बदला

एक किसान था उसकी पत्नी और एक बेटा था। वह अपनी पत्नी और बच्चे को हमेशा खुश रखता था। वह दिन रात खेत में मेहनत करके कमा कर लाता था। उससे उसकी आजीविका चल रही थी खेत में खुदाई कर रहा था तो उसने देखा खुदाई करते करते एक सांप उस की चपेट में आ गया था सांप तो मर गया था सांप का छोटा सा बच्चा था ।

सांपिन वहां नहीं थी ।वह सोचने लगा अगर वह सांपिन जिंदा होगी तो वह जरुर हमसे बदला लेगी ।चाहे बदला ले या कुछ भी हो मैं इस बच्चे को घर ले जाऊंगा आज से यह मेरा बेटा होगा ।मेरा एक बेटा है आज से मेरे दो बेटे होंगे ।उसने सांप के बच्चे को टोकरी में डाला और अपने घर ले आया ।सांपिन ने उस किसान को देख लिया था ।सांपिन जैसे ही अपने बिल में आई उसका सांप मरा पड़ा था। रो-रो कर उसने अपना बुरा हाल कर दिया था। उसको मालूम हो गया था कि किसान ने उसके पति को मार दिया था मेरा बच्चा भी शायद उसने मार दिया होगा ।उसने अपने पति को वचन दिया कि मैं इसको मार कर ही दम लूंगी,तब मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगी मैं कसम खाकर कहती हूं कि आज मैं भी इस के घर के एक-एक सदस्यों को मार कर ही दम लूंगी ।किसान हर रोज खेत में काम करने हल जोतने जाता था ।उसकी कुदाली में खून लगा था । सांपिनको पता लग गया था कि ये काम किसान का ही है। उसने ही मेरे पति की जान ली है ।वह किसान के पीछे पीछे उसके घर तक आ गई ।किसान तो घर के अंदर चला गया था था वह घर के बाहर ही इंतजार करने लगी कब यह घर का द्वार खोले या खिड़की खोले जिससे वह अन्दर घुस सके। किसान को जैसे ही बाहर जाते देखा कि किसान की पत्नी ने खिड़की खोल दी।खिड़की के एक कोने से सांपिन आ गई और बिस्तर के एक कोने में छिप गई ।वहां पर किसान का बेटा एक चटाई पर खेल रहा था। चटाई पर सभी ने उसे खेलते देख लिया था।सांपिन ने किसान के बेटे को डस लिया खिड़की के बाहर जब सांपिन जा रही थी तो किसान ने देख लिया था। वह अंदर से आ कर दौड़ता दौड़ता चिल्लाया चीकू चीकू चीकू ।किसान की पत्नी ने भी सांपिन को बाहर निकलते देखा ।किसान को आभास हो गया था कि सांपिन अपना बदला लेने आई है उसने हमारे बच्चे को शायद डस लिया होगा। अंदर जाकर किसान की पत्नी और किसान ने देखा कि उसके बेटे को सांपिन ने डस लिया था वह जोर जोर से चिल्लाने लगी बचाओ- बचाओ वह दोनों उसे अस्पताल तो ले जाना चाहते थे मगर उनके गांव में कोई भी अस्पताल नजदीक नहीं था ।उसके पास इतने अधिक रुपए नहीं थे जिसे वह अपने बच्चे को बचा पाते। उनके बेटे के मुंह से झाग निकल रहा था ।वह मर चुका था। दोनों ने अपने बेटे को दाह संस्कार कर दिया । वह दोनों गुमसुम रहने लगेथे।

किसान बोला अब यह सांप का बेटा ही हमारा बेटा है ।हम उस सांप के बेटे को ही अपना बेटा समझ कर पाल लेंगे ।हम दिन-रात उसकी देखभाल करेंगे जैसे अपने बेटे की करते थे। मुझे लगता है कि सांपिन को उसके बेटे को मारकर कुछ राहत मिली थी । वह किसान को मारने आई ।वह खिड़की के सहारे अंदर छिप कर घूम रही थी। वहां का दृश्य देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वहां पर किसान और उसकी पत्नी सांप को दूध पिला रही थी। उसे देख कर रो पड़ी। यह दृश्य देखकर वह हैरान हो गई मैंने तो उसके घर के चिराग को मार दिया। किसान ने भी तो बिना सोचे समझे उसके पति को मार दिया था। उसे क्या पता था उसका बच्चा जीवित है ?वह उसे अपने बच्चे जैसा ही प्यार दे रही थी। उसकी आंखों से आंसू छलक गए। अगर उसने अपने बच्चे को इस तरह देखा होता तो उस दिन मैं उनके बच्चे को नहीं मारती इन्होंने भी तो अपने बच्चे को खोया है मैंने अपना बदला इसके बच्चे को मार कर ले लिया है ।मैं देखना चाहती हूं कि यह सच में ही वे उसे अपना बेटा मानते हैं या नहीं ।जब सांपिन ने देखा कि किसान और उसकी पत्नी सांप को हर रोज दूध पिलाते थे सांपिन ने कहा अगर मैंने अपने सांप को सच्चे दिल से प्यार किया है तो इन किसान और उसकी पत्नी को कहीं से भी एक बच्चा दे ।

मैंने हमेशा अपने पति के अतिरिक्त किसी सांप की और देखा भी नहीं ।मैंने भी इनके बच्चे को भी अनजाने में मार दिया। वह मंदिर में चक्कर काट रही थी किसान और उसकी पत्नी ने देखा उन का दरवाजा किसी ने खटखटाया? किसान की पत्नी ने किसान को कहा हमारे घर का दरवाजा कोई खटखटा रहा है। किसान ने दरवाजा खोल दिया उसके सामने एक सेठ और सेठानी खड़े थे। उनकी गोद में एक बच्चा था ।उसके हाथ में अटैची थी ।सेठानी ने किसान के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा कृपया हमारे बच्चे को बचा लो ।इस को सांपिन ने काट लिया है ।हमारे पीछे गुंडे पड़े है ।अभी भी हमसे हमारा बच्चा छीनने आ रहे हैं । तुम अगर हमारे बच्चे को बचा लोगे तो भगवान तुम्हारा भला करेगा! वह बच्चे को छोड़कर वहां से चले गए ।किसान ने बच्चे को पकड़ लिया था और दरवाजा बंद कर दिया था ।किसान रो रहा था आज फिर इस बच्चे को सांप ने काट लिया ।हे भगवान !इस बच्चे को बचा लो मैं इस बच्चे को अस्पताल ले जाता हूं तो यह रास्ते में ही यह दम तोड़ देगा ।अगर उन गुंडों ने इस बच्चे को देख लिया तो वे इस बच्चे को भी पकड़ लेंगे ।मैं इस बच्चे के गले से सोने का लॉकेट निकाल लेता हूं। वे लौकट छिननेके लिए इस बच्चे को पकड़ रहे होंगे ।किसान ने उसका लौकट अपने कमीज में छुपा लिया। किसान की पत्नी अपने पति किसान की तरफ देखकर बोली चलो इस को बचाते हैं । सापिन खिड़की से सब कुछ देख रही थी ।उसने अपनी मणि नीचे गिरा दी थी ।किसान ने देखा मणि उसके सामने पड़ी थी ।वह चौका उसने चुपचाप मणि को उस बच्चे के काटे हुए स्थान पर लगा दिया। उस मणि ने सारा जहर चूस लिया था वह बच्चा बच गया था दोनों ने उसे हल्दी वाला दूध पीने को दिया। वह दोनों बच्चे को जिन्दा पाकर खुश थे ।थोड़ी देर के लिए सोचनेे लगे कि हमारा बेटा वापिस आ गया है । यह तो उस सेठ -सेठानी का बेटा है ।चलो इस बच्चे की जान तो हमने बचा ली है ।कुछ दिनों तक तो सांपिन उनके घर नहीं आई। उसे मालूम हो गया था कि इन दोनों को बच्चा मिल गया है ।

बच्चा चाहे किसी का भी हो ।सेठ -सेठानी को उन गुंडों ने मार दिया था ।किसान जब खेत में जा रहा था उसे चौराहे पर सेठ और सेठानी मरे हुए मिले। पुलिस छानबीन कर रही थी किसान और उसकी पत्नी ने उस बच्चे से पूछा बेटा तुम्हारा नाम क्या है?वह बोला चीकू ।किसान और उसकी पत्नी की आंखों में आंसू छलक आए। वह बोले आज हमारा चीकू वापिस आ गया है । वह चीकू को अपना बेटा मानने लग गए थे ।सांपिन बीच-बीच में अपने बच्चे को देखने आती थी ।एक दिन सांपिन के मन में आ गया कि कहीं वह किसान और उसकी पत्नी उस बच्चे को पाकर मेरे बच्चे के साथ अन्याय तो नहीं कर रहे हैं। वह मेरे बच्चे को भी प्यार करते हैं या नहीं मुझे इनकी परीक्षा लेनी होगी। सांपिन ने एक सपेरे का रूप धर लिया। वह महात्मा बनकर वहां पर पहुंच गए। किसान से बोले यहां पर कौन-कौन रहता है ?किसान बोला मेरे दो बेटे हैं । चीकू और मीकू। संपेरा बोला तुम्हारा एक ही बेटा इधर दिख रहा है ,दूसरा बेटा कहां है मुझे यहां पर शराब की गंध आ रही है। तुम्हारे घर में सांप है क्या ?वह बोला तुम्हें कैसे पता चला ?वह सांप नहीं है वह हमारा बेटा है ।इसका नाम मिक्कू है।वह बोला इस सांप को मुझे दे दो। वह बोला इसको मैं किसी भी कीमत पर नहीं दे सकता। मुझसे बड़ा भारी अपराध हो गया था ।मैंने इसके पिता को अनजाने में मार दिया। मैंने उस दिन कसम खाई थी कि चाहे मेरी जान भी चली जाए मैं उसे किसी को भी नहीं दूंगा ।संपेरा बोला चलो ,अच्छा कोई बात नही तुमं इस बच्चे को मुझे दे दो ।वह बोला मैं इसे नहीं दूंगा मेरे दो बच्चे हैं ।वह दोनों मेरी जान है ।तुम मुझे मार दो ।मेरी पत्नी को मत मानना क्योंकि मेरी पत्नी ने इन दोनों को पालना है ।कृपया मेरी पत्नी को मत मारना। संपेरा बोला बातें मत बनाओ। अच्छा अगर तुम यह यह बच्चा नहीं देना चाहते तो यह मणि मुझे दे दो। किसान बोला ठीक है मेरे दोनों बच्चों को छोड़ दो। इस मणि को ले जाओ हमें इस मणि से कुछ नहीं लेना। संपेरे ने मणि उठा ली थी। सपेरा मणि को ले करअचानक बाहर निकल गया । सांपिन का रूप धर कर खिड़की के झरोखों से देखा दोनों पति पत्नी ने मेरे बच्चों को अपने बच्चे जैसा प्यार दिया है ।वह दोनों सच्चे हैं ।मेरा बदला अब पूरा हुआ ।बाहर निकलकर वह सांप के बिल में पहुंच गई ।जहां पर सांप मरा पड़ा था। सांपिन वंही पर पंहुच गई जंहा उसके साथी ने अपनी जान दे दी थी।वह मर कर अपने सांप के पास पहुंच गई थी ।उसने किसान और उसकी पत्नी को छोड़ दिया था ।जब किसान बाहर आया तो उसके घर के बाहर सांपिन मरी पड़ी थी ।मणि वही पर पड़ी थी। किसान रो रहा था किसान को सारा माजरा समझ आ चुका था। वह अपने बेटे को देखने आई थी।शायद संपेरे के के वेश मे किसान ने उसे जला दिया था। आज किसान खुश था ।आज उसके दिमाग से सारा बोझ हट चुका था।

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होनहार टफी

रामप्रकाश एक छोटे से कस्बे में रहने के लिए आए थे क्योंकि दिन पहले ही उनका तबादला सोनपुर के एक छोटे से कस्बे में हुआ था । वहां पर एक घर किराए पर लिया हुआ था। उस घर में वह अपनी पत्नी के साथ रहते थे अभी उनकी शादी को दो-तीन महीने ही हुए थे जिनसे उन्होंने घर किराए पर लिया था उनकी छोटी सी बेटी भानुू हर रोज उनके घर कहानी सुनने के लिए आती थी और अपने दोस्तों को भी इकट्ठा करके ले आती थी। हर रोज कार्यालय से आने पर हर शाम को बच्चों के साथ घर में बैठकर उनके साथ खेलते थे।उन बच्चों के साथ खुद भी बच्चा बन जाते थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे । वह और भी खुश रहने लगे थे क्योंकि उनकी पत्नी भी आप मां बनने वाली थी। वह जल्दी जल्दी काम पूरा करते और अपनी पत्नी के साथ उसका घर के काम में हाथ बंटाते भानू भीे प्यार प्यार में कहती किी अंकल आपके घर में मुन्ना आएगा या मुन्नी ।वह उसे प्यार से कहते मुन्ना हो या मुन्नी वह उसे प्यार से रखेंगे। एक दिन उनकी पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई ।डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को बचाना बहुत कठिन है देखिए क्या होता ह?अंदर से डॉक्टर ने आकर निराश होकर कहा तुम्हारी पत्नी को मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था ।हम आपकी पत्नी को भी नहीं बचा सके ।यह सुनकर रामप्रकाश की आंखों के आगे अंधेरा छा गया ।वह बिल्कुल चुपचाप अपनी पत्नी की मुर्दा लाश को देखकर बिलख बिलख कर रोने लगे रोने से क्या होता है?रोने से तो उसकी पत्नी वापस आने वाली नहींउनके दोस्तों ने उस को सांत्वना दी

वह अब बहुत उदास रहने लग गएथे। उनके दोस्तों ने उसे समझाया कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ।तुम दूसरी शादी कर लो उन्होंने कसम खाई थी वह अब कभी शादी नहीं करेंगे ।वह अपनी पत्नी की यादों के सहारे अपना सारा जीवन व्यतीत कर देंगे ।इस तरह बहुत दिन व्यतीत हो गए ।एक दिन जब वह ऑफिस से वापस घर को आ रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक कुत्तिया ट्रक की चपेट में आने से मर चुकी थी। उसके पास ही उसका छोटा सा दो महीने का बच्चा जोर जोर से अपनी मां से लिपट लिपट कर रो रहा था ।यह दृश्य उन से देखा नहीं गया उन्होंने उस कुत्तिया को हिलाकर देखना चाहा कि शायद वह जिंदा हो परंतु वह निष्प्राण थी। उसके प्राण ही बचे थे यह दृश्य देखकर रामप्रकाश से रहा नहीं गया। उसी वक्त उन्होंने उस कुत्तिया के छोटे से बच्चे को अपने रुमाल में छुपा कर उसे अपने घर ले आए उसको अपने बच्चे के समान प्यार करने लगे ।उसे हर रोज खिलाना नहलाना व सैर करवाना जब वह बच्चा बीमार होता तो उसकी ऐसे ही देखभाल करते जैसे सब अपने बच्चे की परवरिश करते हैं। धीरे-धीरे वह बच्चा भी बड़ा हो गया ।वह उसे टफी कहकर पुकारने लगे ।जब भानु और उसके दोस्त खेलने आते तो उनके साथ खेलते हुए कहता कि टफी मेरा बेटा है ।इस तरह टफी बहुत बड़ा हो गया। रामप्रकाश भी उसके काम में मदद करने लगा जैसे अखबार लाना ,दूध लाना, छोटे छोटे काम करना। एक दिन रामप्रकाश अपने दोस्त की शादी में जाने के लिए बैंक से रुपए निकाल के लिये गये । उन्होंने ₹25000 बैंक से निकाले।शाम का समय हो चुका था उनको बैंक से रुपए निकालते वक्त कुछ बदमाशों ने देख लिया ।उन्होंने राम प्रकाश जी को कहा बाबू साहब हम तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देते हैं। हमं उसी रास्ते से जा रहे हैं ।रात के समय तुम पैदल कहां जाओगे ?रामप्रकाश को जरा भी ख्याल नहीं आया कि वे उसके रुपए भी छीन सकते हैं ।आप अपने घर पर फोन कीजिए । वह जल्दी से उनके ट्रक में बैठ गया गुंडों ने उसे कुछ सुंघाकर बेहोश कर दिया और मार मार कर झाड़ियों में फेंक दिया और अपने आप ट्रक भगा कर चले गए ।जब काफी रात होने तक रामप्रकाश घर नहीं लौटे तो उनके दोस्त को चिंता होने लगी कि आज उनके मालिक घर नहीं आए हैं ।वह चिंता के मारे इधर उधर भागने लगा उन्होंने टफी को प्यार से खाने के लिए दिया परंतु उसने खाना तो क्या ने पानी की एक बूंद तक भी नहीं पी ।घर के बाहर सीधा जा कर अपने मालिक का इंतजार करने लगा ।जब आधी रात हो जाने पर भी उसका मालिक घर नहीं आया तो तभी सबसे पहले रामप्रकाश के दोस्त के घर गया। जहां रामप्रकाश हमेशा जाता था परंतु वहां पर जाने पर उसे निराशा हाथ लगी । वह अब दौड़ने लगा ,दौड़ते-दौड़ते वह उस बैंक के पास पहुंच गया जहां पर उसका मालिक रुपया निकालने गया था। वह सुंघते सुंघतेे उस स्थान तक पहुंच गया जहां उसका मालिक झाड़ियों में मौत की सांसे ले रहा था। उसके मालिक के अभी प्राण शेष थे । वहां पहुंचकर टफी जोर जोर से भौंकने लगा ।उसकी भौंकने की आवाज सुनकर रामप्रकाश के मुख से निकला हाय। यह कहकर वह बेहोश हो गया। टफी दौड़ता हुआ रामप्रकाश के दोस्त के घर गया और उसकी कमीज खींचकर उनको उस जगह पर ले गया जहां उनका मालिक झाड़ियों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था। रामप्रका के दोस्त को समझते देर नहीं लगी कि उसका दोस्त टफी उससे कुछ कहना चाहता है ।वह टफी को कार में बिठाकर ले गए। जहां टफी ले जाना चाहता था। उन्होंने झाड़ियों से अपने दोस्त को बाहर निकाला और अस्पताल लेकर गए और उसकी जान बच गई। टफी ने अपने मालिक की जान बचाकर अपने पुत्र होने का एहसास दिला दिया था। रामप्रकाश के दोस्त को घसीटता हुआ वहां पर ले गया जहां पर वह ट्रक खड़ा था। जल्दी में उस गुंडे की छड़ी उसमें ही गिर गई थी। उसके पास पहुंचकर बार बार घड़ी को सुंघनेे लगा। रामप्रताप ने उस घड़ी को उठा लिया पुलिस वालों ने ट्रक के मालिक को ढूंढ निकाला। मालिक ने बताया कि तीन व्यापारियों ने उनसे यह ट्रक किराए पर लिया था ।वह व्यापारी कल यहां रुपए लेने आएंगे। इस तरह इन तीनों चोरों को टफी

ने पकड़ा दिया और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। उसने अपने मालिक के रुपए चोरों से बरामद कर लिए । उसने अपने पुत्र बनने के दायित्व कोे बखूबी निभा कर अपना कर्तव्य निभा दिया था।

चालाक सलाहकार

पुरानी समय की बात है किसी नगर में एक राजा रहता था।।वह राजा अपनी प्रजा को खुश देखकर बहुत खुश होता था ।उसके राज्य में सभी लोग सुखी थे उस ने अपने पास एक सलाहकार नियुक्त किया था। वह राजा को अच्छी सलाह दिया करता था । वह एक अच्छा सलाहकार नंही था।वहबिना सोचे समझे सब को सलाह दिया करता था। राजा उसे अच्छी सलाह देने के लिए कभी धन दौलत कभी रुपए ईनाम स्वरुप दे दिया करता था। वह सलाहकार रुपया पाकर बहुत खुश था ।राजा ने उसे अपने महल में पहरेदार नियुक्त कर दिया था। , वह राजा के घर पर ही रहने लग गया था एक दिन सलाहकार ने अपने मन में मन में सोचा कि मैं बिना सोचे समझे राजा को सलाह देता हूं । मेरी सलाह अगर किसी दिन झूठी साबित हो गई तो राजा उसे छोड़ेगा नहीं ,उसे दंड अवश्य देगा ।वह दंड

से बहुत घबराता था ।राजा जिस भी किसी व्यक्ति को दंड देता था वह उसे कोडे़ लगवाता था ।,।सलाहकार ने सोचा की मैं राजा से एक वचन पहले ही ले लेता हूं उसने एक दिन राजा से कहा कि राजा जी आप तो मुझे अच्छी-अच्छी सलाह लेते हो परंतु आज एक बात आपको मेरी भी माननी होगी ।. राजा ने कहा ने क्या ,मांग के तो देखो? मैं तुम्हे अवश्य दूंगा ।मैं तुझसे वादा करता हूं मैं एक राजा हूं राजा जो भी किसी को वचन देता है वह उसे अवश्य पूरी करता है ।सलाहकार ने राजा से कहा कि अभी नहीं समय आने पर मांगूंगा ।राजा ने कहा तुम्हारी इच्छा मैं अवश्य पूरी करुंगा ।इस बात को बहुत ही महीने गुजर गए ।एक दिन राजा अपने परिवार के साथ घोड़े पर जंगल में गया हुआ था उसने रास्ते में देखा एक बुढ़िया रास्ते में जोर जोर से रो रही थी। बुढ़िया को रोता देखकर राजा का दिल द्रवित होगया ।उसने बढ़िया से कहा तुम क्यों रो रही हो ? बुढ़िया ने कहा मेरी बहू ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया है ।वह मुझे खाने के लिए भी कुछ नहीं देती है ।राजा का हृदय बुढ़िया की बात सुनकर द्रवित हो गया। राजा ने पहरेदार से कहा मैं तो सोचता था कि मेरे राज्य में प्रजा बहुत सुखी है। आज तो मेरा मंत्री मेरे साथ सैर करने नहीं आया । आज मैं तुम्हें अपने साथ सैर.. करनें के लिए ले जा रहा हूं। आज मेरा मंत्री यहां होता तो मैं उसे बुढिया केे साथ उसे उसके घर पता लगाने अवश्य भेजता। राजा ने कहा कल तू मेरे दरबार में आना राजा ने उसे बहुत सारा धन देकर विदा किया । सलाहकार ने राजा को कहा कि आप तो बहुत दयावान हैंराजा जी ।मैं आपसे कह रहा हूं कि बिना देखे बिना सोचे समझे बिना जांचे परखे हमें किसी भी व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए ।राजा ने कहा कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ?सलाहकार ने राजा को कहा कि आज रात को मैं आपके साथ उस बुढिया के घर पर चलूंगा। आप एक राजा के रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना।एक साधारण व्यक्ति की तरह भेश बदल कर जाना ताकि आप को पता चल सके।

इस रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना एक साधारण व्यक्ति की तरह भेष बदलकर जाना ताकि आपको पता चल सके जो बुढिया आपके सामने अपनी बहू की शिकायत करने आई थी वह सच मुच् उसे घर से बाहर निकालना चाहती थी कि नही। वह झूठ मूठ का बहाना बनाकर आप से रुपए लेना चाहती थी और झूठ-मूठ का नाटक करना चाहती थी। राजा को सलाहकार की बात ठीक लगी। राजा एक साधारण व्यक्ति का भेष धारण कर पहरेदार के साथ चल पड़ा ।वह बुढ़िया के घर पहुंचा आधी रात हो चुकी थी अंदर की तरफ कान लगाकर राजा उनकी बातें सुनने लगा बुढ़िया के जोर जोर से रोने की आवाज सुनाई दे रही थी ।हंस हंसकर अपनी बहु से कह रही थी उसने आज राजा को बेवकूफ बनाया कि तुम मुझे हर रोज खाना नहीं देती हो और आज तो मैं राजा से इसके बदले बहुत सारा रूपया लाई हूं ।राजा बुढ़िया की बात सुनकर दंग रह गया चुपचाप वह अपने महल में लौट आया। उसने पहरेदार को वह बहुत सारा रुपया दिया ।पहरेदार रूपया प्राप्त कर फूला-नहीं समा रहा था ।एक बार वह राजा शिकार कर रहा था तो उसकी एक उंगली कट गई और उसकी उंगली से खून बहने लगा यह देख कर उसका सलाहकार बोला भगवान जो करता है वह अच्छा ही करता है ।जब सलाहकार ने ऐसे शब्द कहे तो राजा को बहुत गुस्सा आया। मन ही मन में सोचने लगा जो उसने कहा है शायद यह बात वह सोच समझकर ही बोल रहा होगा, इसलिए राजा ने अपने पहरेदार को कुछ नहीं कहा और चुपचाप चलने लगा चलते-चलते जब वह बहुत दूर निकल आए तो रास्ते में चोरों ने उन्हें देख लिया ।चोरों को सुबह से ही चोरी करने के लिए कुछ भी नहीं मिला था उन्होंने किसी से सुन रखा था अगर किसी इंसान की बलि दे दी जाए त़़ोू माता बहुत प्रसन्न होती है।और उसे बहुत सारा धन दौलत देती है। चोर अपने सामने दो हट्टा-कट्टा नवयुवकों को देखकर जो बहुत ही खुश हुए उन्होंने अपनी तलवार दिखाते हुए उन दोनों को बांध लिया और काली माता के मंदिर में ले जाने लगे और जोर-जोर से कहने लगे कि आज तो तुम में से किसी एक की बलि दे दी जाएगी। एक चोर ने दूसरे से कहा पहले यह भी जान लो कि किसी व्यक्ति का कोई अंग कटा तो नहीं है। राजा ने जब यह सुना तो राजा बहुत खुश हुआ क्योंकि वह सोचने लगा मैं तो आज बाल बाल बचा। राजा अपने सलाहकार के लिए कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वह अगर सलाहकार को बचाने की कोशिश करता तो वह खुद जान से हाथ धो बैठेगा ।उन चोरों ने राजा की कटी ऊंगली देखकर उस राजा को तो छोड़ दिया मगर उस सलाहकार को पकड़कर ले गए। राजा तो अपने महल में वापिस आ चुका था रास्ते में उस सलाहकार ने सोचा कि आज तो मैं इन चोरों के चुंगल से अपने आप को छुड़ा नहीं सकता ना जाने मेरी बात कैसे सच हो गई ।राजा तो बच गया मैंने तो अनजाने में ही राजा से बात कही थी कि भगवान जो करता है अच्छा ही करता है ।राजा की उंगली कटने के बावजूद भी राजा ने मुझे कुछ नहीं कहा। वह योजना बनाने लगा कि कैसे मैं इन चोरों से अपने आप को छुडवाऊं।उसके दिमाग में एक योजना आई उसने उन चोरों से कहा चोर भाई चोर भाई, तुम्हें मेरी बलि देने से क्या होगा? तुमने चोरी करनी है तो तो मैं तुम्हें एक तरकीब बताता हूं ।तुम्हें मेरी बात पर यकीन ना हो तो मैं मरने के लिए तैयार हूं ।आपने जिस आदमी को अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं वह एक राजा है । मैं उसका मामूली सा एक सलाहकार हूँ। तुम चोरी करने राजा के महल में रात को आना मैं तुम्हें महल में घुसने से नहीं रोकुंगा। तुम चुपचाप चोरी करके महल से चले जाना। इस तरह तुम्हें बहुत सा थनभी मिलेगा। चोरों को सलाहकार की बात जंच गई और उन्होंने उस सलाहकार को छोडते हुए कहा कि अगर तुमने हमसे जरा भी झूठ कहा तो तुम हमसे नहीं बचोगे ।हम किसी न किसी तरह तुम्हें पकड़ ही देंगे ।यह कहकर उन चोरों ने उस को छोड़ दिया जब रात को चोर राजा के महल में घुसने लगे तो पहरेदार ने उन्हें अंदर जाने दिया ।पहरेदार ने चोरों के आने की सूचना राजाको दे दी ।राजा ने अपने सैनिकों को उन चोरों को पकड़ने का आदेश दिया उन चोरों को पकड़कर जब राजा के सामने लाया गया , चोरों ने राजा से कहा कि आप हमें दंड नहीं दे सकते। आप हमें छोड़ दो। आपका असली गुनाहगार तो आपका सलाहकार है। हम जब आप की बलि चढ़ाने वाले थे तो उसने हमें बताया कि जिस आदमी को आपने अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं बल्कि एक राजा है । तुम चोरी करने आओगे तो मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा । तुम मुझे छोड़ दो सलाहकार के ऐसा कहने पर हमने उसे छोड़ दिया ।हमें क्या पता था कि आपने अपने महल में ना जाने ऐसे बेवकूफ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है जो इंसान यकीन करने के लायक नहीं है। आपको उसे दंड अवश्य देना चाहिए। सलाहकार की बात पर राजा को यकीन हो गया कि वह जो सच कह रहा है। राजा ने उन चोरों को तो छोड़ दिया ।पहरेदार को राजा ने अपने पास बुलाया और कहा कि तुम वफादारी के काबिल नहीं हो तुमने मुझसे छल कपट किया है।

तुम्हें कल सारी प्रजा के सामने दंड मिलेगा उस सलाहकार ने राजा को कहा राजा जी पहले आप मेरी बात तो सुन लो । सलाहकार ने राजा को कहा कि जब चोरों ने आपको छोड़ दिया तो मैं भी अपना चोरो से बचाव करना चाहता था। इसलिए मैंने उन्हें कहा कि तुम महल में चोरी करने आ जाना मैं पहरेदार को समझा दूंगा वह तुम को अंदर आने देंगे। मेरा ऐसा कहने पर चोरों ने मुझे छोड़ने का निश्चय कर दिया ।मैंने चोरों को कहा कि जिसे आप साधारण आदमी समझ रहे हो वह एक साधारण आदमी नहीं है वह एक राजा है मैं उनका सलाहकार।तुम चोरी करने राजा के महल में आना मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा तुम चोरी करके चले जाना ऐसा मैंने अपने बचाव में कहा था तभी उन्होंने मुझे छोड़ दिया ।राजा ने कहा कि मैं तुम्हारी किसी बात पर यकीन नहीं करता तुम्हें सारी प्रजा के सामने सजा तो अवश्य ही मिलेगी ।अगले दिन सारी प्रजा के सामने पहरेदार को बुलाया और कहा तुम्हे दंड तो अवश्य मिलेगा ।तब सलाहकार ने सारी बात। प्रजा के सामने राजा से कहा कि मुझे सजा देने से पहले आपको भी मेरी बात माननी होगी ।आपने सारी प्रजा के सामने मुझे कहा था कि मैं भी तुम्हें एक वचन देता हूं जो तुम मांगोगे मैं तुम्हें दूंगा ।मैंने अपने वचन में आपसे कहा था कि समय आने पर मांग लूंगा ।आज सारी प्रजा के सामने आपसे अपना यह वचन मांगता हूं कि आप मुझे छोड़ दे। राजा ने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी ।एक बार फिर राजा ने उसकी चतुराई की प्रशंसा की और कहा कि तुम यहां से मत जाओ ।मैंनें तुम्हारी सजा को माफ कर दिया।

सच्चा साथी चंपू

चिंटू बहुत ही प्यारा बच्चा था ।वह हर काम को बड़ी होशियारी से करता था। वह रोज अपने साथियों के साथ स्कूल जाता । शाम को स्कूल से आते वक्त वह अपने दोस्त के साथ खूब बातें करता। उसके साथ खूब मौज मस्ती करता ।उसको खाने को भी ले जाता कभी बिस्कुट, कभी मूंगफली कभी चने ,वहां उसके साथ खेलता दौड़ता और खूब मनमानी करता था ।शाम को आते समय उसे हर रोज देर हो जाती थी ।उसकी मम्मी उससे पूछती कि तुम्हारे साथी तो ना जाने कितनी जल्दी घर पहुंच जाते हैं चीन्टू कहता मां मेरा एक दोस्त है। उसके साथ में काफी देर तक खेलता हूं। वह अपनी मां को हमेशा कहता की मां एक रोटी ज्यादा बना दे ।मैं अपने दोस्त को दूंगा इस तरह जो कोई भी चीज खाता वह अपने दोस्त को ले जाना नहीं .भूलता। वह अपने दोस्त से काफी घुल मिल गया था ।वह तो उसका सच्चा दोस्त था। उसके साथ बैठकर वह अपने साथी दोस्त को पा कर बहुत ही खुशी अनुभव करता था ।चिंटू की मम्मी उससे पूछती कि बेटा तुम अपने दोस्त को तो तुम कभी घर नहीं लाते हो । मैं तुम्हारे सारे दोस्तों को अच्छी प्रकार से जानती हूं मगर यह तुम्हारा कैसा दोस्त है जो तुमसे मिलने कभी नहीं आता ।चिंटू हर रोज अपनी मां की बात काट जाता और बोलता मैं जल्दी ही तुम्हें अपने दोस्त से मिलाने ले जाउंगा। इस प्रकार बहुत दिन व्यतीत हो गए। चिंटू ने अपनी मां को बताया कि मेरे दोस्त का नाम चंपू है ।मां चंपू बहुत ही होशियार है ।एक दिन जब काफी देर तक चिंटू घर नहीं लौटा तो चिंटू की मां को चिंता होने लगी चीन्टू अपने दोस्त के घर परीक्षा की तैयारी करने के लिए उसके घर कॉपी लेने चला गया था ।चिन्टू की मां ने उसके सभी दोस्तों को फोन किया परंतु सब ने कहा वह हमारे घर नहीं आया ।वह पड़ोस वाली आंटी से चंपू का पता पूछने लगी ।पड़ोस वाली आंटी ने बताया कि चंपू लड़का नहीं जिसके साथ वह घंटों खेलता है।वह तो प्यारा सा बंदर है ।चंपू की मां का डर के मारे बुरा हाल हो रहा था ।वह उसे लेने के लिए घर से बाहर निकली थी वह आधे रास्ते तक ही गई थी की वहां पर पेड़ के नीचे चिंटू अपने चंपू के साथ खूब मस्ती कर रहा था ।उसकी मम्मी ने वहां पहुंच-कर कहा बेटा घड़ी तो देखो क्या बजा है ?तुम अपने दोस्त के साथ ही खेलते रहोगे या घर भी चलोगे ।उसकी मम्मी को पता चल चुका था कि उसका दोस्त चंपू एक बंदर था। चिंटू ने अपनी मम्मी से पूछा आपको मेरा दोस्त कैसा लगा ।चंपू की मां बोली तुम्हारा दोस्त बहुत ही अच्छा है ।एक दिन जब चंपू स्कूल से वापस आया तो उसे बुखार था बीमार होने के कारण वह काफी दिन तक स्कूल नहीं जा सका। उसके पापा उसे डॉक्टर के पास ले गए डॉक्टर ने चिंटू की मम्मी पापा को बताया कि चिंटू एक बहुत ही भयानक बीमारी का शिकार है अगर उसका ईलाज जल्दी से जल्दी नहीं किया गया तो उसके बचने की आशा कम है। । यह सुनकर चिंटू के माता पिता परेशान हो गए। वह हर हफ्ते चिंटू को अस्पताल ले जाते काफी दिन तक जब चंपू से चिंटू नहीं मिला तो चिंटू से मिलने के लिए उसके घर के पास वाले पेड़ के पास रहने को आ गया ।उसे अपने दोस्त को देखे बिना बहुत ही दिन हो गए थे।।वह भी बहुत मायूस हो गया था ।चंपू ने चिंटू को जब अस्पताल ले जाते देखा तो चंपू भी चुपचाप उसकी गाड़ी में बैठ गया चिंटू अपने दोस्त को पाकर बहुत खुश हुआ ।वह उसके साथ खेलना चाहता था ।चिंटू की मम्मी ने चंपू से कहा कि तुम्हारा दोस्त तुम्हारे साथ ही बैठा रहेगा ।तुम कहीं नहीं जाओगे अब तो चंपू भी चुपचाप अपने दोस्त के साथ बैठ गया ।डॉक्टर आए उन्होंने चिंटू के पापा को बताया कि चिंटू की दवाईयां लेनी है उन्होंने एक पर्ची पर दवाइयां लिख कर दे दी ।चंपू चिंटू के पापा को हर रोज उस केमिस्ट की दुकान पर जाते हुए देखा करता था ।चंपू ने जल्दी से वह पर्ची चिंटू के पापा की जेब से निकाली उन्हें पता भी नहीं चला चंपू दौड़कर केमिस्ट की दुकान पर पहुंच गया और उसने वह पर्ची कैमिस्ट कोे दिखाई पर्ची देखकर केमिस्ट पहचान गया कि किसकी पर्ची है ।केमिस्ट्री नें जल्दी से दवाईयां निकालकर एक और रख दी । चंपू ने जल्दी से दवाइयों का पैकेट लिया और अस्पताल पहुंच गया ।अस्पताल पहुंचकर उसने वह दवाइयां चिंटू के पापा को दे दी। चिंटू की सही दवाइयां देखकर चिंटू के पापा आश्चर्यचकित रह गए । चंपू ने ं यह काम इतनी जल्दी किया था कि उसके जाने की भनक किसी को भी नहीं लगी चीन्टू के माता पिता चंपू की प्रशंसा करने लगे ।डॉक्टरों ने चिंटू के पापा को कहा कि आपके बेटे के ईलाज के लिए विदेश जाना पड़ सकता है क्योंकि जो दवाई हम चिंटू को देना चाहते हैं वह यहां पर उपलब्ध नहीं है ।चिंटू के पापा को कंप्यूटर पर दिखाया गया कि इन जड़ी-बूटियों से भी हम चंपू का इलाज कर सकते हैं परंतु यह जड़ी-बूटियां यहां बहुत ही कम मिलती है। उन्होंने सारा वीडियो कंप्यूटर पर चिंटू के पापा को दिखाया । ऑपरेशन के पश्चात इन जड़ी बूटियों के अर्क से औषधि बनाई जाती है । उस सेे मरीज जल्दी ठीक हो जाता है ।इन जड़ी बूटियों से हम ईलाज कर सकते हैं परंतु यह जड़ी बूटियां यंहा बहुत ही कम मिलती है अगर यह दवाई यहां उपलब्ध हो गई तो हम आपके बच्चे को बचा सकते हैं । नहीं तो आपके बेटे को बचाना मुश्किल हो जाएगा। यह सब बातें चंपू सुन रहा था । डॉक्टरों ने कहा कि आज से तीन महीने बाद हम चिंटू का ऑपरेशन करेंगे । हमें यहां पर दवाईयां उपलब्ध हो गई तो ठीक है नहीं तो आपके बच्चे को विदेश ले जाना होगा। चिंटू के माता पिता के पास इतने रुपए नहीं थे जिससे वह अपने बच्चे को विदेश ले कर जाते चिंटू के माता-पिता सोचने लगे कि भगवान के भरोसे ही अब हम अपने बच्चे को छोड़ते हैं ।चिंटू के माता-पिता को रोता देखकर चंपू भी उदास हो गया ।शाम को वह सब घर आ गए काफी दिनों तक चंपू नजर नहीं आया सभी ने सोचा चंपू इस वृक्ष को छोड़कर कहीं चला गया है। एक दिन जब चिंटू के पापा चिंटू को अस्पताल ले जा रहे थे तो चंपू आकर चुपचाप उनके साथ गाड़ी में बैठ गया। गाड़ी जल्दी अस्पताल में खड़ी थी ।चिंटू के पापा ने देखा कि चंपू के मुंह में एक थैला था ।वह थैला उसने इतनी जोर से पकड़ कर रखा था कि कहीं वह गिर ना जाए ।उसने जल्दी से लाकर थैला डॉक्टर के पास रख दिया और अपने हाथ से डॉक्टर को वह पकड़ा दिया। डॉक्टर ने जब उस थैले को खोला और सूंघा तो डॉक्टर हैरान थे कि वह तौ वही जड़ी-बूटी थी जिसकी डॉक्टर बात कर रहे थे। उन्होंने जल्दी से एक विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ मिलकर उस जड़ी बूटी की छानबीन की और पाया कि वह तो वही संजीवनी बूटी थी जिसकी बात डॉक्टर कर रहे थे।चिंटू के पापा को डॉक्टर ने कहा कि यह पहला चमत्कार हमने देखा कि आपकी बेट को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ी।जड़ी बूटी का मिलना असंभव था इस जड़ी-बूटी को इस चंपू नें लाकर हमारा इतना बड़ा काम हल कर दिया है ।यह चमत्कार किसी भगवान से कम नहीं है ।यह तो वास्तव में तुम्हारे बेटे का सच्चा साथी है ।जो अपने दोस्त की मदद के लिए हरदम तत्पर है।हम ऐसे दोस्त को सलाम करते हैं ।चिंटू के पापा मम्मी ने चंपू को गले से लगा लिया और रो पड़े ।उन जड़ी बूटियों के चमत्कार से चिंटू की जान बच गई थी ।डॉक्टर द्वारा किया गया ऑपरेशन कामयाब हो गया था ।चिंटू को अब अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। चिंटू अपने दोस्त के साथ हंसी-खुशी घर लौट आया।

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पंडिताइन की सूझबूझ

एक पंडित जी थे ।वह अपने मोहल्ले में पूजा-पाठ के लिए बहुत प्रसिद्ध थे ।उन्हें लोग दूर-दूर से पूजा पाठ के लिए अपने घर ले जाते थे। पंडित भी सभी घरों में पूजा पाठ के लिए जाते थे। जो कुछ मिलता था उसी से वह अपना तथा अपने परिवार का पालन पोषण करते थ।े अब की बार जब पूजा के लिए गये तो उसके गांव के जमींदार ने एक गाय भी दान में दी ।वह पंडित भोले-भाले थे वह चतुर नंही थे।जब वह सारा सामान लेकर घर को जा रहे थे जमीदार ने उन्हें गाय को देते हुए कहा कि मैं यह गाय तुम्हें दक्षिण़ा स्वरूप दे रहा हू।ं पंडित जी इस बार इन्कार नहीं कर सके गाय को लेकर रास्ते में वह काफी दूर जा चुके थे। बहुत थक भी बहुत चुके थे ।उन्होंने गाय पर अपना समान रख दिया जब वह रास्ते से जा रहे थे तब उनको तीन ठगों ने देख लिया ।वह आपस में विचार विमर्श करने लगे कि इस पंडित जी से गाय को कैसे हासिल किया जाए, इसके लिए उन्होंने एक योजना बना ली थी ।वह थोड़े थोड़े फासले में तीनों जाकर खड़े हो गए थे जैसे ही

वो रास्ते से गुजर रहे थे पहला ठग उनसे बोला पंडित जी राम-राम ।सुबह-सुबह गधे को कहां ले जा रहे हो ?पंडित जी को अपनी गलती का एहसास हुआ उन्होंने अपना सामान अपने कंधे पर रख दिया और धीरे-धीरे कदमों से आगे जाने लगे तभी उन पंडित जी को दूसरे ठग ने कहा तुम गधे को क्यों ले जा रहे हो ?पंडित जी ने कहा यह गधा नहीं है यह कहते हुए वह आगे निकल गए ।थोड़ा फासले पर एक दूसरा ठग मिला उसने पंडित जी को कहा पंडित जी आप गधे को कहां ले जा रहे हो ?तब पंडित जी ने गाय को ऊपर से नीचे की ओर देखा बोले भाई यह गधा नहीं है तुम्हारी मति क्या मारी गई है जो तुम गाय को गधा कह रहे हो थोड़ी दूर आगे जाने पर उसे तीसरा ठग दिखाई दिया तीसरे ठगने भी उससे वही बात कही परंतु तीसरे ठग की बात सुनकर पंडित जी हैरान रह गए और सोचने लगे हो ना हो जमीदार ने मुझे गधा ही दान में दिया है।मुझे उस जमीदार ने बेवकूफ बनाया और एक गधे को मेरे पल्ले मढ दिया परंतु अब क्या हो सकता था ?ःवह गाय को जैसे ही ले जाने लगे तो उसने पंडित जी से कहा कि इस गधे को तुम मुझे बेच दो ,अब तो पंडित जी ने सोचा मुझे इस गधे को बेच देने में ही भलाई है क्योंकि पहले दो लोगों ने भी उसे यही बात कही थी। वह लोग झूठ नहीं बोल सकते पंडित जी ने अपनी गाय को उसको ₹500 में बेच दिया ।वह पंडित जैसे ही घर जा रहा था उसे रास्ते में उसकी पत्नी मिल गई उसकी पत्नी ने पूछा कि तुम क्या लाए हो तब उसने अपनी पत्नी को सारी कहानी सुना दी ःउसको गांव के जमीदार न उसे एक गाय दान में दी थी उसने सोचा कि वह गाय है परंतु रास्ते में मुझे तीन लोगों ने एक ही बात कही कि पंडित जी तुम इस गधे को क्यों ले जा रहे हो ।मैंने सोचा कि वह झूठ बोल है जब तीन बार तीन व्यक्ति द्वारा एक ही बात कही गई तो मैंने सोचा कि तीनों व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोल सकते इसलिए मैंने उस गधे को तीनों दोस्तों को बेच दिया। पंडित जी की पत्नी बहुत ही समझदार थी। वह बोली तुम ठहरे बेवकूफ के बेवकूफ गाय को भी नहीं पहचानते है ।वे तीन ठग नहीं थे बल्कि वे तीन चोर थे जो तुमसे तुम्हारी गाय चुराना चाहते थे इसलिए उन्होंने जब तुम्हें गाय को ले जाते देखा तो उन तीनों ने सोचा कि क्यों ना इस पंडित जी को बेवकूफ बना कर इसकी गाय को हासिल कर लिया जाए ।और तुम इन तीनों लोगों के बहकावे में आ गए अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा वह तीनों अभी भी तीनों ज्यादा दूर नहीं गए होंगे मैं पूरे दावे के साथ कह सकती हूं कि वह तीनों अभी बहुत ज्यादा दूर नहीं गए होंगे अगर तुम में थोड़ी सी भी अक्ल है तो तुम उस गाय को वापस लेकर आओ ।मैं तुम्हें बताती हूं कि क्या करना है उसकी पत्नी ने पंडित जी को अच्छे ढंग से समझा-बुझाकर कहा मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आ रही ,हूं।ं जैसे ही पंडित आधे रास्ते में पहुंचा तब पंडित जी को वापस आते देखकर रास्ते में पहला ढंग बोला तुम वापिस क्यों आए हो ।पंडित जी ने कहा कि मेरा थैला रास्ते में ही रह गया था इसलिए मैं उसे लेने आया हूं पंडित जी अपना थैला ढूंढने लगे ।पंडित जी ने बातों ही बातों में कहा कि मैंने तुम्हें गाय ही दी थी यह बात मैं जानता थाूं तुमने कहा था कि ये गधा है परंतु मैंने यह जानबूझकर यह गाए तुम्हें दी थी क्योंकि मैं जानता था कि यह जो गाय मैं मैं दे रहा हूं यह मुझे दान में मिली थी उसको पागल कुत्ते ने काटा हुआ था चाहे उसकी टांग में निशान भी देख लो पागल कुत्ते के काटे का निशान है इसलिए मैंने उसकी टांग में पट्टी बांधी थी जब इस गाय को जमींदारार दान कर रहे थे तो यह बात मेरी पत्नी ने सुन ली थी उसने मुझे यह बात बताई थी इसलिए मैंने तुम्हें यह गाए दे दी थी तभी उसने अपने पंडित जी को कहा कि तुम तुम यहां पर अपना थैला ढूंढो मैं अभी गाय ले कर आता हूं ऐसी गाय मुझे भी नहीं चाहिए ठग दौड़ा दौड़ा अपने दोनों दोस्तों के पास पहुंचा और उन दोनों को यह सारी कहानी सुनाई वह दोनों व्यक्ति पंडित जी की होशियारी की दाद देने लगे उसने तो हम दोनों को बेवकूफ बनाया इतने में पंडित जी भी वहां पहुंच गए पंडित जी ने उन दोनों को कहा भाई राम राम अब मैं तो चला मुझे मेरा थैला मिल गया है तब दूसरा ठग बोला भाई मैं समझता हूं कि तुम गाय ही हथियाने के चक्कर में फिर से आए थे तब पंडित जी ने कहा मुझे गाय नहीं चाहिए पंडित जी ने कहा की जब मैं यहां से गुजर रहा था तब मैंने एक औरत को पशुओं को चरातेे देखा हम इस गाय को इस महिला को बेच देते हैं जो कीमत मिलेगी हम चारों बांट लेंगे परंतु होशियार रहना जैसे ही वह वापस जाने के लिए उसी रास्ते से मुड़े वहां पर एक महिला पशुओं को चरा रही थी उन ठगों ने उस महिला को कहा हम यह गाय बेचना चाहते हैं क्या तुम यह गाए लोगी वह महिला बोली तूम मुझे बेवकूफ क्यों बना रहे हो मुझे कोई गायनहीं लेनी मेरे पास तो पहले ही बहुत सारे पशु है इस गाय को लेकर मैं क्या करूंगी और मुझे तो यह गाय बहुत ही बीमार दिखाई देती है तुमने इस की टांग में पट्टी क्यों बांधी हुई है नहीं साहब मुझे कोई गाय नहीं चाहिए तुम किसी और को इस गाय को बेच देना तब तीनो ठग सोचने लगे की कि यह पंडित झूठ नहीं बोल रहा है सचमुच यह गाय बहुत बीमार लग रही है तभी तीसरा ठग बोला नहीं पंडित जी हम तीनों को माफ कर दीजिए हम तुमसे तुम्हारी गाय छिनना नंही चाहते थे परंतु अब हम आपसे माफी मांगते हैं भला हम तीनों इस पागल गाय का क्या करेंगे आप तो पंडित हो अगर आपने नहीं रखनी हो तो ना सही हम आपको इस गाय के 500रुपए देते हैं आप इस गाय को किसी को दान में दे देना या बेच देना अच्छा तब तीनों ठग मूर्ख बनकर वहां से अपने अपने घरों को चले गए पंडित जी ने अपनी पत्नी की सूझबूझ से गाय को उनके उसे फिर से प्राप्त कर लिया था।

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अनमोल हीरा

गिरजा के पिता बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे । मम्मी ऑफिस में काम करती थी। गिरजा अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी उन्होंने उसे बहुत ही लाड़-प्यार से पाला था ।वह बहुत ही होनहार थी। उसका एक छोटा भाई भी था वह बहुत ही छोटा था गिरिजा बहुत ही होशियार थी ।वह किसी से भी नहीं डरती थी ।उसके पिता उसे छोटी जासूस कहकर बुलाते थे ।वह हर एक काम को बड़े ध्यान से करती थी ।वह चालाक भी बहुत थी वह बड़ों की बातें भी ध्यान से सुना करती थी उसकी मम्मी उसे डांटते हुए कहती बड़ों की बातें सुनना बुरी बात है । गिरजा डर कर अपने पापा के पीछे छिप जाती थी।गिरिजा केवल दस वर्ष की थी एक दिन वह अपने घर के पास टहल रही थी ।उसने अपने घर के बाहर तीन अजनबीयोंको इधर उधर टहलते देखा ।उसने देखा यह तो मुझे अजनबी लगते हैं ।मुझे अजनबी लोंगों परविश्वास नहीं करना चाहिए। यह मुझे कुछ खाने को दे दो मैं नहीं खाऊंगी। वह गाने सुन रही थी मोबाइल में हेडफोन लगाकर गाने सुन रही थी ।वह तीनों बातें कर रहे थे ।गिरजा ने सोचा मैं इन अजनबीलोंगों की बातें सुनती हूं ।उसने एक कान का स्पीकर निकाल दिया था ।उसे उस अजनबीलोंगों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी ।वह आपस में कह रहे थे कि हमें इस घर में अगले शनिवार चोरी करने आना है। दूसरा बोला यह किसका घर है ?तीसरा बोला यह घर मैनेजर साहब का है ।बैंक में काम करते है। उनकी एक बेटी है।शायद यही तो नहीं वह ना सुन ले । तीसरा बोला वह तो गाने सुन रह है। उसे क्या सुनाई देगा?अरे आहिस्ता बोल ! तीसरा बोला शनिवार को ही क्यों ? वह बोला शनिवार को बैंक में छुट्टी होती है । शनिवार वाले दिन भी दोनों पति-पत्नी घर पर नहीं होंगे।शायद बैंक अधिकारीे बीमार हैं वह अस्पताल दवाई के लिए जाने वाले हैं ।हम उस दिन ही चोरी को अंजाम देंगे। मैंने उसे बैंक में अपने किसी प्रभारी के साथ यह कहते हुए सुन लिया था कि मैं हॉस्पिटल जा रहा हूंशनिवार को मेरी अनुपस्थिति में बैंक की देखरेख मेरे दूसरे कार्यकर्ता करेंगे यह लो चाबी लॉकर कि ।उसने बैंक के लॉकर की चाबी ।पहले हम इस मैंनजर के घर की चोरी करेंगे । उसके बाद बैंक में डाका डालेंगे। शायद बैंक की चाबी भी वह अपने घर के लौकरमें रखता होगा। वह उनकी बातें सुनकर चुप हो गई। उसने गाने के वॉल्यूम को और भी बढ़ा दिया। वह डर रही थी। घर आकर बहुत ही डर गई थी उसने सोचा कि पहले पापा से ही पूछा जाए पापा आप अगले शनिवार कहां जाने वाले हो?गिरिजा की मम्मी चौकी !बोली बेटा तू बाज नहीं आने वाली मैंने तुझे एक दिन क्या कहा था कि बड़ो की बातों को नहीं सुनना चाहिए ।यह तूने कब सुन लिया वह बोली ठीक है पापा मम्मी आगे से ध्यान रखा करूंगी । कोई अगर जरुरी बात कर रहा हो तो उसको सुनने में क्या हर्ज है? गिरिजा की मम्मी ने उसका कान प्यार से पकड़ते हुए कहा चल हट नटखट। गिरी के पापा बोले शाबाश मेरी जासूस बेटी तभी उस की मम्मी अपने पति को बोली आपने ही इसे बिगाड़ा है ।गिरिजा ने सोचा मैं अपने मम्मी पापा को नहीं बताऊंगी। वह पापा को लेकर अस्पताल नहीं जाएंगे वह भी डर जाएंगे ।मैं इन चोरों को अपने दम पर ही निपटा लूंगी।ज्यादा से ज्यादा वे मुझे मार ही देंगे । मैं डरने वालों में से नहीं हूं। दूसरे दिन वह स्कूल से जल्दी जल्दी आ कर अपना होमवर्क करने लगी ।उसने अपने घर के लॉकर की चाबी ली और और वैसी ही चाबी एक चाबी बनाने वाले को कहा चाबी वाला उस के पापा को जानता था। उसने उसे वैसी हीे चाबी बनवा दी क्योंकि वह अपने पापा के साथ कई बार उसकी दुकान पर चाबियां बनवाने आई थी ।उसने घर आकर चाबियां जहां से उठाई थी दी ।उसने चाबियों का लौकर खोला उसने वहां पर उसकी मम्मी ने जो जेवरात का डिब्बारखा था। उसने उन जेवरात में से. असली गहने निकाल कर नकली गहने रख दिए ।उनको देखकर कोई नहीं कह सकता था यह नकली है ।अमेरिका से उसकी चाची ने उसकी मम्मी जी के जन्मदिन पर उन्हें उपहार में दिए थे। उसकी मम्मी तो वह गहने नहीं पहनती थी। अपनी मम्मी से उसने वे गहने ले लिए थे ।वह उन्हें पहन कर देखा करतीे थी।उसने अपनी मम्मी के गहने चारपाई के नीचे छुपा दिए थे चार पाई भी इतनी छोटी थी कि नीचे कुछ दिखाई नहीं देता था ।उसके नीचे उसने बड़े बड़े डिब्बे रख दिए थे ।उसने सभी रुपए निकाल कर उसकी जगह नकली नोट रख दिए थे। उसमें सभी एटीएम कार्ड पासबुक भी उठा ली थी उसकी जगह पर उसमें एक्सपायर डेट वाली पासबुक इकट्ठा करके रख दी थी क्योंकि वह अपने पापा की की एक्सपायरी डेट वाली पासबुक ले कर उससे खेलाकरती थी। असली पास बुक लेकर फिर उसने लॉकर को वैसे भी बंद कर दिया था ।सारा इंतजाम कर दिया था। मगर उसने अपने मम्मी पापा को इसके बारे में कुछ नहीं बताया था ।शनिवार आ चुका था उसके मम्मी पापा अस्पताल के लिए निकल चुके थे ।गिरजा ने अपनी मां से कहा, मां छोटू को भी साथ ले जाओ वरना यह मुझे पढ़ाई नहीं करने देगा ।मेरी परीक्षा आने वाली है मैं अकेली बैठकर पढ़ाई करुंगी ।उसकी मम्मी छोटू को साथ ले गई थी ।सबसे पहले जैसे ही उसकी मम्मी घर से निकली उसने पुलिस इंस्पैक्टर को फोन किया अंकल आप मेरी बात ध्यान से सुनो आज हमारे घर पर चोरी होने वाली है ।आप जल्दी ही चोरों को पकड़ना आज वे हमारे घर चोरी करने आने वाले हैं ।उस छोटी सी बच्ची की बात सुनकर पुलिस कर्मी दंग रह गये। बोले बेटा तुम्हारे मम्मी पापा कहां परहै। गिरजा बोली मेरे पापा आज अस्पताल गए हैं ।मेरी परीक्षा आने वाली है इसलिए मैं उनके साथ नहीं गई। मैंने चोरों को बातें करते सुन लिया था ।हम पहले हम बैंक अधिकारी केे घर चोरी करेंगे और उसके बाद बैंक में ।बैंक की सुरक्षा के लिए भी सुरक्षा कर्मचारियों को तैनात कर देना ।रवि अंकल बोले अगर उन्होंने तुम्हे नुकसान पहुंचाया । वह बोली मैं आप को फोन करुंगी मैंने अपना मोबाइल अपने मोजे में छिपाकर रख दिया है। मैं बाथरुम में जाकर आपको फोन कर दूंगी। मैं अंकल चोंरों से नहीं डरती ।पुलिस अंकल बोले बेटा तुम्हारी बहादुरी के लिए मैं तुम्हें शाबाशी देता हूं ।अंकल आप जल्दी से घर के बाहर ही रहना । वे चोर जब चोरी करके ले जाए तो आप उन्हें जाने देना ।आप बाद में उन्हे पकड़ लेना क्योंकि मैं भी जासूस हूं। गिरजा के पिता पुलिसकर्मी अविनाश के दोस्त थे।पुलिस इंस्पेक्टर जल्दी उनके घर के बाहर छिपकर पहरा दे रहे थे। सचमुच तीन अजनबी लोगों ने यूनियन बैंक मैनेजर अविनाश के घर का दरवाजा खटखटाया । गिरजा ने दरवाजा खोल दिया ।वह बोले बेटा हम अविनाश जी के दोस्त हैं ।काम के सिलसिले में आए हैं। अकेला देखकर भी अंदर बैठकर वह बोली बेटा तुम्हारे पापा कहां है?ं ।वह बोली मेरे पापा अस्पताल गए हैं ।मम्मी भी साथ गई है उसे तो सब कुछ मालूम था वह उन्हे भगाने के लिए ऐसे ही कह रही थी ।बेटा अंधेरा होने वाला है बाहर वर्षा हो रही है हमने अपनी गाड़ी नीचे खड़ी की है हम आपके पापा का इंतजार करते है।ं हमें बहुत ही जरुरी काम है ।गिरजा बोली अंकल आप थोड़ी देर बैठ कर टैलिविजन देखिए मैं पढ़ाई कर रही हूं ।वह टैलिविजन देखने का नाटक करने लगे।वह बोली मैं आप लोगों को चाय बनाकर लाती हूं।उनमें से एक छोटा सा मोटा व्यक्ति बोला चलो बेटा मैं भी चाय बनाने में तुम्हारी मदद करता हूं ।चाय बनाने के लिए रसोई में चला आया था ।गिरिजा को बातों में लगाना चाहता था । दोनों ने तब तक चाबी ढूंढ ली थी ।सिरहाने के नीचे से लॉकर की चाबी मिल गई थी ।उन्होंने वे चाबियां ले ली थी। गिरजा अपने कमरे में पढ़ाई करने चली गई थी। उन्होंने चाय पी और एक अंकल ने पिस्तौल दिखाकर गिरिजा को कहा कि लॉकर का नंबर बताओ वरना तुझे गोली मार दूंगा। वह बोली 7532 उसने लॉकरको खोल दिया ।उसने कहा शाबाश उसने गिरजा को गुसलखाने में बंद कर दिया था ।गिरिजा ने भी भी अंदर से कुंडी लगा ली थी ।उन्होंने टेलीफोन की तार भी तोड़ दी थी ।अंदर जाकर गिरीजा ापुलिस अंकल को फोन किया ।उन्होंने मुझे पिस्तौल दिखाकर बंद कर दिया है ।उन्होंने मुझसे लॉकर का नंबर भी पूछ लिया ।उन्होंने सारे के सारे गहने भी ले लिए ।वे सारे जरुरी दस्तावेज पासबुक एटीएम कार्ड को ले कर जा रहे हैं।गिरीजा ने वहां पर पहले ही से ही सब नकली जेवरात और सभी नकली कार्ड रख दिये ।जैसे ही चोर चोरी करके भागे पुलिस वालों को खबर लग गई थी । चोर खिड़की से कूद कर भाग गए थे ।जल्दी से पुलिस अंकल अंदर आए और बोले बेटी मैं उन चोरो को पकड़ नहीं पाया मगर मैं खुश हूं तुम्हें कुछ नहीं हुआ है । लॉकर खुला हुआ था ।पुलिस वालों ने उनकी गाड़ी का नंबर ट्रेस कर लिया था ।वह चोर पकड़ लिए जांयेंगे।गिरिजा के माता पिता भी थोड़ी देर बाद पहुंच गए थे ।वह अपनी बेटी को सुरक्षित देख कर खुश हुए ।पुलिस अंकल ने उन्हें फोन कर दिया था। पुलिस बोली कि वह आपका सामान चोरी करके ले गए । अविनाश की पत्नी रोने लगी ।मेरे सारे गहने मेरी पासबुक ,एटीएमकार्ड और सारे दस्तावेज उसके अंदर से भी सभी चोरी हो गए ।गिरजा के पापा बोले तुम्हें इन किमी गहनों कि पड़ी है।सबसे अनमोल हीरा तो हमारे पास है ।इससे बढ़कर हमारे लिए दुनिया में कुछ नहीं है । आज इसे कुछ हो जाता तो रुपया हमारे किस काम आता। अपनी पत्नी से बोलेअब रोना बंद करो । पुलिस इस्पेक्टर बोले वह भाग कर

कहां जाएंगे ?आप की सारी चीजें आप

को वापस मिल जाएंगी ।वह इतने

शातिर चकमा दे कर फरार हो गए।हमें पता भी चल चुका था कि चोर घर में घुस चुके हैं। आपकी बेटी गिरजा नेे हमे उनकी सूचना पहले ही दें दी थी।

गिरीजा मुस्कुराते हुए बोली मम्मी पापा आपका कुछ भी चोरी नहीं हुआ है ।आप मुझे कहती है कि बड़ों की बात नहीं सुननी चाहिए मेरे कान तो हमेशा दूसरों की बातें भी सुनते हैं अपने काम की बातें भी करते है ।मैंने एक दिन तीन अजनबीयों को अपने घर के बाहर टहलते देखा। मैं गाने सुन रही थी ।वह आपस में बातें कर रहे थे कि हमें मैनेजर महोदय के घर में चोरी करनी है ।शनिवार को बैंक में छुट्टी होती है ।वह आधे दिन छुट्टी पर होंगे मां मैंने कहा था कि पापा आप अस्पताल जाने वाले हो तब आपने मेरे कान पकड़कर कहा था कि बड़ों की बातें सुनती है। मैंने अजनबी लोगों कि सारी बातें सुन ली थी ।वह चोरी करने के लिए आनें वाले थे। उन्होंने चोरी करने के लिए शनिवार का दिन चुना था । वे कह रहे थे कि हम उनके घर सब कुछ उड़ाकर ले जाएंगे। उस दिन मैंने लॉकर में से सारी असली गहने निकाल कर उसकी जगह नकली गहनें रख दिये थे। पासबुक ATM कार्ड भी एक्सपायर वाले और नकली नोट यह सब मैंने दो दिन पहले सोच समझकर रख दिए थे । असली गहनें तो मैंने पलंग के नीचे एक बॉक्स में रख दिए थे ।वहां देख लो ।गिरजा ने ंअपनी मम्मी को कहा ।उसकी मम्मी अनुराधा ने देखा सचमुच उसके सारे कागजात एटीएम कार्डऔरउसके सारे गहनेंसुरक्षित थे। वह अपनी बेटी को प्यार करते हुए बोली यह हमारी असली नन्हीं जासूस है। पुलिस इंस्पेक्टर बोले इसे तो तुम्हें पुलिस इंस्पेक्टर बनाना चाहिए। उसने हमें यह भी बता दिया था कि उन शातिरों का अगला निशाना बैंक होगा। इसके लिए पहले ही हमने सुरक्षा कर्मी तैनात कर दिए थे ।बैंक में जैसे ही वे लुटेरे घुसे पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें दबोच लिया और हथकड़ियां पहना दी। जेल में बंद कर दिया । होशियारी के लिए उसे छब्बीस जनवरी को उसकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया। उसे बहुत बड़ी राशि ईनाम में दी गई।

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जान बची तो लाखो पाए

तीन चचेरी बहनें थी ।दो बहने तो मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखती थी परंतु उनमें से एक थोड़ी अमीर थी। तीनों ने अपने मनपसंद लड़के के साथ शादी कर ली ।पहली बहन का पति लक्कड़ हारा था ।वह लकड़ियां बेच कर अपना जीवन चला रहा था ।तीनो बहने साथ साथ घर में ही रहती थी। दो बहने तो जो उनके पति कमा कर लाते थे वह एक दूसरे को आपस में बांट देती थी। आपस में एक दूसरे को बता देती थी कि आज मेरे पति यह लाए है।जब तक वह एक दूसरे से सारी बातें कह नहीं देती थी उन्हें तब तक खाना हजम नहीं होता था ।पहली बहन का पति एक लकड़हारा था। दूसरी बहन का पति धोबी और तीसरी बहन का पति व्यापारी। उन्होंने प्रेम विवाह किया था इसलिए उनके मां बाप ने उनकी शादी उनके मन पसंद लड़को से कर दी थी ।पहली बहन का पति जो लकड़हारा था वह लकड़ियां बेच कर अपना जीवन यापन कर रहा था ।एक दिन जब वह लकड़ियां काट रहा था तब उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई ।वह जोर जोर से रोने लगा ।हमारा घर तो जल चुका है मेरे पास एक कुल्हाड़ी के सिवा कुछ भी नहीं बचा यह कुल्हाड़ी भी नदी में गिर गई अब वह कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करेगा। वह अपनी पत्नी को वह क्या खिलाएगा?।यह सोचकर वह जोर जोर से रोने लगा ।उसके रोने की आवाज सुनकर नदी में से नदी के देवता वहां पर आ गए और उन्होंने लकड़हारे को कहा तुम क्यों रो रहे हो ?लकड़हारे ने कहा मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है ।मेरे पास उस कुल्हाड़ी के सिवा कुछ नहीं बचा जलदेवता को उसकी बात पर सच्चाई नजर आई और वह पानी में गया । पानी में से एक सोने की कुल्हाड़ी लाया ।लकड़हारे ने कहा मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की थी ।अब जल्दी जलदेवता ने उसे तीन कुल्हाड़ियां लाकर दी। जैसे वह घर आया तो उसने अपनी पत्नी को यह बात कही। उसकी पत्नी ने यह बात अपने दोनों बहनों से कह दी । दूसरी बहन भी नदीं पर दूसरे दिन कपड़े धोने चली गई ।कपड़े जोर-जोर से धोने पर उसने अपनी नकली अंगूठी नदी में गिरा दी और जोर जोर से रोने का नाटक करने लगी। जलदेवता को कहने लगी कि मेरी सोने की अंगूठी नदी में गिर गई है।जलदेवता पानी में गया और सोने की अंगूठी ला कर धोबन को दे दी। धो-बिन अंगूठी पाकर बहुत खुश हुई और जलदेवता के पैरों पर गिर गई और कहने लगी। यही मेरी अंगूठी है।आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।जब उसने घर आकर अपनी तीसरी बहन को यह बात बताई तो उसके मन में भी लालच आ गया। वह भी जल देवता के पास जाकर जोर जोर से रोने लगी ।जल देवता को कहने लगी कि मेरे पति एक व्यापारी हैं ।वह बहुत धन दौलत लेकर जब वापिस आ रहे थे तो डाकूओं ने उनका सब कुछ छीन लिया ।उनके पास एक आभूषण का डिब्बा था जो वह मुझे लेकर आ रहे थे ।वह डिब्बा पानी में गिर गया । मै अबं सोचती हूं कि इस नदी में गिर कर अपनी जान दे दूं ।तीसरी बहन पर भी जल देवता को दया आ गई उसने उसे भी एक डिब्बा लाकर दे दिया और कहा क्या यह तुम्हारा है ?उस डिब्बे में हीरे का हार था ।वह हीरे का हार देख कर लालच में आ गई ।जल देवता से बोली है यही मेरा हार है ।तीसरी बहन ने जल देवता का धन्यवाद किया और जल्दी जल्दी घर पहुंचने लगी ।घर आकर तीनो बहने बहुत ही खुश हुई। अब दोनों बहने भी सोचने लगी कि इस अंगूठी को बेच कर हमें बहुत रुपया मिल जाएगा। इस प्रकार दोनों बहने एक जौहरी के पास पहुंची। जौहरी ने अंगूठी देख कर कहा यह तो सोने की अंगूठी नंही है। यह तो नकली है अब तो दूसरी बहन सिवा रोने के कुछ नहीं कर सकती थी ।अब तीसरी व्यापारी की पत्नी सोचने लगी कि नहीं यह जौहरी झूठ बोल रहा है। मेरे पास तो हीरे का हार है ।मैं उसे यह हार किसी भी कीमत में देना नहीं चाहती थी। वह घर आ गई उसने डिब्बे में से हार निकाला जैसे उसने हार को गले में डाला तो उसका गला दु:खनें लग गया ।वह जितना हार को निकालने की कोशिश करती उतना उसका दम घुटता जाता। वह सोचने लगी लालच ने मुझे अंधा कर दिया था। वह सोचने लगी कि किस तरह से अपनी जान बचा सकूं।वह दौड़ कर नदी पर पहुंच गई और जोर-जोर से चिल्लाने लगी।हेजल देवता मुझे आ कर बचाओ ।उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर जल के देवता जल्द से बाहर आए और बोले क्या बात है? उसने पछताते हुए कहा मैंने आपसे झूठ बोला था कि यह हार मेरा है,।

यह हार मेरा नहीं था ।मैंने लालच में आकर यह हार लेने की सोची थी ।आप मुझे बचा लीजिए ,आज से मैं लालच नहीं करुंगी। जल देवता ने कहा मैं तुम्हें इस शर्त पर छोडूंगा कि अब तुम कभी भी लालच नहीं करोगी। जल देवता ने उसे छोड़ दिया वह मन ही मन सोचने लगी जान बची तो-लाखों पाए।

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मासूम रीया

रीया और प्रिया दो बहने थी ।दोनों ही चंचल प्रवृत्ति की थी। छोटी का नाम रीया और बड़ी का नाम प्रिया था। प्रिया पढ़ने में बहुत होशियार थी मगर ,रिया पढ़ने में इतनी तेज नहीं थी ।।प्रिया हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आती थी ।उसके अध्यापक और उसके माता पिता भी उसे बहुत प्यार करते थे ।ऐसे तो रीया भी होशियार थी मगर वह प्रिया के बिल्कुल विपरीत थी ।देर से उठना होमवर्क ना करना भाग भाग कर स्कूल जाना कहना ना मानना उसकी दिनचर्या में शामिल था ।उसकी नटखठ नादानियों कारण उसके माता-पिता उसे उतना प्यार ना नहीं करते थे जितना कि प्रिया को। उनकी इस बात से वह चिढ़ होती थी ।उसके माता-पिता हर वक्त प्रिया की ही तारीफ करते रहते थ। जब भी कोई चीज घर में आती तो उसके पापा मम्मी कहते कि नहीं पहले प्रिया को मिलेगी ।एक दिन तो हद ही हो गई प्रिया दौड़-कर घर आई और अपनी मम्मी को कहीं लगी मां आज तो मेरे सौ में से सौ अंक आए हैं। उसकी मां ने अपनी बेटी को पुकारा और आते ही उसे गले से लगा लिया।रीया अभी अपनी मम्मी को. बताना चाहती थी कि इस बार तो उसके भी कुछ अच्छे अंक आए हैं । उसकी मम्मी ने उसकी बात को नज़रअंदाज़ कर दिया ।जब शाम को उसके पापा घर आए तो वह अपने पापा को बताना चाहती थी कि इस बार उसने भी मेहनत की है परंतु उसके पिता ने उसके अंक देख कर कहा कि यह भी कोई अच्छे अंक है ।अंक अच्छे लेने है तो अपनी बहन को देख ।वह अपने पापा के गले लग कर प्यार करना चाहती थी । उसके पापा ने उसे प्यार के बदले में उसे भगा दिया। मासूम सी बेटी बेहद उदास हो गई ।वह सोचने लगी कि इस बार मेहनत के बावजूद भी मुझे प्यार नहीं किया। पापा मम्मी को तो हर वक्त प्रिया ,वह ही उनकी चहेती बेटी है ।उनके दिलों में तो मैं एक अच्छी लड़की नहीं हूं ,और ना कभी बन सकूंगी उसने अपना स्कूल का सामान रखा और खेलने चली गई ।उसको अपनी मम्मी पापा से यह आशा नहीं थी इस बार उसे यह आशा थी कि इस बार तो उसकी मम्मी पापा उस उसे अवश्य प्यार करेंगे । उसे कहेंगे शाबाश बेटा,! परंतु हुआ उसके बिल्कुल विपरीत इसी गुस्से में वह अपना सा मुंह ले कर बगीचे में चली गई । उसके स्कूल में इस बार एक नई अध्यापिका आई थी ।सभी बच्चे नई अध्यापिका को घेरे हुए उसके इर्द-गिर्द खड़े थे । अध्यापिका ने देखा रीया बिल्कुल भीड़ से अलग शान्त सी अकेली खड़ी थी । उसका स्कूल में जरा सा भी मन नहीं लग रहा था। उसकी नई अध्यापिका शिखा ने उस को अपने पास बुलाया और बड़े ही प्यार से उसके सिर को सहलाया और उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई उस को देख कर कहने लगी तुम एक कोने में अलग से क्यों खड़ी हो ?क्या तुम्हें किसी ने कुछ कहा है? जरा भी संकोच मत करो घबराने की कोई जरूरत नहीं । रीया तो प्यार से वंचित थी । वह अध्यापिका जब भी उसे बुलाती वह दौड़ी जाती-और प्यार से उसकी और देखा करती थी ।मानो कह रही हो कि मुझे गले से लगा लो। एक दिन वह शिक्षिका बच्चों को कहानी सुना रही थी ,बीच बीच में वह बच्चों से प्रश्न पूछ रही थी । शिक्षिका ने कहा कि प्यारे बच्चों जो बच्चा मेरी कहानी को ध्यान से ग्रहण करेगा और मैं जों प्रश्न पूछूँ गी उसके जवाब सही देगा उस बच्चे को मैं चौकलेट्स दूंगीं । रीया ध्यान से कहानी सुनने लगी ।उसने शिक्षिका की कहानी के प्रश्नों के उत्तर सबसे पहले दिए उसने रीया को खड़ा करके सब बच्चों के सामने उसकी प्रशंसा की और उसे चौकलेट्स भी दी। रिया ने घर आकर अपने मम्मी पापा को कहा कि आज तो मेरी अध्यापिकाने सब बच्चों के सामने मेरी प्रशंसा की और मुझे टॉफी भी दी।उसकी मम्मी पापा ने कहा कि कहानी सुनने से क्या होता है ?अपनी किताबों का पढ़ा याद होना चाहिए । प्यारी सी रीया उदास हो गई। उसका पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लग रहा था ।एक दिन कक्षा में सभी अध्यापिकाओं की मीटिंग हो रही थी ।कक्षा की प्रध्यानाचार्य ने सब अध्यापिकाओं से कहा कि जिन बच्चों के कम अंक आए हैं उन बच्चों के नाम लिखकर मुझे दे दो ।उसका लिस्ट में सबसे पहला नाम आया था ।उस की अध्यापिका ने विचारविमर्श के उपरान्त सभी अध्यापकों को कहा कि यह लड़की तो अच्छी है फिर किस कारण से उसके कम अंक आए ।हो सकता है कि इसका कोई और कारण हो। उसने रिया को अपने पास अकेले में बुलाया और कहा बेटा तुम इतनी होशियार लड़की हो तुम्हारे इतने कम अंक कैसे आए हैं ?यह सुन कर रीया जोर जोर से रोने लगी। और उसने अपने अध्यापक से कहा कि मैं जितनी भी मेहनत कर लूं मेरे मम्मी पापा मुझे प्यार नहीं करते हैं ।वह तो सारा प्यार प्रिया को ही करते हैं । अध्यापिका उस मासूम दिया की बात सुनकर दंग रह गई। एक दिन अध्यापिका ने रिया की मम्मी पापा को स्कूल में बुलाया उन्होंने सारी बात रिया के माता-पिता से कही ।उसी अध्यापिका की बातें सुनकर रीया के माता-पिता हैरान रह गए। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्हें अंदर से अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि हमने एक छोटी सी बच्ची के मासूम दिल को ठेस पहुंचाई है। सुबह के समय जब रीया उठी तो उसने अपने मम्मी पापा को कहा कि पापा मैंने अभी नहीं पढ़ना है ।उसके पापा ने अपनी बिटिया को गोद में लिया और उसे प्यार करते हुए कहा कोई बात नहीं बेटा जब तुम्हारा मन करे तब तुम पढ़ लेना ।यह सुनकर बच्चे को बहुत अच्छा लगा ।वह सोच रही थी कि मेरे पापा मुझे डांट डपट कर भगा देंगे ।वह जल्दी से खेल कर घर वापस आ गई थी स्कूल से आने के पश्चात पढ़ाई में मन लगाने लगी थी। आज तो उसे अपना पाठ बड़ी अच्छी तरह से याद हो गया। उसके मम्मी पापा को अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था । उन दोनों की समझ में आ चुका था कि बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए ।एक परिवार में बच्चे एक जैसे पके नहीं होते उनकी आदतें, स्वभाव अलग अलग होता है। हमारी दोनों बेटियांंहमें बड़ी ही प्यारी हैं ।उसमें सुधार देखकर उसके मम्मी पापा चकित रह गये। उन्होंने फैसला कर लिया कि अब वह दोनों की तुलना एक दूसरे से कभी नहीं करेंगे। हम दोनों बच्चों को एक जैसा प्यार करेंगे।रीया भी आगे चलकर एक बहुत बड़ी डॉक्टर बनी। बच्चों को समान रुप से प्यार व दुलार दिया जाए तो बच्चे भी अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ेंगे ।वह अपने माता-पिता की आन-बान-शान को बरकरार रखेंगे ।दोनों बच्चों में से दोनों बच्चे एक जैसे गुणों के नहीं होते। उनके शौक आदतें भिन्न-भिन्न होती है। उनका भविष्य तभी उज्ज्वल होगा नहीं तो किसी न किसी मासूम का भविष्य उजागर होने से पहले ही धूल में मिल जाएगा.।

होनहार टफी

रामप्रकाश एक छोटे से कस्बे में रहने के लिए आए थे क्योंकि कुछ दिन पहले ही उनका तबादला सोनपुर के एक छोटे से कस्बे में हुआ था ।उन्होंने वहां पर एक घर किराए पर लिया हुआ था। उस घर में वह अपनी पत्नी के साथ रहते थे अभी उनकी शादी को दो-तीन महीने ही हुए थे जिनसे उन्होंने घर किराए पर लिया था उनकी छोटी सी बेटी भानुू हर रोज उनके घर कहानी सुनने के लिए आती थी और अपने दोस्तों को भी इकट्ठा करके ले आती थी। हर रोज कार्यालय से आने पर हर शाम को बच्चों के साथ घर में बैठकर उनके साथ खेलते थे।उन बच्चों के साथ खुद भी बच्चा बन जाते थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे । वह और भी खुश रहने लगे थे क्योंकि उनकी पत्नी भी आप मां बनने वाली थी। वह जल्दी जल्दी काम पूरा करते और अपनी पत्नी के साथ उसका घर के काम में हाथ बंटाते भानू भीे प्यार प्यार में कहती किी अंकल आपके घर में मुन्ना आएगा या मुन्नी ।वह उसे प्यार से कहते मुन्ना हो या मुन्नी वह उसे प्यार से रखेंगे। एक दिन उनकी पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई ।डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को बचाना बहुत कठिन है देखिए क्या होता ह?अंदर से डॉक्टर ने आकर निराश होकर कहा तुम्हारी पत्नी को मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था ।हम आपकी पत्नी को भी नहीं बचा सके ।यह सुनकर रामप्रकाश की आंखों के आगे अंधेरा छा गया ।वह बिल्कुल चुपचाप अपनी पत्नी की मुर्दा लाश को देखकर बिलख बिलख कर रोने लगे रोने से क्या होता है?रोने से तो उसकी पत्नी वापस आने वाली नहींउनके दोस्तों ने उस को सांत्वना दी

वह अब बहुत उदास रहने लग गएथे। उनके दोस्तों ने उसे समझाया कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ।तुम दूसरी शादी कर लो उन्होंने कसम खाई थी वह अब कभी शादी नहीं करेंगे ।वह अपनी पत्नी की यादों के सहारे अपना सारा जीवन व्यतीत कर देंगे ।इस तरह बहुत दिन व्यतीत हो गए ।एक दिन जब वह ऑफिस से वापस घर को आ रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक कुत्तिया ट्रक की चपेट में आने से मर चुकी थी। उसके पास ही उसका छोटा सा दो महीने का बच्चा जोर जोर से अपनी मां से लिपट लिपट कर रो रहा था ।यह दृश्य उन से देखा नहीं गया उन्होंने उस कुत्तिया को हिलाकर देखना चाहा कि शायद वह जिंदा हो परंतु वह निष्प्राण थी। उसके प्राण ही बचे थे यह दृश्य देखकर रामप्रकाश से रहा नहीं गया। उसी वक्त उन्होंने उस कुत्तिया के छोटे से बच्चे को अपने रुमाल में छुपा कर उसे अपने घर ले आए उसको अपने बच्चे के समान प्यार करने लगे ।उसे हर रोज खिलाना नहलाना व सैर करवाना जब वह बच्चा बीमार होता तो उसकी ऐसे ही देखभाल करते जैसे सब अपने बच्चे की परवरिश करते हैं। धीरे-धीरे वह बच्चा भी बड़ा हो गया ।वह उसे टफी कहकर पुकारने लगे ।जब भानु और उसके दोस्त खेलने आते तो उनके साथ खेलते हुए कहता कि टफी मेरा बेटा है ।इस तरह टफी बहुत बड़ा हो गया। रामप्रकाश भी उसके काम में मदद करने लगा जैसे अखबार लाना ,दूध लाना, छोटे छोटे काम करना। एक दिन रामप्रकाश अपने दोस्त की शादी में जाने के लिए बैंक से रुपए निकाल के लिये गये । उन्होंने ₹25000 बैंक से निकाले।शाम का समय हो चुका था उनको बैंक से रुपए निकालते वक्त कुछ बदमाशों ने देख लिया ।उन्होंने राम प्रकाश जी को कहा बाबू साहब हम तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देते हैं। हमं उसी रास्ते से जा रहे हैं ।रात के समय तुम पैदल कहां जाओगे ?रामप्रकाश को जरा भी ख्याल नहीं आया कि वे उसके रुपए भी छीन सकते हैं ।आप अपने घर पर फोन कीजिए । वह जल्दी से उनके ट्रक में बैठ गया गुंडों ने उसे कुछ सुंघाकर बेहोश कर दिया और मार मार कर झाड़ियों में फेंक दिया और अपने आप ट्रक भगा कर चले गए ।जब काफी रात होने तक रामप्रकाश घर नहीं लौटे तो उनके दोस्त को चिंता होने लगी कि आज उनके मालिक घर नहीं आए हैं ।वह चिंता के मारे इधर उधर भागने लगा उन्होंने टफी को प्यार से खाने के लिए दिया परंतु उसने खाना तो क्या ने पानी की एक बूंद तक भी नहीं पी ।घर के बाहर सीधा जा कर अपने मालिक का इंतजार करने लगा ।जब आधी रात हो जाने पर भी उसका मालिक घर नहीं आया तो तभी सबसे पहले रामप्रकाश के दोस्त के घर गया। जहां रामप्रकाश हमेशा जाता था परंतु वहां पर जाने पर उसे निराशा हाथ लगी । वह अब दौड़ने लगा ,दौड़ते-दौड़ते वह उस बैंक के पास पहुंच गया जहां पर उसका मालिक रुपया निकालने गया था। वह सुंघते सुंघतेे उस स्थान तक पहुंच गया जहां उसका मालिक झाड़ियों में मौत की सांसे ले रहा था। उसके मालिक के अभी प्राण शेष थे । वहां पहुंचकर टफी जोर जोर से भौंकने लगा ।उसकी भौंकने की आवाज सुनकर रामप्रकाश के मुख से निकला हाय। यह कहकर वह बेहोश हो गया। टफी दौड़ता हुआ रामप्रकाश के दोस्त के घर गया और उसकी कमीज खींचकर उनको उस जगह पर ले गया जहां उनका मालिक झाड़ियों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था। रामप्रका के दोस्त को समझते देर नहीं लगी कि उसका दोस्त टफी उससे कुछ कहना चाहता है ।वह टफी को कार में बिठाकर ले गए। जहां टफी ले जाना चाहता था। उन्होंने झाड़ियों से अपने दोस्त को बाहर निकाला और अस्पताल लेकर गए और उसकी जान बच गई। टफी ने अपने मालिक की जान बचाकर अपने पुत्र होने का एहसास दिला दिया था। रामप्रकाश के दोस्त को घसीटता हुआ वहां पर ले गया जहां पर वह ट्रक खड़ा था। जल्दी में उस गुंडे की छड़ी उसमें ही गिर गई थी। उसके पास पहुंचकर बार बार घड़ी को सुंघनेे लगा। रामप्रताप ने उस घड़ी को उठा लिया पुलिस वालों ने ट्रक के मालिक को ढूंढ निकाला। मालिक ने बताया कि तीन व्यापारियों ने उनसे यह ट्रक किराए पर लिया था ।वह व्यापारी कल यहां रुपए लेने आएंगे। इस तरह इन तीनों चोरों को टफी

ने पकड़ा दिया और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। उसने अपने मालिक के रुपए चोरों से बरामद कर लिए । उसने अपने पुत्र बनने के दायित्व कोे बखूबी निभा कर अपना कर्तव्य निभा दिया था।

एक किसान था उसके एक बेटा था वह बहुत ही शरारती था उसका नाम गोलू था वह हमेशा शरारती किया करता था पढ़ने में उसका कभी दिल नहीं लगता था वह स्कूल से भाग कर घर आ जाता था गांव वालों को परेशान करना और पक्षियों को पत्थर मारना उसके फसलों को नष्ट कर देना यह उसका हर रोज का काम था उसकी इन हरकतों से किसान और उसकी पत्नी बहुत ही परेशान रहते थे एक दिन वह अपने पिता के साथ खेत में चला गया उसके पिता खेत में हल चला रहे थे वह खेत में आती-जाती औरतों पर पत्थर मारकर उनकी मटकी को करने में लगा रहता था यह काम करने में उसे बहुत ही मजा आता था जब उसे लगता कि कोई उसे देख रहा है तो वह चुपचाप फिर के पीछे छिप जाता गांव वाले भी उस की इन हरकतों से तंग आ गए थे गांव की स्त्रियां उसके घर आकर जब शिकायत करने लगी तब उनके पिता ने उसकी बहुत पिटाई की मगर फिर भी उसकी समझ में यह बात नहीं आई कि बेवजह हमें किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए एक दिन जब वह अपने दोस्त के साथ खेल रहा था तो उसने गद्दी वासियों को वहां से जाते देखा वह अपने मित्रों के झुंड को ले जा रहे थे उसने उन तीनों में से 1 महीने के बच्चे को चुपके से चुरा लिया और दो दिन तक उसे कुछ भी खाने को नहीं दिया उसके दोस्त ने उसे यह करते देख लिया था उसके दोस्त की माता ने मुझे अपने घर में रख लिया था एक दिन वह अपने पिता के साथ मेला देख कर वापस घर आ रहा था उसके पिता किसी जानने वाले व्यक्ति से बात करे थे वह धीरे-धीरे आगे चलने लगा और पेड़ों पर चढ़कर लहरियों और पक्षियों को तंग करने लगा उसके पिता ने सोचा कि उसका बेटा आगे ही गया होगा परंतु बोलूं तो कहीं और ही पहुंच गया वह रास्ता भटक चुका था वह बहुत घने जंगल में फस चुका था अब तो हर जोर जोर से रोने लगा उसके रोने की आवाज़ किसी को भी सुनाई नहीं दे रही थी उसकी चीखने चिल्लाने की आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था उसने एक बड़े पत्थर के नीचे उसने सारी रात बिताई रैना सारी रात सो नहीं सका ठंड से सारी रात काम तरह दूसरे दिन फिर से अपने घर का रास्ता मालूम नहीं पड़ा भूखा प्यासा अपनी मां को पुकारता रहा अब उसे उसमे नहीं किया जाए कि उसने कैसी मिलने के झुंड में से चुपके से उसने बच्चे को चुरा लिया था वह मेरा बच्चा भी अपने मां बाप से मिलने के लिए आतुर होगा मैंने तो उसे 2 दिन तक खाने के लिए भी नहीं दिया वह तो अच्छा हुआ कि मेरा दोस्त उसे ले गया उसके दोस्त की मां ने उससे मिलने को अपने पास रख लिया था आप तो वह सोचने लगा कि कैसे मैं अपने माता-पिता से मिलूं सबसे पहले मैं उनसे मिलने के बच्चों को उनके झुंड में छोड़ कर दम लूंगा आज मुझे पता चल गया है अब मैं बेवजह किसी प्राणी या जानवरों को तंग नहीं करूंगा हे भगवान मुझे मेरे माता पिता से मुझे मिला दे तभी उसने वहां से जाते हुए एक राहगीर को देखा और जोर जोर से रोने लगा उस राहगीर को उस पर दया आ गई उसने बोलूं को सुरक्षित उसके घर पहुंचा दिया घर पहुंचकर उसने सबसे पहले इस महीने के बच्चे को बहुत प्यार किया उसको वापिस फिरौन वर्णों के झुंड में वापस भेज दिया मैं अपने परिवार वालों से मिलकर खुश था अब तुम हमको समझ आ चुका था अगर शाम का भूला हुआ वापस घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते अब बोलो बहुत खुश था वह पहले की तरह शरारती बालक नहीं रहे क्या था वह सबके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करता था

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नहले पर दहला

किसी गांव में एक कुम्हार रहता था। उसका एक बेटा था उसका नाम कृष् था। कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाता था उससे उसको अच्छे दाम मिल जाते थे ।वह घड़े भी सुंदर सुंदर बनाता था जब वह उन घड़ो को बनाता था तो उसका बेटा भी उसे बड़े ध्यान से देखता रहता था। वह स्कूल नहीं जाता था क्योंकि उसके परिवार में बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। यह सारा परिवार पिछड़ी जाति से संबंधित था। वह अपने पिता के साथ घड़ोंको थोड़ा-थोड़ा बनाने की कोशिश करता रहता था ।आठ वर्ष के बाद उसके पिता एक दुर्घटना में मारे गए वह अपनी मां के साथ रहने लग गया था। वह केवल उस समय केवल दस वर्ष का था ।पांच छ: वर्षों तक उसकी मां ने किसी न किसी तरह घरों में झाड़ू-पोछा करके अपने परिवार का पालन किया। वह अब पन्द्रह वर्ष का हो चुका था। वह सोचने लगा वह अपनी मां को काम नहीं करने देगा । कृष् ने अपनी मां को कहा कि मैं अपने पापा के चलाए हुए व्यापार को आगे बढ़ाऊंगा ।मैं भी घड़े बनाकर उन्हें बेचा करूंगा ।वह सोचने लगा कि मैं बाहर दूसरे गांव में जाकर काम करुंगा और अपने पापा के अपनाये हुए कार्य को आगे बढ़ा कर ही दम लूंगा। वह अपनी मां से आज्ञा लेकर दूसरे गांव में अपना कार्य का विस्तार करने के लिए अपने गांव से बहुत दूर आ गया। वहां पर आकर पहले उसने अपने आसपास के लोगों का जायजा लिया ।वहां पर उसे सब लोग मेहनत करते नजर आए ।कोई चाय पकौड़े बना रहा था, कोई दुकानदारी कर रहा था, कोई चाट पापड़ी तो कोई जूते पोलिश। सब लोग अपने अपने विभिन्न धंधे में लगे हुए थे कोई रिक्शा चला रहा था ,कोई कुली का काम कर रहा था। सबको काम करते देख उसने दो तीन आदमियों के पास अपना परिचय दिया और कहा कि मैं यहां दूसरे गांव से काम धंधे की तलाश आया हु। क्या मै यहां पर अपना कार्य धंधा कर सकता हु?वहां के लोगोने कहा हां भाई !यहां अपना काम करने मे क्या बुराई है तब उसने वहां पर काम करना शुरू कर दिया। पहले पहल तो उसने पांच छ: घड़े बनाएं उसके एक-एक करके सब घड़े बिक गए। वह अपनी मेहनत की कमाई से बहुत प्रसन्न हुआ। उसने सोचा कि खूब सारे रुपए इकट्ठे करके अपनी मां को सारी खुशियां दूंगा ।अपनी पहली कमाई को तो उन्हें ही सौंप कर फिर खर्च करूंगा ,इसलिए मैं सारे रुपए एक घडें में इकट्ठा करता रहूंगा। एक दिन वह अपने रुपयों को गिन-गिन कर एक हंडिया में रख रहा था उस गांव के साहूकार के बेटे ने उसे देख लिया ।उसने सोचा कि वाह क्या ठाठ है वह ्कृश के पास आकर बोला हम यहां बाहर से आने वाले लोगों से टैक्स लेते हैं। वह उसके सौ रुपए छुड़ा कर ले गया ।वह जैसे ही रुपए छुड़ाने लगा कृष् ने उसे जोरदार धक्का दिया। साहूकार के बेटे ने उसे नीचे गिरा दिया, तभी कृष ने खूब मार कुटाई करके साहुकार के बेटे को नीचे गिरा दिया और अधमरा सा कर दिया ।उस से सौ रुपये वापस ले लिए । साहुकार के बेटे से कोई भी गांव का आदमी खुश नहीं था। सब लोग साहूकार के बेटे से डरते थे। आज गांव की भोले- भाले कुम्हार ने सब लोगों में खुशी की लहर पैदा कर दी थी ।उस नवयुवक ने आकर उसको ऐसा करारा थप्पड़ मारा कि वह पांच दिनों तक उठने के काबिल नहीं था । सारे के सारे लोग क्रृष की वाह-वाह कर रहे थे ।वह मौज-मस्ती से अपना जीवन बिता रहा था हमेशा वह अपने रुपयों को एक घड़े में भरकर रख देता था साहूकार का बेटा

उस से बदला लेना चाहता था । उसमें अब लड़ने की हिम्मत नहीं रही थी। वह सोचने लगा इसके साथ लड़ने के लिए तो कोई और नई योजना बनानी होगी ।

थोड़ी देर बाद कुम्हार के बेटे ने उसे बाईक पर ईधर उधर मंडराते हुए देखा।वह चुपचाप कुम्हार के बेटे से बात करता और खिसक जाता था।कृष इसी तरह मेहनत मजदुरी करकेे रुपए अपने घड़ी में इकट्ठे करता रहा था ःवह सोच रहा था जब बहुत सारे रुपए इकट्ठे हो जाएंगे तब मैं अपने गांव जा कर अपनी मां को अपनी मां के हाथ दूंगा ।उसको रुपए इकट्ठे करते दूर से साहुकार का बेटा देखा करता था ।एक दिन साहूकार का बेटा उसके घर में से सारे रुपए चुरा कर ले गया उसने ₹10000 इकट्ठे कर लिए थे यह सारे के सारे रुपए साहुकार का बेटा तब ले गया जब वह अपने साथ वाले आदमी की दुकान पर कुछ खाने के लिए लाने गया था। जब वह कुछ खा पीकर-अपनी दुकान पर आया तो उसने अपना वह घड़ा टूटा हुआ देखा। वह घड़ा खाली था वह जोर जोर से चिल्लाने लगा। मेरा घड़ा किसने तोड़ा मेरा घड़ा किसने तोड़ा? मेरे रुपए किसने लिए ?साहुकार के बेटे के सामने सब लोगों की बोलती बंद हो चुकी थी ।वह आस पास ही खड़ा सब नजारा देख रहा था और मन मन मुस्कुराकर उसको इस प्रकार विलाप करते देख रहा था। उसको रोते हुए देखकर वह अंदर ही अंदर खुश हो रहा था क्योंकि आज उसने अपना बदला पूरा कर लिया था । जब साहुकार का बेटा चला गया तो आसपास के लोग इकट्ठे हो गए और बोले इस साहुकार के बेटे को कभी भगवान खुश नहीं रखेगा। जो इस बेचारे कुम्हार के खून पसीने से कमाई हुई संपत्ति को चुरा कर ले गया कृष जोर जोर से रोने लगा उसको इस प्रकार रोता देख कर उसे रुपए नहीं मिलने वाले थे ।दो-तीन दिन बिना खाए चुपचाप बैठा रहा ।उसको इस प्रकार होते देख कर उस गांव वालों ने उसे कहा बेटा इस प्रकार रोने से कुछ हासिल नहीं होगा ।यह साहुकार का बिगड़ा हुआ बेटा बहुत ही खराब है तुम एक बहुत ही बहादुर इंसान थे जो उससे बदला ले सकते थे । हम उस से लड़ नहीं सकते थे ।वहां पर तभी साहु कार के बेटे की बहन कुम्हार के पास आकर बोली ।तुम बहुत ही ईमानदार इंसान हो ।मैं तुम्हें हर रोज मेहनत करते देखती हूं ।तुम बहुत ही मेहनती हो। काश इतनी अकल मेरे भाई को भी दी होती वह इतना बिगड़ चूका है कि अब उसका सुधरना मुश्किल है तुम्हारे रुपयों को मैंने उसे ले जाते देखा। मैंने उसे कहा कि भाई किसी की मेहनत से कमाई हुई दौलत को यूं हाथ नहीं लगाते भगवान तुम्हें माफ नहीं करेंगे । उसने मुझे भी धक्का दिया और चला गया। वह बोली तुम निराश ना हो तुम कि एक बहादुर इंसान हो जिससे ने मेरे भाई को लड़ाई में हरा दिया था। मैं तुम्हें बताती हूं उसी की ही चाल में बिना मारधाड़ के उससे तुम कैसे अपने रुपए हासिल कर सकते हो। कुम्हार का बेटा बोला मैं मैं इन रूपयों को अपनी मां को देना चाहता था ।वह सब रुपए तो तुम्हारे भाई ने ले लिए ।साहूकार की बेटी बोली वह अपनी बाइक पर हर रोज यूं ही मंडराता रहता है। वह शराब के अड्डे पर हर रोज तीन पेग लगा ने अपने दोस्तों के साथ जाता है ।उसने अपनी बाइक की डिक्की में तुम्हारे रुपए रखे होंगे ।चाबी तो उसके पास ही रहती है ।इतना मैंने तुम्हें बता दिया अब आगे तुम उस से खुद रुपए प्राप्त कर सकते हो ।यह कहकर वह चली गई ।वह सोचने लगा कि रोने से तो मेरे रुपए वापस नहीं कर जाएगा। शत्रु को उसी की ही चाल में जवाब देना चाहिए ।उसने एक योजना बना डाली जब शाम के समय साहुकार का लड़का अपने दोस्तों के साथ साथ शराब के अड्डे पर ड्रिंक करने के लिए अपने दोस्तों के साथ बैठा तो वह यह देखकर हैरान हुआ कि वहां कुम्हार का बेटा पहले से ही बैठा था। वह यूं ही मेज के पास बैठा कुछ सोच रहा था ।वहां पर साहुकार का बेटा आकर बोला आज यहां आ कर क्यों बैठे हो ?क्या तुम अपना गम भुलाने के लिए यहां आए हो ? कुम्हार का बेटा बोला यही समझ लो कुम्हार का बेटा बोला हर रोज तो तुम अपने रुपयों को खर्च कर पीते हो। आज मैं तुम सब दोस्तों को पिलाना चाहता हूं। उसके इस प्रकार के उत्तर से सब उसे हैरान होकर बोले ।आज क्या तुम्हारा जन्मदिन है ?कुम्हार का बेटा बोला हां यही समझ लो ।वेटर नेे आकर उन सबको ड्रिंक दिए ।सब लोग चियरस कहकर पी रह थे। कुम्हार का बेटा शराब तो ले रहा था मगर वह उन्हें पास के गमले में फेंक रहा था ।अब तो सब के सब शराब पीकर वहीं गिर गए थे ।सभी को बेहोश होते देखकर कुम्हार के बेटे ने बाइक की चाबी साहुकार के बेटे की जेब से निकाली और उसी की ही जेब से ड्रिंक की अदायगी की। और चुपचाप वहां से चलकर उसकी बाईक के पास पहुंच गया जंहा वह उसको हर रोज उस बाईक को खड़ी करते देखता था ।उसने बाईक की डिक्की को खोला उसमें से उस नेअपने ₹10,000 निकाले और डिक्की का ढक्कन बंद कर दिया। वह शराब के अड्डे पर आया उसने बाईक की चाबी साहुकार के बेटे की कमीज़ की जेब में डाल दी थी। आज वह बहुत खुश हुआ और वापस आकर उसने अपने सभी साथियों को कहा कि आप ठीक ही कहते हो।मैंने उसे उसी की भाषा में जवाब दिया और अपने खोए हुए रुपए को अपनी सूझबूझ से पुनः प्राप्त कर लिया। जब साहुकार के बेटे को होश आया तो उस का माथा ठनका ।कुम्हारके बेटे को ढूंढने का यत्त्नकरने लगा। वहां वेटर आया वेटर को आते देखकर साहुकार का लड़का बोला कि तुम्हारी अदायगी हो गई।वह बोला हां साहब जी वह जो तुम्हारे साथ वाला लड़का था वह दे गया। और मुझे भी मुझे भी ₹50 ज्यादा दे गया। तुम्हारा दोस्त कितना भला इंसान है इतने रुपए तो तुम भी कभी मुझे नहीं देते हो ।साहूकार के बेटे ने अपनी जेब में हाथ डाला उसने अपने रुपए देखें उसके सारे के सारे रुपयोंसे वह बिल चुका चुका था ।साहूकार का बेटा अपनी बाईक की चाबी ढूंढने लगा फिर अपनी चाबी देख कर खुश हो गया कि चलो चाबी तो वह नहीं ले गया है ।उसने जैसे पेट्रोल डलवाने के लिए डिक्की में से रुपए निकालने चाहे तो वह यह देख कर हैरान रह गया कि जो उसने कुम्हार के बेटे से रुपए छीने थे वही रुपए गायब थे।वह बहुत ही हैरान हुआ उसके बेईमानी से कमाये गये धंधे का जवाब मिल चुका था ।वह तो नहले पर दहला साबित हुआ। साहुकार के बेटे ने सोचा क साहुकार केे बेटे को अपना सच्चा दोस्त बनाने में ही भलाई है।। वह तो अपने को ज्यादा ताकतवर समझता था। आज तक इस बात से अनभिज्ञ था परंतु आज उस पर वार करके किसी ने उसे छोटा महसूस करवा दिया था ।दूसरे दिन कुम्हार के बेटे ने उसे अपने घर पर बुलाया और बड़े प्यार से उसे दावत खिलाई और कहा कि आज के बाद कभी भी तुमसे इस तरह का बर्ताव नहीं करेगा मेरे यार मुझे माफ कर दो। मैं अपनी गलती के लिए आपसे क्षमा मांगता हूं।