“हे नारी!तुझे शत शत नमन”

सुसभ्य संस्कृति कि नव चेतना का आधार जननी कर्मधात्री, पवित्रता स्वरुपिणी, वात्सलयमयी,ममता का आधार जननी।। सर्वस्व न्योछावर करने वाली, तन मन धन समर्पित करनें वाली।। अपनें हुनर से घर को साज संवारने में निपुणता लानें वाली। अपनी सूझबूझ के दम पर परिवार पर जान छिड़कनें वाली ।। त्याग,तप और सौम्यता कि मूर्ति बन अपनें परिवार… Continue reading “हे नारी!तुझे शत शत नमन”