वन हैं धरती मां की शान(कविता)

वन है धरती मां की शान और धरती मां की जान। इस को काट कर तुम न करो धरती मां का अपमान।। वनों को बचा कर, अपने जीवन को सफल बनाओ। एक की जगह दस- दस पेड़ लगा कर अपनी डूबती नैया को पार लगाओ।। वनों की लकड़ियों से दवाईयां भी है बनती। इनमें से… Continue reading वन हैं धरती मां की शान(कविता)

आलस्य(कविता)

जीवन शैली का एक विकार है आलस्य । मनुष्य का निकटवर्ती शत्रु है आलस्य।। सुबह का अमूल्य समय जो सो कर हैं गंवाते। वह जीवन में कभी भी तरक्की की सीढी नहीं चढ़ पाते।। अपना समय निरर्थक बातों में जो हैं गंवाते। अस्त व्यस्त दिनचर्या के कारण किसी भी काम को फुर्ती के साथ नहीं… Continue reading आलस्य(कविता)

प्रातः कालीन भ्रमण(कविता)

प्रातकाल व्यायाम करने की आदत डालो। तीन चार चक्कर अपने घर की फुलवारी के लगा डालो।   प्रातः भ्रमण आलस्य को है दूर भगाता। चुस्त्ती फुर्ती और ताजगी  को है  बढाता।। शौच आदि नित्य कर्मों से निवृत होकर सैर को जाओ। अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाकर कार्य क्षमता को बढाओ।। स्वच्छ हवा में टहलनें की… Continue reading प्रातः कालीन भ्रमण(कविता)

मेरी बगिया(कविता)

मेरी बगिया में खिले नन्हे नन्हे फूल। लाल पीले नीले और न्यारे न्यारे फूल।। मन के दर्पण को लुभाते फूल। कभी अधखिले तो कभी मुरझाए फूल।। फूलों से क्यारी की शोभा लगती है प्यारी प्यारी। इसकी खुश्बू से महकती है मेरे आंगन की फूलवारी।। चम्पा चमेली गेंदा और जूही के फूल। नन्ही नन्ही बेलों में… Continue reading मेरी बगिया(कविता)

फुर्सत के क्षण (कविता)

फुर्सत के क्षणों में आ बैठ मेरे पास। अपने मन के भावों को आ बांट मेरे साथ।। कल्पना की दुनिया से बाहर आ। यथार्थ की दुनिया में अपना भाग्य आजमा।। बीता समय लौटकर नहीं आता। वर्तमान से विमुख होकर जिया नहीं जाता।। भविष्य में अच्छे कार्य करके दिखा। अपनी मंजिल खुद तलाश करके दिखा।। जीवन… Continue reading फुर्सत के क्षण (कविता)

गांव का मेला (कविता)

गांव के मेले का पर्व आया, पर्व आया। हम सब नें अपने गांव में जाकर मेला देखने का भरपूर आनंद उठाया।। इधरउधर पांडाल सजे हैं। लोग सज धज कर मेले मेंआतुर हो कर जमघट लगाएं खड़े हैं।। बच्चे सजधज कर मेला देखनें चलें हैं।  बूढ़े और युवा वर्ग सभी अपने साथियों संग मेला देखने चले… Continue reading गांव का मेला (कविता)

दहेज(कविता)

दहेज है एक घोर अभिशाप। कुरीतियों के विकसित होने से बन गया यह महापाप।। दहेज रूपी पर्दे नें समाज के मस्तक पर कलंक थोप डाला। बेटियों के जीवन को अंधकारमय बना कर, कितनी अबोध कलियों को खिलने से पहले ही रौंद डाला।। न जाने कितनी और मसली जाएंगी। इस कुरीति का शिकार हो फांसी लगा… Continue reading दहेज(कविता)

जिन्दगी

जिंदगी में तो शिकायतें सभी किया करते हैं। जिंदगी में खामियां तो सभी ढूंढा करते हैं।। जिंदगी में अपनी जगह बना कर तो देख। फिर क्या नए सिलसिले हुआ करते हैं।। जिंदगी में ना शिकायतें होंगी ना मलाल होंगे। होंगी बस खुशियां ही खुशियां चारों और तरक्की के रास्ते खुल जाएंगे।। उन खुशियों को जहां… Continue reading जिन्दगी

समय की किमत

समय की किमत को पहचानो। समय पर  ही सब काम करनें की ठानों।। समय पर जागो, समय पर खाओ समय पर पाठशाला जाओ। समय पर ही हर काम करने की प्रेरणा अपनें मन में जगाओ।। समय के महत्व को  पहचानो। समय सारणी के अनुसार काम  कर नें की योजना अपने मन में ठानों।।   जीवन… Continue reading समय की किमत

मैं और मेरी किताबें

किताबों की दुनिया निराली है दोस्तों।   इसी से महकती है जीवन की फुलवारी दोस्तों।।   मैं और मेरी किताबें हरदम साथ रहते हैं। खुशी और गम दोनों साथ सहते हैं।।   कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हौसलों को बुलंद करती है। हरदम मुझे आगे बढ़ना सिखाती है।।   मैं और मेरी किताबें हरदम… Continue reading मैं और मेरी किताबें