घर का भेदी लंका ढाए

हमारे घर का प्रत्येक सामान आज हम से कुछ कह रहा।अपनी दुर्गति पर है ठहाका लगा कर हंस रहा।।आजकल घर में मीठी मीठी सुगंध है छा रही।बच्चों कि चुलबुलाहट से है खिला-खिला रही।।सोफ़ा सैट भी यूं अपनी दास्तां सुना रहा।मुझ पर कुदाकुदी का दौर आजकल है छा रहा।। झाड़ू बोला तुम तो कठोर वस्तु के… Continue reading घर का भेदी लंका ढाए