शादी क्यों कर रही हो। तुमने शपथ पत्र फार्म परं क्या लिखा है? उसने वह समर्थ को दिखाया और कहा। समर्थ नें सुमन को कहा कि तुम मुझ पर विश्वास करती हो या नहीं। मैं तुम्हे छोड़ना नंही चाहता।यह तुम्हे मुझ से छिनना चाहता है इसलिए उस नें शपथ पत्र पर तुमसे झूठ मूठ हस्ताक्षर करवा दिये। पुलिस ने आकर समर्थ को जेल में बंद कर दिया। सुमन के बौस ने उसे धमकी दी की तुमने अगर पुलिस को सच बताने की कोशिश की तो हम तुझ को मरवा देंगे। इसलिए सुमन ने अपने पति को बचाने के लिए कुछ नहीं कहा। पुलिस वालों ने उस से पूछा क्या यह बात सच है? सुमन ने डर के मारे कुछ नहीं कहा। सुमन के पति को पुलिस नें पकड कर जेल में डाल दिया। सुमन ने अपनें पति को बता दिया था मेरा बौस ठीक आदमी नहीं है। तुम उस पर नजर रखना। वह तुम्हे भी नुकसान पंहुचा सकता है।

सुमन की औफिस मे एक सहेली थी वह सुमन की पक्की सहेली थी। वह अपनी सहेली को अपनी सारी बाते बताया दिया करती थी। एक दिन जब सुमन अपनी सहेली को रुपये देने उसके घर गई तो उसने अपने बौस की सारी करतूत अपनी सहेली को बताई। उसने बताया कि वह मेरी शादी समर्थ से नही होंने देगा उसने किसी के पास कह रहा था। वह बोली तुम ही मेरी खास सहेली हो तुम भी बौस पर नजर रखना। वह अपनें मंसूबे में सफल नंही होना चाहिए। मै तो समर्थ की पत्नी बन कर ही जीऊंगी। उसकी सहेली अनुप्रिया को 10000रु दे कर वापिस आ गई।

जब उसके बॉस को पता चला कि सचमुच सुमन मेरे बच्चे की मां बनने वाली है तो उसने उस से किनारा कर लिया। सुमन नें एक सुंदर सी बच्ची को जन्म दिया। अपनी बच्ची को पाकर वह बहुत खुश थी। मुझ को एक साल की सजा हुई थी। उसकी सहेली अनुप्रिया नें भी पुलिस में जा कर उसके बौस की सारी करतूत बताई। पुलिस वालों को पता चल चुका था कि मुझ को झूठे केस में जेल भेजा गया इसलिए उन्होंने मुझे छोड़ दिया। जब मैं जेल से छूटने वाला था तो उसे पता चला कि उसका बौस मेरी पत्नी को अपनाने के लिए तैयार हो चुका था। उसने मेरी पत्नी से कहा कि तुमने मरी हुई बच्ची को जन्म दिया है। वह उसकी बच्ची को अनाथालय में छोड़ने की सोचने लगा।उसके बौस नें कहा अगर जेल से छूटने के बाद तुम अपनें पति से तुमने मिलने की कोशिश भी की तो तुम्हारी नौकरी से सदा के लिए छुट्टी कर दूंगा।

एक दिन उसनें चुपचाप मेरी बच्ची को ले जा कर अनाथालय में छोड़ दिया। अपने कुछ दोस्तों की मदद से मुझ को जब पता चला कि उसकी बच्ची को शोभा अनाथालय में छोड़ा जा रहा है तो वह उस अनाथालय में गया। जहां पर उस बच्ची को छोड़ा था। उसने वहां के अनाथालय कर्मचारी से सिफारिश की। कृपा करके आप इस बच्ची को मुझे दे दो। मैं इस बच्ची को लेकर कहीं दूर चला जाऊंगा। जो आदमी आप को इस बच्ची के बहुत सारे रुपये दे कर गया है वह उस की बच्ची नहीं है। वह मेरी और मेरी प्यारी प्यारी पत्नी सुमन की निशानी है। उस के बौस नें शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करवा के झूठे केस में मुझे फंसा दिया। और मेरी प्रेमिका से शादी करने का फैसला कर लिया। इसलिए वह इस बच्ची को अपनाना नहीं चाहता। मैं एक साल के बाद जेल से रिहा होकर आया हूं लेकिन मैं अपनी बच्ची को अनाथालय में नहीं रहने दूंगा। आप मेरा डीएनए टेस्ट भी कर सकते हैं। अनाथालय के कर्मचारियों को पता चल चुका था कि वह उसकी बेटी है इसलिए उसने उस बच्ची को मुझे दे दिया। मै अपनी बच्ची को लेकर दूसरे शहर में चला गया। जिस दिन उसका बौस जबरदस्ती सुमन से शादी करने जा रहा था मैं चुपके से अपनी पत्नी से मिलने आया। उसे अपनी बेटी के बारे में बताया कि हमारी बच्ची मेरे पास है। वह फिर तुम्हें धोखा दे रहा है। उसने तुम्हारी बच्ची के बारे में तुम से झूठ कहा कि वह मर गई है। उसने हमारी बच्ची को अनाथालय मे डाल दिया और तुमसे झूठ कहा कि वह मर गई है। सुमन के सामने अपने बॉस की असलियत आ चुकी थी। मैंने अपनी बच्ची को तुम्हारे बारे मे सब कुछ बता दिया।

वह किसी ना किसी तरह मेरे साथ भाग जाना चाहती थी। जब मै अपनी पत्नी से मिलने उसके घर जा रहा था। उन्हें भागते हुए उसके बॉस ने देख लिया। उसने एक बार फिर मुझ पर हमला किया और मुझे मार दिया। जब मै मर गया तो एक बार भाग्य नें फिर हम दोंनों को एक दूसरे से सदा के लिए अलग कर दिया। सुमन को अपनी बच्ची के लिए जीना था। वह अकेली नहीं थी। मैंने अपनी बच्ची को अनाथालय से निकाल कर अपनी पत्नी की गोद में डाल दिया। उसे अपने मां और बाप दोनों का प्यार दिया था। उसकी गोद में सौंप कर गया था। अपने प्राणों की आहुति दे कर मैंने अपनी बेटी को बचा लिया था।

सुमन अपनी बेटी को लेकर अलग रहने लगी थी। उसने अपने बॉस को कहा कि अगर तुमने मुझसे शादी करने की कोशिश की तो मैं अपने आप को समाप्त कर लूंगी। उसकी बच्ची भी बड़ी हो चुकी थी। कॉलेज जाने लगी थी उसकी बेटी ने बताया कि इतने साल तक पापा ने मुझे मां बापू की कभी कोई महसूस कमी महसूस नहीं होने दी। हर बार वह तुमसे मिलना चाहते थे।वह हर बार आंखों में आंसू भरते हुए कहते थे कि बेटा अगर हम तुम्हारी मां से मिलने गए तो वह बहरुपिया बौस हमें मार देगा। उसने अपनी बेटी को कहा मैं अपनी पत्नी को तो अवश्य पा कर ही रहूंगा चाहे मुझे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए। मैं अपनी सुमन से मिलने जरूर जाऊंगा। जब आपसे मिलने आए आने लगे तो एक बार फिर उसके बॉस को पता चल गया। उसने सचमुच ही मेरे पिता की जान ले ली। यह कहते-कहते बेटी की आंखों में आंसू छलक गए। मरने के पश्चात वह अपनी बेटी और अपनी पत्नी से मिलने के लिए उत्सुक था।

इसलिए ही वह दोबारा वापस आया था। यमराज नें भी उसके अच्छे काम की वजह से उसे कुछ महीने का वक्त दिया था।

विकी और निकी की सहायता से मैं अपनी बेटी के घर गया। विक्की और निकी ने दरवाजा खटखटाया। एक लड़की ने दरवाजा खोला। उसने कहा कि हम तुम्हारे साथ एक कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं। हमने कॉलेज में तुम्हारे इतने नाटक देखे आशा है की तुम हमें निराश नहीं करोगी। हमने आपको दीदी कहा है। आज से तुम मेरे दोनों भाई हो। उसने उन दोनों को अपनी मां से मिलवाया। निशा ने कहा तुम कौन से नाटक में हिस्सा लेना चाहते हो। हम तुम्हारे साथ स्टेज पर नाटक करेंगे। उसने सारी कहानी निशा की मां और उसके पिता की सारी कहानी कॉलिज के स्थल पर दिखा दी। कॉलिज में सैंकड़ों की तादात में लोग नाटक देखने आए। निशा की ममी नाटक देखते देखते रो पडी। उसके सामने एक बार फिर सारी यादे ताजा हो गई। कॉलिज में जब प्राधानाचार्य नें निशा को शील्ड दी तो मै भी वहां नाटक देखने मौजूद था। मेरी आंखों से झरझर आंसू बह निकले। वह खुशी के आंसू थे। अपनी बच्ची और अपनी पत्नी से मिल कर मुझे बहुत ही खुशी हो रही थी। मैं अपनें आंसू को अन्दर ही अन्दर छिपानें का प्रयत्न कर रहा था। मैं नाटक देखनें अपनी पत्नी के साथ ही बैठा था। वह मुझे देख नही सकती थी। मैं तो उसे देख कर खुश हो रहा था।

सुमन की मां ने अपनी बेटी से कहा बेटा तुम्हारे कॉलेज की फीस डिपाजिट करने का कल आखिरी दिन है। मैंने अपनी सहेली अनुप्रिया को कभी रुपए दिए थे। उससे वह रुपये मैं लेकर आना चाहती हूं। निशा ने कहा कि मां मुझे बताओ कि आप नें रुपये किस से वापस लेने हैं। उसकी मां ने निशा से कहा कि मेरी सहेली अनूप्रिया है। जब तुम्हारे पापा जिंदा थे तब उन्होंने मेरी सहेलीको 10,000रु दिए थे।

मां नें निशा को कहा तुम्हारे कॉलिज की फीस डिपॉजिट करनें का कल आखिरी दिन है। मैंने अपनी सहेली अनुप्रिया को कुछ रुपये दिए थे। उन से मैंरुपये ले कर आना चाहती हूं। उनको याद भी होगा या नहीं। परंतु मैं अपने रुपये लेकर आती हूं। उनका घर यहां से छः किलोमीटर की दूरी पर है।
विकी और निकी अनुप्रिया आंटी के घर जाने के लिए तैयार हुए। विकी और निकी ने कहा कि वह तो मेरे घर के पास ही रहती है। हम उन से रुपए लेकर आएंगे। दूसरे दिन मैं ने कहा कि उनसे पूछो कि तुम्हें किसी चीज की आवश्यकता तो नहीं है। विकी और निकी नें कहा कि आंटी जीआपको किसी चीज की आवश्यकता तो नहीं है। दूसरे दिन विकी और निकी नें रुपये लेकर निशा को दिलवाया।

सुमन के बौस का बेटा निशा से प्यार करने लग गया था। इतने साल बाद फिर सुमन को एक बार फिर भाग्य ने उस के बौस के सामने लाकर खड़ा कर दिया। जब उसे पता चला कि निशा जिस लड़के से प्यार करती है वह कोई और नहीं उसके बौस का बेटा था। उस नें निशा को कहा कि बेटा तुम इस लड़के से शादी करने के लिए इन्कार कर दो। उसके पिता नें ही तुम्हारे पिता और मुझे सदा सदा के लिए एक दूसरे से दूर कर दिया। मुझे ठोकरे खाने पर मजबूर कर दिया। वह बोली मांआप निराश ना हो। मैं इस लड़के से ही शादी करूंगी और अपना बदला लूंगी।

जिस दिन वह रिश्ता लेकर आया तो निशा नें दिनेश को कहा कि एक शर्त पर मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूं। तुम अगर अपने पिता की सारी धन दौलत मेरे नाम कर दो तो मैं खुशी-खुशी तुम्हारे साथ शादी करने के लिए तैयार हूं। वर्ना तुम कोई और लड़की देख लो।

दिनेश उससे ही प्यार करता था। भवानीप्रसाद ने एक दिन अपनी सारी धन दौलत अपने बेटे के नाम करवा कर कहा जिन्दगी का क्या भरोसा कब क्या हो जाए इसलिए मैं मरनें से पहले अपनी सारी धन दौलत अपनेे बेटे दिनेश के नाम करना चाहता हूं। दिनेश ने सब कुछ निशा के नाम कर दिया। वह शादी के लिए तैयार हो गई। जब बारात आई तो उसका बौस यह देख कर हैरान हो गया कि निशा तो सुमन की बेटी थी। वह अपने बेटे की शादी किससे करवा चुका था? उसे यह भी पता चल गया कि उसके बेटे ने सारी धन दौलत निशा के नाम कर दी। शादी की रस्में पूरी करनें के पश्चात निशा नें अपने पति को कहा कि अब तुम अपने घर जा सकते हो। मैंने तुमसे शादी बदला लेने के लिए की थी।

तुम्हारे पिता ने मेरे पिता को दस साल की जेल करवाई थी। जब मेरे पिता जेल से निकल कर आए तो मेरे पिता ने अनाथालय से मुझे निकलवाकर मेरी परवरिश की। जब मुझे अपनी मां से मिलवाने के लिए लाए तो तुम्हारे पिता ने एक बार फिर मेरे पिता को मरवा दिया। मैं यह शादी करना नहीं चाहती थी। मैंने तुम्हारे साथ प्यार का झूठा नाटक किया। यह सब अपने पिता का बदला लेने के लिए। आज मेरा यह बदला पूरा हो गया। शादी में विकी और निकी भी आए थे। विकी निकी के साथ निशा के पिता भी आए थे। शादी के मंडप में मनीषा को आशीर्वाद देना चाहते थे। विकी और निकी को उन्होंने कहा कि तुम निशा को उस पीपल के पेड़ के पास लेकर आना। दिनेश, निशा और उसकी मम्मी को इस पीपल के पेड़ के पास लेकर आना। मैं यहां पर उनसे मिलना चाहता हूं। विकी और निकी ने निशा से कहा कि दीदी हम आप को बताएं कि हम आपके पापा से मिल चुके हैं। शादी के जोड़े में वह तुम्हे देखना चाहते हैं। वह अपनी बेटी को आशीर्वाद देना चाहते हैं। वह प्रेत बन कर उस पेड़ पर रहते हैं। वह तुम्हें देखना चाहते हैं। तुम अपनी मां को लेकर वही हमारे साथ चलो। निशा अपनी मां और अपने पति को लेकर अपनें भाईयों के साथ उस बगीचे में ले कर ग्ई। उसको वहां ले जा कर अपने पापा से मिलकर खुशी हुई। उसके पापा ने कहा बेटी अब तुम दिनेश को माफ कर दो। उसे इतनी बड़ी सजा मत दो।वह अपने पापा के गले लगा कर बोली पापा मेरा बस करता मैं उन सब को कडी से कड़ी सजा दिलाती। आपकी आज्ञा को मैं टाल नही सकती।

दिनेश ने अपने ससुर के पैर छुए। सुमन अपने पति को देखकर उसके गले लिपट कर बोली। वह बोली इस जन्म में तो तुम्हें मैं पा नहीं सकी

अगले जन्म में मैं तुम्हारी ही पत्नी बनूंगी। । जाओ तुम भी अपने समधि को माफ कर दो। मैं भी अब शांति से मरना चाहता हूं। मैं अब वापिस लौटना चाहता हूं। सुमन और निशा की आंखों से आंसू छलक रहे थे। अपने पति के कहने पर सुमन नें अपने दामाद को माफ कर दिया। वे उस पेड़ पर से आत्मा को जाते देख रहे थे। सुमन के पति नें और उसकी बेटी ने उन्हें नाम आंखों से विदा किया।

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