नशा नाश का दूजा नाम

नशा नाश का दूजा नाम। 

 घर की बर्बादी है इसका काम।। 

नशे से अपनें बच्चों को बचाना।

तुम उन्हें प्यार से समझा कर होश में लाना।।

इससे जग में तो होगी ही जग हंसाई। 

अपनी रही सही इज्जत भी समझो तुम ने गंवाई।। 

नशे की आदत से बचो दुनिया वालों। 

अभी भी वक्त है संभल जाओ जहां वालों।। 

नहीं तो तमाम उम्र भर पछताओगे। 

अपनी रही सही इज्जत भी खाक में मिलाओगे।। 

नशे की बुरी आदत से बचो युवा पीढ़ी। 

वर्ना तुम कभी ना चढ़ पाओगे तरक्की की सीढ़ी।। 

 नशा करके तुम कभी भी आगे न बढ़ पाओगे। 

अपने मां बाप को भी इस नर्क की आग में झुलसाओगे।। 

नशा चाहे कैसा भी हो बुरा है दोस्तों। 

यह तो है काली अंधकार की परत दोस्तों।। 

नशा करके तुम कभी न खुश रह पाओगे। 

अपने परिवार को हमेशा ही दुःखी  देख पाओगे।। 

अपने मां बाप के सम्मान को न तुम दाव पर लगाना।  

उनकी उम्मीदों पे खरा उतर के दिखाना।। 

एक बार इससे छुटकारा पा जाओगे तो। 

अपने मां-बाप की आंखों में खुशी की झलक देख पाओगे।। 

वह भी तुम्हें खुशी से गले लगाएंगे

तुम्हारी  इस भूल को जल्दी ही माफ कर पाएंगे। 

लेखिका की कलम से 

मैने अपनी बेब साईट बना ली है मुझे मेरी साइट पर जा कर कहानियों को पढ कर आन्नद लेना। http//kahnikagullak.in

.अपना भरपूर स्नेह देनें के लिए आप सभी का धन्यवाद. Meena

रहस्यमयी गुफा भाग 7

गुफा के पास पहुंच कर गोलू ने  जादुगर द्वारा प्राप्त बालों से बौने को बुलाया और उसकी मदद से वह  जादुगर  राक्षस सिंकारा की पत्नी का रूप धारण कर के गुफा के अंदर चला गया । सिंकारा की पत्नी को उसने चुपके से  नशे की दवा पिला के थोड़ी देर के लिए बेहोश कर दिया और राक्षस के ही बिस्तर के नीचे उसे छिपा दिया और खुद उसकी जगह बैठ गया। जब सिंकारा कक्ष में आया तो उसकी पत्नी के भेष में उसने सिंकारा को उसके भाई चिंकारा के विरुद्ध भड़काने का प्रयास किया। उसने कहा के मुझे आप के भाई चिंकारा पे अब भरोसा नही रहा।मुझे अपने विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है की आपका भाई आपके साथ छल करने की योजना बना रहा है  वह आपसे पूरी मोतियों की माला प्राप्त करना चाहता  है। आप सावधान हो जाएं। आजकल एक अजनबी शिकारी आप के  भाई चिंकारा के साथ उस के नए महल में आया हुआ है जिस को आपके भाई नें अपना बना लिया है और राजा को मुर्गा बना दिया है।

सिंकारा  गुस्से में बोला कि क्या तुम यह बात दावे के साथ कह सकती हो? हाँ! आपके भाई ने उस व्यक्ति के साथ दोस्ती कर ली है। मैंने कल छिपकर उनकी बातें सुनी थी। वह कह रहे थे कि मेरे भाई के पास मोतियों की माला है। उसे हथियाने की योजना बना रहे थे। सिंकारा  ने अपने पहरेदारों को जादू से वहां पर भेजा तो उसे पता चला कि सचमुच में ही उसके भाई  के  साथ उस महल में कोई युवक आकर ठहरा था। गोलू राक्षसी के रूप में झूठ मूठ बोला के मुझे तो बहुत डर लग रहा है।

सिंकारा  हंसते हुए बोला  कि तुम ज़रा भी चिंता न करो। उस मोतियों की माला को जो कोई प्राप्त करेगा उसकी दुगनी शक्ति हो जाएंगी लेकिन माला को प्राप्त करना बहुत कठिन है । मुझे कुछ नहीं होगा।

गोलू ने सिंकारा से मोतियों की माला और तलवार का भेद लेने का प्रयास किया  तो जादुगर बोला के उस माला‌ को जादुई तलवार के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है और वह मुझे भी नुकसान पहुंचा सकता है।। परियों की रानी सोनपरी के पास वह तलवार है लेकिन उसका भाई जदुगर चिंकारा उस तलवार को प्राप्त करने के लिए परियों के देश में गया था ।तलवार को तो प्राप्त नहीं कर पाया लेकिन परियों के पिता को कैद करके ले आया। उन्हें अपने महल में छुपा दिया उन्हें ऐसी जगह  रखा है  जहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल है।

सिंकारा की  पत्नी को होश आनें ही वाला था गोलू ने सोचा के उसे  यह भेद जल्दी ही लेना होगा। मुझे बताओ कि परी के पिता को आप के भाई ने कहां रखा है? जादुगर बोला वहां पहुंचना कोई आसान काम नहीं है। परियों के भाई भेश बदल कर अपने पिता का पता करने आए थे। लेकिन वे निराश होकर वापस लौट गए। वह अपने पिता को छुडवानें में सफल नहीं हुए। मेरे भाई चिकारा की जंगल के बीचोंबीच आलीशान महल है। उसमें जगह-जगह बड़े-बड़े महल है। जंगल के बीचोंबीच एक अलग से एक अनोखा भवन है। वह भवन एक पुश्तैनी गुफा की तरह दिखाई देता है। उसमें 7 दरवाजे हैं। पांचवे दरवाजे में सोनपरी के पिता कैद हैं ।और उनमें से एक दरवाज़े में चाबी है। उन दरवाजों को खोलने के लिए  अलग-अलग चाबियां हैं।  चिंकारा जादूगर  को मारना बहुत ही भयंकर काम है उस जादू की तलवार से मैं और मेरा भाई दोनो मारे जा सकते हैं। लेकिन उसकी जान एक तोते में क़ैद है। और उस तोते को मार कर ही मेरे भाई के प्राण लिए जा सकते हैं।

इतना कठिन काम करने का प्रयत्न कोई सपने में भी नहीं सोच सकता। मेरा भाई मुझे बिना तलवार के नहीं मार सकता।  तुम चिंता ना करो और आराम से सो जाओ जादुगर मुस्कुरा के बोला ।। गोलू  ने सारी सूचना प्राप्त कर ली। और चुप चाप सिंकारा के पेय में भी जादुई बेहोशी की दवा मिला के उसे पिला दी। जादुगर के बेहोश होते ही उसने उसकी पत्नी को वापस उसकी जगह पे रख दिया और जल्दी से वहां से निकल गया।  

वापस आकर भोलू  को सारा किस्सा सुना दिया।।

अगले दिन  दुष्ट सिंकारा ने सोचा के यह भी हो सकता है मेरा भाई  मुझ से मोतियों की माला प्राप्त करने यहां आ जाए। इससे पहले कि वह  मोतियों की माला हडपनें यहां चला आए। मैं खुद ही जा कर  उसके  पुराने महल में जा कर छिप जाता हूं। वो कभी  सोच भी नहीं सकता के में यहां छिपा बैठा हूं। वह अपनी योजना में कभी कामयाब नहीं होगा पर मौका मिलते ही में भी उस से बदला ज़रूर लूंगा।

सिंकारा जादूगर अपनी पत्नी के  साथ अपने भाई चिंकारा के महल में जाकर रहने लग गया था।

एक दिन  गोलू और भोलू   महल को  ढूंढते हुए वहां पहुंच ही गये।  भोलू नें अपने मोतियों की माला अपने गले में पहन ली और अदृश्य हो गया । उसने द्वार को खोलने के लिए हाथ बढ़ाया कि ज़ोर से भयंकर आवाज़ होने लगी। आवाज सुन कर  सिंकारा की पत्नी राक्षसी उठ गई थी। वह जोर-जोर से अपनी पति  से कहनें लगीदेखो तो कौन दुष्ट यहां घुस आया  है ।यह भयंकर आवाज़ कैसी आ रही है? दुष्ट जादूगर बोला कि मैंने अपने पलंग के पास एक यन्त्र लगाया था जैसे ही कोई उस द्वार को खोलने का प्रयास करेगा वह ज़ोर से बजने लगेगा और मुझे तुरंत पता चल जाएगा। आज कोई ना कोई तो यहां आया है। उसकी पत्नी बोली आप चिंता ना करो मैं देखती हूं।

गोलू नें रस्सी को कहा कि जल्दी से अपना जादुई करिश्मा दिखा। जल्दी से उस दरवाजे के पास किसी जानवर को यहां भेज दें, जिससे कि दुष्ट जादूगर  को यह बता सकूंगी कि यह एक जंगली जीव था । रस्सी नें जल्दी से एक बंदर बना कर वहां पर भेज दिया। सिंकारा की पत्नी उस बंदर को देख कर हंसते हुए बोली।आप व्यर्थ में परेशान हो रहे हो? यह तो बंदर है। दुष्ट जादूगर  को थोड़ी राहत मिली।

रात होते  ही भोलू नें मोतियों की माला पहन  कर महल में प्रवेश किया। ।उसने खाने में  बेहोशी  की  दवा मिला दी। और गोलू को भी महल के अन्दर बुला लिया। वे दोनों जल्दी से  चाबियां ढूंढने लगे। उलट-पुलट कर दुष्ट जादूगर के कमरे की छानबीन करने लगे। उन्होंने देखा कि सिंकारा के पलंग के नीचे एक बक्सा रखा था । उसमें सात चाबियां पड़ी थी। वह  सोचने लगा कि अब इन चारों में से पांचवी द्वार की चाबी कौन सी होगी? उसने उलट-पुलट कर सभी चाबियों को देखा ।सभी चाबियों में शेर का निशान बना हुआ था। तीन-चार नम्बर वाली चाबी में जमा (+) का निशान था और  दो चाबियों में घटा (-)का निशान था। एक चाबी बिल्कुल अलग थी उस चाबी पर त्रिभुज(∆) का निशान बना हुआ था। पांचवे द्वार पर भी त्रिभुज का निशान बना था।

उसने जल्दी से त्रिभुज वाली  चाबी के निशान वाली चाबी उठाई और पाचवे द्वार को खोला। उसमें दो आदमी बेहोश पड़े थे।उन्हे होश में लाने का प्रयत्न कर लगा।  रस्सी बोली ये ज़रूर सोन परी के पिता और सोन परी के महल के पहरेदार हैं। जल्दी से उस जादू की छड़ी को ढूंढो। पहले तीन नम्बर वाले दरवाजों को खोलो ।उसमें 123 लिखा था। घटा वाले दरवाजे पर 456 लिखा थ।

उसने पहला दरवाजा खोला उसमें कुछ नहीं था दूसरे दरवाजे में भी कुछ नहीं था् तीसरे दरवाजे में जादू की छड़ी पड़ी थी ।उसने जल्दी से जादू की छड़ी ली। उसने जल्दी से छडी को   दरबार के भाई और सोनपरी के  के पिता को स्पर्श करवाया।। वे दोनों अपनी जगह से उठकर बैठ  गए। वे बोले  तुम कौन हो भाई तुमने हमें नया जीवन दिया है? तुम लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद ।

उन दोनों नें सारा किस्सा सोनपरी के पिता को कह सुनाया।  उनको बोले कि  हमें जादू की तलवार प्राप्त हो गई है।

परी के पिता बोले बेटा यह तलवार तुम्हें कैसे मिली । इस तलवार को प्राप्त करने के लिए उसने मुझे बंदी बनाया । परी का पिता बोला कि उस दुष्ट जादूगर ने हमें कैद कर लिया था। तुम  दोनों जल्दी ही उस जांदू गर को मार दो ।

भोलू  बोला कि सिंकारा तो  इसी महल में है।  जब वो चारों आपस में बातचीत उस  जादू की छड़ी  के बारे में विचार-विमर्श ही कर रहे

थे। उसी समय सिंकारा और उसकी पत्नी ने उन पर प्रहार किया। भोलू आगे आ कर  जादुई तलवार से उसके प्रहार को

विफल कर देता है। पीछे से गोलू आ कर रस्सी द्वारा सिंकारा को बांध देता है। भोलू ने  जादू की तलवार से उस दुष्ट जादूगर  पर प्रहार किया। एक ही झटके से उसका काम तमाम हो गया । जादू की माला प्राप्त कर उसकी शक्तियां दुगनी हो गई थी ।जैसे ही उसके हाथ मोतियों की माला लगी उसने उसने दुगनी ताकत आ  गई। भोलू नें जल्दी से चौथा और पांचवां दरवाजा खोला। उसमें बहुत सारे अस्त्र-शस्त्र थे और छठे दरवाजे में जादू का जूता था  भोलू ने वह जादू का जूता और जादू की छड़ी को  हासिल  कर लिया और  अपनें  माता पिता से मिलने दोनो गोलू के घर की ओर चल पड़े।

अपने पिता से मिलकर परी बहुत ही खुशी हुई। भोलू  नें गोलू को कहा कि  तुम जल्दी से  जा कर सभी लोगों को इकट्ठा कर लाओ। उनको कहना कि सिंकारा  जादूगर मारा जा चुका है। तुम अपनें राजा का अभिषेक करनें के लिए एकत्रित हो जाओ। मैं राजा को  जल्दी ही ले कर आऊंगा।

जल्दी से  जादू का जूता प्राप्त कर के जैसे ही    भोलू महल में आने वाला था उसने देखा कि दुष्ट जादूगर

चिंकारा अपने महल में आ रहा था। उसने जल्दी से वह जादू की माला पहन ली। दुष्ट जादूगर उसे देख नहीं सकता था । उसने अपने भाई को मरे हुए देखा तो वह चिल्लाया कौन है जिसने मेरे भाई को मारा है ।मैं उसे नहीं छोडूंगा ।उसनें पलंग के नीचे झांका उसे  वहां कोई  नहीं दिखाई दिया।उसे डर भी लग रहा था। वह अपनी पत्नी को बोला कि जल्दी से उस पेड़ के पास पहुंचो ।

कोई मुझे मारने की कोशिश करेगा तो तो मुझे सूचना दे देना। दुष्ट जादूगरनी जल्दी ही घोड़े पर बैठकर  जंगल के उस पार चली गईं। भोलू भी उसके पीछे-पीछे वहां तक पहुंच गया जहां उस दुष्ट जानवर की  आत्मा  कैद थी। उस दुष्ट जादूगर की आत्मा एक तोते में कैद  थी । जादूगरनी ने पेड़ के पास खड़े होकर कहा पेड़ राजा पेड़ राजा तू तो है हमारी कुल का महा  राजा, तू है हमारे कुल का महाराजा।

 जिसके  पास है दूसरे द्वार की चाबी  वही सिंकारा को मारने में सफल होगा। वही असली द्वार खोलने में सफल होगा।

भोलू तो अपने साथ  द्वार की चाबियां उठा कर लाया था। उसने जल्दी से दूसरे द्वार की चाबी ले ली। जादूगरनी के पास एक और चाबी थी । वहां पर पेड़ के पास संदूक रखा था । वह संदूक दूर से इतना छोटा था दिखाई देता था परंतु जितना ही पास जाओ वह उतना ही बड़ा दिखाई देता था । दूर से उसे कोई देख नहीं सकता था। उस जंगल में एक छोर पर पहाड़ी की  ओट में अंदर एक गुप्त दरवाजा था ।उसमें एक तोता था ।जादूगरनी खुश होकर बोली यहां   इस जगह  की जानकारी किसी को नहीं है। चलो हम सुरक्षित हैं ।वह सीधे महल में लौट आए।

भोलू  ने जाकर पेड़ के पास जाकर कहा पेड़ राजा पेड़ राजा तू तो है यहां का महाराजा ।मेरे पास है दो नंबर द्वार की चाबी। ।जल्दी  से किवाड़ खोल कर अंदर जाने की इजाजत मांगी। पेड़ बोला आज तक यहां पहुंचने की हिम्मत किसी की नहीं हुई। दुष्ट जदुगर की  उसकी जान  एक तोते में है । वह  एक जादुई तोता  है जो अंदर बक्से में कैद  है। तुम उस तोते की गर्दन पकड़कर बाहर निकालो तोते को पकड़कर उसकी गर्दन मरोड़  दोगे तो वह दुष्ट जादूगर मर जाएगा।भोलू ने तोते को पकड़कर उसकी गर्दन नहीं मरोडी। उसे यूं ही छोड़ दिया। गोलू को बोला

सबसे  पहले मैं राजा को वापस  ले जा कर उसको गद्दी पर  बैठाता हूं।  तुम्हें तब तक नहीं  मारूंगा जब तक असली राजा को उस गद्दी पर नहीं बिठा देता। भोलू नें जादू की छड़ी जादू का जूता और जादू की तलवार प्राप्त कर ली। मैं सबसे शक्तिशाली बन गया हूं। तुम्हारे भाई को मारकर उस से मोतियों की माला भी प्राप्त कर ली है ।भोलू    उस दुष्ट  चिंकारा जादूगर को कैद कर अपने महल में ले आया।  वहां पर पहुंच कर उसने  दुष्ट जादूगर   के सामने तोता ला कर उसकी गर्दन एक  बार फिर गर्दन मरोड डाली। चिंकारा तडफ तडफ कर मर गया।

राजा का राजपाट  भोलू नें वापस  दिलवा दिया।

सोनपरी भी भोलू से मिलने राज महल में आई उसने भोलू को कहा कि तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद। भोलू ने अपने पिता को छड़ी का स्पर्श  करवाया। राजा नें उसे अपनें महल में बुला लिया था।वह अपनें माता पिता के साथ महल में आ कर रहने  लगा था।

एक दिन जब परी मिलनें राजा के महल में आई तो बोली आज मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करनें यहां आई हूं।वह बोला अगर तुम मुझे कुछ देना ही चाहती हो तो मेरी  भूरी को वापिस जिन्दा कर दो।बदले में मुझे से चाहे सब कुछ ले लो। परी बोली कि इस के लिए तुम दोनों को जादू की गुफा में जाना होगा।उस छड़ी को जब तुम राख का स्पर्श करवाओगे तब तुम्हारी भूरी जिन्दा हो जाएगी। भोलू  नें अपनें दोस्त गोलू को साथ लिया और गुफा में प्रवेश किया।गुफा में जैसे ही पंहुंचे भूरी की राख आंसूओ से गीली  हो गई थी।वह बोली आओ मेरे बच्चो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी।मेरी आत्मा को भी अब शान्ति मिलेगी।जाओ अपनें घर जाओ।खुश रहो।वे दोनों बोले आज तो हम दोनों आप को साथ ले कर जाएंगे।वह बोली जिंद मत कऱो।वापिस घर जाओ।उन्होनें जल्दी से  भगवान का नाम ले कर जादू की छड़ी से राख को स्पर्श करवाया तो उनके सामने  भूरी उठ खड़ी हुई।वह दोनों खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। गुफा में एक अद्भभूत प्रकाश था। उस में से एक ज्योति प्रकट हो कर बोली आज से यह गुफा तुम्हारी है।आज से इस गुफा के दोनों द्वार तुम्हारे लिए खुल जाएंगे। कंही से भी तुम दोनों इस गुफा के द्वारा क्षण भर में ही  दुनिया के किसी भी कोने में जा सकते हो। भोलू नें जादू की छड़ी अपनें दोस्त गोलू को दे दी। परी को जादू की तलवार वापिस कर दी। भोलू और गोलू खुशी खुशी राजा के महल में अपनें माता पिता के साथ सुखपूर्वक रहनें लगा।

ग्रीन टी का सदुपयोग

ग्रीन टी सेहत के लिए भी है सहचारी

बिमारियों से बचाने में यह है गुणकारी ।।ं

सुबह सुबह उर्जा से  है भरपूर इसकी   प्याली।

 इसके सेवन नें  व्यक्ति में स्फूर्ति जगा डाली।।

हरी पत्तियों का स्वाद लिए व्यक्ति में जोश और  उमंग जगाए।

दिल के हर एक कोने में मिठास का एहसास कराएं ।।

विलक्षण तत्वों से निराली पौष्टिकता से भरपूर तत्वों वाली

यह है अद्भुत फायदेमंद  और चमत्कारी ।

इसकी खुशबू है निराली और  गुणकारी।।

त्वचा पर रंगत और ताजगी का हर पल एहसास  कराए।जो पिए उसका दिल  बाग बाग हो जाए ।।

सभी पौष्टिक तत्वों का समावेश है इसमें।

अनोखी दमदार चार चांद लगाने का साहस है इसमें ।।

सुबह सुबह की इस  चाय की  चाह की तो बात ही कुछ और है।

ग्रीन टी की प्याली का  जायका तो कुछ और ही है।।

इसका सेवन व्यक्ति को अवसाद से बचाए।

रोगों से लड़ने में मदद  करवाए।।

मधुर बचपन के पल

मधुर बचपन के वे क्षण याद आते हैं।

धुंधली यादों के साए नजर आते हैं ।।

बचपन की अठखेलियां के वे चंचल लम्हे याद आते हैं।

दोस्तों संग मस्ती के  वे क्षण याद आते हैं।। कैसे भुलें  कैसे भुलें

  मां पापा का प्यार।

नाना नानी का लाड दुलार।।

मधुर बचपन के वे  स्मृति चिन्ह मानस पटल पर बार-बार अंकित हो जाते हैं।

बचपन के वे खुशी भरे लम्हे  हर पल यादगार बन  

कर  मनमें घर कर जातें हैं।।

दोस्तों  से  बात बात पर बकबक।

बात-बात पर चक चक।

वह सुनहरे पल याद आतें हैं।

मधुर बचपन के वे क्षण याद आते हैं।।

जीवन के इस भाग दौड़ में खो गया कहां मेरा बचपन।

स्वच्छंद वातावरण का भोलापन।।

याद आती है बचपन की बहुत सारी बातें। अपनों के प्यार और उनकी स्नेह की बौछारें। चिंता रहित खेलना कूदना  घूमना।

भाग भाग कर अपनी बात मनवाना।।

कैसे भुलाया जा सकता है वह स्वच्छंद अतुलित आनंद।

न ऊंच-नीच का भेदभाव। न किसी से  मनमुटाव  

मस्ती से जीना।

पल पल गाना पल पल हंसना।

वह शाही ठाठ-बाट

बादशाह सा  मेरा बचपन।

होठों पर मधुर मुस्कान।

लुक्न छुपाई का खेल।

सहेलियों के संग गुड्डा गुड्डी का खेल।

छोटे भाई से लड़ना झगड़ा।

झूठमूठ को रुठ कर गुस्सा दिखाना।

बहन की चोटी खींच खींच कर चिढ़ाना। जाफरी में  घुस  कर  नानी के घर से अचार को चटकारे ले कर खाना।।

कुल्फी वाले की आवाज सुन कर दौड़  सब काम छोड़ कर बाहर जाना।।

छोटे भाई को पहरेदार बना कर नानी मां के पीछे लगाना।।

आधी छुट्टी के समय दोस्तों संग हुडदंग मचाना।  

खोमचे वाले से इमली ले जा कर क्लास में चटकारे ले ले कर इमली खाना।।

शास्त्रीगुरु जी के आते ही कक्षा में निस्तब्धता छा जाना।  

चुपचाप किताब ले कर पढाई का नाटक  करके  दिखाना।

पीटीआई गुरु जी के डंडे की मार से कक्षा से भागने का बहाना करना।।

बचपन के

वे मधुर पल याद आतें हैं।

थोडी सी आहट पा कर पिता जी के डर से  भीगी बिल्ली बन कर उल्टी किताब पकड़ कर पढाई करनें का स्वांग  रचाना।

बचपन के वे सुनहले प्यार आतें हैं।

मां को इशारे से सब बात समझाना।

पापा के आते ही पढाई करनें बैठ जाना।।

मां के  गले  लग कर  उन  से  सारी  बात मनवाना।

बचपन के वे मस्ती भरे पल हरदम याद आतें हैं।

चलचित्र की भान्ति सजीव हो कर मन को मंत्र मुग्ध कर देतें हैं।।