स्वच्छंदता से मुस्कुरानें दो। बचपन के अद्भुत क्षणों का आनन्द उठानें दो। मां मुझे खेल खेलनें जानें दो। खेल खेलनें जानें दो।। रोक टोक छोड़ छाड़ कर , सपनों के हिंडोलों में खो जानें दो। मन्द मन्द मुस्कान होंठों पर आने दो।। मुझे पर काम का बोझ मत बढ़ाओ। पढाई में अभी से मत उलझाओ।।… Continue reading स्वच्छंदता से मुस्कुरानें दो।