व्याध और हंसों का झुन्ड

पानी की तलाश में एक हंसो का झुन्ड   सरोवर मे  था आया।

 सरोवर के पास व्याध को देख कर था घबराया।।

 हंसिनी के   बच्चे का हाथ था छूट गया।

इस आपाधापी में वह बच्चा अपनी मां से बिछुड़ गया।।

अपनी मां से बिछुड़ने  पर वह पंहुचा एक घने जंगल में।

वहीं पर एक व्याध भी घूम रहा था, पक्षियों को  तलाशनें उस भयंकर गर्मी में।

 उसने पक्षियों को पकड़नें के लिए जाल था फैलाया।

पक्षियों को  हडपनें की ताक में था ललचाया।

अचानक उसके जाल में एक हंस का बच्चा था आया।

हंसीनी के बच्चे को देख कर  व्याध फुला न समाया।

हंस का बच्चा इधर-उधर अपनी मां को था खोज रहा।  

उन से बचनें के लिए इधर उधर  मां को था ढूंढ रहा।।

व्याध को सामने देख कर हंस का बच्चा डर से कांप गया।

उसने जाल को छाती में कस कर था जकड़ लिया।।

हंसिनी भी पास में ही   पानी  और भोजन के लिए  थी  भाग  रही।

अपने बच्चे को  पीछे ना आते देकर  डर से  सहम गई।।

अपने बच्चे को डर कर ऊंचे स्वर से पुकारने लगी।

उसको  आवाजें दे दे कर  बुलानें लगी।

उस नन्हीं  सी जान को पकड़े जाने पर  छुटना भी नहीं आता था।

उसे तो खाने के सिवा कुछ नहीं आता था।।

हंसिनी घबराकर बोली हाय! मेरे बच्चे की रक्षा अब कौन कर पाएगा?

मेरे बच्चे को सुरक्षित लाकर मेरी गोद में  अब कौन बिठाएगा।।

हंसिनी जोर से सहायता के लिए चिल्लाने लगी।

चिल्ला – चिल्ला कर सभी जानवरों को सहायता के लिए   बुलानें लगी।।

चूहा, तोता, मैना, सब पक्षी इधर-उधर थे दौड़ रहे।

वह जंगल में  सभी थे विचरण कर रहे।।

हंसो की नजर तभी चुहिया के  झुन्ड पर पड़ी।

झुन्ड की रानी चुहियां को देखकर  वह भी रो पड़ी।।

रानी चुहिया उस की  करुणा भरी पुकार सुन कर   चीख चीख कर सभी जानवरों को बुलाने लगी।

सान्तवना दे कर उसे धीरज बंधाने लगी।।

चुहिया बोली मेरी सखी तुमको इस मुश्किल की घड़ी में   घबराना नहीं चाहिए।

एकता दिखा कर सभी को तुम्हारे बच्चे को  इस मुश्किल से बचाना चाहिए।।

मुश्किल की घड़ी में जो काम आए।

वही तो सच्चा  मित्र कहलाए।।

रानी चुहिया की बात सुनकर हंसिनी को थोड़ा धीरज  हो आया।

बड़ी मुश्किल से उसने अपने मन पर काबू पाया।।

सारे पक्षियों का झुंड  और रानी चुहिया का झुन्ड व्याध की तलाश में  था निकल पड़ा।

इधर-उधर उड़ता वह उडता व्याध के सामने  आ खड़ा हुआ।।

पक्षियों ने  चुपके से जाल को   देख लिया। उस में फंसे  डर से सहमे हुए हंस के बच्चे को देख लिया।

सारे पक्षियों नें रानी  चुहिया को इशारा किया।

ईशारे को समझते ही रानी चुहिया नें जाल को काट  दिया।।

सभी पक्षियों का झुन्ड और चुहिया खुशी  से हंसिनी के बच्चे  को सुरक्षित देख कर मुस्कुराए।

एकता की मिसाल दे कर अपने ऊपर हर्षाए।।

हंसिनी बोली आप सभी का अन्तःकरण की गहराईयों से अभिन्नदन करती हूं।

आप सभी के उपकार को शत शत बार नमन करती हूं।।

Leave a Reply

Your email address will not be published.