जतिन के दादाजी बूढ़े हो चले थे। वह सोचनें लगे मैं इतना खुश नसीब हूं कि मैंने अपने जीवन के 90 वर्ष में प्रवेश कर लिया है। मेरी सभी इच्छाएं भगवान ने पूरी कर दी हैं। हर साल में अपने परिवार वालों को बहुत सारे उपहार देता हूं आज भी अपना जन्मदिन मना कर सारे… Continue reading दादा जी का रहस्यमयी तोहफा
Category: Stories
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आस्था previous post 21 november
एक बनिया था। वह बहुत ही कंजूस था। एक छोटे से कस्बे में रहता था। उसका काम था रुपयों को इकट्ठा कर के संजो कर रखना। हरदम इसी ताक में रहता था कि मैं जितना भी कमाऊं वह सब का सब मेरी तिजोरी में भरा रहे एक भी रुपया इधर उधर न हो। वह… Continue reading आस्था previous post 21 november
घमन्डी का सिर नीचा
किसी गांव में एक पंडित रहता था। . वह सभी को कहता था कि मैं दान करता हूं। दान करने के कारण ही तो मेरे घर में सब कुछ है। पंडित बड़ा अभिमानी था। वह किसी की बात नहीं मानता था। उसका कहना था जो मेरा कहा नहीं मानेंगा उसको वह कड़ा सबक सिखाये बिना… Continue reading घमन्डी का सिर नीचा
बेजुबान
पर्यटन स्थलों के लिए शिमला की वादियों में घूमने आए दिन बहुत लोग पहाड़ों की ठंडी ठंडी वादियों का लुत्फ उठाने सैंकड़ों की संख्या में शिमला घूमने आते हैं। शिमला की प्राकृतिक छटा का अनुपम सौंदर्य उन्हें शिमला की वादियों का आन्नद लेने के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है। हर पर्यटक का मन करता… Continue reading बेजुबान
सिसकती आहें
26/11/2018 (नई कहानी) पारो के परिवार में उसकी दो बेटियां थी। शैलजा और शीतल। पारो बहुत ही कम पढ़ी लिखी थी। उसके मां-बाप ने उसे आगे शिक्षा नहीं दिलाई थी। वह पढ़ना तो चाहती थी मगर उसके मां-बाप ने उसकी एक नहीं सुनी। वह अपने ससुराल शादी करके आ गई। ससुराल में आकर इतना व्यस्त… Continue reading सिसकती आहें
सुख और दुःख की अनुभूति
पल्लवी के परिवार में उसका बेटा रामू। रामू को आवाज लगाई बेटा यहां आना। वह चिल्लाकर बोला मां क्या है? खेलने भी नहीं देती हो। नन्हा सा रामू वह अपनी मम्मी को इतना तंग करता था। लॉड प्यार ने उसे इतना बिगाड़ दिया था जब वह खाने को देती वह कहता नहीं मुझे चिप्स खाने… Continue reading सुख और दुःख की अनुभूति
सिफारिश
विभु के पापा ने वैभव को आवाज दी बेटा यहां आओ वह बोला आप क्या कहना चाहते हैं!? उसके पापा एक जाने माने राजनीतिक नेता थे। वह हर बार चुनाव में खड़े होते थे। आज भी जनता ने उन्हें वोट देकर जीता दिया था। वह अपने गांव वाले लोगों और जो लोग उनके पास अपनी… Continue reading सिफारिश
आस्था
एक बनिया था। वह बहुत ही कंजूस था। एक छोटे से कस्बे में रहता था। उसका काम था रुपयों को इकट्ठा कर के संजो कर रखना। हरदम इसी ताक में रहता था कि मैं जितना भी कमाऊं वह सब का सब मेरी तिजोरी में भरा रहे एक भी रुपया इधर उधर न हो। वह इसी… Continue reading आस्था
स्कूल बस्ते का बोझ
रामू जैसे ही स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था और मन में सोच रहा था आज वह देरी से स्कूल पहुंचा तो स्कूल में उसकी पिटाई होगी। उसे स्कूल की प्रार्थना सभा में अलग से डैक्स पर खड़ा कर दिया जाएगा और सारा दिन तपती दोपहरी में एक-दो घंटे खड़ा रखा जाएगा। जल्दी से… Continue reading स्कूल बस्ते का बोझ
बालदिवस(कविता)
सूर्य से तेजवान चेहरे वाले। चंद्रमा की तरह शीतलता देने वाले।। गुलाब से सुसज्जित कोट वाले। रोबीले चेहरे और गुणों वाले।। देश के युवाओं की आन थे नेहरू। युगो युगो की शान थे नेहरू।। नन्हे-मुन्ने बच्चों की शान थे नेहरू। बच्चों के प्यारे चाचा कहलाने वाले, एक आकर्षक व्यक्तित्व की पहचान थे नेहरू।। भारत… Continue reading बालदिवस(कविता)