कहा-सुनी

 कक्षा में आते ही मास्टर जी बोले  बच्चों अपना अपना पैन निकालो।

अपनी अपनी डफ़ली अपना अपना राग अलाप, श्याम पट पर अनाप शनाप न लिख डालो।।

तुम सबको प्रश्न लिखवा आज तुम्हारा  मूल्यांकन  करता हूं।

प्रश्न जो हल कर पाएगा उसे पारितोषिक  दिलवा उसका मनोबल बढाता  हूं।।

अध्यापक बोले बच्चों मैं   औफिस का काम निपटा कर वापिस आता हूं। 

लौट कर तुम सब कि अक्ल  ठिकाने लगा तुम्हें छटी का दूध याद दिलवाता हूं।।

रामू अपना पैन नहीं था लाया।

उसने  राजु कि ओर  पैन के लिए हाथ बढ़ाया।।

राजु नें उसे अंगूठा दिखा कर  चिढ़ाया।।

रामु राजु पर आग बबूला हो कर चिल्लाया।

राजू नें धक्का  मार कर उसे नीचे  जा गिराया।

रामू घूटनों के बल गिर कर  भी मुस्कुराया 

रामु  नें भी  हार नहीं मानी।

दोनों नें  दो दो हाथ करनें की ठानी। 

अचानक मास्टर जी कक्षा में आए।

दोनों को तू तू करता देख, उन पर चिल्लाए।

मास्टर जी बोले तुम तीन पांच क्यों करते हो?

स्कूल में हंगामा खड़ा क्यों करते हो?

राजु  मास्टर जी को सामनें  आते देख घबराया।

यूं मुंह फूला कर, मिट्टी का माधो बन  शर्माया।।

मास्टर जी बोले तुम आनाकानी क्यों करते हो?

हर वक्त सब कि नाक में दम क्यों करते हो?

तुम क्या मेरे प्रश्नों का उत्तर देनें से हिचकिचाते हो?

अपनी शेखी बघार कर अपने पर इतराते हो।

स्कूल में अपनी धाक जमा कर ,सब पर रौब झाड़ते हो।

अपनी मनमानी कर सब को अपनें ईशारों पर नचाते हो।।

मास्टर जी नें प्रश्नों की बौछार कर दी।

सब बच्चों कि सिटिपिटी गुम कर दी।

रामु   बोला गुरु जी  हम आप  से करबद्ध प्रार्थना हैं करते।

हम आप कि बात का अनुसरण करनें से नहीं मुकरते।।

हम आपस में  आनाकानी कर  उत्पात नहीं मचाएंगे। 

 कक्षा में हंगामा खड़ा  कर एक दूसरे पर किचड़ उछाल कर किसी को नहीं  बताएंगे न।

हम तो हैं नन्हे नन्हे बच्चे,

अपनी धुन के पक्के।

नादान उम्र के हैं कच्चे।

जुबां के है  सच्चे बच्चे।

हम हवाई किले बनातें हैं।

हम मस्ती में आपस में भिड़ जातें हैं।

आपसी  सहयोग से कहासुनी को सुलझाएंगे।

एकता में रह कर अनुशासन का पालन करना सीख जाएंगे।

आज आप हमें क्षमा दान दें कर हम पर अनुकम्पा कीजिए।

 हम पर अनुग्रहित हो कर  हमारी त्रुटियो को नजरअंदाज किजिए।

अपनें स्नेह और ममता के स्पर्श से हमारा मार्गदर्शन किजिए।।

आप तो हैं हमारे  पथप्रदर्शक और सौभाग्य दाता।

आप से विद्या ग्रहण कर जीवन सार्थक  हो हमारा।।

राजु और रामु नें झगड़ा छोड़ एक दूसरे को गले से लगाया।

झगड़ा समाप्त कर  खुशी से हाथ मिलाया।।