शेरु अपनें मालिक संग एक छोटे से घर में था रहता। अपने मालिक के संग रहकर खूब आनंद से था जीया करता।। शेरू हरदम अपने मालिक के आगे पीछे दुम हिलाता जाता था। उसका मालिक भी उसे देखकर प्रसन्नता से फूला नहीं समाता था शेरु था बहुत ही होशियार। उस से बढ़कर कोई नहीं था… Continue reading (शेरु और वीरु की दोस्ती)
Category: Poems
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(मानव शरीर के अंग)
हड्डियों और मांस पेशियों से मिलकर बना है यह शरीर। मानव को आकृति प्रदान करने में सहायक होता है यह शरीर।। मांसपेशियां शरीर के हिलने ढुलनें में सहायता है करती। इसके बिना मानव की कोई नहीं हस्ती। मस्तिष्क शरीर के सभी अंगो को नियंत्रित है करता। यह तंत्रियों के माध्यम से है काम करता। हृदय… Continue reading (मानव शरीर के अंग)
(शिमला में बिन मौसम बरसात)
बिन मौसम की की बारिश में ऐ मानव क्या तू दौड़ पाएगा? पल में ठंडक पल में गर्मी क्या तू सह आएगा।। गर्मी के मौसम में आसमान ने बजाई रणभेरी। वर्षा ने आते हुए भी नहीं लगाई देरी।। छम छम वर्षा ने बरस कर पानी बरसाया। बादलों ने भी गरज गरज कर अपना बिगुल बजाया।।… Continue reading (शिमला में बिन मौसम बरसात)
(आज का युग है तेरा हे! नारी शक्ति)
आज का युग है तेरा हे! नारी शक्ति। तुझ में समर्पण की है अद्भूत शक्ति।। इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास से भरा है कोमल ह्रदय तेरा। तुझ पर सब को गर्व है बहुतेरा।। तू अपनी मेहनत के बल पर मुकाम हासिल करती है। अपनी जिंदगी में बदलाव के लिए नींव तैयार करती है।। तू है सृष्टि… Continue reading (आज का युग है तेरा हे! नारी शक्ति)
(वन्दना) प्रार्थना
मेरे प्रभु आओ, अपनी आंखों में तुम को बसाऊं। तेरी शरण में आ कर के बस एक तेरा ही ध्यान मन में लाऊं।। हर दम बस तेरी महिमा के ही गुण गाऊं। तेरा ही स्मरण कर अपनें जीवन को सार्थक बनाऊं।। मेरे प्रभु------ मेरे विकारों को हे प्रभु! जड़ से मिटा देना। अज्ञानता से भूल… Continue reading (वन्दना) प्रार्थना
(ऐ भारत मां तुझे सलाम)
ए भारत मां हमनें तेरी धरा पे जन्म लेकर भारतीय होने का गौरव पाया है। तेरे आंचल में सिर रखकर अपना जीवन न्योछावर करनें का संकल्प दोहराया है।। तूने ही तो हर भारतीय के उमंग और हौसले को बढ़ाया है। सारे जहां की खुशियां देकर अपना सर्वस्व हम पर लुटाया है। कभी धूप, आंधी तूफानों… Continue reading (ऐ भारत मां तुझे सलाम)
फुलों की तरह मुस्कुराता रहे तुम्हारा चेहरा
फुलों की तरह मुस्कुराता रहे तुम्हारा चेहरा। हंसी से गुनगुनाता रहे तुम्हारा मुखड़ा। तुम्हारी जिन्दगी में हर पल हर क्षण खुशियों की बरसात हो। चेहरे पर हर पल मुस्कुराहट की सौगात हो। हर दिन जीवन में नया पर्व ले कर आए। कभी ईद तो कभी दीवाली बन कर आए। तुम ऊंचाईयों की सीढ़ियां चढ़ते जाओ।… Continue reading फुलों की तरह मुस्कुराता रहे तुम्हारा चेहरा
व्याध और हंसों का झुन्ड
पानी की तलाश में एक हंसो का झुन्ड सरोवर मे था आया। सरोवर के पास व्याध को देख कर था घबराया।। हंसिनी के बच्चे का हाथ था छूट गया। इस आपाधापी में वह बच्चा अपनी मां से बिछुड़ गया।। अपनी मां से बिछुड़ने पर वह पंहुचा एक घने जंगल में। वहीं पर एक व्याध भी… Continue reading व्याध और हंसों का झुन्ड
(मन का दर्पण है सुन्दर कल्पनाएँ) कविता
मन का दर्पण है सुन्दर कल्पनाएँ। अतीत में झांकने का अवसर देती है कल्पनाएं।। व्यक्ति के चेहरे पर रंगत का दौर लाती हैं कल्पनाएँ। जीवन को नई उम्मीद का चेहरा दिखाती हैं सुन्दर कल्पनाएं।। हमारे अंदर छिपी हुई रचनात्मक प्रवृति को उभारती हैं कल्पनाएँ। नकारात्मकता और सकारात्मकता का अनुभव कराती हैं कल्पनाएं।। मधुर सपने दिखाती… Continue reading (मन का दर्पण है सुन्दर कल्पनाएँ) कविता
नदी की कलकल धारा
नदी की बहती कलकल धारा। प्रकृति की छटा का अद्भूत नज़ारा वो तृषित धरा की प्यास बुझाती नदियाँ। मन के उथल पुथल भावों को निर्मल करती नदियाँ।। शान्त और तेज रफ्तार से बहती नदियाँ । दूर दूर से हर आने जानें राहगीरों की प्यास और थकान को शान्त करती नदियाँ।। अलग अलग धारा में बहनें… Continue reading नदी की कलकल धारा