बेजुबान

पर्यटन स्थलों के लिए शिमला की वादियों में घूमने आए दिन बहुत लोग पहाड़ों की ठंडी ठंडी वादियों का लुत्फ उठाने सैंकड़ों की संख्या में शिमला घूमने आते हैं। शिमला की प्राकृतिक छटा का अनुपम सौंदर्य  उन्हें शिमला की वादियों का आन्नद लेने के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है। हर पर्यटक का मन करता है कि इस बार शिमला की वादियों में घूमा जाए ऐसे ही एक दंपति अपने बेटे और बेटी के साथ घूमने शिमला आए थे। वहां पर पहुंचते  ही उन्होंने एक होटल बुक करवाया।

कुली को सामान पकड़ा कर कहा हमें होटल ले चलो। वह औरत बहुत मस्ती में झूमते जा रही थी। उसके पास ही एक बन्दरों का झून्ड  उन्हें  घूरे जा रहा था। वे परिवार के लोग चिप्स खा रहे थे। खा कर उन्होंने वह चिप्स का पैकेट नीचे फेंक दिया और लड़के ने भी केले का छिलका नीचे गिरा दिया। यह कार्यवाही करते देख बंदरों का झुंड एक दूसरे से कहने लगा आए दिन शिमला में लोग सैकड़ों लोग घूमने आते  हैं। हमारे शहर को गंदा कर चले जाते हैं। ऐसे तो पर्यावरण स्वच्छता का अभियान जोरों पर है यह लोग दूसरे शहर में आकर भूल जाते हैं कि इस शहर को भी साफ रखना है। भाई, इन्हीं लोगों पर यह नियम लागू नहीं होते। हमारे हिमाचल प्रदेश से भी लाखों लोग घूमने दूसरे सभी स्थानों में जाते हैं वह भी ऐसा ही करते हैं।  कूड़ा- कचरा कूडेदान में नहीं डालते। साफ सड़क में डाल देते हैं। कल ही की बात है कि एक आदमी ने केले का छिलका फेंका। सामने से  एक बच्चा आ रहा था। उसका पांव उस केले के छिलके पर पड़ा वह दूर नाली में जा गिरा। उसे गंभीर चोट आई। उस बच्चे को जल्दी से अस्पताल पहुंचाया गया। इन लोगों को सबक सिखाना ही पड़ेगा। एक बंदर सीधे नीचे उतरकर आया और उस परिवार से चिप्स का पैकेट लेकर छूमंतर हो गया। उसकी देखा देखी में बाहर से आए हुए लोगों पर भी बन्दरों नें धावा देना शुरू कर दिया। बंदरों का मुखिया बोला हम हर किसी से सामान नहीं खींचा करेंगे जो हमारी नगरी को नुकसान पहुंचाएगा उसे ही कड़ा सबक सिखाएंगे।

हम तो उन लोगों में यूं ही बदनाम हो गए। हर रोज हमारी शिकायतें पत्र पत्रिका में  छपती रहती हैं। हम क्या करें? हमें पता है हम तो किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते लोग लाठी लेकर बिना वजह  ही हमें मारनें दौड़ते हैं। एक दिन उस तेजी  बंदर ने एक मोटी सी औरत से उसका  पर्स छीन लिया। उसमें उस औरत के जेवरात और उसकी जरूरी कागजात थे। क्या करें, जब उसने भी खा पीकर अपना लिफाफा कूड़ा दान के बजाय सड़क पर गिरा दिया तो हमसे यह सहन नहीं हुआ। थोड़ी देर पहले ही वहां सफाई कर्मचारी झाड़ू लगाकर गए थे। उस औरत को सबक सिखाना तो जरूरी था। जिसके भाग्य में सामान लिखा हो उसी को ही वह मिलता है। सामने से एक गरीब औरत जा रही थी। वह पर्स उसकी झोली में जा गिरा। उस औरत का बेटा अस्पताल में था। वह औरत पर्स देखकर हैरान रह गई। उस रुपए का क्या करूं? उसने जल्दी से जाकर पुलिस इंस्पेक्टर को पुलिस थानें जा कर   वह पर्स थमाया वह जल्दबाजी में  अपनी  झोली वहीं पर भूल गई।

हम बंदरों का झुंड यह देखने के लिए कई वह पुलिस स्पेक्टर इन रुपयों का क्या करता है? चुपचाप छुप कर देखने लगे। पुलिस इंस्पेक्टर ईमानदार था। उसने जिस औरत का वह पर्स था उसे लौटा दिया। पुलिस स्पेक्टर ने कहा कि यह पर्स एक गरीब  औरत दे कर गई है। उस बेचारी बूढ़ी औरत की झोली यही पड़ी है। मैंनें आपका पता देख कर और फोन नम्बर की सहायता से आप को पर्स लौटानें का निर्णय किया। जल्दी में वह अपनी झोली यही भूल गई। जिस औरत का वह सामान था वह एक पत्रकार थी। सबसे पहले उस पत्र कार नें पुलिस इन्सपैक्टर का धन्यवाद किया। उसे खुशी हुई कि हमारे देश में अभी भी ईमानदार लोग जिंदा है।  सारी खोलीयों में जाकर पता किया कि यह झोला किसका है तब कहीं जाकर एक  खोली के पास एक फटे पुराने वस्त्र पहने एक लड़का निकला। वह बोला यह झोली तो मेरी मां की है। इसमें हमारा खाना है हमें खाना दे दो। हमें भूख लगी है। हमने कुछ भी नहीं खाया है। मां अस्पताल में भाई को देखने चले गई। मेरा भाई बीमार है। वह किसी का पर्स लौटाने गई है।

उस पत्रकार औरत का दिल पसीज गया। उस औरत का लोंगों से पूछते पूछते और बच्चे द्वारा पता करके वह  उस अस्पताल में गई जहां पर कि उसका गरीब औरत का बेटा बिमार  था। गरीब औरत  पंक्ति में लगकर अपने बेटे को अपनी छाती से  लगाए  अंदर ले जाने का प्रयत्न कर रही थी। लोग एक दूसरे को धक्का दे रहे थे। वह सोच रही थी कब जैसे मेरे बेटे की बारी आए और जल्दी से अंदर अपने बेटे को दिखा सके।  उसने देखा  कि उसकी बारी ही नहीं आ रही है तो वह जल्दी से  एक ब्लड बैंक में घुस गई। वहां पर एक  आदमी अपने बच्चे को बचाने के लिए खून मांग रहा था।  वह जल्दी से उस आदमी को पकड़ कर बोली आप मेरा खून ले लीजिए जल्दी से मेरे बेटे को  बचाना है। मैं आपको खून देने के लिए तैयार हूं। जल्दी से उस पत्रकार ने उसे वहां से खींच कर कहा तुममेरे पास आओ। तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। तुमने मेरा पर्स लौटा कर अपनी ईमानदारी का सबूत दे दिया है।  वास्तव में तुम ही सच्ची नेकी का का जीता जागता उदाहरण हो।

मैं तुम्हारे बेटे के इलाज के लिए तुम्हें रुपए दूंगी। उसने जल्दी से बड़े डॉक्टर को फोन कर के कहा जल्दी से एक बच्चे की जान बचाना बहुत ही जरूरी है। वहां पर सैकड़ों लोग लाइन में खड़े हुए थे। उस  पत्र कारऔरत की एक मिनट में ही बारी आ गई।  बंदरों का झुंड उस औरत को दुआ दे रहा था जिसने उस गरीब औरत के बेटे  की  जान बचाई।

बंदरों का नेता बोला अगर सभी लोग ऐसा समझ ले तो  हर एक सुखी हो सकता है।  हर एक इंसान हमें समझता है कि हम उनका माल लेकर भाग जाएंगे। हम बोल नहीं सकते मगर हमें सब   समझ में आता है।।

आजकल रास्ते में हर  आनें जाने वाले कुत्तों को  लोग मारते फिरते हैं। हम बिना वजह किसी पर भी हमला नहीं करते। यह लोग हमें जब मारनें दौड़ते हैं तभी हम उन पर आक्रमण करते हैं तभी हम उनका माल लेकर गायब हो जाते हैं। जब कोई इंसान बिना वजह से किसी को मारता है तब हम उसको सजा देते हैं ताकि उसे ऐसा महसूस हो सके कि  बिना वजह किसी पर चोट नहीं करनी  चाहिए।  मनुष्य हर दिन  पका हुआ खाना बासी समझ कर अपने घरों में यूं ही कूड़े करकट में डाल देते हैं अगर किसी बेजुबान जानवर को खिला दे तो इसमें बुराई क्या है?अमीर लोगों के घरों में ना जाने फ्रिज में  दस दिन तक खाना पड़ा रहता है। मगर उन को देने के लिए कुछ नहीं होता सिवाय प्रताड़ना के। इंसान भी अगर अपने कर्तव्य को समझ  जाए तो हमें तो समझाने की नौबत ही नहीं आएगी। सबसे पहले इंसानों को समझने की देरी है अगर वे अपनी आंखों पर काला चश्मा लेकर घूमेंगे तो  हमें भी  उन्हें वैसा ही सबक  समझाना पड़ेगा। वे भुगतते आ रहे हैं और आगे भी भुगतेंगें।

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