एक लोमड़ी भूखी प्यासी आई पेड़ के नीचे। लगी देखने उस पेड़ को आंखें मींचे मींचे।। पेड़ पर था एक कौवा बैठा। नटखट चुलबुल काला कौवा।। अपनी चोंच में रोटी का टुकड़ा भींचे भींचे। लोमड़ी सोच रही थी मन में, क्यों न इसे बहलाती हूं। इस बेसूरे की तारीफें कर के क्यों न इसे फुसलाती… Continue reading कौवा, लोमड़ी और रोटी
Day: July 10, 2018
नन्ही चिड़िया
पेड़ों पर चहचहाती चिड़ियां। शाखाओं पर मंडराती चिड़िया।। अपनी चहचाहट से सबके मन को लुभाती चिड़िया। एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर अटखेलियां करती चिड़िया।। अपने मधुर संगीत से सबके मन को हर्षाती चिड़िया एक डाल से दूसरी डाल तक की यूं फुदकती जाती चिड़िया।। सुबह से दोपहर तक एक पंक्ति में इकट्ठे होकर दाना… Continue reading नन्ही चिड़िया