“बातचीत कि कला”

बातचीत कि कला हो जिस की निराली। जीवन में  छलके  जैसे मधु रस कि प्याली।।  कम से कम शब्दों में दूसरों के तथ्यों को समेटनें कि कला हो न्यारी। आवश्यक जानकारी   उपलब्ध  करवाने कि क्षमता हो जिसमें सारी।। मन के भावों को अभिव्यक्त करनें कि कला है सिखलाती। दुसरों के विचारों को ग्रहण करनें… Continue reading “बातचीत कि कला”