बहू को बेटी की नजर से देखो अरे दुनिया वालो। बहू में अपनी बेटी को तलाशों दुनिया वालों।। बेटी और बहू में फर्क मत करना। जग में अपनी जग हंसाई मत करना।। जितना प्यार अपनी बेटी को करते हो। उससे भी वही प्यार करना दोस्तों।। उसको भी वही दुलार देने की कोशिश करना । वंहीं… Continue reading बहू कविता
Category: Poems
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कृषक कविता
त्याग तपस्या और श्रम की साक्षात मूर्ति है किसान। नगरवासियों के अन्न्दाता सृष्टि पालक हैं किसान।। धूप गर्मी सर्दी वर्षा सब सहन करता रहता। भगवान विष्णु के समान जग का पालन करता रहता। घास फूस की झोंपड़ीयों में रह कर दिन रात कोल्हू के बैल की तरह पिस्ता रहता हर दम किसान। सेवा और परिश्रम… Continue reading कृषक कविता
मधुर बचपन के पल
मधुर बचपन के वे क्षण याद आते हैं। धुंधली यादों के साए नजर आते हैं ।। बचपन की अठखेलियां के वे चंचल लम्हे याद आते हैं। दोस्तों संग मस्ती के वे क्षण याद आते हैं।। कैसे भुलें कैसे भुलें मां पापा का प्यार। नाना नानी का लाड दुलार।। मधुर बचपन के वे स्मृति चिन्ह मानस… Continue reading मधुर बचपन के पल
छुक छुक छुक करती आई रेल
छुक छुक छुक करती आई रेल। धूम धूम धूम करती आई रेल।। छक छक छुक छुक करती आई रेल। खाती कोयला बिजली और तेल।। छक छक छूक छूक करती आई रेल। भूक भूक भक भक करती आई रेल।। यात्रियों को गंतव्य स्थान पर पहुंचाती है। हर जगह अपना करिश्मा दिखाती है। पटरी पर चल कर… Continue reading छुक छुक छुक करती आई रेल
सच्ची राह कविता
वृद्धों का ना तुम करो अपमान। भविष्य की संचित निधि समझकर सदा करो उनका सम्मान।। इन कीमती निधि को यूं ना तुम ठूकराना। अपने संस्कारों से तुम यूं ना पीछे हट जाना।। उनके साथ रह कर ही आती है घर में खुशहाली। हीरे मोती से बढ कर है घर में उनकी शोभा निराली।। अपने मां… Continue reading सच्ची राह कविता
मां की सीख
मां बेटे से बोली। तेरे संग है बच्चों की टोली।। तुम हरदम उपद्रव क्यों मचाते हो? अपनी चीजें हर जगह क्यों फैलाते हो।। रिंकू बोला मैं तो हूं आपका राज दुलारा। आपका सदा ही रहूंगा आंख का तारा।। मां बोली तू अगर मगर क्यों करता है? मुझे परेशान कर अपना राग अलापता है।। चुन्नू बोला… Continue reading मां की सीख
बेटियां
बेटियों से संसार में बहार होती है। बेटियां तो जहां की दिलदार होती हैं।। बेटियों से ही घर की शोभा महकती है। बेटियां तो रुतबा शोहरत और तख्तो-ताज की हकदार होती है।। बचपन में मां-बाप की दहलीज पर पली। युवा होने तक उन से महकी जीवन की हरकली।। बेटियां तो खुशी का एक लम्हा होती… Continue reading बेटियां
खुशी से झुमें गाएं
खुशी से झुमें गाएं आओ एक ऐसा घर बनाएं। जहां हमेशा खुशी से झूमे गाएं। जहां खुशियां ही खुशियां हो। अपनों के चेहरे पर कभी ना सिसकियां हो।। बच्चे कभी ना करें आपस में लड़ाई। मिल बांट कर खाने की रौनक उनके चेहरों पर हमेंशा दे दिखाई।। घर के वातावरण में ना कड़वाहट हो। हर… Continue reading खुशी से झुमें गाएं
नये युग का आह्वान करें हम
नए युग का आह्वान कर कदम से कदम मिला कर चलें हम। जन मानस में परिवर्तन कर उनकी खोई खुशियां लौटा सके हम।। ईश्वर की इच्छा में अपनी इच्छा मिला कर चले हम। नव युग के अनुरुप अपने को अनुकूल बना लें हम।। आंधी तुफानों से टकरानें की अपेक्षा समय रहते अपने को झुका लें… Continue reading नये युग का आह्वान करें हम
नशा नाश का दूजा नाम
नशा नाश का दूजा नाम। घर की बर्बादी है इसका काम।। नशे से अपनें बच्चों को बचाना। तुम उन्हें प्यार से समझा कर होश में लाना।। उसकी जग में तो होगी ही जग हंसाई। अपनी रही सही इज्जत भी समझो तुम ने गंवाई।। नशे की आदत से बचो दुनिया वालों। अभी भी वक्त है संभल… Continue reading नशा नाश का दूजा नाम