अनुशासन का पाठ बच्चे को माता पिता है सीखलाते।
माता-पिता बच्चे का नियम बद्ध तरीके से पालन है करते।।
विद्यालय जाकर बच्चा गुरु के संपर्क में रहकर शिक्षा ग्रहण है करता।
गुरु दीपक के समान जलकर ज्ञान का प्रकाश उनमें है जगाता।।
अनुशासन करने वाला बच्चा बड़ों का सम्मान है करता।
अनुशासित होकर औरों को भी ज्ञान से सराबोर है करता।।
अनुशासन का पालन करने के लिए विद्यालय है जरूरी।
जहां पर हर छोटे और बड़े को सम्पूर्ण शिक्षा प्राप्त करना है जरूरी।।
अनुशासन बच्चे के जीवन को सुखमय है बनाता।
उनके जीवन को लक्ष्य की ओर है पहुंचाता।। अनुशासनहीनता के लिए हमारी शिक्षा पद्धति भी है जिम्मेवार।
बच्चों को मनपसंद रोजगार न मिलना, अपने भविष्य की अनिश्चितता उसे आक्रोशित है बनाती।
छात्र पथभ्रष्ट की ओर बढ़ावा है देती।।
सूर्य, प्रकृति, वृक्ष समय पर ही अपना अपना काम हैं करते।
अनुशासित हो जाने पर देश में प्रलय हैं मचाते।।
अनुशासन में रहकर बच्चा अपना सर्वांगीण विकास है करता।
एक छोटा सा बच्चा देश का कुशल नागरिक बनकर कमाल है दिखाता।।
सुंदर और स्वस्थ राष्ट्र की कल्पना हम अनुशासन में रहकर ही हैं करते।
हम तभी स्वच्छ और सुंदर भारत का निर्माण हैं करते।।
अनुशासन हीनता को समाप्त करनें के लिए बच्चे में अच्छे संस्कार और शिक्षा में उचित सुधार करना है आवश्यक।
तभी अनुशासन मानवीय चरित्र में मील का पत्थर साबित होगा।।